विचलित व्यथित मन से कैसे खोलूँ द्वार
जो हरियाये हर चमन को कोई आँगन ना हो उजियाड
मिड डे मील त्रासदी से मन है बेहद बेज़ार
फिर भी आपकी पोस्ट्स से चर्चामंच हो गया तैयार
जो हरियाये हर चमन को कोई आँगन ना हो उजियाड
मिड डे मील त्रासदी से मन है बेहद बेज़ार
फिर भी आपकी पोस्ट्स से चर्चामंच हो गया तैयार
करूं न याद, मगर किस तरह भुलाऊं उसे...
जरूरत नहीं
चुनावी भाषणों में अब, भुना रहे हैं यहाँ..
भुनाये जाओ
सबसे जुदा होता है
गुजरा हुआ ज़माना आता नहीं दोबारा
यूँ ही नहीं पहेलियाँ बुझाओ
कुछ हल तो सुझाओ
कौन इसे संभाले
कुछ नहीं
एक पहचान
निभाओ तो ऐसे
बडे मत करो
सुन्दर संस्मरण
निश्चित है
किसकी किससे ?
ओह ! ऐसा क्या
क्या कहते हैं
आखिर कब तक ना करें
एक पहेली
हाजिर हैं
निन्दनीय
आखिर कब तक ?
अब आज्ञा दीजिये ………फिर मिलते हैं
इसमें क्या शक है
एक व्यक्तित्व
एक कडवा सच
अब आज्ञा दीजिये ………फिर मिलते हैं
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
मित्रों!
आज अपने काव्य-संकलन
से माँ वीणापाणि की वन्दना के रूप में
पहली रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मेरा वन्दन स्वीकार करो।
माँ बस इतना उपकार करो।
(2)
कुछ लिंक सृजन मंच ऑनलाइन से..
(अ)
सिरजन 'सृजन-मंच' पर, करिये अपना पद्य |
रखिये इतना ध्यान पर, नहीं चलेगा गद्य |
(आ)
आधा बेंचा खेत तो, पूरा किया दहेज़* |
आधा बाँटे बहन फिर, स्वर्ग पिता* को भेज |
(3)
(4)
सच कह रहा हूं, आने वाले समय की आहट हम सब सुन नहीं पा रहे हैं। इसका नतीजा किसी एक को नहीं, बल्कि हम सबको भुगतना पड़ सकता है। जरूरी है कि मीडिया एक बार फिर प्रोफेशन से हटकर मिशन बनकर उभरे...
TV स्टेशन ...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
(5)
स्पर्श पर Deepti Sharma
(6)
मित्रों!
आज एक कव्वाली बन पड़ी है...!
नजरों से गिराने की ख़ातिर, पलकों पे सजाये जाते हैं।
मतलब के लिए सिंहासन पर, उल्लू भी बिठाये जाते हैं।।
उच्चारण पर रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
अद्यतन लिंको के साथ स्तरीय चर्चा।
जवाब देंहटाएंवन्दना जी आपका आभार!
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंरुचि परक लिंक्स हैं आज
आभार
बहुआयामी लिंक्स ||
जवाब देंहटाएंआशा
आभार, वन्दना जी !
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा,
जवाब देंहटाएंमयंक का कोना में मुझे भी शामिल करने के लिए आभार शास्त्री जी
behtreen link....mujhe samil karne ke liye abhaar...
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलित सूत्र
जवाब देंहटाएंवन्दना जी, देश के वर्तमान हालातों पर गहरी नजर रखते कई लिंक्स से आज की चर्चा भी काफी महत्वपूर्ण हो गयी है. आभार !
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा सुन्दर संकलित सूत्र आभार
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और कुछ नवीनता सी लिये चर्चा, शुभकामनाएम.
जवाब देंहटाएंरामराम
बढ़िया प्रस्तुति ,वंदना जी गुरु जी बधाई
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद
आदरणीया वंदना जी बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुत की है आपने हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार आपका.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया... वन्दना जी...
जवाब देंहटाएंसभी लिंक बहुत अच्छे और रुचिकर हैं...
बहुत बढिया चर्चा ....आभार!
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बहुत अच्छे हैं... ! नेट ठीक से ना चल पाने के कारण रुक-रुक कर सब पर जा पा रही हूँ..!:)
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने का आभार!
~सादर!!!
सुन्दर चर्चा ...
जवाब देंहटाएंवंदना जी बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुत की है आपने हार्दिक बधाई....
जवाब देंहटाएंसुन्दर रंग विरंगी चर्चा. अच्छे लिनक्स . आभार
जवाब देंहटाएंधन्यवाद वंदना , इस चर्चा में मुझे शामिल करने के लिए और बहुत सी चुनी हुई उम्दा रचनाएँ पढवाने के लिए
जवाब देंहटाएंmid day meal yojna par sango paang paricarcha hona chahiye
जवाब देंहटाएंसुंदर मन भावन चर्चा.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रंगों से सजी , मेहनतकश सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंशामिल करने और अन्य अच्छी रचनाओं से रू-ब-रू कराने का शुक्रिया
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