मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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खानदान पुराना
और खानसामा नया
मणि नाम का साँप वापस अपने बिल से निकला, चारों तरफ देखा कि बाढ़ का पानी उतर तो गया है ना? कहीं जंगल में मोर तो नाच नहीं रहें हैं ना? आश्वस्त हुआ फिर बिल से बाहर आया। नहीं, कोई खतरा नहीं। जैसे ही बिल से थोड़ा दूर ही चला था कि पता लगा, मालिक पर संकट गहराया है। मालिक सिंहासन खाली करने की जिद पर अड़े हैं। वह सरपट दौड़ लगाकर दरबार तक पहुँचा, देखा कि सन्नाटा पसरा है। सारे ही जीव फुसफुसा रहे हैं, सभी के मुँह पर चिन्ता पसरी है। मालिक ने एक माह का समय दिया था, वह पूरा होने में है। सारे देश में मुनादी फिरा दी गयी है कि मालिक के पैर की जूती सिंहासन के लिये चाहिये...
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रिक्शे वाला
मैं न प्रेमी हूं
न आशिक हूं
न मंजनू हूं
न दीवाना हूं
मेरा काम है
सुबह से सड़कोँ पर
मनुष्य की मनुष्यता को ढ़ोना
रोज कमाना
रोज खाना...
न आशिक हूं
न मंजनू हूं
न दीवाना हूं
मेरा काम है
सुबह से सड़कोँ पर
मनुष्य की मनुष्यता को ढ़ोना
रोज कमाना
रोज खाना...
Jyoti khare
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प्रायश्चित !
गौरव आज गांव आया हुआ था पिताजी ने गांव में एक मंदिर का निर्माण कराया है उसी का रुद्राभिषेक का कार्यक्रम है।पूजा में उसने भी श्रध्दापूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम के समापन पर भण्डारे का आयोजन था। मंदिर के विशाल प्रांगण में भोजन करने वालों के दो ग्रुप थे उन्हें एक दूसरे से अलग बैठाया गया था तो गौरव को कुछ अजीब सा लगा लेकिन एक तरफ के लोग खाने के बाद पापा के पास आकर दूर से जमीन के पैर छू कर जा रहे थे । यह देखकर उससे रहा नहीं गया - "पापा ये क्या कर रहे हैं ये लोग ...
कथा-सागर पर
रेखा श्रीवास्तव
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अभी जगजीत की गजलें सुनेंगे ...
अंधेरों को मिलेंगे आज ठेंगे
ये दीपक रात भर यूँ ही जलेंगे
जो तोड़े पेड़ से अमरुद मिल कर
दरख्तों से कई लम्हे गिरेंगे...
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एकोहं बहुस्याम
*वेदों* में कहा गया है, ब्रह्म एक था, उसमें इच्छा हुई, एक से अनेक होने की, और इस सृष्टि का निर्माण हुआ. किंतु अनेक होने के बाद भी उसके एकत्व में कोई अंतर नहीं पड़ा. जैसे कोई बीज एक होता है, किंतु समय पाकर एक से अनेक हो जाता है. पहले अंकुर फूटता है, फिर तना, डालियाँ, पत्ते, फूल, फल और अंत में बीज रूप में वह अनेक हो जाता है...
डायरी के पन्नों से पर Anita
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बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा सजा चर्चामंच |
मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद सर |
बहुत बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा. मेरी कविता शामिल की. आभार.
जवाब देंहटाएंवाह!!खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंमैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही ज्ञानवर्धक और मददगार है।
जवाब देंहटाएंमैं भी ब्लॉगर हूँ
मेरे ब्लॉग पर जाने के लिए यहां क्लिक करें आयुर्वेदिक इलाज
एक से बढ़कर एक रचनाओं की खबर देता चर्चा मंच, आभार !
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