फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, अप्रैल 12, 2010

“वक्त की बात है... और बिकाऊ कविता” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक - 119
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक


"चर्चा मंच" की शुरुआत आज हम वक्त-वक्त की बात है से प्रारम्भ करते हैं!

देशनामा

वक्त वक्त की बात है...खुशदीप - वक्त बदलते देर नहीं लगती...जो आज है वो कल नहीं था...जो आज है वो कल नहीं रहेगा... *अमेरिका*...दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र... *भारत*...दुनिया का सबसे बड़..


कनाडा से समीर लाल जी ने एक प्रायोजित आलेख की बात अपनी पोस्ट में की है-   


उड़न तश्तरी ....

एक स्पॉसर्ड आलेख और बिकाऊ कविता - सर्दी की सुबह. घूप सेकने आराम से बरामदे में बैठा हुआ अखबार पलट रहा था गरमागरम चाय की चुस्कियों के साथ. भाई साहब, जरा अपने स्वास्थय का ध्यान रखिये. इतने ...
ताऊ पहेली 69 के विजेता प्रकाश गोबिन्द जी हैं!
बधाई देना न भूलें- 
ताऊ डॉट इन
[tpw69[3].jpg]
ताऊ पहेली - 69 ( महानिर्वाण मंदिर और स्तूप,कुशीनगर ,उत्तर प्रदेश) विजेता : श्री प्रकाश गोविंद - प्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 69 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है महानिर्व...


ताऊजी डॉट कॉम

वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे : श्री प्रवीण शुक्ल (पथिक ) - प्रिय ब्लागर मित्रगणों, हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई है..
कनाडा से स्नप्नमंजूषा शैल “अदा” जी लिखती हैं-
काव्य मंजूषा
 
'बदना' रे बद ना ........ - आज कल मन कई बातों की विवेचना में लगा हुआ है, जब मैं लोगों को अपने जीवन में कुछ 'वस्तुओं' या 'क्रियाओं' को ज़िन्दगी से भी ज्यादा अहमियत देते हुए देखती हू...
लन्दन से दीपक मशाल जी
मसि-कागद

लन्दन से डॉ. विद्या सागर आनंद की एक रचना-------->>>दीपक 'मशाल' - आज पेश-ए-खिदमत है एक रचना वो भी एक ऐसे शायर की जो आज से ४८ साल पहले अपनी सरज़मीन को छोड़ लन्दन आ गए थे लेकिन आज भी दिल से पूरी तरह हिन्दुस्तानी ही हैं. ये ...
यह पोस्ट सिर्फ पढ़ने के लिए है,
टिप्पणी करने की भूल मत करना!
मयंक
“यही तो ब्लॉगिंग का मज़ा है” - “ब्लॉगिंग छोड़नी ही पड़ेगी लेकिन..” *जी हाँ यह शाश्वत सत्य है कि एक दिन ब्लॉगिंग ही नही दुनिया भी छोड़नी पड़ेगी! लेकिन…..
saMVAdGhar संवादघर

बिना जुगाड़ के छपना - कस्बे में यह खबर अफवाह की तरह फैल गई कि एक नवोदित लेखक एक राष्ट्रीय अखबार में बिना किसी जुगाड़ के छप गया। सभी हैरान थे कि आखिर यह हुआ कैसे। तरह-तरह की अटक...
कबीरा खडा़ बाज़ार में

यहाँ स्वतंत्र पाठक वर्ग की कमी है जो तटस्थ रहकर विमर्श में भाग ले: निशांत मिश्र - ब्लॉगप्रहरी ने " www. hindizen.com " के संचालक निशांत जी से संपर्क किया और ब्लॉगिंग से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर उनके विचार आमंत्रित किये. पेश है ...
naturica
नहीं चाँद को पाते माँ ... - तेरा चूल्हा चाँद पका कर रखता मेरी थाली पर । रात तवे सी अब काली है नहीं चाँद को पाते माँ॥ जन्मदिन...! यानी आज दुनिया में अपनी आमद को और दुनिया की इस आफत को ..
नन्हें सुमन
 
“पेंसिल” - *रंग-बिरंगी पेंसिलें तो, * *हमको खूब लुभाती हैं। * *ये ही हमसे ए.बी.सी.डी., * *क.ख.ग. लिखवाती हैं।। * *रेखा-चित्र बनाना, * *इनके बिना असम्भव होता है।* *कल..
KNKAYASTHA INSIDE-OUT 
बदन - जोश है इस जिस्म में, जज्बात से सिहरता बदनजंग से हालात हैं, हर रात है पिघलता बदन. आरज़ू-ए-वस्ल वो, खूंखार आज बाकी नहीं साथ हो इक हमसफ़र, तन्हा पड़ा तरसता
के.सी.वर्मा

लाली मेरे ''लाल'' की ...!!! - दोनों फलों के रंग में जो फर्क है ....वह 'रंग भेद 'किसी भेद करके नहीं है ....
Gyan Darpan ज्ञान दर्पण

स्वतंत्रता समर के योद्धा : राव गोपाल सिंह खरवा - राजस्थान के राजाओं द्वारा अंग्रेजों से संधियाँ करने के बाद धीरे धीरे राजस्थान में अंग्रेजों का दखल बढ़ता गया | अंग्रेजों का राजस्थान के शासन...
शब्द-शिखर

आजादी के आन्दोलन में भी सक्रिय रहीं कस्तूरबा गाँधी (जयंती पर) - कहते हैं हर पुरुष की सफलता के पीछे एक नारी का हाथ होता है. एक तरफ वह घर की जिम्मेदारियां उठाकर पुरुष को छोटी-छोटी बातों से सेफ करती है, वहीँ वह एक निष्पक्ष...
सरस पायस
 
माँग नहीं सकता न : पंकज शर्मा की एक लघुकथा - माँग नहीं सकता न बस-स्टैंड पर खड़ा हुआ मैं, बस का इंतज़ार कर रहा था । मेरे सामने खड़ी बस में बैठा एक आदमी पकौड़े खा रहा था । उसने खाते-खाते पकौड़े का एक टुकड..
DHAROHAR

मुंबई प्रवास और 'विविध भारती' - मुंबई प्रवास और 'विविध भारती' अरुणाचल में 'विविध भारती' से बनी दूरी से उपजी असहनीय पीड़ा का उपचार अधूरा ही रह जाता यदि अपने मुंबई प्रवास के दौरान इसके कें.

उत्तर प्रदेश के वकील आज राज्य की सभी अदालतों से दूर रहेंगे
उत्तर प्रदेश के वकील, कानपुर में अपने सहयोगियो पर हुए पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में आज, 12 अप्रैल को राज्यभर में अदालतों का बहिष्कार करेंगे। उत्तरप्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष अरूण कुमार त्रिपाठी के अनुसार राज्यभर के वकील 12 अप्रैल को अपना कामकाज स्थगित…
अदालत 
लोकेश Lokesh

दस्तक ने किए चार साल पूरे
पिछले महीने की बारह तारीख को दस्तक ने हिन्दी चिट्ठा जगत में अपने चार साल पूरे कर लिये। पोस्ट दस तारीख को ही लिख ली पर हमेशा की तरह आलस के चलते आज एक महीने बाद ऊपर वाले लेख के साथ मिला कर पोस्ट कर रहा हूं। दस्तक चिट्ठा ने आज अपने चार साल [...]
॥दस्तक॥
सागर नाहर
आत्मलीनता के खिलाफ
आत्मलीनता (आटिज्म) के नाना रूप है। मनोविज्ञान के क्षेत्र में आत्मलीनता एक बड़ी बीमारी है। वास्तविक चिंतन से सर्वथा भिन्न एक ऐसी विचार प्रक्रिया जिसका घटनाओं और वस्तुओं की वास्तविक प्रकृति से कोई संबंध नहीं होता, पूरी तरह से व्यक्ति की अपनी
जनपक्ष
अशोक कुमार पाण्डेय

प्रतिज्ञा हूँ मैं.....!
समय की वर्तुल अंगूठी से पृथकएक विस्तृत प्रतिज्ञा हूँ मैंओ, परित्यक्ता पृथ्वीभविष्य की कोख मेंमैं ही भरत हूँ सुबकियाँ लेतामेरी ही नसों मेंअतीत कीसम्पूर्ण विस्मृत असंपादितप्रतिज्ञाओं कालहू उफनता है।=गुरुदेव कश्यप की रचना साभार.
डॉ. चन्द्रकुमार जैन
Dr. Chandra Kumar Jain

ख़त 
कुछ ख़त यूँ भी लिखे जाते हैंदर्द भरे अफ़सानों को, घोल अश्कों की स्याही मेंजज़्बातों को कलम बनाकरदिल पर उकेरे जाते हैंकुछ ख़त यूँ भी लिखे जाते हैंसंबोधन क्या दें? बस इसी विवशता के कारणलिफ़ाफ़े में भरकरकोरे ही भिजवाए जाते हैंकुछ ख़त यूँ भी लिखे जाते हैंकभी
नीरव
डॉ. राजेश नीरव

"मुझको पुकारे "
"मुझको पुकारे"झिलमिलाते दूर तक उजले सितारेऔर चाँद का आंचल थाम के देखोचल रहे नदीया के कीनारेपत्तो की खन खन कुछ कहना चाहेअलसाई पवन ले जब दरख्तों के सहारेऔर रात की बाँहों में मचले हैं देखोजगमगाते जुगनू ये सारेधुन्दले से साये अनजानी राहे कुछ गुनगुनाते ये
कुछ लम्हे
seema gupta

भारत में सबसे पहले चिट्ठियों ने भरी थी हवाई उड़ान
डाक सेवा का विचार सबसे पहले ब्रिटेन में और हवाई जहाज का विचार सबसे पहले अमेरिका में राइट बंधुओं ने दिया वहीं चिट्ठियों ने विश्व में सबसे पहले भारत में हवाई उड़ान भरी। यह ऐतिहासिक घटना 18 फरवरी 1911 को
इलाहाबाद में हुई। संयोग से उस साल कुंभ का मेला…
डाकिया डाक लाया
डाकिया बाबू

बदलते मौसम में
उड़ी हवा में गन्ध, टूटने लगे लगे प्रतिबन्ध, मचलने लगे होंठ पर छन्द बदलते मौसम मेंजगी ह्रदय में प्रीत, सपन में आया मन का मीत, सुनाता हुआ नये कुछ गीत बदलते मौसम मेंचेहरे पर से हटा एक चादर को जागा कई दिनों से परछाईं के घर में जा था दिन सोयाहुई ओस की मद्दम
गीत कलश
राकेश खंडेलवाल

स्‍वामी रामदेव की प्रभात गौड़ से बातचीत (अविनाश वाचस्‍पति)
योग से सभी रोग होंगे दूरसही बतला रहा हूं मैं हुजूरजितने होते हैं वे सब जानते हैंजितने और होंगे वे आप जानेंगेपढि़ए इस बातचीत को तुरन्‍तफिर तो आप मानेंगेमैं तो मानता हूंयोग ही है प्रत्‍येक बुराई का इलाजसमझ रही है समस्‍त जनता आज।नवभारत टाइम्‍स दैनिक दिनांक
Avinash Vachaspati
अविनाश वाचस्पति

शरारतों से सारा घर गुलज़ार
अब तो मेरी तबियत बिलकुल ठीक हो गयी है, और मैं फिर से अपनी शरारतों से सारा घर गुलज़ार रखती हूँ. सन्डे को अदनान भाई और आयशा आये थे. उनके साथ मैंने खूब एन्जॉय किया. कुछ तस्वीरें आप भी देखिये.   आपसे फिर मिलती हूँ, तब [...] 
Laviza
लविज़ा | Laviza

मनोज

अपनी भावनाएं, और विचार बांट सकूं।

काव्यशास्त्र : भाग - 8
आचार्य आनन्दवर्धन
-आचार्य परशुराम राय
काव्यशास्त्र के ऐतिहासिक पटल पर क्रम में आचार्य रुद्रभट्ट के बाद आचार्य आनन्दवर्धन आते हैं और इनका ग्रंथ ‘ध्वन्यालोक’ काव्य शास्त्र के इतिहास में मील का पत्थर है। आचार्य आनन्दवर्धन काव्यशास्त्र में ध्वनि सम्प्रदाय के प्रवर्तक के रूप में प्रसिद्ध हैं।
…..
आज विद्यालय का परीक्षाफल देना है!
इसलिए सभी ब्लॉगर्स के बारे में कुछ भी नही लिख सका!
अन्त में यह कार्टून देख लीजिए-
हमारा बजाज सबसे अमीर!

Posted by IRFAN

7 टिप्‍पणियां:

  1. सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।