नमस्कार , लीजिए हाज़िर है मंगलवार का साप्ताहिक काव्य मंच …कुछ समयाभाव के कारण आप तक कुछ ही लिंक्स पहुंचा पा रही हूँ …जो रचनाएँ मुझे पसंद आयीं या कहूँ कि जितना पढ़ पायी और उसमें से चयनित रचनाओं का गुलदस्ता आप सब पाठकों को पेश कर रही हूँ …आशा है इसके फूल आपको मोहक लगेंगे …आज की चर्चा प्रारंभ करते हैं नव निर्माण से --- |
डा० रूपचन्द्र शास्त्री जी की रचना हमें सिखा रही है कि जीवन में किस तरह से नव निर्माण होता है … पतझड़ के पश्चात वृक्ष नव पल्लव को पा जाता। विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।। गिरीश पंकज जी खुद छल झेल रहे हैं पर उनको दूसरों को धोखा देना नहीं आया --- यही बात वो अपनी गज़ल के माध्यम से कह रहे हैं -- स्वप्निल गुलज़ार और मंटो को पढते हुए क्या कहना चाहते हैं ..इनके ब्लॉग पर ही जा कर पढ़ें . साधना वैद जी मन में उठने वाली भावनाओं के साथ आज भी प्रतीक्षा में हैं --- जिस्म ने तय कर लिये कई फासले , उम्र भी है चढ़ चुकी कई सीढ़ियाँ , रूह उस लम्हे में लेकिन क़ैद है , जो न बीता था, न बीता है कभी ! पलक पावढ़े ...बिछा दूंगी तुम आने का.. वादा तो दो धरा सा धीर... मैं धारुंगी गगन बनोगे... कह तो दो रश्मि प्रभा जी गहन चिंतन को लायी हैं …हर इंसान बहुत चालाकी से दूसरे को छलने का प्रयास करता है … पढ़िए उनकी रचना ..भूले से भी नहीं तुम मुझसे ज़िन्दगी के गीत सुनना चाहते हो चाहते हो मैं सबकुछ भूलकर सहज हो जाऊँ हंसाऊं ... एक गुनगुनाती शाम ले आऊं .. ये शाख देखना हो जायेगी हरी फिर से समय के धरातल पर कवितायें उगाना छोड़ो कवि वक्त की नब्ज़ को ज़रा पहचानो स्वराज्य करुण की एक गज़ल पढ़िए -मुज़रिमों की अदालत में दिन के उजाले की तरह साफ़-साफ़ है,सारे सबूत आज उनके ही खिलाफ हैं | सुकून ढूढ़ते ढूढ़ते आज यादों के तहखाने में जा पहुंची.. सनसनी सी उठी, आओ न मेरे सजन देखा था मैंने तन को नाचते मन को भी नाचते देखा था; अब धन को नचाते देख रहा हूँ निर्जन दोपहरी, चट्टानों बीच सूखी मिट्टी की अंजुरी बना जड़ जमाते ,तिरछे हुए जाते अनीता जी चाहती हैं कि एक और आज़ादी मिले …. अब यह आज़ादी कैसी होगी , यह जानना है तो उनकी रचना पढ़िए -- कौन आजाद हुआ किसके माथे से गुलामी की स्याही छूटी दिलों में दर्द है बिगड़ते हालातों का. ये दस्तूरे दुनिया है, जिसे तुम बदल नही सकते हर शख्श को इन हालातों से लड़ना ही होगा, कौन कहता हे कि मंजिले आसानी से मिलती हैं मिलने वालों से पूछो,फासला तो मुश्किल होगा, आशीष जी एक बहुत खूबसूरत काव्य शिल्प लाये हैं ….मैं लौट आया इन दिनों कुछ मौसम बदला है कलतक चुभा करती थीं ये खिड़कियाँ अब नज़रें पीछा करतीं हैं .. दिन भर जिस्म की चक्की चली फिर गहराई लम्बी काली रात सरहाने रख चली गयी पूजा उपाध्याय बस एक वादे के साथ पता दे रही हैं --लौट आने वाली पगडण्डी का मुझ तक लौट आने को जानां ख्वाहिश हो तो... शुरू करना एक छोटी पगडण्डी से जो याद के जंगल से गुजरती है आशा जी फिलहाल व्यस्त हैं …कुछ ढूँढने में लगी हैं …क्या क्या मिला इस साफ़ सफाई में आप भी जानिये ---आज व्यस्त हूँ . जो सारे जहां से अच्छा है. हरदीप संधू जी ज़िंदगी को हाईकू से समझाया है …पढ़िए ज़िंदगी एक साया साया ही तो है हमारी ये जिन्दगी धूप- छाँव का ! मैं शब्दों में व्यक्त नही कर सकता मेरी वेदना केवल 'शब्द ' तक सीमित नही है मनोज जी अपनी वैवाहिक वर्षगाँठ पर मन के भाव सुमनों को आर्पित करते हुए कह रहे हैं --कैसे करूँ आभार प्रकट एकाकीपन के / भीषण तप्त अहसास में नम, हसीन, बारिश की बूंदों-सा / हुआ पदार्पण तेरा / मेरे जीवन में !कभी मां गौरेया कहती, कभी कहती नन्हीं चिडिया विजय जी की खूबसूरत रचनाएँ… योगेन्द्र मौदगिल जी मौसम के माध्यम से जीवन के बदलते मौसम की बात कर रहे हैं -- “मौसम कितने रंग बदलता है पल-पल रंग बदलता मौसम / ऋतुओं को भी छलता मौसम / सावन की रिश्तेदारी में भीग-भीग कर जलता है / मौसम कितने रंग बदलता है... मेरे भाव द्वारा प्रस्तुत खूबसूरत रचना “ तुम्हारी चौखट रख देना एक दीया / मिटटी का / डालकर उसमें / अपने नेह का तेल / कि भटक ना जाऊं मैं / जब आऊं तुम्हारी चौखट पर. रेखा श्रीवास्तव जी जीवन के दोराहे पर खड़े हो कर कह रही हैं कि - “क्या भूलूँ क्या याद करूँ " जीवन के इस मुकाम पर क्या भूलूं क्या याद करूँ? सागेबोब ( कुछ अजीब सा नाम है ) जी लिख रहे हैं स्वयंनामा - ३ हंसा था मैं //जब तूने / अपना तखल्लुस / ग़मगीन बताया था रश्मि प्रभा जी ने ईश्वर को ही चेतावनी दे डाली है …पढ़िए उनकी रचना “प्रभु की बारी " और नहीं , तो उठो -दर्शन दो ,प्रकाश फैलाओ / अपनी गलती मान / मुझे कृतज्ञ करो प्रभु , / एक बार यह चमत्कार कर दो ! सोनल रस्तोगी जी ने अपने मन में उमडते भावों को कुछ इस तरह शब्दों में ढाला है - मैं जितना पास आऊँगी , तुम उतना ज़ुल्म ढाओगे मुझे उम्मीद है तुमसे के मेरा दिल दुखाओगे मोहिंदर कुमार जी बता रहे हैं की कब लगा लेते हैं वो .. “मुखौटा " शायद ये "मुखौटा" मैंने अपने पूर्वजों से पाया है क्योंकि इसे मैने स्वंय नहीं बनाया है अमित तिवारी कश्मकश में हैं कि अब कुछ भी तो शेष नहीं ..”क्या लिखूं सोचता हूँ क्या लिखूं, कोई बात बाकी नहीं. /यादों के झरोखों में, कोई हालात बाकी नहीं. / मौत की शुरुआत लिखूं, / या जिंदगी का अंत... |
तो आज की चर्चा बस यहीं समाप्त ….बाकी अब आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार है …शास्त्री जी निवेदन है कि कहीं कोई त्रुटि हो तो कृपया शुद्ध कर दें …अस्वस्थ होने के कारण सुबह चर्चा नहीं देख पाऊँगी ..:):) |फिर मिलेंगे अगले मंगलवार को नयी चर्चा के साथ ….बहुत से रचनाकारों की अच्छी रचनाएँ छूट गयी हैं ….इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ……संगीता स्वरुप |
बहुत अच्छे लिंक और चर्चा.
जवाब देंहटाएंउत्तम लिंक्स से सजा चर्चा मंच |बहुत अच्छी लगी चर्चा |
जवाब देंहटाएंआशा
priya shreshth ,
जवाब देंहटाएंpranam
sarwapratham swasth dirghayu, hone ki
mangal kamana . shndar sankalan ke liye badhayi. kuchh rachnayen to bahut dur tak samvedit kar gayin .
चर्चा मंच पर हिन्दी ब्लाग जगत की पूरी जानकारी मिल जाती है। संगीता जी, आपने इस चर्चा मंच को बड़े स्नेह से सजाया है। बहुत-बहुत साधुवाद।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच की साप्ताहिक काव्य चर्चा , दुल्हन की तरह सजी धजी . मेरी कविता "मै लौट आया" को चर्चा में स्थान देने के लिए आभारी हूँ .
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक मिले ! बहुत बहुत धन्यवाद आपको इस प्रस्तुति के लिए ! शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंसंगीता जी,
जवाब देंहटाएंमेरे हाइकु को चर्चा में स्थान देने के लिए आभारी हूँ .बहुत अच्छे लिंक और बहुत अच्छी लगी चर्चा |
धन्यवाद !
आपने अच्छे स्वास्थ्य के न होते भी बहुत मेहनत से सजाया है गुलदस्ता.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए शुक्रिया.
मुझे किसी भी नाम से पुकारिए
सिर्फ नाम ही मेरी पहचान नहीं
सलाम.
बेहतरीन लिंक्स से सजाया -संवारा है आपने आज के मंच को . मुझे भी जगह मिली . आभारी हूँ .
जवाब देंहटाएंलौटने पर स्वागत है,लगता है मिठाईयाँ खत्म करके ही आने की सोच रखी थी आपने।:)
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा के लिए आभार
बहुत ही अच्छे लिक्स दिये है आपने !
जवाब देंहटाएंआभार !
चर्चा मंच पर इतने सुंदर तरीके से प्रस्तुत की गयी आपकी आज की पोस्ट बहुत अच्छी लगी,कुछ नए लिंक मिले. आभार!
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा ...अपना ख़याल रखिये
जवाब देंहटाएंसाप्ताहिक काव्यमंच में बहुत बढ़िया लिंकों की चर्चा की है, बहन संगीता जी ने!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स और चर्चाएँ हैं,संगीता जी.
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान दिया ,आभार.
बहुत अच्छे लिंक्स हैं संगीता जी ... कोशिश रहेगी की सब पर हज़ारी ज़रूर लगे ...
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .... शुभकामनाएं
सुन्दर रचना संकलन... मैने आज सभी प्रतिभागियों के ब्लोग पर जा कर टिप्पणी छोडी है
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत ही अच्छे लिंक मिले और सार्थक रचनाएं पढ़ने का सुअवसर भी..... हार्दिक धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअरे क्या हुआ दी…………अस्वस्थता के बाद भी इतनी सुन्दर चर्चा लगाई है……………आप अपना ख्याल रखें और जल्दी से जल्दी ठीक हो जायें………………कुछ लिंक्स ही अभी पढ पाई हूँ बाकी बाद मे पढूँगी…………… बहुत सुन्दर लिंक संयोजन्।
जवाब देंहटाएंइसे कहते हैं जहाँ चाह वहाँ राह ...इतनी व्यस्तता और अस्वस्थता के वावजूद इतनी मेहनत से इअतनी सुन्दर चर्चा लगाना, निसंदेह आपके सकारात्मक जज्बे को इंगित करता है.
जवाब देंहटाएंजल्दी से ठीक हो जाइये और इस मंच को सजाती रहिये.
बहुत बहुत शुभकामनाये.
हमेशा की तरह लाजवाब !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स से सजी सार्थक चर्चा..
जवाब देंहटाएंआप इतनी मेहनत कर लेती हैं, यह देख कर बेहद आश्चर्य होता है. खुशी भी होती है. कुछ लोग तो हैं जो एक-दूसरों से जोड़ने का बड़ा काम कर रहे है. कुछ अच्छे लिंक्स मिले. अनेक रचनाओं से, नए विचारो से रू-ब-रू होने का मौका मिला. चर्चा करने वाली हर स्त्री-शक्ति प्रणम्य है. आभारी हूँ स्थान देने के लिए....
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच हम नए ब्लोगरों के लिए एक बहुत ही बेहतरीन मंच है. यहाँ जिस तरह का संकलन देखने को मिला, मन गदगद हो गया. संगीता जी मैं आपका आभारी हूँ कि इस खूबसूरत बगिया में आपने मेरी कविता (क्या लिखूं) को भी स्थान दिया. इसे मैं अपना सौभाग्य ही मानता हूँ कि इस मंच पर मैं भी चर्चा का विषय बन सका.
जवाब देंहटाएंआपका आभार.. और ऐसे सुन्दर संकलन के लिए बधाई..
समयाभाव के बावजूद भी अच्छी चर्चा सजाई , संगीता जी !
जवाब देंहटाएंभावों का अद्भुत सयोंजन करती चर्चा
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकार बहुत ही ईमानदारी से लिख रहे हैं , सभी को मेरा हार्दिक अभिनन्दन एवम बधाई .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा।
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स उम्दा।
हमें सम्मान देने का आभार।
सर्वप्रथम आपके स्वस्थता की कामना करता हूँ....बहुत ही सुंदर चर्चा है आज की।
जवाब देंहटाएंदेर से आने के लिये क्षमा चाहती हूँ ! व्यस्तता और समयाभाव ये ही दो कारण हैं इतनी देर से आने के ! लेकिन आपके द्वारा संयोजित चर्चा मंच को कितनी भी देर हो जाये देखे बिना रह नहीं पाती ! आज भी बहुत सुन्दर चर्चा सजाई है हमेशा की तरह संगीताजी ! मेरी रचना को इसमें स्थान देने के लिये बहुत सा धन्यवाद एवं आभार ! मेरी शुभकामनायें स्वीकार करें !
जवाब देंहटाएंसंगीता जी चर्चा बेहद सुन्दर दिखी ..सिर्फ दिखी लिख रही हूँ ..क्यूंकि नेट काम नहीं कर रहा है..दो दिन हो गए .. और ये टाटा फोटोन से चला रही हूँ ... तो पेज लोड नहीं कर रहा है पूरी तरह क्यूंकि यहाँ इसकी सर्विस नहीं है... अगर ऐसा ही रहा तो मै इस बार शक्रवार की चर्चा भी नहीं कर पाऊँगी...
जवाब देंहटाएंआपको और सभी को महाशिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएँ
अच्छे लिंक के लिये आभार
जवाब देंहटाएंमेरा जी मेल का एकाउंट हेक ???? हो गया है .. साथ ही मेरा मोबाईल का सिम भी क्रेश हो गया है जिसका मैंने जी मेल को रेकवर करने के लिए नंबर दिया था ... यह इत्तला यही पर इस लिए कर रही हूँ की मात्र यहाँ पर अकाउंट खुला है .. जी मेल लोग इन नहीं हो रहा है ... एक बार लोग आउट हो गयी ब्लॉग से तो ये मेसेज भी नहीं पहुच पायेगा साथियों के पास... एक पोस्ट बनायीं थी शिवरात्री पर उसे भी मैं प्रकाशित नहीं कर पायी हूँ...तथा मेरे सिम के क्रेश होने की वजह से मेरे पास किसी का भी फोन नंबर नहीं है... नेट भी बहुत स्लो है .. पूरी कोशिस में हूँ की वापस एकाउंट आ जाये.. :(((((((((((((
जवाब देंहटाएंSangeeta ji........
जवाब देंहटाएंhmmmm..aaj ptaa lgaa yahin se aapki sehat ke baare me
please health first..ache se khyaal rkhiyegaa
bahut hi ache links....kuch links ne baandh ke rkh liyaaa...
bahut bahut shukriyaa
take care
Sangeeta Di, Dehreon badhaiaan, itni sundar charcha sajane ke liye, baki tippadion se pata chala ki apa aswasth hain, jaldi theek ho jaiye,
जवाब देंहटाएंaur haan , how is your sweet grandson, hope doing well
and last but not the least, thnx for selecting my creation for this wonderful foram.