मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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कितना सहेगी और कब तक ?
धूप से तपती धरा का बदन , तार -तार तन के वस्त्र, न सीस छुपाने की जगह , न एक बूँद पानी,पीड़ा से क्षत -विक्षत हृदय, आने वाले कल का कलुषित चेहरा आँखों के सामने मंडराने लगा |
बार- बार कराहने की आवाज़ से क्षुब्ध मन, पीड़ा के अथाह सागर में गोते लगाता, एक पल सहलाना फ़िर जर्ज़र अवस्था में छोड़ चले आना , यही पीड़ा उसे और विचलित करती कुछ पल स्नेह से सहला आँखों ही आँखों में दो चार बातें करना और स्नेह का प्रमाण पत्र उस के तपते बदन के पास छोड़ महानता का ढोल पीटती, मैं अपने घर पहुँची...
बार- बार कराहने की आवाज़ से क्षुब्ध मन, पीड़ा के अथाह सागर में गोते लगाता, एक पल सहलाना फ़िर जर्ज़र अवस्था में छोड़ चले आना , यही पीड़ा उसे और विचलित करती कुछ पल स्नेह से सहला आँखों ही आँखों में दो चार बातें करना और स्नेह का प्रमाण पत्र उस के तपते बदन के पास छोड़ महानता का ढोल पीटती, मैं अपने घर पहुँची...
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सभी रोग जब मिट जायेंगे
बुद्ध कहते हैं, आरोग्य सबसे बड़ा लाभ है, आरोग्य का अर्थ है सारे रोगों से मुक्ति, देह, मन व आत्मा, सभी के रोगों से मुक्ति हो तभी आरोग्य लाभ हुआ मानना चाहिए....
Anita
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मन के रार
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
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आह्वान !
जब जब बढ़े अधर्म धरा पर,
धैर्य धर संयत तो रहना होगा,
मन से स्मरण कर शक्ति का,
मन की दुर्बलताओं को हरना होगा...
hindigen पर रेखा श्रीवास्तव
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घर
प्यार पर Rewa Tibrewal
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विचार-विमर्श:
डॉ॰ अशोक भाटिया जी के लेख:
लंबी लघुकथाएं :
आकार और प्रकार पर
लघुकथा दुनिया (Laghukatha Duniya)परChandresh
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आसमानी पंछियों को भूल जा ...
धूप की बैसाखियों को भूल जा
दिल में हिम्मत रख दियों को भूल जा
व्यर्थ की नौटंकियों को भूल जा
मीडिया की सुर्ख़ियों को भूल जा...
स्वप्न मेरे ...पर दिगंबर नासवा
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प्रवासी साहित्य पर केंद्रित पत्रिका में
लावण्या शाह का साक्षात्कार
हिंदी -साहित्य की सुपरिचित कवयित्री लावण्या शाह सुप्रसिद्ध कवि
स्व० श्री नरेन्द्र शर्मा जी की सुपुत्री हैं और वर्तमान में ओहायो प्रांत , उत्तर अमेरिका में रह कर अपने पिता से प्राप्त काव्य-परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। समाजशा्स्त्र और मनोविज्ञान में बी. ए.(आनर्स) की उपाधि प्राप्त लावण्या जी ने प्रसिद्ध पौराणिक धारावाहिक ”महाभारत” के लिये कुछ दोहे भी लिखे हैं । इनकी कुछ रचनायें और स्व० नरेन्द्र शर्मा और स्वर-साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी से जुड़े संस्मरण रेडियो से भी प्रसारित हो चुके हैं। इनकी काव्य पुस्तक “फिर गा उठा प्रवासी” प्रकाशित हो चुकी है जो इन्होंने अपने पिता जी की प्रसिद्ध कृति ”प्रवासी के गीत” को श्रद्धांजलि देते हुये लिखी है।
उपन्यास -’ सपनों के साहिल ' प्रकाशित हो चुका है।
उपन्यास : सपनों के साहिल प्रकाशिका हैं
श्रीमती गायत्री राकेश एम. ए. एम. फिल.
पता : ' कविता ' भारती नगर , मैरिस रोड, अलीगढ़ - २०२००१
संपादक : प्रो . शिवकुमार शांडिल्य
पूर्व अध्यक्ष , हिन्दी विभाग , ए. एम. यू. अलीगढ़
मंगलाभवन, शताब्दी नगर, अलीगढ़
कहानी संग्रह ‘ अधूरे अफ़साने ‘ प्रकाशित हो चुकी है।
गत वर्ष सुन्दर ~ काण्ड : भावानुवाद का प्रकाशन हुआ।
आगामी " अमर युगल पात्र " पुस्तक शीघ्र प्रकाशित होगी।
जीवन से जुड़े ' संस्मरण ' प्रकाशाधीन हैं...
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सुप्रभात सर 🙏)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सजा चर्चा मंच |बेहतरीन रचनाएँ |सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें |
मेरे नये ब्लॉग कि पहली एकांकी नूमा कहनी को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आदरणीय
प्रणाम
सादर
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को 'चर्चा मंच में शामिल करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंवाह!!सुंदर संकलन !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! बड़े श्रम से सजाया गया चर्चा मंच, आभार !
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर। बहुत सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन है सर...मेरी रचना को.स्थान देने के लिए बहुत-बहुत आभारी हूँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा।
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