स्नेहिल अभिवादन
शनिवारीय चर्चा में आप का हार्दिक स्वागत है|
देखिये मेरी पसन्द की कुछ रचनाओं के लिंक |
- अनीता सैनी
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समर सलिल पत्रिका में
"बिकती नहीं तमीज"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' at
उच्चारण
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समर सलिल पत्रिका में
"बिकती नहीं तमीज"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' at
उच्चारण
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मैं एकाकी कहाँ
Sadhana Vaid at
Sudhinama
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पर्यावरण अधिकारी
हिन्दी-आभा*भारत
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शुद्ध प्रेमकथा भी कोरी प्रेमकथा नहीं होती :
विनय कुमार
arun dev at समालोचन
Sadhana Vaid at
Sudhinama
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पर्यावरण अधिकारी
हिन्दी-आभा*भारत
मैं भी उस पर मरता हूँ
Amit Mishra 'मौन' at Amit Mishra
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पालकी (तांका विधा)
Abhilasha at
Experience of Indian Life
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इश्क़ का ठिकाना।
Nitish Tiwary at
iwillrocknow:nitish tiwary's blog.
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जख़्म
MANOJ KAYAL at RAAGDEVRAN
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मल्लिका (दो ) : Amit Mishra 'मौन' at Amit Mishra
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पालकी (तांका विधा)
Abhilasha at
Experience of Indian Life
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इश्क़ का ठिकाना।
Nitish Tiwary at
iwillrocknow:nitish tiwary's blog.
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जख़्म
MANOJ KAYAL at RAAGDEVRAN
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शुद्ध प्रेमकथा भी कोरी प्रेमकथा नहीं होती :
विनय कुमार
arun dev at समालोचन
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वो तो मुद्दत से जानता है मुझे - बेकल उत्साही
रवीन्द्र भारद्वाज at काव्य-धरा
हुस्न हर उम्र में जवाँ देखा
वो तो मुद्दत से जानता है मुझे - बेकल उत्साही
रवीन्द्र भारद्वाज at काव्य-धरा
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एक ग़ज़ल : हुस्न हर उम्र में जवाँ देखा
एक ग़ज़ल : हुस्न हर उम्र में जवां देखा---
हुस्न हर उम्र में जवाँ देखा
इश्क़ हर मोड़ पे अयाँ देखा
एक चेहरा जो दिल में उतरा है
वो ही दिखता रहा जहाँ देखा
इश्क़ तो शै नहीं तिजारत की
आप ने क्यों नफ़ा ज़ियाँ देखा ?
और क्या देखना रहा बाक़ी
तेरी आँखों में दो जहाँ देखा
बज़्म में थे सभी ,मगर किसने
दिल का उठता हुआ धुआँ देखा ?
आनन्द पाठक at आपका ब्लॉग
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आनन्द पाठक at आपका ब्लॉग
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यम के दूत बड़े मरदूद - Post of 20 June 2019
यम के दूत बड़े मरदूद ◆◆◆ बड़े लेखक, कवि, आलोचक और महान है आप, साढ़े चार माह में एक किताब पैदा कर देते है आप या सुअरिया की तरह एक साल में दस बारह हम है फेसबुकिया टाईप लेखक और घटिया मानुस जात ना कोई बुलाता है ना कही जाते है, ना हिंदी की ठस और जड़ अखाड़ेबाजी आती है - ना लल्लो चप्पो करना, ना विवि में पढ़ाते है ना महाविद्यालय में समोसा खाते हुए प्राचार्य को गाली देकर महिलाओं के किस्से सुनते है स्टाफ रूम में , हिंदी की चिन्दी अपना इलाका ईच नई है जो उठाये फिरे ---
Sandip Naik at ज़िन्दगीनामा
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यम के दूत बड़े मरदूद ◆◆◆ बड़े लेखक, कवि, आलोचक और महान है आप, साढ़े चार माह में एक किताब पैदा कर देते है आप या सुअरिया की तरह एक साल में दस बारह हम है फेसबुकिया टाईप लेखक और घटिया मानुस जात ना कोई बुलाता है ना कही जाते है, ना हिंदी की ठस और जड़ अखाड़ेबाजी आती है - ना लल्लो चप्पो करना, ना विवि में पढ़ाते है ना महाविद्यालय में समोसा खाते हुए प्राचार्य को गाली देकर महिलाओं के किस्से सुनते है स्टाफ रूम में , हिंदी की चिन्दी अपना इलाका ईच नई है जो उठाये फिरे ---
Sandip Naik at ज़िन्दगीनामा
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष
पहला सुख निरोगी काया। दूसरा जीवों पर करना माया। स्वस्थय रहे शरीर हमारा। संभव है यह योग के द्वारा। यम,नियम,आसन, प्रणायाम। प्रतिहार,धारणा,समाधि ध्यान। आठ प्रकार के हैं ये योग। नित्य करो और रहो निरोग। स्वस्थय तन में स्वस्थय रहे मन। स्वस्थय मन से होता सुचिंतन। योग भगाता है मनोविकार। अनुसार मन में आए सुविचार। सुख देता जीवन में अनुशासन। पा लो इसको करके ---
Sujata Priye at अपराजिता
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अनुराग
मीता रोज अपनी बालकनी से अनुराग को स्कूल जाते देखा करती थी। अनुराग भी अपनी
मां के मना करने के बावजूद चुपके से पलट कर उसे बाय जरूर कर देता था। अनुराग
को देखकर मीता के मां ना बन पाने की तड़प कुछ पल के लिए शांत हो जाती। अनुराग
भी अपनी छोटी मां से प्यार पाने के लिए बैचन रहता था। आखिर मीता ने ही तो उसे
पाला था, जहान्वी को तो बच्चा चाहिए ही नहीं था।
झगड़े तो बड़े कर लेते है बच्चे तो अबोध होते है। शाम को खेलते
वक्त अनुराग जानबूझ कर बॉल मीता के आंगन में फेंक देता, ताकि बॉल लाने के
बहाने छोटी मां से मिल लेगा। मीता भी तैयार रहती,
Shubham Jain at Dil ki kalam se
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चमकी बुखार
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अनुराग
Shubham Jain at Dil ki kalam se
चमकी बुखार
ज़फ्फ़रपुर में श्री शिवमंगल सुमन की अमर रचना – ‘वरदान मांगूगा नहीं’ के
अंदाज़ में मंत्री जी कुम्भकरणी उद्गार -
‘जब मृत्यु एक विराम है,
फिर क्यों मचा कोहराम है?
क्या कोसना हमको सदा,
इस मीडिया का काम है?
वातानुकूलित कक्ष का,
आराम सारा छोड़ कर,
साँसें बचाने के लिए,
मैं आज भागूंगा नहीं.
दम तोड़ दें बच्चे सभी,
मैं आज जागूँगा नहीं.----
गोपेश मोहन जैसवाल at तिरछी नज़र
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बहुत सुन्दर और पठनीय चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी जी।
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा सजा चर्चा मंच |
विविध विषयों और रसमय रचनाओं से सुसज्जित प्रस्तुति. मेरी रचना को इस प्रतिष्ठित पटल पर स्थान देने के लिये आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक सूत्रों का संयोजन आज की चर्चा में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सस्नेह वन्दे !
जवाब देंहटाएंवाह सुंदर गुलदस्ता।
जवाब देंहटाएंसाहित्य का अनुपम संकलन।
अनीता जी,
जवाब देंहटाएंआपका संपादन और रचनाओं का चयन, दोनों ही सराहनीय हैं.
सुंदर चर्चा मंच , धन्यवाद मुझे यह जगह देने के लिए
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा मंच, सुन्दर संकलन एवं प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार,सादर
जवाब देंहटाएं