आज की चर्चा में आपका स्वागत है
लीजिये हाजिर हैं आपके मनपसन्द लिंक्स
फ़रिया (Fariya)
क्या क्या साफ़ कर दिया
कि रुत ही बदल गयी
जरूरी है
जरूर मिलना चाहेंगे
चलिये साथ में
एक नज़र इधर भी
तीन कविताएँ : तीन रंग
यही हैं जीवन के विविध रंग
आओ करें विचार
और हम उन्हें सच समझ बैठे
तो ये बात है
आखिर कब तक ?
"मन के प्रतिबिम्ब" और छुट्टियां ...
झाँक कर देखिये
पता नहीं
यही बाकी बचा है
कैसा ?
क्या सच में ?
किये जाओ
भावों के टुकडे ……2
बिखेरे जाओ
रोज शोलों में झुलसती तितलियाँ हम देखते हैं (ग़ज़ल "राज")
ज़िन्दगी से होती ये कवायद हम देखते हैं
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश की धूमिल होती छवि
क्या फ़र्क पडता है कुर्सी सलामत रहनी चाहिये
उनसे सीखना जरूरी है
रहेंगे तेरे दिल में गुलाबों की तरह
**~मेरा योरोप भ्रमण -भाग ५ ~ "जर्मनी की सैर व स्विट्ज़रलैंड में प्रवेश" ~**
एक नज़र इधर भी
कारगिल दिवस और भी आयेंगे आगे
नमन
धरा कर रही गुहार [तोमर छंद]
देख कैसे रही पुकार
और कुछ तेरे मेरे मन की
नमिता राकेश,मनोज अबोध,रामा द्विवेदी और चंडी दत्त को परिकल्पना काव्य सम्मान
बधाइयाँ
बिल्कुल होगा
पढिये ज़रा
अगले हफ़्ते फिर मिलते हैं …………नमस्कार
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
कुण्डलियाँ ---श्याम लीला ---- डा श्याम गुप्त....
सृजन मंच ऑनलाइन पर shyam Gupta
(2)
"अच्छी नहीं लगतीं"
गुलो-गुलशन की बरबादी, हमें अच्छी नहीं लगती।
वतन की बढ़ती आबादी, हमें अच्छी नहीं लगती...
उच्चारण
(3)
बातें सावन की....हाइगा में
अभिव्यंजना पर Maheshwari kaneri
(4)
प्रकृति वधु- हाइगा में
हिन्दी-हाइगा पर ऋता शेखर मधु
(5)
कई प्रवक्ता बहुवचन, थोथा शब्द प्रहार-
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
(6)
ग़ज़ल (ये कैसा परिवार)
दिल में दर्द नहीं उठता है भूख गरीबी की बातों से धर्म देखिये कर्म देखिये सब कुछ तो ब्यापार हुआ* * ** **मेरे प्यारे गुलशन को न जानें किसकी नजर लगी है* *युवा को अब काम नहीं है बचपन अब बीमार हुआ...
मदन मोहन सक्सेना की ग़ज़लें
(7)
“पड़ गये झूले”
पड़ गये झूले पुराने नीम के उस पेड़ पर
पास के तालाब से मेढक सुनाते सुर-सुरीला ..
(8)
मेरा पागलपन सा लगता है..... !!!
वो तुम्हारा इन्तजार करना..... सब कुछ छोड़ कर....तुम्हे याद करना.... खुद पर हँसती हूँ, जब याद आता है......वो बचपना मेरा.... मेरा पागलपन सा लगता है...
'आहुति' पर sushma 'आहुति'
(9)
"कार्टून-कुनबागिरि नहीं..अपने बूते पर हैं" (कार्टूनिस्ट-मयंक)
(10)
कार्टून :-अवार्ड ही अवार्ड, एक बार मिल तो लें, रैगड़ पुरा करोल बाग़ (3/6)
काजल कुमार के कार्टून
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
कुण्डलियाँ ---श्याम लीला ---- डा श्याम गुप्त....
सृजन मंच ऑनलाइन पर shyam Gupta
(2)
"अच्छी नहीं लगतीं"
गुलो-गुलशन की बरबादी, हमें अच्छी नहीं लगती।
वतन की बढ़ती आबादी, हमें अच्छी नहीं लगती...
उच्चारण
(3)
बातें सावन की....हाइगा में
अभिव्यंजना पर Maheshwari kaneri
(4)
प्रकृति वधु- हाइगा में
हिन्दी-हाइगा पर ऋता शेखर मधु
(5)
कई प्रवक्ता बहुवचन, थोथा शब्द प्रहार-
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
(6)
ग़ज़ल (ये कैसा परिवार)
दिल में दर्द नहीं उठता है भूख गरीबी की बातों से धर्म देखिये कर्म देखिये सब कुछ तो ब्यापार हुआ* * ** **मेरे प्यारे गुलशन को न जानें किसकी नजर लगी है* *युवा को अब काम नहीं है बचपन अब बीमार हुआ...
मदन मोहन सक्सेना की ग़ज़लें
(7)
“पड़ गये झूले”
पड़ गये झूले पुराने नीम के उस पेड़ पर
पास के तालाब से मेढक सुनाते सुर-सुरीला ..
(8)
मेरा पागलपन सा लगता है..... !!!
वो तुम्हारा इन्तजार करना..... सब कुछ छोड़ कर....तुम्हे याद करना.... खुद पर हँसती हूँ, जब याद आता है......वो बचपना मेरा.... मेरा पागलपन सा लगता है...
'आहुति' पर sushma 'आहुति'
(9)
"कार्टून-कुनबागिरि नहीं..अपने बूते पर हैं" (कार्टूनिस्ट-मयंक)
(10)
कार्टून :-अवार्ड ही अवार्ड, एक बार मिल तो लें, रैगड़ पुरा करोल बाग़ (3/6)
काजल कुमार के कार्टून
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपका श्रम सराहनीय है वन्दना जी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
कार्टून को भी रखने के लिए आपका आभार जी
जवाब देंहटाएंshukriya vandana ji , meri post ko shamil karne ke liye . main aabhaari hoon. aur baaki ke links bhi bahut acche lage hai
जवाब देंहटाएंdhanywaad/
वंदना जी बहुत ही सुन्दर हैं सभी लिंक्स........हमारे ब्लॉग की पोस्ट को यहाँ शामिल करने का बहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा..मेरी पोस्ट को यहाँ शामिल करने का बहुत बहुतआभार शास्त्री जी आप का..
जवाब देंहटाएंवन्दना जी, छोटे छोटे रोचक कमेंट्स के साथ प्रस्तुत किये लिंक्स आकर्षक हैं, आभार मुझे भी अज की चर्चा में शामिल करने के लिए..
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....आभार
जवाब देंहटाएंwaah waah vandana ji bahut sare links ke sath badiya charcha ,meri rachna ko sthan dene ke liye shukriya
जवाब देंहटाएंguru ji ko pranaam
बहुत सुन्दरचर्चा ..सुन्दर चित्रों से सजी प्रस्तुती ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर चर्चा......
जवाब देंहटाएंचर्चा बहुत अच्छी लगी...
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ,सुंदर लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स वंदना जी...!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने का आभार..
~सादर!!!
आभार आपका, हमारी पोस्ट को शामिल करने हेतु.
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह आपका प्रयास साधुवाद का पात्र है...
बधाई
हार्दिक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसादर
हार्दिक धन्यवाद --शास्त्रीजी .....
जवाब देंहटाएं