"चर्चा मंच" अंक - 136 |
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक” |
आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं- |
साहित्य के ध्रुव - एक गांव में सरपंच जी ने बैठक बुलवाकर घोषणा की कि अब अगले माह तक हमारे गांव में बिजली आ जायेगी. पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. उत्सव का सा माहौल हो ग... |
ताऊ प्रकाशन का सद साहित्य पढिये : सफ़ल ब्लागर बनिये! - आदरणीय ब्लागर गणों, आप सभी को रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" की आदाब अर्ज..नमस्कार. आज कल ताऊ ब्लागजगत में कम दिखाई दे रहे हैं क्योंकि *ताऊ प्रकाशन सद साहित्य* क... |
वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे : श्री राजेंद्र स्वर्णकार - प्रिय ब्लागर मित्रगणों, हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई है... |
आख़िर, जंगल का भी अपना, क़ानून तो होता ही है....!! - सीधी सच्ची बातें, जंगल जैसे लोग झेल नहीं पाते, घबराते हैं कहीं चीड़ों के झुरमुट में चाँदनी न बिखर जाए, और वो साँप सी रेंगती झूठी ईमानदारी की पटरियाँ, ... |
उफ उफ गरमी, हाय हाय गरमी - आया मौसम गरमी का, आया मौसम नरमी का। गये कपड़े गरमी वाले, आये कपड़े गरमी वाले॥ गरमी आते खुल जाते पंखे, ए.सी, कूलर और हाथ के पंखे। जब आंख मिचौली करती बिज... |
शब्दों में सपने... - [एक बाल-कविता] मैं प्रकाश में चला अकेला, यह जग भी सपनों का मेला, दृश्य अपरिमित, स्वप्न अनोखे, किसको देखें, आँख चुरा लें ! शब्दों में सपने लिख डालें !! बुढ़... |
ओम साईं नमः - *कल साईं बाबा की तस्वीर देखते देखते मेरे मन में कुछ भाव आते चले गये । उन्हीं भावों को मैंने शब्दों का रूप दिया है। आइये साईं बाबा की शरण में हम सभी कुछ प... |
काला धुंआ और कल-कल बहती नहर........ - सुबह का नजारा था. नहर में बहते पानी ने मन मोह लिया. वैसे भी मनुष्य एक सामाजिक "जीव" ही है. और जीव जन्तुओं का प्राकृतिक निवास तो जंगल ही है इसीलिये नदी,... |
असली हिन्दुस्तान तो यहीं इस ब्लागजगत में बस रहा है....... - कितना अद्भुत है ये हिन्दी ब्लागजगत! जैसे ईश्वर नें सृ्ष्टि रचना के समय भान्ती भान्ती के जीवों को उत्पन किया, सब के सब सूरत, स्वभाव और व्यवहार में एक दूसरे ... |
हमारी प्रार्थना का वास्तविक स्वरूप क्या हो ?? - जब भी हमें किसी ऐसे वस्तु की आवश्यकता होती है , जिसे हम खुद नहीं प्राप्त कर सकते , तो इसके लिए समर्थ व्यक्ति से निवेदन करते हैं। निवेदन किए जाते वक्त ... |
अमेरिका जा रही हूँ, पता नहीं कितने दिन बाद ब्लागिंग करने का सुख मिले - फोन की घण्टी बज उठी, मम्मी नमकीन रख लिया ना? इतने में ही बहु की आवाज भी सुनाई दे गयी, अचार रख लिया ना? इसके लिए उपहार, उसके लिए मिठाई। दाल, दलिया जो ले ज... |
आज का धृतराष्ट्र, जो खुद ही बैल को उकसा रहा है। - एक आदमी नदी के किनारे बहुत उदास सा बैठा था। उससे कुछ दूरी पर एक संत भी बैठे थे, अपने प्रभू के ध्यान में। अचानक उनका ध्यान इस दुखी आदमी की ओर गया। संत उठ कर... |
पहचानना मुश्किल तो है - पर पहचानने वाले तो पहचान ही जाते हैं। जब ताऊ पहेली में चित्र देखकर पहचानने के लिए भीड़ लग जाती है। तो यहां पर तो हिंट भी साथ में ही मौजूद है। मुझे पूरी उम... |
पता ही नही चलता कि भिखारी कौन और दाता कौन है--- - कहते हैं --एक मच्छर आदमी को क्या से क्या बना देता है । इसी तरह एक छोटी सी पिन कंप्यूटर का बेडा गर्क कर देती है । ये तो हमने अभी जाना । अब हुआ यूँ कि हम ज़न... |
महंगाई का ग्राफ भी अब नीचे आ गया ! - महलों में झूठ के वर्क से कुछ और सजावट आ गई , लवों पर कुछ और कुटिल शब्दों की बनावट आ गई ! सरकार की महंगाई का ग्राफ भी अब नीचे आ गया, क्योंकि मानवीय मूल्यों म... |
सावन में आग लग गई................ - जबसे जिन्दगी एक हसीन सफ़र बन गई | दिल को उसी दिन से नई तलब लग गई || जालिम जमाना कहता सावन बरस रहा | मगर हम कह रहे सावन में आग लग गई || श्केहर कुमावत |
यादों की फुलवारी में - सिल्क के टुकड़े पे वाटर कलर से पार्श्वभूमी बना ली...बाद में कढाई.. तितली बन,अल्हड़पन,चुपके से उड़ आता है,यादों की फुलवारी में,डाल,डाल पे,फूल,फूल पे,झूम,झूम म... |
शुक्र है हमारे माननीय "जैसे" भी सही पर "ऐसे" नहीं !! - ' हमारे माननीय दूसरों से बेहतर हैं! शायद आपको विश्वास न हो क्योंकि आप उन्हें संसद में जोर-जोर से चिल्लाते, झगड़ते देखते हैं। लेकिन दूसरे देशों के सांसदों ... |
पंख उड़ाती कहाँ चली- आकांक्षा यादव - तितली रानी,तितली रानी पंख उड़ाती कहाँ चली घूम रही हो गली-गली अभी यहाँ थी,वहाँ चली. काश हमारे भी पंख होते संग तुम्हारे हम उड़ लेते रंग-बिरंगे पंख तुम्हारे मन ... |
तीन धर्मों की त्रिवेणी – रिवालसर झील - हिमाचल प्रदेश के मण्डी जिले में मण्डी से लगभग 25 किलोमीटर दूर एक झील है – रिवालसर झील। यह चारों ओर पहाडों से घिरी एक छोटी सी खूबसूरत झील है। इसकी हिन्दुओं,... |
झूठ का हैन्डिल सब जगह फिट हो जाता है ...... - पाप के बहुत से हथकंडे हैं, लेकिन झूठ वह हैन्डिल है जो उन सब में फिट हो जाता है संसार के महान व्यक्ति अक्सर बड़े विद्वान् नहीं होते और न ही बड़े विद... |
इतना लम्बा सफ़र तय कर लिया और पता भी नही चला! - बात होती है प्रवृति की और ये मेरी प्रवृत्ति भी दोस्तों से लेकर मामूली जान-पहचान वाले को पता है कि मैंने अपने नाम को हमेशा सार्थक किया।अभी यंहा तो अभी वंहा ... |
अब देखिए केवल पोस्टों के शीर्षक- |
अदालत में गुजरात दंगों के गैरजरूरी तथ्य, सुनवाई को मुद्दे से भटकाने के लिए रखे जा रहे!: सुप्रीम कोर्ट नाराज़ | [नामपुराण-9] पुरोहित का रुतबा, जादूगर की माया ‘‘प्रश्न जाल’’ ‘‘चम्पू छन्द’’ |
क्या गद्दारी हमारी परंपरा का हिस्सा है ? | “उत्तर:आओ ज्ञान बढ़ाएँ: पहेली-30” |
कादम्बिनी में 34 ब्लॉगरों सहित दो ब्लॉगों का उल्लेख | मानव हृदय | Author: अनामिका की सदाये...... | Source: अभिव्यक्तियाँ |
समाज में नारी का स्थान Author: आनन्द पाण्डेय | Source: महाकवि वचन | कि जी भर के संभोग sex करो तो राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ | Source: सतगुरु कबीर साहेब |
तू मेरा , बाकी तेरा | Author: sangeeta swarup | Source: बिखरे मोती | आपको थोङा सोचने की जरूरत है rajeevkumarkulshrestha | Source: आत्मचिंतन...खुद को जानें |
देसिल बयना - 28 : जिसके लिए रोएँ उसके आँख में आंसू ही नहीं | Author: करण समस्तीपुरी | Source: मनोज -- करण समस्तीपुरी | आज का धृतराष्ट्र, जो खुद ही बैल को उकसा रहा है। | Author: Gagan Sharma, Kuchh Alag sa | Source: Alag sa |
और अन्त में देखिए ये दो पोस्ट- |
प्रेम की पाठ्यपुस्तकें नहीं होतीं - ** ** *सीरिया के सर्वाधिक प्रसिद्ध कवियों में गिने जाने वाले महान अरबी कवि निज़ार कब्बानी (1923-1998) की कुछ कविताओं के अनुवाद आप पहले भी पढ़ चुके हैं ।……. | मेरा मन मुस्काया : रावेंद्रकुमार रवि का नया शिशुगीत - मेरा मन मुस्काया ------------ *खिल-खिल करके, खिल-खिल करके,* *मेरा मन मुस्काया! * *मेरी चिड़िया ने जब मुझको,* *मीठा गीत सुनाया -* *खिल-खिल करके, खिल-खिल करके,*... |
अच्छी वैचारिक विश्लेष्णात्मक और जानकारी आधारित रचना के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद /ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /
जवाब देंहटाएंbahut badhiya charcha...
जवाब देंहटाएंhriday se aabhar hain aapke...
बहुत उम्दा चर्चा..लगभग सभी लिंक्स पर जाना शेष है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही विस्तृत चर्चा. आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बढ़िया चिट्ठा चर्चा..शास्त्री जी सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा .. आभार !!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा॥
जवाब देंहटाएंबहुत ही विस्तृत चर्चा.
जवाब देंहटाएंविस्तृत और उम्दा चर्चा....हमेशा ही अच्छे लिंक्स मिलते हैं...आभार
जवाब देंहटाएंस्वस्थ, स्वच्छ और सुन्दर चर्चा ! हमारे लघु प्रयास "देसिल बयना" को भी स्थान देने के लिए धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंइस सार्थक चर्चा के लिए हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएं--------
गुफा में रहते हैं आज भी इंसान।
ए0एम0यू0 तक पहुंची ब्लॉगिंग की धमक।
बढिया चर्चा शास्त्री जी! हमार्ती रूचि की कईं अच्छी पोस्टस के लिंक मिले.....
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा...कई लिंक्स पर जाया जा सकता है.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई , मेरे चिट्ठे को सम्मानित करने के लिए बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा .. आभार !!
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