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सोमवार, सितंबर 21, 2020

'दीन-ईमान के चोंचले मत करो' (चर्चा अंक-3831)

शीर्षक पंक्ति : आदरणीय रूप चंद्र शास्त्री 'मयंक' जी 

 सादर अभिवादन। 

सोमवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।


संसद ने पास कर दिया नया कृषि क़ानून 

एक पक्ष तीव्र विरोध कर रहा है 

दूसरा जबरन क़ानून बनाने पर तुला था 

अब इनमें सही कौन है 

भविष्य तय करेगा 

वर्तमान तो यही कहता है 

सरकार की मंशा पूँजीपतियों के हाथ मज़बूत करना है। 

सरकार ने लगे हाथ 300 से कम कर्मचारियों वाले संस्थानों को छटनी करने की खुली छूट देने वाला विधेयक संसद में पेश कर दिया है। करोना काल में सरकार की यह मंशा किसके हित में है सब समझते हैं। 

-रवीन्द्र सिंह यादव 

आइए पढ़ते हैं विभिन्न ब्लॉग्स पर प्रकाशित कुछ रचनाएँ- 

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 गीत

"दीन-ईमान के चोंचले मत करो" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

दूरिया कम करो फासले मत करो।

खाज में कोढ़ के दाखले मत करो।।

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दौलतें बढ़ गईं दिल हुए तंग है,

कालिमा चढ़ गईनूर बे-रंग है,

आग के ढेर पर घोंसले मत धरो।

खाज में कोढ़ के दाखले मत करो।।

--

आत्मनिर्भता 

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इंतजार 

थमी सी राह थी, रुकी सी प्रवाह,

उद्वेलित करती रही, अजनबी सी चाह,

भँवर बन बहते चले, नैनों के प्रवाह,

होने लगी, मूक सी चाह,

दे कौन संबल!

बिखरा, तिनकों सा वो संसार...

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कहाँ सजाऊँ यादों को 

अब तो आदत सी हो गई  है

तुम्हारी यादों के संग जीवन बिताने की

उनसे दूर हो कर जी नहीं पाऊँगी

तुमसे यदि  न कही किससे कहूंगी |

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सोसाइटी में कोरोना की दस्तक 

परेशानी तो कुछ नहीं सर!बस सोच रहे हैं इसे हम ही अन्दर से लॉक देंगे सबको बता भी देंगे तो कोई इधर से नहीं आयेगा वो क्या है न सर! अगर आप बन्द करेंगे तो  लोगोंं के मन में इस बिमारी को लेकर भय बैठ जायेगा और आप तो जानते ही हैं भय से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो सकती है...है न सर !ठीक है चौहान जी आप इस गेट को कुछ दिन के लिए बन्द कर दीजिए और सोसाइटी में सोशल डिस्टेसिंग और अन्य नियमों का पालन जरूर होना चाहिए, इस तरह सख्त हिदायत देकर इंस्पेक्टर साहब अपनी टीम के साथ चले गये....।

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ग़ज़ल | 

कोरोना से बच कर रहिए | 

डॉ शरद सिंह 

सिर्फ़ हमारी ग़लती से है कोरोना हम पर भारी।
अगर मानते गाईड लाईन तो न रह पाता ये ज़ारी।

वक़्त अभी भी है, हम सम्हलें, घर से व्यर्थ नहीं निकलें
फिर देखेंगे कोरोना की, हो जाएगी विदा सवारी।
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मैं नारी हूँ 

हाँ मैं नारी हूँ

निरीह कमजोर

तुम्हारे दया की पात्र

तुमसे पहले जगने वाली

तुम्हारे बाद सोने वाली

तुम्हारी भूख मिटाकर

तृप्त करने वाली

तुम्हें संतान सुख देने वाली

तुम्हारे वंश को

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क़ानून में सुधार भी अच्छे संस्कार भी 

अक्सर यह बात ज़ोर शोर से उठायी जाती है कि अब हमारे देश के क़ानूनों में सख़्त प्रावधानों की ज़रूरत है ताकि अपराधी को क़ानून की सख़्ती का कुछ भय हो।यह बात किसी हद तक सही भी है।आज अपराधी और उनके पैरोकार क़ानून के लचीलेपन के कारण क़ानून तोड़ने और क़ानून की गिरफ्त से बचने के लिए क़ानून का ही सहारा ले रहे हैं।यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।जघन्य अपराध करके अपराधी चंद दिन में ही जेल से ज़मानत पर छूटकर पीड़ित को धमकाने लगते हैं।

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एक आस्था का गीत - 

जहाँ सबसे सुन्दर रंग स्याम है 

जहाँ ईश्वर भक्तों का दास 
सूर ,बल्लभ ,स्वामी हरिदास ,
जहाँ राजा से रंक का मेल 
सुदामा कृष्ण का सुंदर खेल ,
जहाँ यमुना का क्रीड़ाधाम 
वहीं है वृन्दावन का धाम |
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अकेले खड़े हो ( गज़ल ) 

अकेले खड़े हो मुझे तुम बुला लो।
मायुस क्यों हो ,जरा मुस्कुरा लो।

रात है काली औरअँधेरा घना है,
तम दूर होगा तू दीपक जला लो।

भरोसा न तोड़ो, मंजिल  मिलेगी,
जो मन में बुने हो सपने सजा लो।
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सबक दुनिया से लेकर 
सीख रहा हू अंदाज़ में जीने का
क्या फर्क है मुझमें और जमाने में...
मै बाते कड़वी करके बुरा बनता हू...
लोग बाते उछालकर अच्छा बनते है...
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आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे आगामी सोमवार। 

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बेहतरीन लिंक |आपका हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन प्रस्तुति के लिए साधुवाद आदरणीय रवीन्द्र जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी लिंक्स बेहतरीन पोस्ट्स तक पहुंचाने वाले हैं।
    सुंदर और श्रमसाध्य संयोजन के लिए आपको साधुवाद एवं हार्दिक शुभकामनाएं रवीन्द्र सिंह यादव जी 🙏💐🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. संकलन की सभी रचनायें एक से बढ़ कर एक हैं...बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।सभी रचनाएँ बेहतरीन👌
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. भूमिका में समसामयिक सार्थक जानकारी के साथ बहुत ही सराहनीय श्रमसाध्य प्रस्तुति...सभी लिंक्स बेहद उम्दा एवं पठनीय।
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से धन्यवाद आ.रविन्द्र जी!
    सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. प्रिय रवीन्द्र सिंह यादव जी,
    चर्चामंच की गौरवमयी परम्परा आप जैसे श्रमशील व्यक्तियों की लगन और श्रम से ही सतत् प्रवाह मान है। चर्चामंच की कड़ियों से जुड़ कर सदा उत्साह का अनुभव होता है। इस कड़ी में आपने मेरी रचना को शामिल किया जिसके लिए आपको हार्दिक धन्यवाद एवं आभार!!!

    इसी बार भी सभी पठनीय लिंक्स् आपने संजोए हैं।
    श्रेष्ठ एवं रुचिकर लेखन के लिए सभी साथी रचनाकारों को साधुवाद!

    जवाब देंहटाएं
  8. विविधिताओं से भरी बेहतरीन प्रस्तुति,सादर नमन सर

    जवाब देंहटाएं
  9. सभी रचनाएँ बहुत-ही सुंदर और सराहनीय।बहुत सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहद सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  11. सुन्दर और सार्थक चर्चा।
    मेरी रचना की पंक्ति को शीर्ष लाइन बनाने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं

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