मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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गीत :
उम्र गुजरती है सपनों की तुरपाई में
उम्र गुजरती है सपनो की तुरपाई में ।
हर रेशा जोड़ा रिश्तों की सरमाई में...
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव
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"चंदैनी गोंदा के प्रमुख स्तंभ"
*दाऊ रामचन्द्र देशमुख, खुमानलाल साव, लक्ष्मण मस्तुरिया और कविता वासनिक*दाऊ रामचंद्र देशमुख की कला यात्रा "देहाती कला विकास मंच", "नरक और सरग", "जन्म और मरण", "काली माटी" आदि के अनुभवों से परिपक्व होती हुई 1971 में चंदैनी गोंदा के जन्म का कारण बनी। "चंदैनी गोंदा" के विचार को जनमानस तक पहुँचाने के लिए सिद्ध-हस्त प्रतिभाओं की खोज जरूरी थी। कला पारखी दाऊ रामचंद्र देशमुख को ऐसी प्रतिभाएँ दुर्लभ संयोग से मिलीं। राजनाँदगाँव में ठाकुर हीरा सिंह गौतम ने लोक संगीत में मर्मज्ञ खुमानलाल साव की सौगात दी। राजनाँदगाँव ने ही कोकिल कंठी कविता हिरकने (अब कविता वासनिक) जैसी प्रतिभा से परिचय कराया तो आकाशवाणी रायपुर से प्रसारित कविसम्मेलन को सुनकर दाऊ जी की नजर में गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया, आए...
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मेरा पिया त्रिगुणातीत!
मेरे कण-कण को सींचते,
सरस सुधा रस से।
श्रृंगार और अभिसार के,
मेरे वे तीन प्रेम-पथिक।
एक वह था जो तर्कों से परे,
निहारता मुझे अपलक...
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बहुत सुंदर चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
प्रणाम
सुंदर संयोजन!
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्र्स्तुति।
जवाब देंहटाएंशानदार लिंकों के साथ उम्दा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को 'चर्चा मंच'में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाओं का समागम.
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