"चर्चा मंच" अंक - 134 |
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक” |
अब काम का बोझ काफी हल्का हो गया है! बृहस्पतिवार की चर्चा नियमितरूप से “अदा जी” कर रही हैं, शनिवार की हँसती-मुस्काती चर्चा रावेंद्रकुमार रवि लगा ही रहे हैं, रविवार की चर्चा का काम मनोज कुमार जी ने सम्भाल लिया है और सोमकार की चर्चा करने के लिए वन्दना गुप्ता जी ने सार्थक पहल कर दी है! चर्चा मंच की ऐसी जुझारू और सक्रिय टीम पाकर मैं अपने को धन्य मानता हूँ और अपने इन नये सहयोगियों का कोटिशः धन्यवाद करता हूँ आज "चर्चा मंच" पर सबसे पहली चर्चा है- संस्कृत के मर्मज्ञ विद्वान कृपया प्रकाश डालें! |
दिनेश दधिचि जी ने वास्तव में बहुत ही वैज्ञानिक प्रश्न संस्कृत के आचार्यों से पूछा है? उत्तर तो आपको बहुत से विद्वान दे ही देंगे किन्तु मेरा मानना है कि इसी उलझन को हल करने के लिए देवनागरी हिन्दी का उद्भव हुआ है जो देववाणी संस्कृत की पुत्री है! दिनेश दधीचि - बर्फ़ के ख़िलाफ़ संस्कृत के मर्मज्ञ विद्वान कृपया प्रकाश डालें - हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में -- और मुझे लगता है -- अन्य भाषाओं में भी प्रायः संज्ञा व सर्वनाम के दो रूपों -- एकवचन और बहुवचन -- का प्रयोग होता है . प... |
यदि आपको देशाटन में रुचि है और समय का अभाव है तो भाई नीरज जाट “मुसाफिर” की चित्रों से सजी हुई पोस्ट अवश्य पढ़ लिया करें- नीरज हर मौसम घूमने का मौसम है - *(ये पोस्ट मेरे हम नाम भाई नीरज जाट जी की घुमक्कड़ी को समर्पित है)* कहीं पढ़ा था "घूमने का कोई मौसम नहीं होता, जब दिल करे तब घूमिये"...याने हर मौसम घूमने ... |
निठल्ले व्यक्तियों के लिए टाइमपास करने की चोखी विधि बता रहे हैं भाई ललित शर्मा- ललितडॉटकॉम सावधान निठल्ले कवियों........! - पति भी अब सम्पत्ति की तरह उपयोग में आने लगे हैं जैसे गहना, घर, फ़र्निचर, जमीन जायदाद या अन्य उपस्कर इत्यादि। जिन्हे आर्थिक संकट के समय बेच कर या गिरवी रख क... |
घर में यदि बिटिया है तो गुड़िया तो जरूर होंगी ही! क्योंकि बिना गुड़िया के बिटिया अधूरी है - शब्द-शिखर पूजा से आरंभ हुई थी गुड़िया (Doll) की दुनिया - गुड़िया भला किसे नहीं भाती. गुडिया को लेकर न जाने कितने गीत लिखे गए हैं. गुडिया के बिना बचपन अधूरा ही कहा जायेगा. खिलौने के रूप में प्रयुक्त गुड़िया लोगों क... |
इण्टरनेट प्रेमियों के लिए एक निराशाजनक खबर लेकर आये हैं श्री बी.एस.पाबला जी- ज़िंदगी के मेले सावधान! अगले एक सप्ताह तक इंटरनेट सेवायें गड़बड़ा सकती हैं - लीजिए ज़नाब! एक मायूस कर देने वाली खबर आई है कि *इस सप्ताह, इटली के करीब समुद्र के अंदर केबल नेटवर्क में खामी की वजह से, भारत में ब्राडबैंड कनेक्शन सेवा प्... |
ब्लॉगरों के हरदिलअजीज समीर लाल जी ने दिखावे की दुनिया पर कुछ इस तरह से लिखा है- उड़न तश्तरी .... दिखावे की दुनिया.. - अर्थी उठी तो काँधे कम थे, मिले न साथ निभाने लोग बनी मज़ार, भीड़ को देखा, आ गये फूल चढ़ाने लोग... दुनिया दिखावे की हो चली है. कोई भी कार्य जिसमें नाम न मि... |
हास्य और व्यंग्य से सजी हुई रचना लेकर आये हैं दीपक मशाल जी- मसि-कागद एक मंचीय व्यंग्य कविता------------------------------------>>>दीपक 'मशाल' - आज से करीब १२ वर्ष पूर्व एक व्यंग्य कविता लिखी थी लेकिन शायद वो आज भी समसामयिक है, प्रासंगिक है और सालों तक रहेगी. लगा कि आपको भी पसंद आएगी... आती है या नह... |
ताऊजी डॉट कॉम पर आज हास्य व्यंग्य के रंग बिखेरे हैं श्री तेज प्रताप सिंह जी ने- वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे : श्री तेज प्रताप सिंह - प्रिय ब्लागर मित्रगणों, हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई है... |
अदा जी ने काव्यमंजूषा पर नफरतों को घटाने वाली रचना प्रस्तुत की है- काव्य मंजूषा एक नई शुरुआत हो...... - बस !! आज का ही दिन है प्यार का वो एक दिन कल की क्या ख़बर, क्या जाने क्या बात हो कुछ आसान हो ये सफ़र न रास्ते में रात हो हो ख़त्म नफ़रत का ज़हर न धोखा ... |
शिवम् मिश्रा जी अन्तरिक्ष की बातें लेकर आये है- बुरा भला में- एलियंस हैं, लेकिन संपर्क की कोशिश न करें !! - क्या इंसानों के अलावा भी अंतरिक्ष में जीवन है? जी हां है। यह मानना है दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिक और विचारक स्टीफन हाकिंग का। लेकिन साथ ही वह यह भी कहते ... |
नवगीत की पाठशालामें आतंकवाद पर नवगीतों की कार्यशाला-8 आगामी 29 अप्रैल से शुरू हो रही है- कार्यशाला : ०८ : कुछ महत्त्वपूर्ण बातें - कुछ महत्त्वपूर्ण बातें कार्यशाला : ०८ के लिए प्राप्त नवगीतों का प्रकाशन २९ अप्रैल से प्रारंभ किया जाएगा। इस बार विषय की घोषणा के बाद नवगीतों के प्रकाशन पहले... |
परिकल्पना ब्लॉगोत्सव इस समय अपने पूरे शबाब पर है- हम लेकर आये हैं आज निर्मला जी की कुछ और गज़लें ग़ज़ल अरबी साहित्य की प्रसिद्ध काव्य विधा है जो बाद में फ़ारसी, उर्दू, और हिंदी साहित्य में भी बेहद लोकप्रिय हुइ। संगीत के क्षेत्र में इस विधा को गाने के लिए इरानी और भारतीय संगीत के मिश्रण से अलग शैली निर्मित हुई। हिंदी के अनेक रचनाकारों ने इस विधा को परिकल्पना रवीन्द्र प्रभात |
भविष्य का सिनेमा मुंबई का नहीं chavanni chap (चवन्नी चैप) जयपुर. हिंदी सिनेमा केवल मुंबई की बपौती नहीं है और मैं मानता हूं कि हर प्रदेश का अपना सिनेमा होना चाहिए। यह सिनेमा के विकास के लिए जरूरी है। यह बात जाने माने फिल्म पत्रकार अजय बrात्मज ने ‘समय, समाज और सिनेमा’ विषय पर हुए संवाद में कही। जेकेके के कृष्णायान सभागार में शनिवार को जवाहर कला केन्द्र और भारतेन्दु हरीश चन्द्र संस्था की ओर से आयोजित चर्चा में उन्होने सिनेमा के जाने अनजाने पहलुओं को छूने की कोशिश की। उन्होने कहा कि मुझे उस समय बहुत खुशी होती है जब मैं सुनता हूं कि जयपुर ,भोपाल या लखन ... |
ओ मेरे प्यारे एक प्रयास सुनो तुम्हें ढूंढ रही हूँ जन्मों से रूह आवारा भटकती फिरती है इक तेरी खोज में और तू जो मेरे वजूद का हिस्सा नहीं वजूद ही बन गया है ना जाने फिर भी क्यूँ मिलकर भी नहीं मिलता सिर्फ अहसासों में मौजूद होने से क्या होगा अदृश्यता में दृश्यता को बोध होने से क्या होगा नैनों के दरवाज़े से दिल के आँगन में अपना बिम्ब तो दिखलाओ इक झलक पाने को तरसती इस रूह की प्यास तो बुझा जाओ ओ मेरे प्यारे राधा सा विरह तो दे दिया मुझे भी अपनी राधा तो बना जाओ… |
हर दिन होली... Author: चण्डीदत्त शुक्ल | Source: चौराहा हे ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ....सररररारा सररररारा जोगीरा सररररारा सररररारा...खूब मचाओ धमाल...ना अंग की सुध रहे...ना कपड़ों की...चाहे जींस पहन रखी हो...चाहे बुशर्ट...टी-शर्ट हो या बरमूडा ही सही...आज तो बस गा लो जोगीरा...अरे भाई...होली है...होली है....बुरा ना मानो आज होली है...ठंडे पानी से भरी बालटी लाए हो! साथ में अबीर है क्या? एक चुटकी अबीर...। फाग क्यों नहीं गा रहे भाई? नहीं आता...तो `रंग बरसे भीगे चुनर वाली’ की तान ही छेड़ दो। कोई ना छूटे घर में, ना ही बचे कोई गलियन में...राह किनारे, बगियन में...जहां मिल ... |
कुत्ते की मौत प्रतिभा कहाँ छुपी हो सकती है... किसे पता ? श्री सत्येन्द्र झा साहित्य-जगत में बिल्कुल अनसुना नाम है ! महोदय जल में कमल की भांति साहित्य की एकांत साधना में लीन हैं। झा जी सम्प्रति आकाशवाणी के दरभंगा केंद्र में लेखापाल के पद पर कार्यरत हैं। आप ने अपनी रचनाओं……मनोज करण समस्तीपुरी |
और अन्त में देखिए यह मजेदार कार्टून- Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून कार्टून:- बुलेट ट्रेन के साइड-इफ़ेक्ट. - |
bahut acche links mile hain...
जवाब देंहटाएंbahut saarthak charcha...
aabhaar..
बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा, शास्त्री जी..उम्दा लिंक मिल गये.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया और उम्दा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा।
हर नीरज नाम वाली पोस्ट ‘जाट’ की नहीं होती। जाट से भी बहुत ऊपर गोस्वामी भी है। कृपया वहां से मुसाफिर जाट हटाकर गोस्वामी जी कर दिया जाये। धन्यवाद।
बेहतरीन चर्चा ....बहुत से नए लिंक मिले...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद और आभार एक बार फिर से मेरे ब्लॉग तो सम्मान देने का !
जवाब देंहटाएंबाकी चर्चा तो हमेशा की ही तरह लाजवाब है !
शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा..........बहुत से नए लिंक मिले...आभार.
उम्दा लिंक्स संजोये एक बेहतरीन चर्चा!!!
जवाब देंहटाएंआभार्!
bahut sahi selections......
जवाब देंहटाएंचर्चा तो हमेशा की तरह महत्वपूर्ण है!
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चर्चा मंच की टीम के
हम सब साथियों का मनोबल बढ़ाने के लिए
मयंक जी का आभार!