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मंगलवार, जून 18, 2019

"बरसे न बदरा" (चर्चा अंक- 3370)

मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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बरसे न बदरा 

पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा  
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617.  

कड़ी 

अतीत की एक कड़ी   
मैं खुद हूँ   
मन के कोने में, सबकी नज़रों से छुपाकर   
अपने पिता को जीवित रखा है   
जब-जब हारती हूँ   
जब-जब अपमानित होती हूँ   
अँधेरे में सुबकते हुए, पापा से जा लिपटती हूँ   
खूब रोती हूँ, खूब गुस्सा करती हूँ   
जानती हूँ पापा कहीं नहीं... 
डॉ. जेन्नी शबनम 
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पापा 

अँधेरों को चीरते सन्नाटे में  
अपने से ही बात करते  
पापा यह सोचते थे कि  
कोई उनकी आवाज नहीं सुन रहा होगा... 
Jyoti khare  
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मुंबईनामा..... 

ज्ञानवाणी पर वाणी गीत  
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आखिरी स्तम्भ 

Yeh Mera Jahaan पर 
गिरिजा कुलश्रेष्ठ  
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8 टिप्‍पणियां:

  1. शुप्रभात सर 🙏
    बहुत ही सुन्दर सजा चर्चा मंच, बेहतरीन रचनाएँ
    वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की 161वीं पुण्यतिथि पर बहुत ही शानदार प्रस्तुति |
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी कविता की शीर्षक से प्रारम्भ यह अंक मुझे बहुत ही प्यारा लगा। बेहतरीन प्रस्तुति । शुभ प्रभात ....

    जवाब देंहटाएं
  3. अन्यान्य सूत्रों तक पहुँचाने के लिए आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. भारत की पूज्य वीरांगना को शत शत नमन!!!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर चर्चा अंक शानदार प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. अति सुंदर सर मै ऐसे ही ज्ञान से संबंधी ब्लॉग खोज रहा था Computer Sikho

    जवाब देंहटाएं

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