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सोमवार, जुलाई 01, 2013

प्रभु सुन लो गुज़ारिश : चर्चा मंच 1293

शुभम दोस्तो 
मैं 
सरिता भाटिया
हाजिर हूँ
जुलाई महीने की पहली तारीख को पहले सोमवार 
की पहली चर्चा लेकर
  
''प्रभु सुन लो 

बहुत याद आएगी

आशिकों की रहनुमाई
सुरेश स्वप्निल 

स्वराज लिखूंगा
तुषार राज 

वो छोटी छोटी सी रंजिशों का लुत्फ़
आधी आबादी पर  हिस्सा गायब 

मृत्यु एक बड़ी चीज है 

घरौंधे 

अरमानों के बसेरे 

विरक्ति 

माँ 

ट्रैकिंग एक संस्मरण 


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नतीजा न निकला मेरे प्यार का 

प्रलय की विपदा से बस यही याद आ रहा है ..

अनदेखी बाँहों ने हम सबको घेरा है 
यह पल उजाला है बाकि अँधेरा है 
यह पल गंवाना न यह पल ही तेरा है 
जो भी है बस यही इक पल है
आगे भी जाने ना तू 
पीछे भी जाने ना तू 
जीने वाले सोच ले 
यही वक्त है करले पूरी आरजू  

बड़ों को नमस्कार 
छोटों को प्यार 
--
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
सबसे पहले  "सृजन मंच आनलाइन" से कुछ लिंक...!
सृजन मंच ऑनलाइन
(अ)
तपी दोपहर
तपी धूप करती रही,  टुकड़ा छांव तलाश |
नहीं मिली तो आ गई,थक सूरज के पास||

(आ)
“कुछ फुटकर दोहे ”
चार चरण दो पंक्तियाँ, लगता ललित-ललाम।
इसीलिए इस छन्द ने, पाया दोहा नाम।।

(इ)
दोहा छंद...
कुछ दोहे अरुण कुमार निगम की कलम से.....
बड़ा सरल  संसार है  , यहाँ  नहीं  कुछ गूढ़है तलाश किसकी तुझे,तय करले मति मूढ़. 

(ई)
दोहा छंद विधान (अरुन शर्मा 'अनन्त')
दोहे के माध्यम से दोहे की परिभाषा :-
(छंद दोहा : अर्धसम मात्रिक छंद, चार चरण, विषम चरण तेरह मात्रा, सम चरण ग्यारह मात्रा, अंत पताका अर्थात गुरु लघु से, विषम के आदि में जगण वर्जित, प्रकार तेईस) 
तेरह ग्यारह क्रम रहे, मात्राओं का रूप |
चार चरण का अर्धसम, शोभा दिव्य अनूप ||...
(उ)
"सृजन मंच ऑनलाइन" सीखने और सिखाने का मंच
अब देखिए..
(1)

जागो इंसान जागो...

(2)

आधा सच... पर  महेन्द्र श्रीवास्तव
(3)

! कौशल ! पर  Shalini Kaushik 
(4)

निरामिष पर सुज्ञ 
(5)

भारतीय नारी पर shikha kaushik 
(6)
राज़े मोहब्बत को खोला नहीं करते 
इमाने - मोहब्बत को तोला नहीं करते 
वो नमाज़े मोहब्बत थी ये नमाज़े अलबिदा है 
हर चंद कि दाने को खोला नहीं करते ..
Zindagi se muthbhed पर Aziz Jaunpuri
(7)

छान्दसिक अनुगायन पर जयकृष्ण राय तुषार
(8)
* जीवन के दोहे *
छोटी सी यह ज़िन्दगी, छोटा सा संसार 
छोटे हो कर देखिये, मिलता कितना प्यार...
Albelakhatri.com पर Albela Khtari

(9)
ये उसी की रज़ा.............ये उसी की रज़ा.............

डॉ. हीरालाल प्रजापति पर डॉ. हीरालाल प्रजापति

(10)
तम की चादर
तम की चादर ओढ़ सांझ ने , धीरे-धीरे पाँव पसारा 
आँख मिचौली खेल ज़रा सी ,, तम उर में छिप गया उजाला....
एक प्रयास मेरा भी  पर  अरुणा 

(11)
"दोहे-तुलसी, सूर-कबीर"

लिखकर के आलेख को, अनुच्छेद में बाँट।
हींग लगे ना फिटकरी, कविता बने विराट।...

11 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय सरिता जी और चर्चा मंच साथ में मयंक जी आप सभी का आभार |सुन्दर लिंक मिले पढ़ना बहुत सुखद लगा |

    जवाब देंहटाएं
  2. सरिता भाटिया जी!
    आज सोमवार के चर्चा मंच में आपने बहुत बढ़िया चर्चा की है। आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. 10 दिन से कश्मीर यात्रा पर था, इस वजह से यहां नहीं शामिल हो पाया। कल ही आया हूं और आज मेरे लेख को मंच पर स्थान मिल गया। आभार।

    बहुत दिनों से आप सबके ब्लाग पर भी नहीं पहुंच पाया हूं, कोशिश करता हूं कि मंच पर शामिल लिंक्स के साथ ही और ब्लाग पर भी उपस्थिति दर्ज करा सकूं।

    जवाब देंहटाएं
  5. भगिनि सरिता
    आभार
    हरकीरत हीर ब्लाग जगत में अनजान नहीं हैं
    वो तो मैं अप्रवासी भारतीयों को साहित्य देख रही थी उसमें दिखी ये रचना
    सो मैं अपनी पसंदीदा रचनाओं के संग सजा ली इसे भी
    सादर....

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रिय सरिता जी शानदार सूत्रों से सुसज्जित किया चर्चामंच हार्दिक बधाई आपको

    जवाब देंहटाएं
  7. .सार्थक व् सराहनीय लिंक्स संयोजन .मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार मुसलमान हिन्दू से कभी अलग नहीं #
    आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर चर्चा, सुंदर लिंक्स......सृजन मंच ऑन लाइन हिंदी के रचनाकारों के लिये बहुत ही उपयोगी साबित होगा. इस सार्थक शुरुवात के लिये आदरणीय रूप चंद्र शास्त्री जी को हृदय से बधाई.

    जवाब देंहटाएं

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