मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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मायके आयी रमा, माँ को हैरानी से देख रही थी। माँ बड़े ध्यान से
आज के अखबार के मुख पृष्ठ के पास दिन का खाना सजा रही थी। दाल, रोटी, सब्जी और रायता। फिर झट से फोटो खींच व्हाट्सप्प
करने लगीं....
धरोहर पर
yashoda Agrawal
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परहित सरिस धर्म नहीं भाई
*परोपकार* का अर्थ है, दूसरों के जीवन को आसान बनाना. जरूरत पड़ने पर किसी का हाथ बंटा देना. यदि खुद में सामर्थ्य है तो किसी की मदद करने का अवसर आने पर पीछे न हटना. यह सब करते हुए यदि भीतर यह भाव जगाया कि हम....
डायरी के पन्नों से पर Anita
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नया कैलेंडर
Anita
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पिघलती शाम
Sudhinama पर
Sadhana Vaid
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बारिश आई चलो नहाएं .....
यशु जान
yashoda Agrawal
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काला रंग
तवे का रंग
काला है
रोटी सेंकता है
रंग तो काला है
दिए में जलने वाली बाती का
रौशनी तो होती है
चमकदार...
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आईये मेहरबान ...
बहुत दिनों से ब्लॉग पर कुछ नहीं लिखा....
ऐसा नहीं है कि लिखने को कुछ नहीं
बल्कि लिखने को बहुत कुछ ऐसा है कि
हाथ कलम तो उठाते हैं
पर मन का नरम कोना
जाने दो यार कहके रोक देता है ....
कुछ कड़वी बातें बाहर न आये
और लेखनी अपने सरल रास्ते से न भटके
इसलिए ठहराव जरूरी लगता है...
मेरे मन की पर
Archana Chaoji
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साक्षी
तारों भरे आसमान में
एक तारे पर नजर टिकाये गुजरी रात
रिश्तों का
अलौकिक ताना-बाना
बुनती है...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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विविध लिंक्स से सजी सुंदर चर्चा!
जवाब देंहटाएंसादर आभार !!
सुप्रभात सर 🙏)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा मंच की प्रस्तुति 👌
शानदार रचनाएँ ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार |
प्रणाम
सादर
सुप्रभात ! विविधरंगी रचनाओं के लिंक्स देता चर्चा मंच..आभार मुझे भी इसमें शामिल करने के लिए.
जवाब देंहटाएंचर्चा में स्थान देने के लिए सादर धन्यवाद सर।
जवाब देंहटाएंवाह!!शानदार प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ,सादर
जवाब देंहटाएंअति उत्तम प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा आज की ! मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा | मेरी रचना को स्थान देने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं"धरोहर" ब्लॉग में यशोदा जी द्वारा प्रस्तुत की गयी लघुकथा "बड़प्पन " हमने लिखी है। अतएव कृपया उनके ब्लॉग की प्रविष्टि यहाँ से हटा कर हमारे ब्लॉग की प्रविष्टि डालें।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद