मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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भारत-
एक समीक्षा
सीधे और सपाट शब्दो मे कहूँ तो फ़िल्म में मनोरंजन के मसाले भरपूर है,लेकिन वो टुकड़े-टुकड़े में थोड़ा बहुत मनोरंजन करता है।लेकिन एक पूरे फ़िल्म के रूप में कही भी बांधने में मुझे तो नही लगता है कि सफल हो पाया है।अली अब्बास जाफर के निर्देशन के कारण आज "भारत मैच छोड़" "भारत फ़िल्म" को देखने चल दिया।लेकिन सलमान के साथ पिछली दो फ़िल्म "सुल्तान" और "टाइगर जिंदा है" के मुकाबले यह काफी कमजोर मूवी है...
कौशल
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शिक्षा एक अंजूरी दे दो
कुछ करना है देश की खातिर,
जीना मरना देश की खातिर,
दो माटी का ढेला हमको
या फिर तुम कस्तूरी दे दो।
एक गुजारिश है दिल्ली से
हर हाथों को मजूरी दे दो...
मनोरमा पर श्यामल सुमन
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उसकी कहानी !
वह जन्मी , उतरी गोद से माँ की, नन्हें नन्हें कदमों से अभी अभी चलना सीखा था। अँगुली माँ की छोड़ अभी तक न चलना आया था । सुनती शोर दूर तो दौड़ छिप जाती माँ के आँचल में। अभी नहीं आया था, आँगन पार करना भी , हाथ पकड़ कर बाबा का, करती थी पार गली वह । नहीं जानती कौन है अपना कौन पराया मानुष में । कहती कहानी अपनी हर लिया मुझे और कर दिया टुकड़े टुकड़े ...
मेरा सरोकार पर
रेखा श्रीवास्तव
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सभी रचनाएँ बहुत अच्छी हैं।
जवाब देंहटाएंबढिया संकलन है।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सर।
सादर।
बेहतरीन चर्चा मंच की प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंशानदार रचनाएँ, मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार लिंकों का चयन।
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को ''चर्चा मंच'' में स्थान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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