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शनिवार, नवंबर 24, 2018

"सन्त और बलवन्त" (चर्चा अंक-3165)

मित्रों!  
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।   
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।  
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')  
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*** ...फिर सवाल अहम हुए *** 


अमिय प्रसून मल्लिक 
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आन 


Akanksha पर 
Asha Saxena 
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सावधान पार्थ!  

सर संधान करो 

ऐसी कई कहावतें हैं जिनके प्रयोग पर मुझे हमेशा से आपत्ति रही है, उनमें से एक है – निन्दक नियरे राखिये, आंगन कुटी छवाय। बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। विद्वान कहने लगे हैं कि अपने निन्दक को अपने पास रखो, उसके लिये आंगन में कुटी बना दो। लेकिन मैं कहती हूँ कि अपने निन्दक को नहीं जो अपने दुश्मन की निंदा कर सके, उसे अपने पास रखो... 
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5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर शनिवारीय चर्चा प्रस्तुति। आभार आदरणीय 'उलूक' के पन्ने को भी जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर चर्चामंच की प्रस्तुति 👌
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु सह्रदय आभार आदरणीय
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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