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शुक्रवार, जून 14, 2019

"काला अक्षर भैंस बराबर" (चर्चा अंक- 3366)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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कविता  

"काले अक्षर"  

काले अक्षर कभी-कभीतो बहुत सताते है।
कभी-कभी सुख कासन्देशा भी दे जाते हैं।।

इनका दर्द मुझे बिल्कुलअपना जैसा लगता है।
कभी बेरुखी कभी प्यार सेसीधी बातें करता है।।
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दूरियाँ 

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा  
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उनकी सूक्ष्म आपसी समझ को प्रणाम 

बाती के संघर्ष को 
अस्ताचलगामी सूर्य 
प्रणाम करता है 
अपने सारे उत्तरदायित्व 

नन्हें दीप को सौंप 
वह आश्वस्त हो प्रस्थान करता है... 

अनुशील पर अनुपमा पाठक  
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बस इतना ही फ़र्क़ होता,  

फ़र्ज़ानों और दीवानों में 

दिल की कश्ती को उतारें मुहब्बत के तूफ़ानों में
शुमार होता है उनकाग़ाफ़िलों मेंनादानों में।

वो यकीं रखे ज़ेहनीयत मेंये दिल को दें अहमियत
बस इतना ही फ़र्क़ होताफ़र्ज़ानों और दीवानों में... 

Sahitya Surbhi पर 
dilbag virk 

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616.  

यूँ ही आना यूँ ही जाना 

अपनी पीर छुपाकर जीना   

मीठे कह के आँसू पीना   

ये दस्तूर निभाऊँ कैसे   

जिस्म है घायल छलनी सीना... 
डॉ. जेन्नी शबनम  
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मैंने आहुति बन कर देखा -  

अज्ञेय 

मैं कब कहता हूँ जग मेरी दुर्धर गति के अनुकूल बने, 
मैं कब कहता हूँ जीवन-मरू नंदन-कानन का फूल बने? 
काँटा कठोर है, तीखा है, उसमें उसकी मर्यादा है, 
मैं कब कहता हूँ वह घटकर प्रांतर का ओछा फूल बने... 
काव्य-धरा पर रवीन्द्र भारद्वाज 
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रुह एक सफ़ेद बिन्दी है 

धरती की सतह पर
जिस्म इंद्रियों का एक संग्रह भर
और इसका नष्ट होना
नई संभावनाओं को जन्म देना है
और आकाश के नीलेपन पर
रुह एक सफ़ेद बिंदी है... 
संध्या आर्य 
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भूटान-यात्रा-1 

शब्द तूलिका पर श्वेता सिन्हा 
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मुहब्बत की है बस इतनी कहानी ... 

झुकी पलकें दुपट्टा आसमानी
कहीं खिलती तो होगी रात रानी

वजह क्या है तेरी खुशबू की जाना 
कोई परफ्यूम या चिट्ठी पुरानी... 
स्वप्न मेरे ...पर दिगंबर नासवा 
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कुछ दोस्तों के लिए 

आईना अपने घर में कैसे लगा लेते हो  
लगा भी लिया तो नज़र कैसे मिला लेते हो... 

आँखें 

आँखें बहुत कुछ देखती है  
कहती हैं जो देखती है  
समझती हैं उससे चेहरे के भाव  
बदलते हैं आँखों की भाषा बहुत मुश्किल है ... 
प्यार पर Rewa Tibrewal  
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क्या हुआ था उस दिन,  

आज की तारीख पर ! 

जस्टिस सिन्हा ने अपना फैसला सुनाते हुए श्रीमती गाँधी को चुनावों में भ्रष्ट आचरण का दोषी करार देते हुए उनका चुनाव तो रद्द किया ही साथ ही उन्हें अगले छह वर्ष तक किसी भी संवैधानिक पद के लिए भी  अयोग्य घोषित कर दिया। कोर्ट के बाहर-अंदर सन्नाटा पसर गया।  
भरी दोपहरी में भी आधी रात का सा माहौल छा गया सा लगने लगा था। इंदिरा गांधी का चेहरा सफ़ेद पड़ गया, उन्हें पूरी आशा थी कि फैसला उनके ही हक़ में होगा ! हालांकि उन्हें अपील के लिए पंद्रह दिन का समय मिला था पर ऐसे निर्णय की तो उन्होंने तो क्या किसी ने भी कल्पना तक नहीं की थी, इसीलिए उन्होंने आगे अपील के लिए कोई वकील भी नियुक्त नहीं किया था...  
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा, 
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कठुआ काण्ड और अलीगढ़ काण्ड से जुड़ा  

एक सवाल 

नन्हीं कलियाँ, बिन खिले, मुरझा गईं !वहशियत है मुल्क में, समझा गईं !
बच्चियां हिन्दू की हों,मुसलमान की होंयाकिसी अन्य धर्मावलम्बी की !किसी से बदला लेने के लिए -याकिसी को सबक सिखाने के लिए -उन मासूमों का अपहरण,उन का बलात्कार,और उन की हत्याकरना ज़रूरी क्यों हो जाता है? 
गोपेश मोहन जैसवाल 

9 टिप्‍पणियां:

  1. विविधातापूर्ण रंग से सजी चर्चा मंच की रंगोली बहुत सुंदर और सार्थक है।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बेहद आभार आपका सर।

    जवाब देंहटाएं
  2. तहे दिल से शुक्रिया और आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन लिंक्स एवम प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छा संकलन ...
    आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए यहाँ ...

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह ! कितना विशाल संकलन..सभी रचनाकारों को बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  7. इस दफ़ा ढेर सारा संचयन... और पूरा का पूरा नायाब... बहुत बहुत धन्यवाद ...
    और आभार आदरणीय रूप चंद्र शास्त्री'मयंक' जी! मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए 🙏

    जवाब देंहटाएं

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