फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, जून 11, 2022

"उल्लू जी का भूत" (चर्चा अंक-4458)

 मित्रों!

शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत हैे।

देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक!

--

दोहे "उलूक का भूत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

दुनियाभर में बहुत हैं, ऐसे जहाँपनाह।
उल्लू की होती जिन्हें, कदम-कदम पर चाह।।
--
उल्लू का होता जहाँ, शासन पर अधिकार।
समझो वहाँ समाज का, होगा बण्टाधार।। 

उच्चारण 

--

आंखयां 

आंखयां उणमादी ढोळना 

ढ़ोळै  खारो पाणी।

मुंडो मोड़ै टेढ़ी चाल्ये 

खळके तीखी वाणी।। 

गूँगी गुड़िया 

--

परम संतोष 

चल मुझे संतोष करना,
फिर सिखा दे मन ।
भाव संयम से भरी,
नौका हो ये जीवन ॥ 

जिज्ञासा की जिज्ञासा 

--

चन्द माहिए 

1

जब जब घिरते बादल,

प्यासी धरती क्यों,

होने लगती पागल ?

:2:

भूले से कभी आते,

मेरी दुनिया में,

वादा तो निभा जाते। 

आपका ब्लॉग 

--

भीतर जो भी भाव सृजन के 

जलकर बाती तम हरती है 

कवि ! तू अपनी ज्योति प्रखर कर, 

अँधियारा घिर आया जग में 

तज प्रमाद निज दृष्टि उधर कर !

मन पाए विश्राम जहाँ 

--

ll सरल प्रेम ll 

सरल थी वो ओस की उन अनछुई शबनमी बूँदों सी l
इतराती अठखेलियाँ विलुप्त हो जाती पवन वेगों सी ll
चिंतन मनन जब जब करता उसे अल्फाजों पिरो सीने की l
लब मौन तब तब सिल जाते उसके गुलाब पराग कणों सी ll 

RAAGDEVRAN 

--

गीतिका : छिपाया गया है : संजय कौशिक 'विज्ञात' 

विज्ञात की कलम 

--

क्षणिकाएँ 

१.

प्रतिक्षाएं रेत की तरह बह गयी
गुनाह कुछ नहीं था
बस खामोशी आडे़ आ गयी

कावेरी 

--

उठो वारिस शाह कब्रों से ... 

https://youtu.be/uIzPv4ng6cg

उठो वारिस शाह-

कहीं कब्र में से बोलो

और इश्क की कहानी का-

कोई नया वरक खोलो... 

कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se ** 

--

गंगा गीत 

सुनो हे माँ मेरे उर की तान

क्यों मुँह फेरी गैर नहीं हूँ 

तेरी हूँ संतान,सुनो हे.....            

 दुखिता बनकर जीती आई

पतिता बनकर शरण में आई

     मुझ पर कर एहसान,सुनो हे..... 

BHARTI DAS 

--

भाग लें - पुरुस्कार जीतें-जय श्री राम 🙏🌹🙏 

 
ऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन 

--

सिर्फ गृहिणी ! 

Story housewife

नन्हीं सी भव्या ने अभी - अभी स्कूल जाना शुरू  किया, वह रोज कुछ न कुछ बहाने  बनाती, ताकि स्कूल न जाना पड़े ।  आज तो जिद्द पर अड़ गयी कि मुझे डौली (गुड़िया) को भी अपने साथ स्कूल ले जाना है। भावना के बहुत समझाने पर भी जब वह न मानी तो थक -हारकर उसने कहा , "अमित ! ले जाने देते हैं इसे आज गुड़िया स्कूल में, बाद में टीचर समझा बुझाकर बैग में रखवा देंगी । ऐसे रोज - रोज रुलाकर भेजना अच्छा नहीं लगता। है न अमित ! 

Nayisoch 

--

एक ऐसा खलनायक जिसे फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा याद रखा जायेगा स्व:अमरीश पुरी 

भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर खलनायकों में से एक स्व अमरीश पुरी हिन्दी सिनेमा में हर खलनायक की अपनी स्टाइल रही है और वह उसी स्टाइल की बदौलत दर्शकों के दिलो-दिमाग पर तब तक राज करता रहा, जब तक कि नए विलेन ने आकर अपनी लम्बी लकीर नहीं खींच दी। बॉलीवुड फिल्मों में कुछ ही ऐसे खलनायक हुए हैं जो फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा याद रखे जाएंगे।  शब्दों की मुस्कुराहट :) 

--

संतप्त मन की व्यथा 

किस्से तोता मैना के

कितनी बार सुने 

 उनसे प्रभावित भी हुए 

पर अधिक बंध न पाए 

उनमें सच की कमी रही  

Akanksha -asha.blog spot.com 

--

बेटा बहू 

जिनके हित में बंजर कर दी अपनी हरी बहार में,
बेटे बहू नहीं आते हैं अब घर पर त्यौहार में।।
अपनी अपनी ध्वजा उठाए सब विकास की चाह रहे,
रोजीरोटी का रण लड़ते देख विजय की राह रहे।
कुछ तो खोए हुए तरक्की की सतरंग मल्हार में।। 

मेरी दुनिया 

--

समाप्त।

आज के लिए बस इतना ही...!

--

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात !
    आदरणीय शास्त्री जी, सादर अभिवादन !
    विविध रचनाओं से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन।
    सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹👏

    जवाब देंहटाएं
  2. उत्कृष्ट लिंक संयोजन ,शास्त्री जी |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति... मेरी रचना को भी चर्चा में सम्मिलित करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन प्रस्तुति। हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।