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रविवार, सितंबर 27, 2020

"स्वच्छ भारत! समृद्ध भारत!!" (चर्चा अंक-3837)

 मित्रों!

रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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सन्देश के रूप में,
आज की शीर्ष पंक्ति
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2020 का  बर्बरता पूर्ण भयावह रुप 
दीवारों को चुप्पी की चादर ओढ़ाई गई 
निर्ममता की हदें ढहाता दिमाग़ का पानी 
संतोष को निगलता छद्म की अगुवाई में था 
क़दमों तले वर्तमान को कुचलता साहिर था। 
अनीता सैनी, गूँगी गुड़िया 
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न डरो, न घबराओ, बस करते रहो अपना काम 
फिर मिलने दो, जो मिले, इनाम हो या इल्ज़ाम।

बस्ती-ए-आदम में दम तोड़ रही है आदमीयत 
लगानी ही होगी हमें फ़िरक़ापरस्ती पर लगाम। 
दिलबागसिंह विर्क, Sahitya Surbhi 
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ज़रूरी है-  
दिमाग़ी  कचरा साफ़ हो 
साफ़ नियत-नीति की बात हो 
ख़ज़ाने की सफ़ाई में जुटे
लुटेरों पर लग़ाम हो 
सीवर-सफ़ाई का 
आधुनिक इंतज़ाम हो 
दिखेगा तब 
स्वच्छ भारत !
समृद्ध भारत !! 
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प्यार प्यार है,  इश्क इबादत है
जब जुनूनी नहीं तो पहला क्या आखिरी क्या..,
अक्षर में बताया या ग्रन्थ लिख डाला
कारूनी नहीं तो पहला क्या आखरी क्या.., 
विभा रानी श्रीवास्तव, "सोच का सृजन" 
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सुनो, महामारी के दौर में 
ख़ुद से ज़रा बाहर निकल जाना,
थोड़ी दूर रहकर 
ध्यान से देखना
कि क्या कुछ बचा है तुममें,
ख़ासकर अंतरात्मा बची है क्या,
अगर मर गई है, तो कैसे,
कोरोना तो नहीं मार सकता उसे. 
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- इन्द्रजीत सिंह 
दुनिया मे अनेक ऐसे महान कवि हुए जिनकी महानता को स्वीकारने और पहचानने में बहुत समय लगा। कबीर साहब को स्थापित करने में टैगोर और हजारीप्रसाद द्विवेदी का महत्वपूर्ण योगदान है। उसी तरह रूस की महान कवयित्री मारीना त्स्वेतायेवा (26 सितंबर 1892 से 31 अगस्त 1941) के योगदान को रेखांकित करने और भारतीय काव्य रसिकों के बीच पहुंचाने में तीन लोगों का विशेष हाथ है। सर्वप्रथम रूसी प्रोफेसर बुर्लाकोव ने जे एन यू के रूसी भाषा और साहित्य के भारतीय विद्वान प्रोफेसर वरयाम सिंह के मन मे मारीना की कविताओं के प्रति जिज्ञासा उतपन्न की और उन्होंने मारीना की कविताओं को खोज करके निकाला और हिंदी अनुवाद के माध्यम से मारीना की काव्य प्रतिभा को भारतीय कविता प्रेमियों तक पहुंचाया। Pratibha Katiyar, प्रतिभा की दुनिया ...  
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मेरी खिड़की से उतरती हैं
मेरे फर्श पर छा जाती हैं
एक किरण रोज़
मेरे अँधेरे खा जाती हैं....
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जाति ना पूछो बिलकिस की  पूछ लीजिये पेड ज्ञान , ट्यूटार्ड ज्ञान।
"जाति ही काफी" (पाठकनामा ,दैनिक जागरण २६ सितंबर २०२० )में दिल्ली से चंद्रप्रकाश शर्मा ने अमरीकी प्रोपेगेंडा मैगज़ीन टाइम्स में १०० अतिलोकप्रिय लोगों की सूची में बिलकिस बानो का नाम देखकर सही ही कहा है आखिर इस वयोवृद्ध महिला में ऐसी क्या खूबी है जिसे देखकर टाइम मैगज़ीन इसे वर्ष की सौ असरदार शख्सियतों की फेहरिश्त में जगह दी है।(क्या उनका इस्लामिक होना ?) virendra sharma, कबीरा खडा़ बाज़ार में  
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सुनो सुनता हूँ मैं अपने
सफर की एक कहानी।

पिघल-पिघल कर मैंने पायी
गोल मटोल - सी सुंदर काया।
टकसाल मेरा है जन्मस्थान,
चमक से जग सारा भरमाया। 
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चुनाव
होने चाहिये
बस
ताकि
सारे करमजले
गुनहगार
संसद और
विधायिका की
मखमली आड़ में
खेल सके
फिर से
खेल
शिकार का 
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दोहे, सुशान्त का भूत  (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) 
वो ही करते हैं नशा, दौलत जिनके पास।
फँस जाता है एक दिन, आम और क्या खास।। 
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टिकता नहीं हराम का, द्व्य किसी के पास।
आफत आती देखकर, होता चित्त उदास।।
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आज के लिए बस इतना ही...!
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7 टिप्‍पणियां:

  1. वंदन संग हार्दिक आभार आपका आदरणीय
    अनुकरण और नमन योग्य प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर संकलन. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. आभार सहित धन्यवाद मेरी रचना शामिल करने के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति आदरणीय सर।मेरी रचना को स्थान देने हेतु सादर आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय सर!

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय, नमस्ते👏! सुंदर और सटीक दोहे। आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। सादर!--ब्रजेन्द्रनाथ

    जवाब देंहटाएं

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