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सोमवार, फ़रवरी 28, 2011

आज मन बहुत कुंद है…………चर्चा मंच …………441

दोस्तों, 
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है ..........कहने को बहुत कुछ है जिसने मन को घायल किया है मगर समझ नहीं पा रही कहूँ या नहीं ..........चर्चा मंच के माध्यम से इसलिए कह रही हूँ इसे सभी पढ़ते हैं..........आप सबकी हार्दिक शुक्रगुजार हूँ कि आप सबने इतना प्यार, मान सम्मान दिया और मुझे aiba का अध्यक्ष पद दिया मगर मुझे लग रहा है कि अब इस बात को मुद्दा बनाया जा रहा है और ब्लोगर्स के बीच एक खायी पैदा की जा रही है जो मुझे पसंद नहीं है ..........जो भी कोई इस तरह के प्रयास करेगा वो सार्थक कदम नहीं होगा .........क्यूँ स्त्री पुरुष विमर्श को इतना जोर शोर से प्रचारित किया जा रहा है ? एक दूसरे के बिना दोनों में से किसी का भी अस्तित्व नहीं है  और अगर किसी की कोई अपनी निजी बात है तो वो उसे सिर्फ अपने ब्लॉग पर ही लिखे न की सार्वजानिक ब्लॉग पर .........अगर इस तरह की बातें होंगी तो कैसे यहाँ एक स्वस्थ परंपरा का निर्वहन होगा?

पता नहीं मुझे यहाँ ये सब कहना चाहिए था या नहीं .........दिल  की बात कहीं तो कही ही जाएगी न  ..........न मैं किसी का नाम लूंगी और न ही दोष दूंगी बस उम्मीद करती हूँ कि सभी ब्लोगर्स दोस्त एक दूसरे पर छींटाकशी  करने की जगह स्वस्थ और साफ़ माहौल का निर्माण करेंगे क्योंकि आप सभी के सहयोग के बिना ऐसा संभव नहीं होगा और ये हम सभी का दायित्व है .........आज मन बहुत कुंद है इसलिए सिर्फ लिंक्स के साथ दो- दो शब्द ही लिखे हैं ..........माफ़ी चाहती हूँ इसे ही बहुत समझिये और कोई गलती हो गयी हो तो क्षमा चाहती हूँ .....





नमन है

मेरे हिस्से का सूरज ...
मुझे दे दो

ब्लॉग जगत के अनुभव --- दिलबाग विर्क
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दोनों अद्भुत

पिछले दिनों हुई मुलाकात कुछ ब्लॉगरों से
प्यार बाँटते रहो

दिल थाम के बैठे हैं हम... क्या होगा आज ???
कुछ तो होगा

याद-ए-तन्हाई
किसी की परछाईं

तन्हाई
जिसका कोई नहीं

शिव दर्शन
जय भोले नाथ

तुमने छू जो लिया
कुछ तो होगा

बरखा वियोगिनी
प्रीत का दुःख

आज फिर तुमने कहा
और मैंने सुना

"गुमसुम गुमसुम"
कब तक रहेंगे

एल्यूमिनाई मीट - रूबरू
कब के बिछड़े आज मिले

देवी नागरानी की २ ग़ज़ल
स्वागत है 



संवाद
किससे करें ?



 रुके हैं
 याद कर लेना 

 करते रहो

 एक सागर 

 सब करना पड़ता है 

 और सफ़र पूरा हो गया
 सही कहा
 नयी सोच का दर्शन

अब हम क्या कहें?






अब आज्ञा चाहूँगी ………

39 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसा क्या हो गया ..मन को स्वस्थ रखें ...विचारों के आदान प्रदान में कई बार ऐसी स्थितियां आ जाती है ...
    मूड ख़राब होने पर भी लिंक्स अच्छे चुने हैं !

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  2. हमेशा की तरह ही आज भी बहुत ही अच्छा लिंक संकलन !बहुत बहुत धन्यवाद !
    आपको बधाई एवं शुभकामनाएँ !

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  3. वंदना जी हम आपकी बात से पूर्णतया सहमत है । मगर आप अपना मन उदास ना कीजिये । ऐसी बातें पहले भी होती ही र्ही है ।
    आपको बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बैर-भाव भूलकर रचनात्मक कार्य करते रहें।
    चर्चा के सबी लिंकों का चयन बहुत बढ़िया है!

    जवाब देंहटाएं
  5. इस तरह निराश होना ठीक नहीं है, यहाँ भी हर तरह के लोग हैं, अपना कार्य करते रहिये, हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं! बहुत सुन्दर चर्चा है, धन्यवाद्!

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  6. मन का क्या? यह तो स्वच्छंद रहना चाहता है। हम चाहें तो लगाम लगा सकते हैं। परंतु संवेदनशील व्यक्ति यह नहीं कर पाता है। मन चंगा तो कठौती में गंगा। निश्चंत और निर्भय रहें। अपनों से क्या डरना। मन ही तो संचालक है।

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  7. मूझे बहुत दुख है,कि हमारे समाज के साथ ही हमारी ब्लागिंग की दुनिया में भी भेदभाव दृष्टिगोचर हो रही है...स्त्री,पुरुष तो जीवन रुपी सवारी के दो पहिये जैसे है,एक के बिना दूसरे का अस्तित्व सम्भव नहीं है......आप इन सब कुंठित विचारों से खुद को उबारे,और बस अपने धुन पे हर पल प्रगति के पथ पर चलती रहे।

    साथ ही मै धन्यवाद देना चाहता हूँ आपका कि आपने एक नये मंच "साहित्य प्रेमी संघ" की सराहना की।
    "साहित्य प्रेमियों का अपना एक संयुक्त ब्लाग"...........धन्यवाद।

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  8. कुछ तो लोग कहेंगे ....वैसे मुझे नहीं मालूम की क्या हुआ है ? मन को कुंठित न करो ..अपना काम निश्चिन्त हो कर करते ही जाना उचित है ...

    चर्चा मंच पर अच्छे लिंक्स लगाए हैं ...

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  9. अध्यक्ष पद के लिए बहुत बहुत बधाई |आजकी चर्चा और लिंक्स बहुत अच्छी लगीं |
    आशा

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  10. मेरी कविता को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!....…आभार !

    सबको सहेजने का आपका प्रयास बधाई योग्य है।

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  11. आदरणीय वंदना जी
    सर्वप्रथम आपको धन्यवाद
    कभी कभी व्यक्ति कुछ पाने के चक्कर में दूसरे का मोहरा बन जाता है जब उसे इस बात का पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है
    मेरी समझ से aiba का गठन लोकतान्त्रिक तरीके से किया जाना था. जब आप पूरे देश की बात करते है तो उसमे सभी ब्लागरो की सहमती होनी चाहिए थी. खासतौर से जो जनपदवार ब्लागर्स असोसिएसन बने है उनके संयोजको की राय अति महत्वपूर्ण थी. अनवर जमाल के बारे में कुछ नही कहने मुझे. अगर वह कहता है कि नारियो की उन्नति ब्लॉगर असोसिएसन के अध्यक्ष बनने में है तो मुझे हँसी आती है. आप दिव्या से या पलाश से इस बारे में अनुभव जान सकती है. पलाश के संदेभ में मैंने खुद लड़ाई लड़ी थी. खैर व्यक्ति विशेष का नाम लेने के लिए माफी चाहूंगा किन्तु सच यही है.
    मै कुछ ज्यादा यहाँ कहना नही चाहता लेकिन एक बात तय है कि व्यस्था में एक भी घुन अगर लगा तो उसका असर बुरा ही होगा. चूंकि आप अखिल भारतीय ब्लॉगर असोसिएसन की अध्यक्ष है तो आप अपनी जिम्मेदारियों से हट नही सकती. मेरे ख़याल से मनमोहन सिंह जैसे व्यक्ति अगर प्रधानमन्त्री ना बने तो ज्यादा अच्छा.पद के साथ हमें लड़ाकू भी बनना पड़ेगा. नही तो दूसरो कि रक्षा नही कर पायेगे.
    मै कभी भी मिस्टर जमाल के साथ किसी भी मंच पर आना पसंद नही करूंगा. उम्मीद है कि आप मेरी बाते समझ रही होंगी
    शायद मेरी बाते आपको नागवार गुजरे किन्तु मेरा प्रेम आपलोगों के प्रति पूर्ववत है.
    आपका
    पवन कुमार मिश्र
    कानपुर ब्लागर्स असोसिएसन

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  12. आपने बहुत ही बहुत अच्‍छे लिंक्‍स दिये हैं ..इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

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  13. यह सब होता रहता है, निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं..बहुत सुन्दर लिंक्स दिए हैं..आभार

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  14. अरे क्या हो गया वंदना जी ! इतना विचलित न होइए..ये सब तो चलता ही रहता .मन चंगा तो ..
    चर्चा फिर भी अच्छी लगाईं है :)

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  15. pesh karne ka tarika laazwaab hai ,aabhari hoon jo hame shamil kiya dheere dheere sabki rachna padhna hai ,vandana ji badhai aapko .

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  16. vandana ji udaas na ho ,har tarah ke vichar waale hote hai yahan ,aesi baate taklif to deti hai magar ise dhokar chalenge to muskil hogi ,geeta me yahi baat samjhai gayi hai karm kiye jaa phal .....sabko lekar chalna aasaan thodi hai .hame khushi hai aap aese hi aage badte rahe .

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  17. प्राय: कविताओं आदि को पढ़ते-पढ़ते आप तक पहुंच पाना तठिन हो जाता है। आज पहुंच गया टिप्पणी पर और आपके इस प्रयास की प्रसंशा के सिवा कुछ भी लिख पाना मेरे लिए अभी संभव नहीं है।

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  18. अच्छी चर्चा अच्छे लिंक्स और क्या चाहिए....यूँ ही प्रगति के पथ पर चलती रहें मेरी बधाई स्वीकारें
    मेरी कविता को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आभार

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  19. हमें खुशी है कि वंदना जी अध्यक्ष चुनी गयी .. बधाई वंदना जी.. संगीता जी ने सही कहा है... और ये गीत भी बखूब है... कुछ तो लोग कहेंगे .. इस सबके पीछे की राजनीति से मै वाकिफ नहीं ... वैसे भी मै किसी भी किस्म की राजनीती से जुडी नहीं... किन्तु ये जानती हूँ कि जिस ओहदे पर आप है उसको पूरी निष्ठां से निभाइए... और हम सब की शुभकामनायें है...
    और मिठाई भी चाहेंगे जब आपका मन हल्का होगा...

    दिल भरी होने पर भी आपने इतने लिंक्स कवर किया .. आपसे तो सीखना पड़ेगा ... सादर

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  20. aiba के अध्यक्ष पद की बधाई.
    सोंच को कुंद नहीं बल्कि अब तो विस्तृत करना है.

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  21. सबसे पहले
    मेरी कविता "मेरे हिस्से का सूरज "को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!....…आभार !

    आप ने बहुत सही कहा है एक स्वस्थ मौहौल रखना बहुत जरुरी है , आप कोशिश कर रहे है वो सराहनीये है इसलिए विचलित न होए .

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  22. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  23. वन्दना दी
    ह्म्म्म.सच कहूँ....मेरे दिल का वही हाल है जो आपके.....मैं भी कुछ वक़्त से ब्लॉग पे आना जाना कम कर रही थी ....जैसा आप महसूस कर रही हैं..मैं उसे समझ सकती हूं.....और आपसे पूरी तरह से सहमत भी हूं.......और सच कहूँ ..कहीं ना कहीं अब..इक दिल सहम सा गया है ...


    और अब बात लिनक्स की ....मैं सभी चर्चाकारों की खुले दिल से तारीफ़ करना चाहूंगी के वो सभी बड़ी मेहनत से अच्छे अच्छे लिनक्स ढूंढ़ के लाते हैं..आप सब तारीफ के हकदार हैं .....

    अच्छी चर्चा के लिए बधाई ..
    और शुर्किया !

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  24. वंदना जी,
    नमस्कार
    अध्यक्ष पद के लिए बधाई।
    आपके द्वारा संजोए गए लिंक्स से अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिली। मेरी रचना को चर्चामंच में स्थान देने के लिए आभार।

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  25. badhai vandna ji....
    mann chhota na kijiye ...logon ka kaam to kuchh na kuchh kahna hi hai......

    charcha achhi lagi

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  26. वंदना जी,
    मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार!
    बहुत ही प्रभावशाली और सार्थक चर्चा रही आज की।
    काफी उपयोगी और मनोहारी लिँक प्राप्त हुए.....
    आपको हार्दिक धन्यवाद!

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  27. Didi shabhi links bahut acchi hai..
    nye vichaar dene ke liye Dhanydaad...

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  28. अध्यक्ष बनने की हार्दिक बधाई और बहुत-बहुत शुभकामनाएं. आपको ज़रा भी निराश होने की जरूरत नहीं है. आलोचनाओं को चुनौती के रूप में देखें और उत्साह बनाए रखें.हम सब आपके साथ हैं. हमेशा की तरह आज के चर्चा मंच पर भी आपने अच्छे लिंक्स का बेहतरीन संकलन दिया है. आभार.

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  29. बहुत सुन्दर लिंक्स से आज की चर्चा सजाई है आपने ! अध्यक्ष का गौरवशाली पद सम्हालने के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ! आज व्यस्तता के कारण आने में देर हो गयी ! लेकिन देर से पहुँच कर इतनी शानदार चर्चा से मन प्रफुल्लित हो गया ! आभार एवं शुभकामनायें !

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  30. simply keep the attitude of "i don't care" then every thing will be fine. and of course nice links..

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  31. वंदनाजी क्षमा चाहती हूँ देरी पढ़ पाई आपके विचार .......
    कृपया मन को बिल्कुल परेशान ना होने दें...... आप अपनी जिम्मेदारी को बखूबी पूरा करेंगीं इसके लिए मन पूरी तरह आश्वस्त है ......सुंदर लिक्स की चर्चा हेतु बधाई.....

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  32. वन्दना जी, सर्वप्रथम AIBA के अध्यक्ष पद पर आसीन होने की बधाई। कुछ लोग परिस्थितियों के शिकार हो जाते हैं। इस पर अधिक मानसिक तनाव न रखें। आपका चर्चा मंच अच्छा लगा। भारतीय काव्यशास्त्र को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  33. .

    Dear Vandana ji ,

    I have been through such phases several times , so i can very well understand your mental state .

    Please do not worry about such trivial issues . Some people have nothing better to do in their lives so they love to pester the peaceful beings in blog world .

    Just cheer up and be happy !

    With lots of love and best wishes,
    Divya

    .

    जवाब देंहटाएं
  34. अच्छी चर्चा के लिए व aiba के अध्यक्ष पद की शुभकामनाएँ !

    जवाब देंहटाएं

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