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मंगलवार, फ़रवरी 19, 2019

"कश्मीर सेना के हवाले हो" (चर्चा अंक-3252)

मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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लघुकथा :  

ध्वज 

झरोख़ा पर 
निवेदिता श्रीवास्तव 
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रोशी :  

ना आँखों में तनिक अश्रुबिंद , 

मस्तिस्क भी हो गया शून्य... 

लांघ गया था वो  
हैवानियत की सारी सीमाएं... 
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बडा सवाल ! 

कार्य निर्विघ्न अमनसेतु का शुरू हो, 
इसी इंतजार मे भील हैं,
सिरे सेतु के कहांं से कहांं जोडें, 
असमंजस मे नल-नील हैं।

तमाम कोशिशें खारे समन्दर मे, 
मीठे जल की तलाश जैसी,
पथ कंटक भरा, तय होने अभी 
असंख्य श्रमसाध्य मील हैं।... 

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 

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यूँ न था बिखरना 

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
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श्रद्धाञ्जलि ? 

प्रतिभा सक्सेना 
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सच का दीप जलाता हूँ 

नीम-निबौली पर मैं 
 मीठी परतें नहीं चढाता हूँ।  
हाथ झुलसते जाते हैं लेकिन  
सच का दीप जलाता हूँ... 
हृदय पुष्प, पर राकेश कौशिक 
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कश्मीर समस्या का अंतिम हल -- 

डा श्याम गुप्त . 

देशद्रोह विश्व में व इस देश में सदैव ही हावी रहाहै | देश के अन्दर छुपे देश द्रोहियों की सूचनाओं के बिना कुछ भी नहीं होसकता... 

4 टिप्‍पणियां:


  1. नमन, वंदन, आक्रोश, राजनैतिक आरोप प्रत्यारोप ,वही मुर्दाबाद के नारे और जुबानी ललकार।
    विचित्र सी स्थिति है ,इस घटना के बाद।
    वहीं जनता शोर मचा रही है एक्शन.. एक्शन...।
    पथिक को मंच पर स्थान देने के लिये धन्यवाद शास्त्री सर। सभी को प्राणाम ।

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति आदरणीय
    सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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