मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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स्वागत वर्षा का
बूँदें बारिश की
टपटप टपकतीं
झरझर झरतीं
टपटप टपकतीं
झरझर झरतीं
धरती तरवतर होती
गिले शिकवे भूल जाती |
हरा लिवास पहन ललनाएं
कई रंग जीवन में भरतीं
हाथों में मेंहदी रचातीं
मायके को याद करतीं...
हाथों में मेंहदी रचातीं
मायके को याद करतीं...
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इमरजेंसी
लखनऊ यूनिवर्सिटी से जब मैं मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास में एम. ए. (1971-73) कर रहा था और तब जब कि मैं वहां शोध छात्र था, लखनऊ विश्वविद्यालय और उसके तथाकथित नंबर एक बॉयज़ हॉस्टल, हमारे लाल बहादुर शास्त्री हॉस्टल का बहुत बुरा हाल था. हर जगह गुंडा-राज था....
तिरछी नज़र पर
गोपेश मोहन जैसवाल
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अखिल भारतीय 'शकुन्तला कपूर स्मृति'
लघुकथा प्रतियोगिता में पुरस्कृत
मेरी लघुकथा :
अस्वीकृत मृत्यु
Chandresh
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना स्वगत वर्षा का के लिए धन्यवाद सर |
सुप्रभात, ढेर सारे लिंक पढने को मिले...सभी रचनाकारों को बधाई..आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक सूत्रों का संकलन आज की चर्चा में ! मेरी प्रस्तुति को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
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