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मंगलवार, जुलाई 02, 2013

"कैसे साथ चलोगे मेरे?" मंगलवारीय चर्चा---1294

सिर्फ एक रश्मि कर देती नव सृजन ,सुप्रभात 
नित नव प्राकर्तिक सृजन ,मिले जो रश्मि  पात 
                     देख रजनी  विहंसती, और   हंसे  प्रभात 

आज की मंगलवारीय  चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर 


जड़ता १८ प्रकार की होती है .विजय पुष्पम पाठक

Shobha Mishra at फरगुदिया

सिंपल

नीरज पाल at म्हारा हरियाणा

ध्येयनिष्ठा

सुज्ञ at सुज्ञ - 

करते हो तुम कन्हैया ...


जब से लगी, दीदार ये तलब, मयखाने में जाना छोड दिया

ताऊ रामपुरिया at ताऊ डाट इन

तुम न मानो मगर हक़ीक़त है …क़ाबिल अजमेरी

डा. मेराज अहमद at समय-सृजन (samay-srijan) - 
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Maturity

ZEAL at Paradise
कुछ लिंक सृजन मंच ऑनलाइन से...

(अ)


मन के विकार

Rajesh Kumari 

(आ)_

अलग राहों में कितनी दिलकशी है

नीरज गोस्वामी at नीरज - 

"कैसे साथ चलोगे मेरे?" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) at उच्चारण - 

चुहुल - ५३

noreply@blogger.com (पुरुषोत्तम पाण्डेय) at जाले
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गद्य-पद्य

मोहन श्रोत्रिय at सोची-समझी -
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धान के कटोरा / छत्तीसगढ़ CG

Ramakant Singh at ज़रूरत

अब कश्मीर को स्वर्ग कहना बेमानी !

महेन्द्र श्रीवास्तव at आधा सच

आस भी है...

रश्मि शर्मा at रूप-अरूप - 

तलाश एक अच्छे इन्सान की।

noreply@blogger.com (ktheLeo) at "सच में!"
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रावण के ४ हवाईअड्डे मिले | 4 Airports of King Ravana Discovered : 7323BC

प्राचीन समृद्ध भारत at ॥ भारत-भारती वैभवं ॥ -

आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ  फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी  कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||
--
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
(अनुराग शर्मा)* बिल्लियाँ जब भी फुर्सत में बैठती हैं, इन्सानों की ही बातें करती हैं। यदि आप कभी सुन पाएँ तो जानेंगे कि उनके अधिकांश लतीफे मनुष्यों के बेढंगेपन पर ही होते हैं...
पिट्सबर्ग में एक भारतीय *
(2)
shikha kaushik
(3)
My Photo
TV स्टेशन ...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
(4)

काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
(5)
जब पत्ता गिरा यादों के लम्बे दरख्त से सूखकर 
जिस्म पे जख्म न थे पर हर शाख रोई दहाड़कर 
गहरी जड़ें हिलने लगी और कलियां मुरझा गयी...
Mera avyakta पर राम किशोर उपाध्याय 
अन्त में चलते-चलते यह लिंक भी...
पहाड़ के उस पार….इस बार 
समीर लाल ’समीर’ की आवाज में उनकी एक कविता
सुनिये:

17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और मंगलमयी चर्चा!
    बहन राजेश कुमारी जी आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छे लेखन मे जाने का सिधा रास्ता और सुन्दर चर्चा धन्यवाद राजेश कुमारी जी...

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर चर्चा-
    मेरा नया चित्र-
    शायद ओ बी ओ से है-
    आभार आदरणीया-

    जवाब देंहटाएं
  4. बढिया चर्चा, हर तरह लिंक मौजूद हैं आज की चर्चा में
    मुझे भी स्थान देने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर चर्चा,मंच में मेरी पोस्ट को स्थान देने केलिए आभार,,,शास्त्री जी,,,

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर चर्चा………सुन्दर लिंक संयोजन

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर चर्चा..मेरी रचना शामि‍ल करने के लि‍ए धन्‍यवाद

    जवाब देंहटाएं
  8. बढिया चर्चा....सुन्दर लिंक संयोजन....आज की चर्चा में
    मुझे भी स्थान देने के लिए आभार!!

    जवाब देंहटाएं
  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  10. राजेश जी चर्चा मंच में स्थान देने के लिए आभार। सारी रचनायें सुन्दर और विविधता पूर्ण है, धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  11. राजेश जी, सुंदर चर्चा के लिए बधाई, आभार मुझे शामिल करने के लिए..

    जवाब देंहटाएं

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