"चर्चा मंच" अंक - 113 |
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक” |
"चर्चा मंच" की आज की तारीख में यह तीसरी चर्चा है-आज |
आज अपराह्न की चर्चा तो प्राईमरी के मास्टर को समर्पित थी! लेकिन सायंकालीन इस चर्चा में सबसे पहले हम कलयुगी माता अर्थात् ममी जी से आपको रूबरू कराते हैं! इसमें फोटो तो अलबेला खत्री जी की लगी है, मगर ……. फ़िगर की आग में जिगर के टुकड़े को मत जलाओ कलयुगी माता ! वर्ना बुढ़ापे में बहुत पछताओगी...... - जयपुर से मुम्बई आने वाली सुपर फास्ट ट्रेन के वातानुकूलित शयनयान में जो कुछ मैंने देखा, वह कुछ और लोगों ने भी देखा लेकिन वे लोग शायद भूल गये हों, मैं न.. |
माँ का जिक्र तो अमीर धरती गरीब लोग में भी है जनाब! कितना चूसोगे अपनी ही मां को? दूध खतम हो चुका और अब तो खून भी खतम हो रहा है! - कितना चूसोगे अपनी ही मां को?उस मां को जो हमारे खाने पीने का आदिकाल से खयाल रखती आ रही है।उस मां की हालत हम लोगों ने अपने लालच से बदतर कर दी है।अब वो बेज़ार ..
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निर्मला कपिला जी की तो खुशी का ठिकाना ही नही है! क्योंकि उनके घर रिटायरमेंट के बाद एक नन्ही परी आई है- खुशखबरी - *मेरे घर आयी एक नन्ही परी* आप सब को ये जान कर खुशी होगी कि मेरी बेटी के बेटी हुयी है। 4 अप्रेल को सिजेरियन करवाना पडा जब कि अभी ड्यू डेट 30 अप्रेल थी । खैर ... |
आज शब्दों का सफर में मण्डल-कमण्डल पर पोस्ट लगाई गयी है! लगता है अजित वडनेकर जी किसी विषय को अछूता छोड़ेंगे नही- मंडल-कमंडल की राजनीति [बकलमखुद-132] - [image: logo baklam] *चंद्रभूषण* हिन्दी के वरिष्ठ पत्रकार है। इलाहाबाद, पटना और आरा में काम किया। कई जनांदोलनों में शिरकत की और नक्सली कार्यकर्ता भी रहे। ब.. |
साइंस ब्लॉगर एशोसियेसन खुद को तार्किक स्तर पर बेहतर बनाने के गुर समझा रहे हैं- WizBang - बनायें खुद को तार्किक स्तर पर बेहतर - कई students, programming language के syntax और semantics को तो सीख लेते हैं पर किसी programming problem को solve नही कर पाते, यह समस्या इसलिए आती हैं क्यूंकी.. |
सुश्री वन्दना गुप्ता का एक प्रयास सफल रहा है! आप यहाँ मार्मिक कथा पढ़ना न भूलें- ये किस मोड़ पर ?.............भाग ४ - गतांक से आगे ......................... निशि ने राजीव से वादा लिया कि वो उसकी पूरी बात ध्यान से सुनेगा और उसे समझने की कोशिश करेगा , उसके बाद कोई फैसला लेगा .. |
नुक्कड़ पर कानून की ढाल भी तो है- क़ानून की ढाल तले अति - ये कैसा क़ानून ! - *क़ानून अंधा होता है - उसको सबूत चाहिए. ये हम रोज सुना करते हैं लेकिन एक ऐसा भी क़ानून बना है जिसमें किसी सबूत जरूरत नहीं होती और उसकी आड़ में ब्लैकमेल भी आस.. |
बी.एस.पाबला जी भी तो विश्व रिकार्ड की जयन्ती के बारे में जिन्दगी के मेले मे कुछ बता रहे हैं- भिलाई के युवकों द्वारा निर्मित विश्व रिकॉर्ड की रजत जयंती: भिवंडी के दंगे, विश्वमोहिनी और विदेशी धरती पर पहला कदम -भिलाई के दो नवयुवकों द्वारा मोटरसाइकिल पर विश्व भ्रमण के समापन की रजत जयंतीपर अब तक आप पढ़ चुके हैं कि किस तरह उन्होंने इसकी तैयारी की। तमाम बाधाओं को पार क.. |
वाल विवाह की धूम किन-किन राज्यों में है इसके बारे में यहाँ पढ़ लीजिए- बाल विवाह की भयंकरता समृद्ध राज्यों में भी - आजकल कलर्स चैनल पर चल रहा धारावाहिक 'बालिका वधू' काफी चर्चा में है. पश्चिम बंगाल में तो एक नाबालिग लड़की ने यह कहते हुए शादी से इंकार कर दिया कि बालिका वधु .. |
और इनका असली चेहरा वन्द है सात तालों में- असली चेहरा तो हमने सात तालों में बन्द कर रखा है - हमारे घर के प्रोडक्ट बनाते-बनाते आखिरकार भगवान थक गया तो अन्तिम बार थोड़ा टांच-वांच कर हमें छोटा-मोटा रूप दे दाकर धरती पर भेज दिया। अब माँ भी परेशान हो चली.. |
यहा क्या है आप खुद ही देख लीजिए- बस्तर के चिंतलनार में शहीद जवानों के लिए ..... - अफ़शोस कि तू मर गया गुजरे दिनों की समाचार की तरह दुख है कि तुझे जांबाजी से लड़ते हुए वे देख नहीं पाये वो देखना भी नहीं चाहते थे क्योंकि वे नहीं जानते जां.. |
माता के विषच में आचार्य जी ने भी तो नन्हा मन पर एक बाल कविता लगाई है- बाल कविता: मेरी माता! संजीव 'सलिल' - * ** मेरी** **मैया!, मेरी माता!!* *** *किसने मुझको जन्म दिया है?* *प्राणों से बढ़ प्य... |
सिमटे लम्हें पर दो क्षणिकाएँ है हिन्दी में, मगर हैडर तो अंग्रेजी मे ही लगा है- 2 क्षणिकाएँ - १)संगदिल सनम पहले तो सनम ने हमें आँसू बना आँखों में बसाया , बेदर्द , संगदिल निकला , आँसू को संगपे गिरा दिया ! २ ) निशाने ज़ख्म रहने दो ..
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काव्य वाणी पर ये दो मुक्तक देखिए- मुक्तक- ले आई मुझे मयखाने मेंशाम ढलती रही , और सूरज डूब गया सागर में | शेखर कुमावत |
अन्त में उच्चारण भी देख लें- जिस पर आज एक अनूदित कविता लगी है- “मृत्यु एक कविता:Death a poem by William Butler Yeats” - *Death a poem *: William Butler Yeats अनुवादक:डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक” *मृत्यु एक कविता * जानवर को नही सताता है मृत्यु का भय और कभी नहीं होता.. |
चलते-चलते ये भी देख लीजिएगा और आज की तीसरी चर्चा समाप्त करने की आज्ञा दीजिएगा- आयशा सिद्दीकी ये कह रही हैं.......Posted by chandrashekhar HADA |
बढ़िया शास्त्री जी, बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा शास्त्री जी , सब कुछ समेट लिया आपने आज की चर्चा में
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
बहुत बढ़िया चर्चा....आभार
जवाब देंहटाएंआज तो आपने चर्चा के
जवाब देंहटाएंसारे कीर्तिमान भंग कर दिए!
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एक दिन में 3-3 चर्चा करना तो
आपके ही वश की बात है!
waqy me jabar dast rahi aaj ki charcha
जवाब देंहटाएंsabse pahle kalyugi mata ko pranam jo albela khatri ji ne bheji he
fir aap ka sukriya jo aaj fir mujhe jagha mili yaha
or ant me ram ram
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
वाह बहुत लबालब चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बढ़िया शास्त्री जी, बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा संकलन किया है।
जवाब देंहटाएंअच्छे अच्छे लिंक्स मिलें .. बढिया चर्चा !!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया चर्चा में आपने मुझे भी खूब स्थान दिया
आभार !
शानदार ......
जवाब देंहटाएंआज का दिन तो चर्चा को ही समर्पित रहा...सुबह से तीसरी बार आए हैं बाँचने :-)
जवाब देंहटाएंबहुत परिश्रम पूर्वक तैयार किया गया चर्चा चिठटा। बधाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ।
जवाब देंहटाएंकित्ती प्यारी चर्चा ..ढेर सारी जानकारियाँ .
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'पाखी की दुनिया' में जरुर देखें-'पाखी की हैवलॉक द्वीप यात्रा' और हाँ आपके कमेंट के बिना तो मेरी यात्रा अधूरी ही कही जाएगी !!
हमेशा की तरह अच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएंAadarniya Shastriji, Bahut der se pata chala ki aap ne meri kahani mera pahla prempatr ki charcha ki hai. Main blogon par bahut dauda-daudi nahin kar paata hun. Koi aisa tarika hona chahiye ki kahin charcha ho to pata chal sake. Isse man ka utsah badhta hai. Aap ko dhanyvad.
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