"चर्चा मंच" अंक - 106 |
मूर्ख-दिवस के महामूर्ख |
आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं- |
मूर्ख दिवस पर देखिए सबसे छोटी चर्चा- आज शाम को ताऊ रामपुरिया, महफूज और उड़न तश्तरी खटीमा में भी देखे गये थे! अरे भइया! मैंने तो उन्हें शाम का लंच भी करवाया था! होटल का नाम था- "ब्लॉगिंग रेस्टोरेण्ट" इसके बाद उन्हें खटीमा एयरपोर्ट तक छोड़ने भी गया था! |
और सब कुछ ठीक है ? आज एक अप्रैल है ---अप्रैल फूल यानि बेवकूफ़ बनाने का दिन ...लेकिन हम तो सालों से हर दिन किसी ना किसी मुद्दे पर बुद्धू बनते रहे हैं ;जब हालात कुछ और होते हैं और हकीक़त कुछ और ,,,,,और फिर भी कहा यही जाता है कि सब कुछ ठीक है .........क्या वाक़ई ....और सब कुछ ' हया ' लता 'हया' | महफूज जी और उड़न तश्तरी अचानक जबलपुर शहर में... लखनऊ के ब्लॉगर भाई महफूज अली जब से जबलपुर प्रवास के निकलें फिर अचानक ब्लागर बिरादरी से गायब हो गए . सभी ब्लॉगर भाई हलाकान और परेशान रहें की आखिर महफूज भाई कहाँ गायब हो गए . खुशदीप जी ने आशंका व्यक्त की कहीं महफूज भाई किसी कन्या के जुगाड़ में है और उनकी समयचक्र महेन्द्र मिश्र |
हँसी ठिठोली...बड़ा मज़ा आया... आज पहली अप्रैल है यानी कि ''मूर्ख दिवस''| यूँ तो सभी लोग आज के दिन अपने अपने तरीके से अपने मित्रों परिचितों को मूर्ख बनाने में लगे रहते हैं और ये मज़ाक का सिलसिला सारा दिन चलता है| हर फ़ोन, हर खाना या कोई कुछ भी कहता तो एक बार मन में ज़रूर होता कि कहीं साझा-संसार जेन्नी शबनम | अप्रैल फूल :आज से हर बच्चे को होगा शिक्षा का अधिकारआज से हर बच्चे को होगा शिक्षा का अधिकार ,यानी कोई भी बच्चा या उसके माता पिता शासन से अपने बच्चो की पढाई लिखाई की व्यवस्था करने को कह सकता है . और शासन की यह जिम्मेदारी होगी कि उन बच्चो के लिए स्कूल की व्यवस्था कराये .शिक्षा बच्चों का मौलिक अधिकार होगाबकवास रिपोर्ट... vinod kumar mishra |
मूर्ख बनने से बचने के १०१ तरीके एक मूर्ख को भी, मूर्ख बने रहने के लिए सतत अपनी मूर्खता साबित करनी होती है----------------========== Continuing to remain a silly, fool has to prove his stupidityयह १०२ वाँ तरीका था अनौपचारिक अर्कजेश | 1 अप्रैल 2010 को समय 0000 आवर्स से महँगाई खत्म //व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट// 31 मार्च 2010 समय 2400 आवर्स, कमाल ही हो गया। सरकार ने महँगाई बढ़ाने वाले तमाम बदमाशों को बुलाकर सीधे-सीधे कह दिया कि देखो अगर तुमने फौरन से पेश्तर हमारा हुक्म मानते हुए महँगाई खत्म नहीं की तो हर एक को चुन-चुनकर जेल में डाल दिया व्यंग्य |
अप्रिल फूल एक सामाजिक बुराई अल्लामा इक़बाल ने कहा थाः उठा कर फेंक दो बाहर गली में नई तहज़ीब के अण्डे हैं गंदेनवीन संसकृति के इन गंदे अण्डों पर गर्व करने और पश्चिम की बिना सोचे समझे नक्क़ाली की जिज्ञासा ने हमारे समाज में हमारी अन्जुमन safat alam taimi | अप्रैल फूल के दिन मूर्ख बनने के बचने का नायाब तरीका (अविनाश वाचस्पति) मूर्ख दिवस कहीं जाता नहीं है वो तो यहीं बसा रहता है सबके दिमाग में। बस सिर्फ होता यह है कि एक अप्रैल को वह उकसाए जाने पर अपनी पूर्णता में सिर उठाता है और अपने वजूद का ऐलान कर देता है और देखिए सब उसके प्रभाव में बह जाते हैं या मोहग्रसित हो जाते हैं।अब नुक्कड़ अविनाश |
फिर तुझे क्या पड़ी थी बेवकूफ !? फिर तुझे क्या पड़ी थी सालेतू किसी में गुट में हैजलेस में, प्रलेस मेंहै किसी में ?तेरा कोई जानने वाला है मिनिस्ट्री में ?किसी नेता से है तेरा दूर का भी कोई रिश्ता ?पुलिस के महकमे में ही होता चलो कोई साहित्य तक में नहीं तुझपरकिसी सिंह, किसी यादव,किसी samwaadghar sanjaygrover | खुशखबरी.... हिन्दी ब्लॉगर्स के लिए खुशखबरी .......कमाई की शुरूआत हुई..... आज और अभी - अभी मुझे एक मेल मिला है जिसके तहत दिल्ली सरकार ने हमारे हिन्दी ब्लॉगर्स की संस्तुति को शीघ्र अमल में लाकर एक ब्लॉग मंत्रालय की स्थापना कर दी है । इस मंत्रालय के तहत एक प्रकोष्ठ भी बनाया है जिसके सदस्य हिन्दी ब्लॉगर्स ही बनाए गए हैं और उनके meraashiyana shashisinghal |
क्या आज आप कोई चिट्ठी नही पढेंगें? आज आपको कोई भी पोस्ट नही पढनी चाहियेआज आपको ज्यादातर चिट्ठोंपर कुछ भी खास नहीं मिलेगाअब आप यहां आ गये हैंइस पोस्ट को पढने लेकिनमैनें इस पोस्ट में कुछ भीनही लिखा हैअब आप सोच रहे हैंकि मैनें आपको अप्रैल फूलबना दियामगर क्या यह भी सोचने कीबात हैयह पोस्ट तो अन्तर सोहिल = Inner Beautiful अन्तर सोहिल | हिंदी टेक ब्लॉग बंद ये हिंदी टेक ब्लॉग कि आखिरी पोस्ट है आपके अस्वीकार किये जाने, अपनी टिप्पणियां और सुझाव न देने और आपके लिए उपयोगी ना होने कि वजह से ये ब्लॉग बंद करना पड़ रहा है ।धन्यवाद् डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” का और रावेंद्र्कुमार रवि जी का जिनकी वजह से ये चोर Hindi Tech Blog नवीन प्रकाश |
किसे मूर्ख बना रहे हैं आप? ... हम तो पहले से ही मूर्ख हैं हाँ भाई, हम स्वीकार कर रहे हैं कि हम पहले से ही मूर्ख हैं। अब आप खुद सोचें कि किसी मूर्ख को मूर्ख बनाकर आप खुद ही मूर्ख बनेंगे कि नहीं? आज हम "एप्रिल फूल डे" मना कर खुश हो रहे हैं यह हमारी मूर्खता नहीं है तो क्या है। क्या कोई बुद्धिमान अपनी संस्कृति, धान के देश में! जी.के. | लिव- इन रिश्ता बोले तो . . . अप्रैल fool !!! इस दौर में जब हर शख्स एक दूसरे को टोपी पहनाकर अपना ·काम निकालना चाहता है मूर्ख दिवस की बात ·करना ·कोई मायने नहीं रखता। हर रोज कोई न ·कोई , कहीं न कहीं छला जा रहा है। छलने से याद आया लिव-इन-रिलेशनशिप यानी बिना शादी के साथ-साथ रहना। सामाजिक विश्लेषको का likhdala varsha |
अप्रैल फूल यानि मूर्ख दिवस-हास्य कविता (april fool-hindi hasya kavita)एप्रिल फूल अब क्या मनायेंयहां तो खुद ही रोज मूर्ख बन जायें।नकली नायकों को पर्दे पर दिखाकरदेवताओं की तरह उनका नाम जपायें।बेकसूर रहें खौफ के साये मेंकसूरवार जेल में भी जश्न मनायें।सजाया है बाजार ने पर्दे पर खेलउसमें आम इंसान अपनी नज़र गंवायें।रोज रोज वादेदीपक भारतदीप का हिन्दी-पत्रिका दीपक भारतदीप | बाल (ब्लॉग ) ना बाँका कर सके जो जग बैरी होय एक अप्रेल "मूर्ख दिवस " पर एक व्यंग्य रचना पास पड़ोस शरद कोकास |
तकरार-ए-अप्रैल फूल ! कली ने कांटे से कहा तू फूल है,कांटे ने कहा यह तेरी भूल है !लाख मगर कोई कोशिश कर ले,वो फूल नहीं बन सकता जो शूल है !!फूल तो जाकर कलियाँ बनती है,भंवरा मंडराए इसलिए बन-ठनती है !प्रहरी बनके रहना कांटे का असूल है,वो फूल नहीं बन सकता जो शूल है !!फूलों की किस्मत अंधड़ ! पी.सी.गोदियाल | इस पोस्ट का 1 अप्रेल से कोई संबंध नही है ----एक धांसु व्यंग्य मित्रों आज फ़ूल दिवस है तथा फ़ूल बनाने का काम कल अर्धरात्रि से जारी है। हम भी एक दो जगह जाकर झांसे में आ गए, लेकिन आपसे निवेदन है कि आप झांसे में मत आना। ब्लाग जगत इस अप्रेल फ़ूल दिवस को धुमधाम से मना रहा है, एक जगह पर ………………ललितडॉटकॉम ललित शर्मा |
Hurry! खुली प्रतियोगिता बन्द होने वाली है ---- प्रतियोगिता में भाग लें और जीते नकद प्रतियोगिता कल से खुली है और आज रात तक जारी रहेगी. नकद पुरस्कार प्राप्त करें प्रतियोगिता मे भाग लेने के लिये : यहाँ चटका लगायें यूरेका M VERMA | कुछ इधर की, कुछ उधर की चिट्ठाद्योग सेवा संस्थान में भर्ती हेतु आज माननीय चिट्ठाकारों का साक्षात्कार चालू आहे!!! - चिट्ठाद्योग सेवा संस्थान उन सभी आवेदनकर्ताओं का दिल से धन्यवाद करता है, जिन्होने इस संस्थान के साथ जुडकर हिन्दी चिट्ठाकारिता को समृ्द्धि प्रदान करने में अप... |
क्या आप इंटेलिजेंट समझते हैं अपने ...तो डरते क्यों हैं मूर्ख बनने से ? ज़रा हिम्मत तो दिखाइए ! ऐसा माना जा सकता है कि पूरे साल भर सच बोल-बोलकर ऊब जाने के बाद ही ऐसे किसी मूर्ख (फूल )दिवस के बारे में किसी ने शायद सोचा होगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या आज भी ऐसे किसी दिवस की दरकार है, जबकि लोग साल भर दूसरे को टोपी पहनाने के प्राइमरी का मास्टर प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI | खुशदीप के टी.वी.शो "नाच छमकछल्लो नाच" में रामप्यारी मेहरवान..कद्रदान...सलाम नमस्ते. आज "ताऊ मदारी एंड कम्पनी" लुट गयी बर्बाद होगई...किसी जालिम ने ताऊ मदारी के सब स्टाफ़ को लालच में फ़ंसाकर ताऊ से अलग करवा दिया. यानि सब ताऊ को छोडकर चले गये.रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" जिसे ताऊ ने इतना समझदार गधा बनाया वो भी ताऊ डॉट इन ताऊ रामपुरिया |
वैशाख्नंदन सम्मान प्रतियोगिता मे : श्री विनोद कुमार पांडेय प्रिय ब्लागर मित्रगणों,हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई हैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से सूचित कर दिया गया है. ताऊजी डाट काम पर हमने प्रतियोगिता में शामिल रचनाओं ताऊजी डाट काम ताऊ | भाड में जाए ब्लोग्गिंग मैं छोड रहा हूं इसे ........अजय कुमार झा .... भाड में जाए ब्लोग्गिंग मैं छोड रहा हूं ........कारण स्पष्ट है बिल्कुल ...............................क्या हुआ जी .............???????????आज के दिन कुछ छोडने के लिए इससे अच्छा और क्या हो सकता था ...आखिर मूर्ख दिवस यानि अप्रैल फ़ूल डे है भाई ..........और bihari babu kahin अजय कुमार झा |
गत्यात्मक ज्योतिष एक महीने में एक भी भविष्यवाणी सही नहीं हुई .. आज से ज्योतिष का अध्ययन बंद !! - पूरे पच्चीस वर्षों का अध्ययन व्यर्थ होने से मेरा सारा जीवन बर्वाद हो गया , न जाने कितने दिनों से कितने लोगों ने मुझे ज्योतिष का अध्ययन करने से मना कि... | घुघूतीबासूती जरा माचिस तो देना!.............................घुघूती बासूती - एक नया गैस सिलिन्डर जब लगाया तो ठीक से बैठ नहीं रहा था। पति व ड्राइवर दोनों ने कोशिश कर ली। फिर गैस एजेन्सी से उनके वर्दीधारी मैकेनिक को बुलाया, उसने जबरदस... |
काव्य मंजूषा अल्लाह इस नामुराद को जन्नत बक्शे..... - तुम कितनी खूबसूरत हो ये कोई उनके दिल से पूछे सबके दिलों में बसने वाली सबकी धडकनों में रहने वाली हर दिल में तुम्हारी ही चाहत करवटें ले रही है सभी दीव... | देशनामा महफूज़ के ब्लास्ट को अमेरिकी सैल्यूट...खुशदीप - सबसे पहली बात...जो मैं कहने जा रहा हूं उसे अप्रैल फूल की पोस्ट समझ कर कतई न लें...*ये बिल्कुल सेंट परसेंट पुख्ता ब्लॉगर्स के दिलों को बाग बाग कर देने वाली ... |
रवि मन तुमसे बिछुड़कर : रावेंद्रकुमार रवि - तुमसे बिछुड़कर कहते हैं – विश्व की समस्त ऊर्जा संरक्षित है! लेकिन तुमसे बिछुड़कर मुझे ऐसा लगा - जैसे वो मेरी बोझ... | naturica सारे गुलाब:ग़ज़ल - हसरतों में खिल रहे थे , मिलन के सारे गुलाब। और तुमको ढूंढ़ते थे , चमन के सारे गुलाब॥ मेरे जवान होने का , हुआ 'डैड' को अहसास। कि एक एक कर ग़ुम हुए,चमन के सा... |
अमीर धरती गरीब लोग क्या मिनी स्कर्ट या टांगो की नुमाईश ही नौकरी की फ़ुल गारंटी है? - बड़ा सवाल उठाती हुई एक छोटी सी पोस्ट लिख रहा हूं।क्या नौकरी की फ़ुल गारंटी मिनी स्कर्ट या टांगो की नुमाईश से ही मिलती है?ये सवाल मुझे कचोट रहा है।क्या लड़कियो... | मुझे शिकायत हे. Mujhe Sikayaat Hay. इसे सबसे बाद में पढना जी खाली वक्त होने पर - मैनें आपको बताया था कि इसे सबसे बाद में पढना फिर भी आप सबसे पहले इसे ही पढने लग गये। मैं ये कह रहा था कि आज आपको कोई भी पोस्ट नही पढनी चाहिये आज आपको ज्यादा... |
ह्रदय पुष्प हथियार - खट-पट रहती हम दोंनों में शायद ही पटती थी। मैं कहता पूरब की तो वह पश्चिम को चलती थीं।। हुआ अचम्भा मुझे एक दिन बैठीं मेरे पास। प्यार से बोलीं सुनो पिया जी मेर... | मिसफिट:सीधीबात शुक्रिया "नईदुनिया"जबलपुर |
कुछ कार्टून -कैसे कैसे नेता Posted by sudhakar soni,cartoonist | एक कार्टून ek प्रस्तुतकर्ता Doobe ji आदमजात हुए क्यों बौने ? चांदी-सी रातें, दिल सोने,फिर भी अपने-अपने रोने।घर में रहे विदेशी होकर,सुख-दुःख की खा-खाकर ठोकर।हो न सके हम नमक ठीक से,निगल रहे हैं ग्रास अलोने।झिलमिल कोई सुबह न कौंधी,सांझ पड़े गहराई रतौंधी।शादी हुई उधारी वाली,हो न सके फिर अपने गौने।अपनी रातें रहीं डॉ. चन्द्रकुमार जैन Dr. Chandra Kumar Jain |
“मूर्ख-दिवस पर अवकाश घोषित!”(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)गुरुवार, १ अप्रैल २०१०“महत्वपूर्ण घोषणा”मैं श्री रूपचन्द्र जी, श्री शास्त्री जी, श्री मयंक जी आज एक महत्वपूर्ण घोषणा कर रहा हूँ! कृपया आज चर्चा मंच पर न जायें! क्योंकि आज यहाँ फर्स्ट-अप्रैल के उपलक्ष्य में सबसे छोटी चर्चा लगी है! |
सबसे छोटी चर्चा पर सबसे लंबी टिप्पणी लीजिए...
जवाब देंहटाएंवाह...
जय हिंद...
आपके आदेशानुसार न यहां आयी .. और न सबसे छोटी चर्चा को देखा .. टिप्पणी भी नहीं कर रही हूं .. पूरी सावधानी बरत रही हूं .. मूर्ख दिवस पर बिल्कुल मूर्ख नहीं बनना मुझे !!
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा तो बहुत ज़बरदस्त है!
जवाब देंहटाएंआप भी कहाँ-कहाँ से ढूँढकर ले आते हैं...
हा... हा... ही... ही... हू...
यह आपके किसी भी ब्लॉग पर
जवाब देंहटाएंमेरी अंतिम टिप्पणी है!
ये लो हम कोई मूर्ख हैं जो टिपण्णी करेंगे...
जवाब देंहटाएंहाँ नहीं तो ..!!
आज मूर्ख दिवस मनाने में इतना व्यस्त रहा कि कहीं किसी ब्लॉग पर जाना हुआ नहीं यद्यपि यहाँ चला आया हूँ. अच्छे लिंक्स मिल गये हैं, सुबह सुबह विचरुँगा. आपका आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभिवादन।
जवाब देंहटाएंमैं अपनी मूर्खता को तहेदिल से स्वीकार करता हूं।
जवाब देंहटाएंआज दो अप्रेल को अप्रेल फूल बना तो ऐसा लगा ...
जवाब देंहटाएंकारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे..
इतने समर्थ लोग एक साथ देखकर मन ब्लाग ब्लाग हो गया ...एक शरीफ ऊंट की तरह कलेजे में भर लिया है सारा पानी , बुरे वक्त में घूंट घूंट पियेंगे।
बहुत सुन्दर चर्चा सर . मूर्ख दिवस पर सभी लिंकों को समेट लिया ... बढ़िया प्रयास अच्छी चर्चा के लिए ..आभार.
जवाब देंहटाएंरावेन्द्र रवि जी ...ऐसा न करें . आज दो अप्रेल है बस आज से कमेंट्स शुरू कर दीजिये . ..हाहाह
जवाब देंहटाएंare ittee chhotee charchaa shastri ji vah vah
जवाब देंहटाएंlink dene kaa aabhaar ji
जवाब देंहटाएंmatlabye ki moorkh bankar khush hain sab.
जवाब देंहटाएंबस मूर्खों की चौपाल पर हम भी हाजिरी भरने चले आए :-)
जवाब देंहटाएंये मैं कहां आगया हूं? कोई मुझे बतायेगा?
जवाब देंहटाएंरामराम