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शुक्रवार, जून 24, 2022

'ओ गौरैया अब लौट आओ बदल गया है इंसान' (चर्चा अंक 4470)

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया संध्या शर्मा जी की रचना से। 

शुक्रवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।

लीजिए पढ़िए चंद चुनिंदा रचनाएँ- 

दोहे "हंस फाँकते धूल" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

ठोकर खा कर पथिक कोमिल जाती है राह। 

लेकिन होनी चाहिएमन में सच्ची चाह।।

--

झंझावातों में सभीबने हुए हैं बैल। 
मंजिल तब कैसे मिलेहो  मन में जब मैल।।

*****

फुरसतिया बादल

कंक्रीट के शहर में

ऋतुयें रहन धरी

इठलाती नदियों में

रोवा-रेंट मची

*****

पावस की प्रथम बूंदें बन (कविता)

मेरे आँगन में जल - प्लावन
सद्य:स्नाता सम मम चितवन
बरस बरस बरसो वर्षों तक
मन प्राण प्लावित कर जाना...
तेरा आना... ऐसा आना...

*****

नेह बाखळ रौ

 प्रीत च्यानणा जळे पंतगा

दिवलौ पथ रौ काज करे।

रात चाले ओढ्या अंधेरों

 ताख खूद पै नाज करे।

 समय सोता सिणधु स्यूं गहरा  

 जग नीति रौ पाठ पढ्या।।

*****

काक - पिक !!

कोयल कौए के घोंसले में अंडे देती है। कोयल के अंडों-बच्चों की परवरिश कौए द्वारा होना जैव विकास के क्रम का नतीजा है। कोयल ने कौए के साथ ऐसी जुगलबंदी बिठाई है कि जब कौए का अंडे देने का वक्त आता है तब वह भी देती है। कौआ जिसे चतुर माना जाता है, वह कोयल के अंडों को सेता है और उन अंडों से निकले चूज़ों की परवरिश भी करता है।*****

घनाक्षरी

घट रख सर पर,डगर पकड़ कर,

पनघट पर चल,झट-झट जल भर।

लख यह पग-पग, पथ यह जगमग,

डगमग-डगमग,रह-रह मत कर।

*****

चाँद को छूने कि ज़िद ।

फिक्रमंद भी हूँ और ख्वाईशमंद भी

देवदार के पत्तों से ओस को हथेली पर

उतारने कि कोशिश

भारी न पड़ जाए ,

लेने गए उनके होंठो कि मिठास और

गले मीठे कि बिमारी न पड़ जाए।

*****

मेघ : सौंदर्य चिंतन के आयाम

रमेश कुंतल मेघ के समग्र साहत्यिक कार्य पर एक अंक निकालने की योजना पर लंबे समय से विचार चल रहा था। इसमें मुंबई से प्रकाशित चिंतनदिशा पत्रिका मित्रमंडली की अहम भूमिका थी। अंतत: दिल्ली से बनास जन से यह अंक प्रकाशित हुआ। इसका संपादन प्रदीप सक्सेना ने किया।

*****

कुछ मेरी कलम से संध्या शर्मा :)

ओ गौरैया

अब लौट आओ

बदल गया है इंसान

प्रकृति प्रेमी हो गया है

आकर देखो तो ज़रा

इसके कमरे की दीवारें

भरी पड़ी है तुम्हारे चित्र से

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति!
    आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी!

    जवाब देंहटाएं
  2. सराहनीय संकलन।
    मुझे स्थान देने हेतु हृदय से आभार।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी और सुंदर चर्चा के लिए साधुवाद आपको

    सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्कृष्ट लिंको से सजी सुंदर चर्चा
    मुझे स्थान देने हेतु हृदय से आभार सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं !!

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय रवीद्र जी, सार्थक चर्चा की लिए बधाई.. आपने अच्छी रचनाओं का चयन किया है. हार्दिक साधुवाद!

    कृपया दृश्यों के संमिश्रण और पृष्ठभूमि में मेरी आवाज में कविता पाठ के साथ निर्मित इस वीडियो को यूट्यूब चैनल के इस लिंक पर देखें और कमेँट बॉक्स में अपने विचारों को देकर मेरा मार्गदर्शन करें. हार्दिक आभार! ब्रजेन्द्र नाथ
    यू ट्यूब लिंक :
    https://youtu.be/RZxr7IbHOIU

    जवाब देंहटाएं
  6. ब हुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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