मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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बेवफ़ाई का मुद्दा उठाऊँ क्या ?
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhKdmwUXAiDrCROtaI-pVV-A5bRchM4f2ctf9NWi8-j2rXWJuVBArwpwWMCrI8VIaCTfP2fSEndkGD6wZO7VoVwbjYh-F7BerA1be_XaztDSgYrDwSebNDfyXjyGkdY7D9M0VH06UjeZhnH/s320/D5aWlnzV4AAE_7-.jpg)
तुझे तेरी नज़रों से गिराऊँ क्या ?
बेवफ़ाई का मुद्दा उठाऊँ क्या ?
क्या महसूस कर सकोगे मेरा दर्द
अपने ग़म की दास्तां सुनाऊँ क्या...
Sahitya Surbhi पर dilbag virk
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स्वच्छ रहे परिवेश हमारा
पर्यावरण* संरक्षण से तात्पर्य है जो आवरण हमें हमारे चारों ओर से घेरे हुए है, उसका बचाव. कोई सोचता है कि हवा, पानी और जल जो हमसे बाहर हैं उनका बचाव. किंतु इस आवरण का आरंभ हमारी देह की सीमा आरंभ होते ही हो जाता है...
डायरी के पन्नों से पर Anita
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मुफ्त,मुफ्त,मुफ्त......
अब दिल्ली में औरतें मेट्रो और बसों में मुफ्त यात्रा कर पायेंगी. कल टीवी में कुछ लोगों के उद्गार सुन समझ आया कि इस देश में पढ़े-लिखे लोगों को भी सरलता से बहकाया जा सकता है. केजरीवाल जी स्वयं इनकम-टैक्स विभाग में काम कर चुके हैं और भली-भांति जानते हैं कि सरकार अगर एक पैसा भी कहीं खर्च करती है तो अंततः वह खर्च देश को लोगों को ही उठाना पड़ता है...
आपका ब्लॉग पर
i b arora
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दोहे
" ईद मुबारक "
(राधा तिवारी " राधेगोपाल ")
चाहे तुम गीता पढ़ो, चाहे पढ़ो कुरान।
दोनों ही बतला रहे, बने रहो इंसान...
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चलिए,
खुद ही एक शुरुआत करें
आज की जरुरत यह कहती है कि हर आदमी को अपना पर्यावरण सुधारने के लिए, पानी को बचाने के लिए, अपने आस-पास के वातावरण को साफ़-सुथरा-स्वच्छ बनाने के लिए, बिना सरकार का मुंह जोहे या किसी और बाहरी सहायता या किसी और की पहल का इंतजार किए या यह सोचे कि मेरे अकेले के करने से क्या होता है, अपनी तरफ से शुरुआत कर देनी चाहिए। कोशिश चाहे कितनी भी छोटी हो पर होनी चाहिए ईमानदारी से। मंजिल पानी है तो कदम तो उठाना पड़ेगा ही ना ! सैकड़ों ऐसे उदहारण अपने ही देश में ऐसे हैं जब किसी अकेले ने अपने पर विश्वास कर, खुद पहल करने का साहस किया और अपने गांव-कस्बे-जिले की सूरत बदल कर रख दी.....
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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जीवन ऐसे ही चलता है
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEik0agmf9lOQ4rZTRVyvIS6YxGH6cKy8gZsX2XISJ6VrzTNoCxaf9wB9445W825KN1zLVPfAktqEEGwLQJ7OEV3Unr56KFBe015DXMOGhXYLzfUywDj5dLDx-pRtFdGZCfsclUYcShNyE0/s320/art-desert-dunes-bw-large.jpg)
Kailash Sharma
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वे हृदय की निधि हैं
पराश्रित होना ही दुःख है
कि खुशियाँ पराश्रित नहीं होतीं
वे हृदय की निधि हैं
वहीं सन्निहित भी...
अनुशील पर अनुपमा पाठक
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बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा अंक शानदार लिंकों का चयन।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक चर्चा। आभार...
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