चर्चा मंच के पूरे परिवार , मित्रो और पाठकों को आपकी मित्र शशि पुरवार का स्नेह भरा नमस्कार . _/\_
आज की चर्चा में जीवन के सभी रंग शामिल है .... कहीं धूप तो कहीं छाँव है जीवन की ......जीवन के अनेक रंगों के साथ हाजिर हूँ में ........ज्यादा न कहते हुए, आईये सीधे आपके प्रिय लिंक की ओर प्रस्थान करते है . और आपसे पुनः अगले बुधवार मुलाकात होगी , तब तक के लिए आप का हर दिन , हर पल खुशियों से भरा हो ...... कामना करती हूँ कि हर दिन सूरज एक नयी रौशनी लेकर आपके जीवन को रौशन करे .......आमीन ! |
"सभ्यता के हाथ सभ्यता शिकार हो गई" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
ज़िन्दगी हमारे लिए
आज भार हो गई!
मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!!
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राजनैतिक दोहे |
पहले जो था पास में, नहीं रहा कुछ पास |
आज़ादी के बाद से, ऐसा हुआ विकास | |
फिर भी बड़े गुमान मे दिखता है तिरंगाNaveen Mani Tripathi |
आज़ ज़ज्बातों को गंगा में बहा आया हूँ
Kailash Sharma
आज़ ज़ज्बातों को गंगा में बहा आया हूँ,
टूटे ख़्वाबों को मैं खुद ही ज़ला आया हूँ...
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महीने भर का ऱाशन या महीने भर का लेखन
....दोनों अपने तर्कों पर अड़े हैं और जहाँ पर खड़े थे, बस वहीं पर ही खड़े हैं। क्या माह में एक बार के स्थान पर माह में दो बार का प्रस्ताव धरा जाये? माह में तीन बार के स्थान पर दो बार लेखन करने से लेखन की गुणवत्ता तो प्रभावित होगी पर घर के खान पान आदि में विविधता बढ़ जायेगी। सुधीजनों का और अनुभव के पुरोधाओं का क्या मत है?
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कचनारhindi haiku
( सुधा. गुप्प्ता जी की प्रथम पीढ़ी की वह हाइकुकार हैं जिनके हाइकु में प्रकृति जीवन्त रूप में सामने आती है। दूसरी पीढ़ी के हाइकुकारों में वही गरिमा डॉ. भावना कुँअर जी को भी प्राप्त है । इस पोस्ट में उनके कचनार विषय हाइकु की विभिन्न छवियाँ देखी जा सकती हैं)
डॉ. भावना कुँअर
1
पाँच पाँखुरी
लगे पंचतत्व- सी
कचनार की।...
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आने वाला युग पढेगा हमें..
. आने वाला युग भी पढ़ता रहेगा हमें जैसा कि अबतक पढ़ते आ रहे हैं हम प्रकारान्तर में हर पिछले युग को या तो विरोधों पर आपत्तिजनक विरोध दर्ज करके या फिर एक जटिल साम्य की खोज करके.. |
भयानक खौफनाक मंज़र
विनाश का अद्भूद सैलाब
देखते ही देखते सब तबाह होगया
क्रूर काल के हाथों सब स्वाह होगया..
महेश्वरी कनेरी |
आज फिर दिल भर रहा है ankita jain |
खुशबू फैल गई
( डॉ सुधा गुप्ता जी के हाइकु में प्रकृति अभिन्न रूप में अनुस्यूत रहती है। उनके पुष्प विषयक हाइकु में से कुछ हाइकु यहाँ दिए जा रहे हैं। साथ ही मंजुल भटनागर के ‘चम्पा’विषय पर हाइकु भी ।)
डॉ सुधा गुप्ता
1
फूले निंबुवा
खुशबू फैल गई
दूर दराज़ ।...
hindi haiku |
तुलसीदास की भक्ति- पद्धति
तुलसीदासजी ने बताया है कि जैसे भोजन भूख मिटाते हैं,वैसे ही हरिभक्ति सुगम एवं सुखदाई है । लेकिन यह भक्ति भी सेवक-सेव्यभाव की होनी चाहिए । तुलसीदास के अनुसार सेवक सेव्यभाव की भक्ति के बिना संसार में हमारा उद्धार नहीं होगा । भक्ति के बारे में तुलसीदासजी ने भगवान् राम के मुख से कहलाया है कि जो लोग इहलोक और परलोक में सुख चाहते हैं, उन्हें यह समझ लेना जरूरी है कि भक्ति मार्ग अत्यन्त सुगम और सुखदायक है । ज्ञान का मार्ग तो बहुत कठिन है । उसकी सिद्धि हो जाए तो भी भक्तिहीन होने से वह भगवान को प्रिय नहीं होता...
सिमी. एस.
कुरुप, कोयंबत्तूर (तमिलनाडु
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मीता पन्त |
kajal kumaar |
दोहा : परिचय एवं विधान
ram pathak
दोहा चार चरणों से युक्त एक अर्धसम मात्रिक छंद है जिसके पहले व तीसरे चरण
में १३, १३ मात्राएँ तथा दूसरे व चौथे चरण में ११-११ मात्राएँ होती हैं,
दोहे के सम चरणों का अंत 'पताका' अर्थात गुरु लघु से होता है तथा |
वो हर मक़ाम से पहले वो हर मक़ाम के बाद …क़ाबिल अजमेरी
डा. मेराज अहमद
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वो हर मक़ाम से पहले वो हर मक़ाम के बाद
सहर थी शाम से पहले सहर है शाम के बाद
हर इन्क़लाब-ए-मुबारक हर इन्क़लाब-ए-अज़ाब
शिकस्त-ए-जाम से पहले शिकस्त-ए-जाम के बाद |
रणथम्भोर नेशनल पार्क – टाइगर सफारी के सुखद संस्मरणsadhana vaid |
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
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(1)
हाइकु के बारे में तो जानते थे पर हाइगा के बारे में जिन्हों ने बताया उन का नाम है ऋता शेखर मधु। आज ऋता दीदी का हेप्पी-हेप्पी वाला डे है, जी हाँ आज [3 जुलाई] यह बच्ची एक साल और बड़ी हो गयी :) आइये पढ़ते हैं ऋता दीदी के दोहे :
सदगुणियों के संग से, मनुआ बने मयंक
ज्यों नीरज का संग पा, शोभित होते पंक
चंदा चंचल चाँदनी, तारे गाएँ गीत
पावस की हर बूँद पर, नर्तन करती प्रीत....
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(2)
मेरी माँ ने कहा ! पढाई समाप्त कर नौकरी के लिए घर छोड़ जब शहर के लिए था निकलना .... मेरी माँ ने मुझ से कहा बेटा! एक बात मेरी तुम गाँठ बांध रखना। दुनियां में अच्छे लोग है कम , शैतान हैं ज्यादा , अच्छों के साथ करना दोस्ती , शैतानों से तुम हमेशा बचके रहना... अनुभूति पर कालीपद प्रसाद (3) पूनम पाण्डेय और सनी लियोन में इन्हें भारतीय नारी ही नहीं दिखती,जबकि दोनों ही भारत की पैदावार हैं . Albelakhatri.com पर Albela Khtari (4) तुम तक ही पहुँच जातुम तक ही पहुँच जाती हूँ मैं.....!! हर बार खुद को ढूंढ़ कर.... खुद से मिलाती हूँ मैं..... तुम मिले थे.... कभी जिन राहो में... फिर उन्ही राहो पर कही रुक ना जाऊं.... उन राहो से तुम्हारे निशानों को, मिटाती हूँ मैं.... 'आहुति' पर sushma 'आहुति' (5) बड़ा खुलासा किया, आज क्यूँ इस "इसरो" ने- "लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर उत्थानों की बात, करोगे कब रे थानों- रविकर की कुण्डलियाँ पर रविकर (6) जब से तुमको देखा था सनम,मयखाने में जाना छोड़ दिया ! ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया (7) ज़माने में फकीरों का नहीं होता ठिकाना कुछ.... कटी है उम्र गीतों में, मगर लिखना नहीं आया। तभी तो हाट में हमको, अभी बिकना नहीं आया ज़माने में फकीरों का नहीं होता ठिकाना कुछ, उन्हें तो एक डाली पर कभी टिकना नहीं आया.... मेरी धरोहर पर yashoda agrawal |
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंत्वरित निर्णय में माहिर हैं आप
सलाम आपको
सादर
dhanyavad priy bahan yashoda :)
हटाएंएक बार चर्चा उड़ जाने पर भी दोबारा इतने सारे लिंक खोज लेना आपकी लगन और निष्ठा को परिलक्षित करता है।
जवाब देंहटाएं--
सुन्दर चर्चा लगाई है आपने।
आपका आभार!
dhanyavad chacha ji
हटाएंउम्दा लिंक्स रणथम्भोर के यात्रा विवरण बहुत अच्छा लगा |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत मेहनत से सजी
जवाब देंहटाएंचर्चा में उम्दा सूत्रों की भरमार
उल्लूक का भी
दिख रहा है एक सूत्र आभार !
सुन्दर चर्चा-
जवाब देंहटाएंनया नयापन लिए हुवे-
आभार आदरणीय
आभार आदरणीया
बहुत सुन्दर लिंक संयोजन ,बढ़िया चर्चामंच
जवाब देंहटाएंlatest post मेरी माँ ने कहा !
latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )
सुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा..मुझे स्थान देने के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स को संजोये रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दरता से सजाये सूत्र..आभार..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर चर्चा शशि पुरवार जी ! मेरे टाइगर सफारी के संस्मरण को आज के मंच पर सबसे साझा करने के लिये आपका हृदय से आभार !
जवाब देंहटाएंआपका विनम्र आभार कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए
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