आज की मंगलवारीय
चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर
(१ )-बहुत दिया जिन्दगी तूने !----तुझसे गिला कैसा गिला उनसे है जो तेरी सौगात संभाल नहीं पाए
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(२ )
"जान बिस्मिल हुई, फूल कातिल हुए" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)---अब फ़कत हसरते दीदार है बाकी दिल में जिन्दगी खा चुकी फूलों से भी मात
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(३ )
कभी नदी...कभी चट्टान...और कभी रेत !-----सब से खेलता हुआ जिन्दगी का कारवाँ मुसल्सल आगे चलता रहा
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(४)-कैसे वीरान जजीरे पे क़ज़ा ले आई इस दर्द को खुद लिखा मैंने
समर्पण----
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(५ )-
बिखरती पहचान - कविता----समेट लो इसे वरना वक़्त किसके लिए रुक है
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आँगन में बिखरे रहे, चूड़ी कंचे गीत.......कुछ अपने माज़ी के भूले बिसरे
मंजर लगते हैं इसी लहर में बह आये हैं
.दिगम्बर नाशवा
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दुनिया रंग रंगीली माधो...मैं भी तो यही कहती हूँ की इसके रंगों को बरकरार रखो
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थाईलैण्ड से कम्बोडिया की ओर----चलिए हम भी चलते हैं अजीत गुप्ता जी के साथ साथ smt. Ajit Gupta at अजित गुप्ता का कोना -
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अरुण निगम के दोहे :--- अरुण निगम दोहे लिखे ,उन पर देना ध्यान
मन की झोली खोल के ,भर लेना तुम ज्ञान
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ख्यालात ...जानने की कोशिश तो कीजिये एक बार हो सकता है आपके काम के हों
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अपनी ढपली पर फ़िदा, रंजिश राग भुलान-
कुंडलियाँ रविकर लिखें,देखो छप्परफाड़
नहीं यकीं तो देखिये ,आकर लिंक लिखाड़
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''भारतीय नारी '' ब्लॉग प्रतियोगिता -3
shikha kaushik at WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION
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सफ़रनामा : जादुई शामों का शहर - 1----में सफ़र करते करते अपने काफिले को भूल नहीं जाना बंजारे
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इमदाद-ए-आशनाई कहते हैं मर्द सारे . हर दौर पर उम्र में कैसर हैं मर्द सारे , गुलाम हर किसी को समझें हैं मर्द सारे
Shalini Kaushik at ! कौशल !
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कुछ व्यंगात्मक उलटबाँसियाँ (दोहे )
Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR********************************************************************************
आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बा ||
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आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMk2vNCAkTL_Nom2jRxKN1Co3j9mgy1f-_HeN5VpULCuUnWXdIuIwgN2nrgJ_NskBcuzeUZ4VfiyWeh6jOfnv8y9ScPGp3IT_b4kMTJr3qFUDxIj7WYQ4PYTgETJMZiDBWGjLxarNJvxQ/s400/Photo+G+Sachin.jpg)
(2)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiuRuBFy79FsEA1gyJRWGzXeLoifoZKeW6NWcJLcgrQLL9HqgNDkLCGyEM5ZyFU9N1jx64VeA_pvWHhPYRJHncKNTWQzrCMe4yF6gYtbHzdUF42nSLlTVPh2EZ1INNQ8jbaSLomUX6ZlhY/s400/Ankur-Arora-Murder-Case-2013.jpg)
आज कहाँ से शुरुआत करूँ समझ नहीं आरहा है कहने को आज डॉक्टर्स डे है। मगर जब तक मेरी यह पोस्ट आप सबके समक्ष होगी तब तक यह दिन बीत चुका होगा। हमारे समाज में डॉक्टर को भगवान माना जाता है क्यूंकि किसी भी अन्य समस्या से झूझने के लिए सबसे पहली हमारी सेहत का ठीक होना ज़रूरी होता है और उसके लिए हमें जरूरत होती है एक अच्छे डॉक्टर की और इसलिए आज के दिन दुनिया के सभी नेक अच्छे और सच्चे डॉक्टर को मेरा सलाम...
(3)
सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। तकनीकी पोस्टों के क्रम में आज पेश है,'टेम्पलेट में बदलाव किये बिना ट्रांसलेटर विजेट लगाएँ' ...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEigj3UbvAUc-43NiND_KmWIEI3XGAn0IUtE5Xx3kq7qIMplmn4DmpW1hYddtS9SHsy5NC2QJ6Cc5TeqwT7rkgmoNNuGxSv1GOAKE4YFFQQadnuOamqKtrOgKP4-bJFhjQuPemQxnbcOfcw/s400/manojjaiswalpbt.png)
-मनोज जैसवाल :
(4)
वो खुद में इतना सिमटे-सिमटे थे जैसे वो दिल को पकड़े-पकड़े थे |
उनको देख हुए थे बेसुध हम तो क्या बात करें अब मुखड़े, मुखड़े थे ...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiuYdyaKDd5R7zDPPgIZQWWMJP7BiHPT8CuY6g9b8hK01gky2S7LW9sNHayW4dngPhHBxaUCX2r-dexuUoNMNGlpFnPoiSGsxPpnuYLekloGikBSXI6hTdTYnTMIVg6oFslT_IIwIu2T-E/s320/531795_109177149265366_1776545914_n.jpg)
(5)
मित्रों!
कल से भगवान जगन्नाथ की
रथयात्रा प्रारम्भ हो रही है।
इस अवसर पर प्रस्तुत है,
मेरा यह गीत।
सारा जग गाता गुणगान।
जय-जय जगन्नाथ भगवान।।
जिस पथ से रथ निकलेगा,
धरती पावन हो जायेगी।
अवतारी प्रभु की नगरी,
भी मनभावन हो जायेगी।
रथ की महिमा बहुत महान।
जय-जय जगन्नाथ भगवान।।
--
♥ एक निवेदन ♥
मित्रों! 2-3 दिनों से टिप्पणियों में बहुत उलटफेर होता रहा। इसमें मेरी ही गलती रही...। हुआ यह कि मैंने एक मित्र के चक्कर में पड़कर उनको डोमेन लगाने की अनुमति दे दी। बस फिर क्या था? सारी टिप्पणियाँ 0 हो गयी.। परन्तु जैसे ही मुझे अपनी भूल का आभास हुआ, मैंने तुरन्त डोमेन हटा दिया और अब टिप्पणियाँ फिर से नियमित हो गयीं है। चर्चा मंच के हमारे बहुत से पाठकों को इससे ठेस भी लगी होगी। जिसके लिए मैं खेद तो नहीं क्षमा शब्द का ही उपयोग कर सकता हूँ।
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♥ एक निवेदन ♥
मित्रों! 2-3 दिनों से टिप्पणियों में बहुत उलटफेर होता रहा। इसमें मेरी ही गलती रही...। हुआ यह कि मैंने एक मित्र के चक्कर में पड़कर उनको डोमेन लगाने की अनुमति दे दी। बस फिर क्या था? सारी टिप्पणियाँ 0 हो गयी.। परन्तु जैसे ही मुझे अपनी भूल का आभास हुआ, मैंने तुरन्त डोमेन हटा दिया और अब टिप्पणियाँ फिर से नियमित हो गयीं है। चर्चा मंच के हमारे बहुत से पाठकों को इससे ठेस भी लगी होगी। जिसके लिए मैं खेद तो नहीं क्षमा शब्द का ही उपयोग कर सकता हूँ।
राजेश दीदी
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
मनभावन है आज की चर्चा
सादर
भाई को नमन
जवाब देंहटाएंआभार
राजेश जी, सचमुच रंग-बिरंगी चर्चा सजाई है आपने..आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा मंच-
जवाब देंहटाएंआभार दीदी -
अरुण अनंत जी एवं परिवार को बहुत बहुत बधाई ||
बहुत सुन्दर लिंक्स का संयोजन आदरणीया
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंराजेश जी,
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच में मेरी रचना सम्मलित करने और रोचक लिन्कों के द्वारा बढिया रचनाओं तक पहुंचाने के लिये धन्यवाद.
bahut achchhi charcha hetu aabhar .meri rachna ko yahan sthan pradan karne hetu aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स का संयोजन,चर्चा मंच में मेरी रचना सम्मलित करने और बढ़िया रचनाओं तक पहुंचाने के लिये धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक
जवाब देंहटाएंCreate anything from 3d printer थ्री डी प्रिन्टर से कुछ भी बनाइयें
वाह !!! बहुत उम्दा लिंक्स लाजबाब प्रस्तुतिकरण,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: गुजारिश,
बहन राजेश कुमारी जी!
जवाब देंहटाएंमंगलवार की आज की चर्चा में आपने बहुत अच्छे लिंकों का समावेश किया है।
आपका आभार!
अच्छे लिंक्स --आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों से सजी , चर्चा है शालीन
जवाब देंहटाएंहमको भी हासिल हुआ मखमल का कालीन ||
सजा रहे इस मंच पर , आभासी संसार
आदरणीया 'राज'जी, बहुत-बहुत आभार ||
बहुत बहुत आभार अरुण निगम जी
हटाएंआदरणीय दिगम्बर नासवा जी को नमन.....
जवाब देंहटाएंआँगन में बिखरे रहे, चूड़ी कंचे गीत
आँगन की सोगात ये, सब आँगन के मीत
@ छुवा-छुवौवल तो कभी,बन जाते थे रेल
याद अचानक आ गये, आँगन के सब खेल
आँगन आँगन तितलियाँ, उड़ती उड़ती जायँ
इक आँगन का हाल ले, दूजे से कह आयँ
@ परी बनी सब तितलियाँ, गई पिया के गाँव
भुला न पाई पर कभी, आँगन की दो बाँह
बचपन फ़िर यौवन गया, जैसे कल की बात
आँगन में ही दिन हुआ, आँगन में ही रात
@ गरमी की रातें अहा, बिछती आँगन खाट
सुखमय गहरी नींद वह, आज ढूँढता हाट
आँगन में रच बस रही, खट्टी मीठी याद
आँगन सब को पालता, ज्यों अपनी औलाद
@ जिस आँगन की धूल में,बचपन हुआ जवान
वहीं तीर्थ मेरे सभी, वहीं मेरे भगवान
तुलसी गमला मध्य में, गोबर लीपा द्वार
शिव के सुंदर रूप में, आँगन एक विचार
@ रहा किनारे तैरता, पहुँचा ना मँझधार
वह क्या समझे नासवा, आँगन एक विचार
आँगन से ही प्रेम है आँगन से आधार
आँगन में सिमटा हुवा, छोटा सा संसार
@ आँगन जो तज कर गया, सात समुंदर पार
उसके दिल से पूछिये, है कितना लाचार
कूँवा जोहड़ सब यहाँ, फ़िर भी बाकी प्यास
बाट पथिक की जोहता, आँगन खड़ा उदास
@आँगन पथरीला किया, हृदय बना पाषाण
हाय मशीनी देह में,प्रेम हुआ निष्प्राण
दुःख सुख छाया धूप में, बिखर गया परिवार
सूना आँगन ताकता, बंजर सा घर-बार
@”मेरा-तेरा” भाव से, प्रेम बना व्यापार
आँगन रोया देख कर, बीच खड़ी दीवार
वाह वाह मजा आ गया पढ़ के शानदार
हटाएंthanks rajesh ji to take my post here .nice links .thanks
जवाब देंहटाएंआप सभी का हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंjaandaar ...
जवाब देंहटाएं