फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, जून 29, 2019

"जग के झंझावातों में" (चर्चा अंक- 3381)

स्नेहिल  अभिवादन  
शनिवारीय चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है| 
देखिये मेरी पसन्द की कुछ रचनाओं के लिंक | 
 - अनीता सैनी 
------

गीत 

"सम्बन्धों की परिभाषा" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) 

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' at उच्चारण 
------

खूबसूरत लिखे के ऊपर 

 खूबसूरत चेहरे के नकाब ओढ़ाये 

 जायेंगे फिर ईनाम दिलवाये जायेंगे 

My Photo 

सुशील कुमार जोशी at उलूक टाइम्स 
हूरों की जीनत में डूबा है ज़ाहिद कुछ ख़्वाब-ए-जन्नत में :2: घिर घिर आए बदरा बादल बरसा भी भींगा न मेरा अँचरा :3: ग़ैरों की बातों को मान लिया तूने सच,झूठी बातों को :4: इतना ही फ़साना है फ़ानी दुनिया मे जाना और आना है

स्वयं को जान लिया है जिसने 

संत और शास्त्र कहते हैं, 'स्वयं को जानो', इसके पीछे क्या कारण है ? अभी हम स्वयं को देह मानते हैं, इस कारण जरा और मृत्यु का भय कभी छूटता ही नहीं. देह वृद्ध होगी और एक न एक दिन उसे त्यागना होगा... 
डायरी के पन्नों से पर Anita 
-------

भूल न जाना राम! 

जय श्री राम कह कह कर,  भूल न जाना राम,  दबंगई व हिंसा मत जोड़ना  
उस मर्यादा पुरषोत्तम के नाम!  शांति, अहिंसा और भाईचारा,  
यही है भारतीयता की पहचान… 
--------
होम आटोमेशन की दुनिया में कदम रखने के बरसों पहले, बचपन और किशोरावस्था में क्या क्या उपाय किये मैंने. जानिये इस लेख में The post होम आटोमेशन:  
शुरुआत ही हुई श्रीगणेश … 
-------

कितने-कितने छल 

रिश्तों में इतना छल है
निहित स्वार्थों का पूरा दल-बल है
ऐसे में चल ज़िन्दगी तू कैसे चलती है
हर क्षण यहाँ प्रतिबद्धताएँ बदलती हैं… 


15 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए साधुवाद!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. श्रमसाध्य चर्चा।
    आपका आभार अनीता सैनी जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर शनिवारीय चर्चा मे 'उलूक' के मुखौटे का जिक्र करने के लिये आभार अनीता जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह ! इतने सारे लिंक्स एक साथ..बधाई सभी रचनाकारों को..आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. रचनाओं का चयन कौशल क़ाबिल-ए-तारीफ़ है. उम्दा रचनाएँ और सुन्दर प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  6. अरे वाह ! बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आज की अनीता जी ! मेरी रचना को आज की चर्चा में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बढ़िया संकलन यशोदा जी . सभी रचनाएं पढ़ीं . कमेट्स भी कर दिये . मेरी रचना को शामिल किया है धन्यवाद .

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति।
    शानदार संकलन
    कड़ी मेहनत दृष्टि गोचर हो रही है छांट छांटके अच्छे विषय।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर रचना । धन्यवाद ।।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।