सकते में सत्ता सकल, हक्के बक्के लोग
बढ़े नित्य आयात ही, घटते शुभ-उद्योग घटते शुभ उद्योग, रुपैया जिभ्या फिसले करता क्या आयोग, योजना लटके मसले ढीठ नीति नीतीश, मौत पर बेजा बकते लगी पैर में चोट, सिसकते चल नहिं सकते ----------रविकर |
vyangya geet ham sarvottam SANJIVdivyanarmada.blogspot.in
हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम…
*
चमत्कार की कथा सुनाएँ,
पत्थर को भी शीश नवाएँ।
लाख कमा चोरी-रिश्वत से-
प्रभु को एक चढ़ा बच जाएँ।
पाप करें, ले नाम पुण्य का
तनिक नहीं होता पल भर गम हम सर्वोत्तम, हम सर्वोत्तम… |
दुर्मर-दामिनि देह, दुधमुहाँ-दानव ताके-रविकर-पुंज
छोरा छलता छागिका, छद्म-रूप छलछंद |
नाबालिग *नाभील रति, जुवेनियल पाबन्द |
जुवेनियल पाबन्द, महीने चन्द बिता के |
दुर्मर-दामिनि देह, दुधमुहाँ-दानव ताके-
दीदी दादी बोल, भूज छाती पर होरा |
पा कानूनी झोल, छलेगा पुन: छिछोरा ||
*स्त्रियों के कमर के नीचे का भाग
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अज़ीज़ जौनपुरी : बहुत रुलाया है
Aziz Jaunpuri
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noreply@blogger.com (दिगम्बर नासवा)
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Rinku Siwan
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जे हम तुम चोरी से, बंधे एक डोरी से, जईयो कहाँ ए हज़ूर …!
स्वप्न मञ्जूषा
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"भगवान एक है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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Rewa tibrewal
पिया सदा निभाना मेरा साथRewa tibrewal |
ॐ शान्ति आध्यात्मिक शब्दावली :समापन क़िस्त
Virendra Kumar Sharma
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Manu Tyagi
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शांति की भीख मांगने वाले हिन्दुओं
ZEAL
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आलोकित कर-
udaya veer singh
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अकाल-दर्शनBrijesh Singh |
कुल कुलीन अब लीन हैं, करते बन्दरबाँट-
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काजल कुमार Kajal Kumar
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आगे देखिए.."मयंक का कोना"
(1)
निर्मम दुनियाँ से सदा , चाहा था वैराग्य
पत्थर सहराने लगा , हँसकर अपना भाग्य
हँस कर अपना भाग्य , समुंदर की गहराई
नीरव बिल्कुल शांत, अहा कितनी सुखदाई
दिन में है आराम ,रात हर इक है पूनम
सागर कितना शांत , और दुनियाँ है निर्मम ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट, विजय नगर, जबलपुर (मध्यप्रदेश)
(2)
आभूषण हैं वदन का, रखिए मूछ सँवार,
बिना मूछ के मर्द का, मुखड़ा है बेकार।
मुखड़ा है बेकार, शिखण्डी जैसा लगता,
मूछों से नर के कानन में पौरुष जगता,
कह ‘मंयक’ मूछों वाले ही थे खरदूषण ,
सत्य वचन है मूछ, मर्द का है आभूषण।
(3)
कहने को तो दे दिया, शिक्षा का अधिकार।
लेकिन दूषित हो रहा, बच्चों का आहार।
बच्चों का आहार, तरीका नहीं स्वदेशी।
करते वाद-विवाद, सभी हैं इसमें दोषी।
कितने हैं बेहाल, यहीं पर अब रहने दो।
नैतिकता रह गयी, यहाँ केवल कहने को।।
(3)
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पड़ गये झूले पुराने नीम के उस पेड़ पर
पास के तालाब से मेढक सुनाते सुर-सुरीला इन्द्र ने अपने धनुष का “रूप” सुन्दर सा दिखाया सात रंगों से सजा है गगन में कितना सजीला
(4)
जमाना है तिजारत का, तिज़ारत ही तिज़ारत है
तिज़ारत में सियासत है, सियासत में तिज़ारत है
(5)
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1
बन जाऊं मैं शीतल पवन ,तो तपन मिटे 2 बन जाऊं में बहती जल धारा प्यास बुझाऊं 3 दूर हो जाए जहाँन से अँधेरा दीप जलाऊं ...
(6)
![]() (7) सिर्फ़ फूल हों तेरी राह में है मेरी बस दुआ.........रिकी मेहरा ![]() जिन्हें याद करते हैं हम बस यूँ ही सदाउन्हें मेरी भी चाहत हो ज़रूरी तो नहीं मेरी धरोहर पर yashoda agrawal |
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपका आभार...रविकर जी!
waah bahut sundar prastuti ravikar ji .sabhi links behad umda , mayank me sthan dene ke liye abhaar chacha ji .pure parivar ko suprabhat
ReplyDeleteवाह, काव्यमयी चर्चा, कितने दिनों बाद।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteVLC media player की परेशानी और हल
बहुत सुन्दर चर्चा, आभार रविकर जी!
ReplyDeleteशुभ प्रभात भाई
ReplyDeleteआभार
रविकर भाई का जवाब नहीं
सादर
बहुत अच्छी रही चर्चा !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर काव्यमयी चर्चा भाई जी बहुत बहुत बधाई ,एक महीने के लिए कल बाहर जा रही हूँ आकर फिर चर्चामंच पर हाजिर होउंगी ,सभी दोस्तों को बाय बाय
ReplyDeleteकाव्य के साथ रचना ..... मजा आया
ReplyDeletesundar charcha.....ismay mujhe shamil kiya apne....bahut bahut shukriya
ReplyDeleteबहुत ही जादूई चर्चा, आभार.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुन्दर चर्चा, आभार
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा, आभार
ReplyDeleteअच्छी चर्चा
ReplyDeleteबढिया लिंक्स
Ravikar ji, thanks for providing great links.
ReplyDeleteकार्टूनों को भी सम्मिलित करने के लिए विनम्र आभार
ReplyDeleteSundar links ... Shukriya meri rachna ko sthaan dene ka ...
ReplyDeletesundar links ..shamil karne ke liye abhar ..
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