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मंगलवार, जुलाई 12, 2016

कुछ कह लेता कुछ सुन लेता; चर्चा मंच 2401


कुछ कह लेता कुछ सुन लेता, गम के कुछ गाने गा लेता 

रविकर 
यादों का साथ अकेला पा, गम-सरगम सरस बना लेता ।
कुछ कह लेता कुछ सुन लेता, गम के कुछ गाने गा लेता -
खुशियाँ कुछ चुन-चुन रख लेता, कुछ हँस लेता शरमा लेता 
तू रहे स्वस्थ खुशहाल सदा, मैं भी कुछ प्रतिफल पा लेता ।।

शिक्षा पर विमर्श क्यों नहीं? 

pramod joshi 

क्या मिला है देश को इस संविधान से -  

दिगंबर नासवा 

इसलिए की गिर न पड़ें आसमान से 
घर में छुप गए हैं परिंदे उड़ान से 
क्या हुआ जो भूख सताती है रात भर 
लोकतंत्र तो है खड़ा इत्मिनान से... 
कविता मंच पर संजय भास्कर  

भय -  

राकेश रोहित 

मेरी उन कविताओं में जिन्हें दीमक खा गयी 
मैंने तुम्हारे लिए प्यार लिखा था... 

10 / 07 / 16 

बात में ही कोई बात होगी  
यूँ न साँसे अटक पाएंगी
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव 

समीक्षा 

"मुखर होता मौन-ग़ज़ल संग्रह"  

(समीक्षक-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

फिर चले आना [ गजल ] 

सरिता भाटिया 

My Poetry 

Dr Varsha Singh 

जब संकट में होते हैं .... 

udaya veer singh 

खुद को ही पाउँ 

musafir 

दर्द की परिभाषा 

Dr.J.P.Tiwari 

हम्पी के रनिवास का 

कमल महल एवं सुरक्षा प्रबंध : 

दक्षिण यात्र 16 

ब्लॉ.ललित शर्मा 

मौसम से अनुबंध 

shashi purwar 

डी.एन.ए. टेस्ट...  

आभा नौलखा 

yashoda Agrawal 

कार्टून :-   

आओ सफाई करें (भाग -1) 

Kajal Kumar 

व्यञ्जनावली  

"चवर्ग”  

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

 

अकविता 

"आजादी का तोहफा" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

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