मित्रों!
मंगलवार की चर्चाकार बहन राजेश कुमारी जी एक माह के लिए कश्मीर प्रवास पर गयी हुई हैं। अतः चार सप्ताह तक हर मंगलवार को आप मेरी पसंद के लिंक देखेंगे। (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मित्रों!
आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।
बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।
'सतसईया' का दोहा हो या, 'पदमावत'चौपाई हो ?
या बच्चन की 'मधुशाला'की,सबसे श्रेष्ठ रुबाई हो ?
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कर्कश सुर से तो होती है, खामोशी की तान भली
जल जाता शैतान पतिंगा, शम्मा सारी रात जली
उच्चारण पर
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रजनी निज मन को व्यथित कर;
थिर अन्तस् को स्वर प्लावित कर
मानो
निश्छल प्राण छले गये !
अन्तर्गगन पर धीरेन्द्र अस्थाना
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मिट्टी से लिपा चुल्हा चुल्हे में सुलगती लकड़ियाँ
उसकी आँच में सिकी हुई माँ के हाथों की गरम रोटियाँ
बहुत याद आते हैं....
अभिव्यंजना पर Maheshwari kaneri
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सभी को दिखाई दे जाते हैं रोज कहीं ना कहीं कुछ मोर उनके अपने जंगलों में नाचते हुऎ सब लेकिन कहाँ बताते है किसी और को जंगल में मोर नाचा था और उन्होने उसे नाचते हुए देखा था ...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील
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डायरी के पन्ने ....जो कहानी संग्रह के रूप में लिखे जा रहें हैं ....उसे कुछ हिस्से साथ साथ यहाँ ब्लॉग पर आप सबके साथ साँझा कर रही हूँ ....
अपनों का साथ पर Anju (Anu) Chaudhary
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चुनाव अब धीरे धीरे करीब आ रहे हैं और सब अपनी छवि के लिए राजनैतिक समीकरण जिस तेजी से पूरे देश को उद्वेलित कर रहे हें लगता है कि सारे दलों के लोग अब बिल्कुल दूध के धुले होकर हमारी (जनता) की शरण में आने वाले हें लेकिन दलों की नीतियां भी तो देख लीजे फिर विश्वास कीजिये...
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जिसे अपना बनाए जा रहा हूँ,
उसी से चोट दिल पे खा रहा हूँ,
यकीं मुझपे करेगी या नहीं वो,
अभी मैं आजमाया जा रहा हूँ,....
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चलिए, आज हम आपको तिथियों के बहाने सूरज और चंदा की प्रेम कहानी सुनाते हैं। पर ये प्रेम कहानी बाकी कहानियों से अलग है। जहाँ अन्य सभी प्रेमी-युगल मिलन की बाट जोहते रहते हैं, वहीं हमारी चंदा रानी सूरज से मिलन होते ही एकदम काली पड़ जाती हैं....
आह्वान पर डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'
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छिटपुट साहित्य लेखन की आदत तो बचपन से ही थी किन्तु, सन २००८ में लगभग इसी वक्त मैंने अपना यह ब्लॉग लिखना शुरू किया था। शुरुआती समय में पद्य की जगह गद्य लेखन पर अधिक जोर था, और ज्वलंत समसामयिक मुद्दों पर खूब लिखता था...
अंधड़ ! पर पी.सी.गोदियाल "परचेत"
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मित्रों!
आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है।
कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। आपका मेल मिलते ही आपको सृजन मंच ऑनलाइन के लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...!
सृजन मंच ऑनलाइन पर DrRaaj saksena
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छहों ऋतुएं मोहे ना भायी सखी री जब तक ना हो पी से मिलन सखी री विरही मौसम ने डाला है डेरा कृष्ण बिना सब जग है सूना जब हो प्रीतम का दर्शन तब जानूं आया है सावन ये कैसा....
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प्यास मेरी अधूरी यही रह गई
आशियाने बहे ना डगर ही मिली
सूचना आसमानी धरी रह गई ...
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उस खाली पड़े कैनवास पर हर रोज सोचता हूँ
एक तस्वीर उकेरूँ कुछ ऐसे रंग भरूँ
जो अद्वितीय हो पर कौन सी तस्वीर बनाऊँ
जो हो अलग सबसे हटकर अद्वितीय और अनोखी
इसी सोच में बस गुम हो जाता हूँ....
मन का पंछी पर शिवनाथ कुमार
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यूँ ना इस अंदाज़ में हमको देखा करो
मुहब्बत हो गयी तो फिर ना कहना हमसे
ये शोख अदाएं अक्सर बहकाती हैं दिल को ...
आपका ब्लॉग पर yashoda agrawal
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संगम पर बाप आकर बच्चों को ऊंचे ते ऊंचा कर्म कैसे किया जाए ,समझाते हैं। अ-कर्म जिनका आगे हिसाब किताब नहीं बनता करने की विधि समझाते हैं। अब हम बच्चों को उसे एक मेथड एक प्रोद्योगिकी में खुद ही बदलना है निरंतर प्रयत्न से पुरुषार्थ से।कर्म और योग का संतुलन बनाए रखना है...
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क्या ज़मीं क्या अस्मां न किसी पर भरोसा कीजे
चंद लमहात में सारा ज़माना बदल जाता है
वो तो फ़कत फ़ितरत है उसकी फ़ितरत है बदलना
आजकल इन्सान क्या ख़ुदा भी बदल जाता है...
Zindagi se muthbhed पर Aziz Jaunpuri
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माता के शुभ चरण छू, छू-मंतर हों कष्ट |
जिभ्या पर मिसरी घुले, भाव कथ्य सुस्पस्ट |
भाव कथ्य सुस्पस्ट, अष्ट-गुण अष्ट सिद्धियाँ |
पाप-कलुष हों नष्ट, ख़तम हो जाय भ्रांतियां...
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दो और दो पांच का खेल,
ताऊ, रामप्यारी और सतीश सक्सेना के बीच
रामप्यारी ने आजकल ताऊ टीवी का काम संभालना शुरू कर दिया है. उसी की पहल पर ब्लाग सेलेब्रीटीज से "दो और दो पांच" खेलने का यह प्रोग्राम शुरू किया गया है. दो और दो पांच में, ब्लॉग सेलिब्रिटी से निवेदन है कि वे सवाल के जवाब कुछ चटपटे रखें ताकि ब्लोगर साथियों का मनोरंजन भी हो , इस प्रोग्राम का मकसद आपको हंसना सिखाना है. इस मनोरंजक पोस्ट का अधिक अर्थ निकालने की कोशिश न करे यह काम रामप्यारे को ही करने दें. ...
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया
--
बापू तुम वापस आ जाओ
राष्ट्र-पिताजी आप स्वर्ग में,परियों के संग खेल रहे हैं |
इधर आपके , चेले-चांटे ,अरब-खरब में खेल रहे हैं....
सृजन मंच ऑनलाइन पर DrRaaj saksena
--
फीकापन
एक लम्बी रात जो गुजरती है तुम्हारे ख्वाब में,
तुम्हें निहारते हुए बतियाते हुए किस्से सुनते-सुनाते हुए ....
तिश्नगी पर आशीष नैथाऩी 'सलिल'
--
कुण्डली छंद ....श्याम लीला-- गोवर्धन धारण....
*जल अति भारी बरसता वृन्दावन के धाम,*
*हर वर्षा-ऋतु डूबते , वृन्दावन के ग्राम ...
सृजन मंच ऑनलाइन पर shyam Gupta
--
"हो गया है साफ अम्बर"
--
इक सानिहा.....!
अज़ब इक सानिहा,
इस शहर में हो गया नज़रें मिली और झुकी,
दिल मेरा खो गया जाने कितने अब्र आये...
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
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ताऊ, रामप्यारी और सतीश सक्सेना के बीच
रामप्यारी ने आजकल ताऊ टीवी का काम संभालना शुरू कर दिया है. उसी की पहल पर ब्लाग सेलेब्रीटीज से "दो और दो पांच" खेलने का यह प्रोग्राम शुरू किया गया है. दो और दो पांच में, ब्लॉग सेलिब्रिटी से निवेदन है कि वे सवाल के जवाब कुछ चटपटे रखें ताकि ब्लोगर साथियों का मनोरंजन भी हो , इस प्रोग्राम का मकसद आपको हंसना सिखाना है. इस मनोरंजक पोस्ट का अधिक अर्थ निकालने की कोशिश न करे यह काम रामप्यारे को ही करने दें. ...
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया
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बापू तुम वापस आ जाओ
राष्ट्र-पिताजी आप स्वर्ग में,परियों के संग खेल रहे हैं |
इधर आपके , चेले-चांटे ,अरब-खरब में खेल रहे हैं....
सृजन मंच ऑनलाइन पर DrRaaj saksena
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फीकापन
एक लम्बी रात जो गुजरती है तुम्हारे ख्वाब में,
तुम्हें निहारते हुए बतियाते हुए किस्से सुनते-सुनाते हुए ....
तिश्नगी पर आशीष नैथाऩी 'सलिल'
--
कुण्डली छंद ....श्याम लीला-- गोवर्धन धारण....
*जल अति भारी बरसता वृन्दावन के धाम,*
*हर वर्षा-ऋतु डूबते , वृन्दावन के ग्राम ...
सृजन मंच ऑनलाइन पर shyam Gupta
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"हो गया है साफ अम्बर"
उमस ने सुख-चैन छीना,
हो गया दुश्वार जीना,
आ रहा फिर से पसीना, तन-बदन पर।
खिल उठी है चिलचिलाती, धूप फिर से आज भू पर...
"धरा के रंग"--
इक सानिहा.....!
अज़ब इक सानिहा,
इस शहर में हो गया नज़रें मिली और झुकी,
दिल मेरा खो गया जाने कितने अब्र आये...
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
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मित्रों...आज के लिए बस इतना ही...!
नमस्ते...
अगले मंगलवार को फिर मिलूँगा।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसर्व प्रथम आभार
चुनिन्दा व पसंदीदा लिंक्स का प्रस्तुतिकरण
साधुवाद
सादर
रोचक व सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
बढिया लिंक्स
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स, आभार
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा, आभार शस्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सजी हुई चर्चा में
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सूत्रों की भरमार
उल्लूक के सूत्र को भी दिखाने
के लिये करबद्ध आभार !
गुरु जी प्रणाम करें स्वीकार
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स की है भरमार
बधाई हो स्वीकार
सुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंआदरणीय गुरुदेव श्री बहुत ही सुन्दर चर्चा लगाई है आपने आज दिल खुश दिया हार्दिक आभार आपका.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सुंदर चर्चा ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: तेरी याद आ गई ...
बढिया लिंक्स.......बढिया चर्चा.............आभार
जवाब देंहटाएंbadiya links sundar charcha ..abhar ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा ...आभार!
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स.बढिया चर्चा.मेरी रचना को स्थान देने के लिए आप का बहुत बहुत आभार ..
जवाब देंहटाएंbahut badhiya links mile hai aur mujhe sthan dene ke liye bahut bahut aabhar .
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा मंच-
जवाब देंहटाएंइस सप्ताह गुरु जी कुछ अधिक ही व्यस्त रहे-
शुभकामनायें-
बढिया चर्चा, आभार शस्त्री जी !
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी मंगलवारीय चर्चा हेतु हार्दिक आभार ,सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा बधाई आपको
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शास्त्रीजी....अच्छे संकलन सूत्र ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
साभार !
बढिया लिंक्स...
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ख़ूब शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंbahut badhiya sootra se saja charchamanch.haardik aabhaar aadarneey shastri ji.
जवाब देंहटाएं