"जय माता दी" अरुन
की ओर से आप सबको सादर प्रणाम. चलते हैं आप सभी के चुने हुए प्यारे
लिंक्स पर.
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प्रस्तुतकर्ता : कविता रावत
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प्रस्तुतकर्ता : (डॉ.रूपचन्द्र
शास्त्री 'मयंक')
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प्रस्तुतकर्ता : ऋता शेखर मधु
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प्रस्तुतकर्ता : Parul Chandra
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प्रस्तुतकर्ता : VenuS "ज़ोया"
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प्रस्तुतकर्ता : Asha Saxena
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प्रस्तुतकर्ता : Vandana Gupta
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प्रस्तुतकर्ता : Pallavi
Saxena
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प्रस्तुतकर्ता : DR. ANWER JAMAL
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प्रस्तुतकर्ता : रश्मि शर्मा
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प्रस्तुतकर्ता : Sadhana Vaid
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इसी के साथ आप सबको शुभविदा मिलते हैं रविवार को. आप सब चर्चामंच पर गुरुजनों एवं मित्रों के साथ बने रहें. आपका दिन मंगलमय हो | ||||||
जारी है 'मयंक का कोना'
(1) सब्र का इम्तेहां अंतर्मन की लहरें पर Dr. Sarika Mukesh (2) लेकिन दिमाग ने साथ दिया.....श्रीमती आशा मोर आज अचानक उनका आना रद्द हो गया और हम निराश हो गए जितने मंसूबे बनाए थे, दो हफ्तों में सब धराशायी हो गए ... मेरी धरोहर पर yashoda agrawal (3) बैठे ठाले दुनिया के बड़े भू-भाग में केवल सर्दी और गर्मी दो ही मौसम होते हैं, बारिश तो बीच बीच में होती रहती है, पर हमारे देश में छ:ऋतुएँ और तीन मौसम, सर्दी, गर्मी और बरसात हर साल घूम फिर कर आते रहते हैं. प्रकृति के इन नियमों के अनेक लाभ हैं.... जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय (4) क्रान्ति-उदघोष लेखनी में अग्नि भर कर, लिख अनल कविता नवल | देश ने तुझको पुकारा , युद्ध को कवि-वर निकल.... साहित्यिक सहचर पर DrRaaj saksena (5) एक दिन एक दिन बन गई उल्फत की इक उम्दा कहानी एक दिन जब समंदर से मिला दरिया का पानी... काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया (6) पापा जी का कंप्यूटर अभिनव सृजन पर डॉ. नागेश पांडेय संजय (7) कुण्डलिया छंद - [ इस छंद में छ: पंक्तियाँ होती हैं.प्रथम दो पंक्तियाँ (चार चरण) दोहा होती हैं. दोहे में 13-11 मात्रायें, विषम चरण के प्रारम्भ में जगण वर्जित,विषम चरणों के अंत में लघु गुरु या लघु लघु लघु अनिवार्य.सम चरणों के अंत में गुरु लघु अनिवार्य.दोहे के दूसरे सम चरण से ही रोले की शुरुवात होती है.रोले में 11-13 मात्राओं के साथ चार पंक्तियाँ (आठ चरण) होते हैं. कुण्डलिया का प्रथम और अंतिम शब्द एक ही होता है ... अरुण कुमार निगमअदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)शम्भूश्री अपार्टमेंट,विजय नगर,जबलपुर(मध्यप्रदेश) |
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रविवार, जुलाई 21, 2013
चन्द्रमा सा रूप मेरा : चर्चामंच - 1313
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सुन्दर चर्चा मंच-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय -
आज बहुरंगी लिंक्स हैं दोपहर के लिए पर्याप्त |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
अरुण शर्मा अनन्त जी आपका आभार!
जवाब देंहटाएंरविवार के लिए आज पढ़ने को बहुत कुछ है चर्चा मंच में!
आपके श्रम को सलाम!
अरुण आपका आभार ...बहुत सुंदर चर्चा है आज ....
जवाब देंहटाएंमेरी आवाज़ है यहाँ ,मेरे लिए हर्ष का कारण ...
उत्कृष्ट चर्चा के लिए हार्दिक बधाई ....एवं शुभकामनायें ....!!
आप दोनों का एक साथ होना मतलब सोने में सुहागा...वाह...तमाम पठनीय लिंकों को एक सूत्र में पिरोने का आपका प्रयास बहुत ही सुंदर और सार्थक है; इसके लिए आप दोनों को बधाई!
जवाब देंहटाएंहमारी दो पोस्टों को स्थान देने हेतु हृदय से शुक्रिया!
सादर/सप्रेम,
सारिका मुकेश
सुन्दर सूत्रों में मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार अरुण जी …
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्र!
जवाब देंहटाएंआभार !
सुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा मंच सजाया है अरुण ………आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा .आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा !
जवाब देंहटाएंसुन्दर रोचक सूत्र..आभार..
जवाब देंहटाएंअरुण जी, रविवार की सुबह को और सुखद बना रहे हैं आजके लिंक्स..आभार !
जवाब देंहटाएंआभार अरुण जी !
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक एवँ रोचक लिंक्स ! मुझे भी इस मंच पर स्थान दिया ! आभार एवँ धन्यवाद आपका !
जवाब देंहटाएंसुन्दर रोचक सूत्र..
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
आप दोनों भाईयों का आभार
जवाब देंहटाएंपारिवारिक कार्यक्रमों में तनिक व्यस्त हूँ आज
आप लोगों का चयन हरदम सर्वश्रेष्ठ ही रहता है
सादर
अरुण जी बहुत बहुत आभार...सुखद लगता है सभी को पढ़ना और अपने लिंक को देखकर तो और प्रसन्नता होती है...!!
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा / यहाँ तक आकर !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा... मेरी नयी पोस्ट के लिये पधारे...
जवाब देंहटाएंमन का मंथन... मेरे विचारों कादर्पण...
Bahut sundar links...meri rachna shamil karne ke liye aapka dhnyawad...
जवाब देंहटाएंअरुण जी! मेरी पोस्ट चर्चा में शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंअरुण जी आपकी मेहनत और लगन इस चर्चा मंच के अंक में दिखी ......बहुत ही सुन्दर लिंक संजोये हैं आपने ...बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और विस्तृत लिंक्स, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
यात्राओं में रहने से विलम्ब से आपको आभार व्यक्त कर रहा हूँ. आप की सक्रियता सराहनीय है. भीलवाडा में भी मित्रगण आपकी चर्चा कर रहे थे. परिवार में सभी को यथोचित...
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