... शुभम दोस्तो ...
मैं
ले आई हूँ आज
जुलाई महीने के आखिरी सोमवार की
आखिरी चर्चा
''रंगबिरंगी गुज़ारिश ''
आपके अपने चर्चा मंच 1321
पर
सावन का महीना रंगबिरंगी पतंग
भरती हर मन में नई सी उमंग
|
पतंगें थाम कर इठला रहा हूँ
||
किसी को भी मिलो पहली बार
या हो जाए प्यार करो इकरार
|
सलमान रिज़वी आज़मी
||
जो सुख छज्जू दे चुबारे
ना बल्ख ना भुखारे
|
वापिस अपने घर
||
मांगना है तो उससे मांग जो है सबका वाली
झोली तेरी कभी ना जाएगी तब खाली
|
क्या आप एक भिखारी से बेहतर
||
बन्दे काहे उलझे धर्म में
ध्यान लगा ले अपना कर्म में
|
मुस्लिम पी सी एस और आजम
||
चलते चलते मेरे यह गीत याद रखना
कभी अलविदा ना कहना
|
भोजपुरी गीत
||
रोको लम्बी टॉक
करो नित मोर्निंग वाक
|
मोर्निंग वाक ,अभिषेक गोस्वामी
||
सबका ईश्वर एक है धर्म सभी का एक
बेड़ा तेरा पार लगेगा काम अगर करे नेक
|
धर्म संगम
||
ना तेरा ना मेरा
यह घर शिवालय सभी का
|
मेरा घर
||
कर्म का खाता खोल तू बन्दे
ना कर उलटे सीधे धन्धे
|
कर्मों का खाता
||
तेरा मेरा रिश्ता पुराना है
प्यार संग दर्द तो पाना है
|
दर्द और मैं
||
सावन का महीना पवन करे शोर
घूमने चला मनु अब मंदिर की ओर
|
शिकारी देवी मंदिर
||
भरती हूँ चर्चा में आखिरी रंग
सभी प्यारे दोस्तों के संग
|
तेरी इन्हीं बातों ने
||
बड़ों को नमस्कार
छोटों को प्यार
|
.. शुभविदा ..
=========
आगे देखिए.."मयंक का कोना"
(1)
“सरस्वती वन्दना”
आपका ब्लॉग
(2)
"लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए"
"कुण्डलियाँ-चीयर्स बालाएँ"
सृजन मंच ऑनलाइन
(4)
"अब आ जाओ कृष्ण-कन्हैया"
रक्षक जब उत्पात मचाये! विपदाओं से कौन बचाये?
आस लगाये यशोदा मइया! अब आ जाओ कृष्ण-कन्हैया!!
उच्चारण
(5)
सम्मान : क्या भूलूं क्या याद करुं ?
इस पोस्ट को लेकर मैं काफी उलझन में था। मैं समझ ही नहीं पा रहा हूं कि अपनी 200 वीं पोस्ट किस विषय पर लिखूं। वैसे तो आजकल सियासी गतिविधियां काफी तेज हैं, एक बार मन में आया कि क्यों न राजनीति पर ही बात करूं और देश की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस से पूछूं कि 2014 में आपका प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन है ? फिर मुझे लगा कि इन बेचारों के पास आखिर इसका क्या जवाब होगा ? क्यों मैं इन पर समय बर्बाद करूं...
आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
(1)
“सरस्वती वन्दना”
मित्रों!
आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।
बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।
|
(2)
"लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए"
मित्रों!आज अपने काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत पोस्ट कर रहा हूँ!"लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए"
मन-सुमन हों खिले, उर से उर हों मिले, लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए। ज्ञान-गंगा बहे, शन्ति और सुख रहे- मुस्कराता हुआ वो वतन चाहिए।१।...सुख का सूरज
(3)एक गीत पोस्ट कर रहा हूँ!"लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए"
मन-सुमन हों खिले, उर से उर हों मिले, लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए। ज्ञान-गंगा बहे, शन्ति और सुख रहे- मुस्कराता हुआ वो वतन चाहिए।१।...सुख का सूरज
"कुण्डलियाँ-चीयर्स बालाएँ"
(१)सुन्दरियाँ इठला रहीं, रन वर्षा के साथ।अंग प्रदर्शन कर रहीं, हिला-हिला कर हाथ।।.. |
(२)
आई कैसी सभ्यता, फैला कैसा रोग।
रँगे विदेशी रंग में, भारत के अब लोग।।..
|
(4)
"अब आ जाओ कृष्ण-कन्हैया"
रक्षक जब उत्पात मचाये! विपदाओं से कौन बचाये?
आस लगाये यशोदा मइया! अब आ जाओ कृष्ण-कन्हैया!!
उच्चारण
(5)
सम्मान : क्या भूलूं क्या याद करुं ?
इस पोस्ट को लेकर मैं काफी उलझन में था। मैं समझ ही नहीं पा रहा हूं कि अपनी 200 वीं पोस्ट किस विषय पर लिखूं। वैसे तो आजकल सियासी गतिविधियां काफी तेज हैं, एक बार मन में आया कि क्यों न राजनीति पर ही बात करूं और देश की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस से पूछूं कि 2014 में आपका प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन है ? फिर मुझे लगा कि इन बेचारों के पास आखिर इसका क्या जवाब होगा ? क्यों मैं इन पर समय बर्बाद करूं...
आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
(6)
कुल मकार मक्कार, नहीं मन मोदी रमता-
कुल मकार मक्कार, नहीं मन मोदी रमता-
किस को करना है हिट किसको जाना है पिट मिलकर बतायें !सुशील
उल्लूक टाईम्सले दे के है इक शगल, टिप्पण का व्यापार |इक के बदले दो मिले, रविकर के दरबार |रविकर के दरबार, एक रूपये में मनभर |काटे पांच रसीद, खाय बारह में बब्बर |यहाँ बटें नि:शुल्क, नहीं ब्लॉगर को खेदे | दे दे दे दे राम, नहीं तो ले ले ले दे ||
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकरउल्लूक टाईम्सले दे के है इक शगल, टिप्पण का व्यापार |इक के बदले दो मिले, रविकर के दरबार |रविकर के दरबार, एक रूपये में मनभर |काटे पांच रसीद, खाय बारह में बब्बर |यहाँ बटें नि:शुल्क, नहीं ब्लॉगर को खेदे | दे दे दे दे राम, नहीं तो ले ले ले दे ||
बहुत सुंदर लिंक्स,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: तेरी याद आ गई ...
सरिता दीदी
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
आभार
अच्छी रचनाओं के लिंक्स हैं आज
शुक्रिया यहाँ मेरे ब्लाग का लिंक भी है
सादर
बहुत सुन्दर चर्चा की है आपने सरिता भाटिया जी!
जवाब देंहटाएंहमने भी मयंक का कोना में कुछ रंग भरे हैं।
आभार आपका!
उम्दा चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार मयंक का कोना-
अच्छे लिंक्स, बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंमुझे भी स्थान देने के लिए आभार..
गुरु जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंउत्साह बढ़ाते रहें
शुक्रिया सभी का
1100 वें सदस्य का चर्चामंच में स्वागत है !
जवाब देंहटाएंचर्चामंच इसी तरह लोकप्रिय होकर नये नये कीर्तिमान बनाये !
उल्लूक का आभार !
बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा...............
जवाब देंहटाएंआदरणीया सरिता जी सुन्दर चर्चा हेतु हार्दिक आभार आपका.
जवाब देंहटाएंबढ़िया कुंडली लाये हैं थोड़ा सा बस थोड़ा सा भाषा पर ध्यान रख लें। नंगी बंदरियां शब्द अखरता है। साहित्यिक शब्दावली ही लायें कुंडलियों में।
जवाब देंहटाएं(१)सुन्दरियाँ इठला रहीं, रन वर्षा के साथ।अंग प्रदर्शन कर रहीं, हिला-हिला कर हाथ।।..
जवाब देंहटाएंअध्यात्म और भक्ति में भीगी दिखी सोमवारीय चर्चा। ॐ शान्ति। किया कमाल है सेतुओं के चयन में आपने।
आभारी हूँ सरिता जी!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएंमेरी कहानी 'मॉर्निंग वॉक' को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएं