मित्रों!
शशि पुरवार जी अभी कुछ समय चर्चा नहीं लगा पायेंगी। तब तक बुधवार की चर्चा लगाने की जिम्मेदारी मुझ पर ही है। आशा है आपको मेरे द्वारा बुधवासरीय चर्चा में सम्मिलित लिंक पसन्द आयेंगे। (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) |
बुला आदमी चार, यार का उठे जनाजा-
मेरा मन कायल हुआ, सिमटा सावन सार |
बेल पात अर्पित करे, साजन सुने पुकार |
साजन सुने पुकार, बहाना किन्तु बनाए |
पाया पैसे चार , तनिक कुछ और कमाए |
बिजली चमके घोर, गरजता बादल घेरा |
मन होवे भयभीत, साथ दे साजन मेरा…
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गोबर है घुडसाल में, गौशाला में लीद- |
"दो कुण्डलियाँ "
भारत में आतंक की, आई कैसी बाढ़।
भाई अपने भाई से, ठान रहा है राड़।
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कम्प्यूटर अब बन गया, जन-जीवन का अंग।
कलियुग ने बदले सभी, दिनचर्या के ढंग।।
सृजन मंच ऑनलाइन |
कोई बोधतत्व था मन को पकड़े हुए !
सच झूठ के पर्दों के नीचे से अपना हाथ हिलाता है जाने कितने चेहरे मुस्करा देते हैं उस क्षण त्याग तपस्या पर बैठा था पलको को मूँदे कोई बोधतत्व था मन को पकड़े हुए सोचो कैसे ठहरा होगा यह शरारती मन ....
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रजत जयंती स्वर्ण बनाओ
( यह कविता मैं ने अपनी छोटी बहन के २५ वीं शादी की सालगिरह पर लिखी है.) "रजत जयंती स्वर्ण बनाओ" एक दूजे से प्यार बहुत दुनिया में दीवार बहुत किसने किसको दी तरजीह वैसे तो अधिकार बहुत लगता कम खुशियों के पल हैं पर उसमे श्रृंगार बहुत देखोगे नीचे संग में तो जीने का आधार बहुत एक दूजे के रंग में रंगकर खुशियों का संसार बहुत कुसुम कामना अनुपम जोडी सदियों तक हों प्यार बहुत रजत जयंती स्वर्ण बनाओ जीवन की रफ़्तार बहुत….!
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चंद्रशेखर आज़ाद को जलते हुए सुमन..
बारूद हो नसों में, आँखों में बेकली हो...
दिल की कलम से... | तुम्हारा चेहराआईना चेहरा तुम्हारा था भोली सूरत ......न पहचाना अनजान था वोह वह अक्स था Ocean of Bliss |
ऐप्स जो बनाएं आपको हाईटेकहिंदी पीसी दुनिया | उसके बाद .....?नयी दुनिया |
अहसास...अभिव्यंजना | पल - पल बदलता वक़्तलम्हा जिंदगी कुछ यूँ सिमट गई , जो मज़ा था इंतजार में अब सज़ा बन गई |अहसासों का रंगमंच |
काँटों से भी निबाह किये जा रहा हूँ मैं.....जिगर मुरादाबादीदिल में किसी के राह किये जा रहा हूँ मैंकितना हसीं गुनाह किये जा रहा हूँ मैं… मेरी धरोहर |
कवि हर हाल में अपना फ़र्ज़ निभाते हैंपैसों के लिए भ्रष्टाचारी भले ही , अपना ईमान गिराते हैं ,लेकिन कवि हर हाल में दोस्तों, सदा अपना फ़र्ज़ निभाते हैं। अंतर्मंथन |
बागे वफ़ाआज न जाने क्यूं ? बागेवफ़ा वीरान नज़र आता बेवफ़ा कई दीखते पर बावफ़ा का पता न होता…. Akanksha |
सावन झूम केमेरे मन के सावन को मैं अक्सर रोक लेती हूँ अपने ही भीतर. बंद कर देती हूँ आँखों के पट आंसुओं को समेट के . मार देती हूँ कुण्डी मुंह पे ,सिसकियों को उनमें भर के …. ज़िन्दगीनामा |
पॉलिथीन विरोधी अभियान....वीणा के सुर |
मेरे लफ्ज़ तल्ख़ हैं अज़ाब सेऐसे क्यों होता हैं अक्सर मैं कहना कुछ चाहती हूँ और कह कुछ जाती हूँ तुम बोलना कुछ चाहते हो और चुप रह जाते हो अक्सर ना जाने क्यों….?Rhythm | (1) काफिरों की टोली लेकर चल दिए ह्म(2) शहर सोया रहता हैधुंधली यादें |
आज नहीं घर में दानासुन रे पंछी - तू कल आना आज नहीं घर में दाना । खाली चावल की थाली है गेहूँ का पीपा खाली है । मैंने भी नहीं खाया खाना आज नहीं घर में दाना…हालात आजकल | मुक्तक : 280 -जैसे प्यासे को......डॉ. हीरालाल प्रजापति |
अन्तर्विरोधमोटर साइकिल पर लड़के से चिपकी हुई लड़की, मुँह पर क्यों लिपेटती है कपडा़…?अंतर्मन की लहरें | कहानी आत्मा के उत्थान और अवपतन कीसमाप्त प्राय :कलियुग और आसन्न सतयुग का . आत्माओं का महाकाव्य हैकबीरा खडा़ बाज़ार में |
"प्यार का राग-ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए"
काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत
जाने कितने जनम और मरण चाहिए।
प्रीत की पोथियाँ बाँचने के लिए-
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए।।
सुख का सूरज |
हौले से रखना कदम ओ सावन... प्रतिभा की दुनिया ... |
1 घंटे की मुलाकात और डॉक्टर से कैप्टन बन गईं लक्ष्मी सहगल मुझे कुछ कहना है .... |
अब मैं हूँ मुम्बईया चैतन्य का कोना |
कार्टून :- हिजड़ों की कारगुजारियांकाजल कुमार के कार्टून |
कार्टून कुछ बोलता है- बधाई हो गुलामों, एक और युवराज.............. !अंधड़ ! |
शिक्षा कहने को तो दे दिया, शिक्षा का अधिकार। लेकिन दूषित हो रहा, बच्चों का आहार। |
"सावन की है छटा निराली"
सावन की है छटा निराली
धरती पर पसरी हरियाली
तन-मन सबका मोह रही है
नभ पर घटा घिरी है काली..
उच्चारण |
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसच में
आपकी पसंदीदा लिंक्स हमेशा लाजवाब होते हैं
आभार..........
मेरी धरोहर भी रखी है यहैँ पर
सादर
भीर हुई सूरज निकला
जवाब देंहटाएंलिंक्स का अम्बार
चर्चा मंच पर खूब दिखा
कार्टून बढ़िया लगे
मन चाहे लिंक्स पढ़े |
मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए आभार |
आशा
कृपया भीर के स्थान पर भोर पढ़ें |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक
जवाब देंहटाएंअपने ब्लॉग की लिंक को दें rainbow color effect इस छोटे से कोड से
होगी भैया १४ में मिटटी खूब पलीद .
जवाब देंहटाएंगोबर है घुडसाल में, गौशाला में लीद-
रविकर की कुण्डलियाँ
झर गये पात हों जिनके मधुमास में,
जवाब देंहटाएंलुटगये हो वसन जिनके विश्वास में,
स्वप्न आशा भरे देखने के लिए-
नयन में नींद का आवरण चाहिए।
प्रीत की पोथियाँ बाँचने के लिए-
ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए।।
सुन्दर भाव सुन्दर अर्थ लय ताल लिए ओजमय रचना गेयता से परिपूर्ण .ओम शान्ति .शुक्रिया आपका चर्चा मंच में शरीक करने के लिए .ओम शान्ति .
काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत
"ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए"
कबीर की उलटबासियों सा मजा ला रहें हैं इन दिनों रविकर .
जवाब देंहटाएंलगता है कांग्रेस के अब गिने चुने दिन हैं .
"लिंक-लिक्खाड़"
कह मयंक कविराय, यही नवयुग का ट्यूटर।
जवाब देंहटाएंबाल-वृद्ध औ’ तरुण, सीख लो अब कम्प्यूटर।।
http://veerubhai1947.blogspot.com/
कम्प्यूटर अब बन गया, जन-जीवन का अंग।
कलियुग ने बदले सभी, दिनचर्या के ढंग।।
दिनचर्या के ढंग, हो गयी दुनिया छोटी।
देता है यह यन्त्र, आजकल रोजी-रोटी।।
कह मयंक कविराय, यही नवयुग का ट्यूटर।
बाल-वृद्ध औ’ तरुण, सीख लो अब कम्प्यूटर।।
बहुत खूब !बहूत खूब !बहुत खूब !छा गए दोस्त !
छोड़ो पैदल चलना ,ले लो सब स्कूटर
सृजन मंच ऑनलाइन
बहुत खूब !बहूत खूब !बहुत खूब !छा गए दोस्त !
जवाब देंहटाएंकाजल कुमार के कार्टून
काजल कुमार के कार्टून
जाकू राखे साइयां मार सकें न मिड डे मील
कुछ पट्ठे इकट्ठे कर सारे सड़े
जवाब देंहटाएंअंडे टमाटर, बिहार के स्कूलों में बेच आते हैं ।
ये है हास्य व्यंग्य और उसकी टंगड़ी बोले तो मार .
कवि हर हाल में अपना फ़र्ज़ निभाते हैं
पैसों के लिए भ्रष्टाचारी भले ही , अपना ईमान गिराते हैं ,
लेकिन कवि हर हाल में दोस्तों, सदा अपना फ़र्ज़ निभाते हैं।
अंतर्मंथन
बढ़िया चर्चा कर रहे, गुरुवर मौका पाय |
जवाब देंहटाएंतरह तरह के रंग भर, चर्चा मंच सजाय |
चर्चा मंच सजाय, आज की छटा निराली |
खिल उठता हर फूल, देखकर सच्चा माली |
रविकर रहा वसूल, मिठाई का अब खर्चा |
पाठक करो क़ुबूल, निमंत्रण, बढ़िया चर्चा ||
रोचक सूत्रों से सजी सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में बहुत ही सुन्दर लिंक्स दीये आप ने शास्त्री जी ,आभार
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए भी आप का बहुत बहुत आभार |
बहुत सुंदर लिंक
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा ,आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंढेर सारे सुन्दर सूत्रों से सजी सुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंकस,बढिया चर्चा..मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए भी आप का बहुत बहुत आभार शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर एक साथ कितने ही बढ़िया लिंक उपलब्ध कराने हेतु आप सभी संचालक महोदय/महोदया साधुवाद के पात्र हैं...आप सभी को ह्रदय से नमन!!
जवाब देंहटाएंहमारी पोस्ट को भी आज के सफर में साथ ले लिया; इसके लिए हार्दिक आभार!!
बहुत शुक्रिया रूपचन्द्र शास्त्री जी बेहतरीन लिंक्स के साथ मेरी कहानी जोड़ने के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा चर्चा ...चैतन्य को शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंलाजवाब चर्चा है ...
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी आपका बहुत बहुत आभार हमारी लिखी नज़्म को यहाँ शामिल करने के लिय ..बहुत सुन्दर लिनक्स संजोये हैं आपने .शुक्रिया
जवाब देंहटाएंलाजवाब चर्चा
जवाब देंहटाएंरोचक और पठनीय लिंक!! आभार
जवाब देंहटाएंअरुण जी आज की चर्चा में चर्चा मंच पर आपका स्वागत है ,
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स के लिए बधाई स्वीकारें
शानदार लिंक्स, अति सुंदर...........
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