"चर्चा मंच" अंक - 128 |
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक” |
आइए आज का "चर्चा मंच" प्रारम्भ करते हैं इस चर्चा के साथ- हिंसा से दुःखी बापू की पोती मिलना चाहती है नक्सलियों से! Author: Anil Pusadkar | Source: अमीर धरती गरीब लोग बापू की पोती तारा देवी भट्टाचार्य छत्तीसगढ आई।वे यंहा बा के जीवन पर कस्तुरबा आश्रम मे लगी प्रदर्शनी का उद्घाटन करने आई थी।वे प्रेस क्लब भी आई और उन्होने समाज मे हो रहे बदलाव पर बेबाक राय व्यक्त की।उन्होने नक्सली हिंसा पर दुःख जताया और कहा कि वे उनसे मिलना चाहती है।नक्सली हिंसा के लिये उन्होने सरकार के साथ-साथ व्यवस्था और समाज को बराबर का ज़िम्मेदार ठहराया।उन्होने साफ़ कहा कि इस समस्या के लिये समाज मे व्याप्त विसंगतियां भी उतनी ही ज़िम्मेदार है जितनी सरकार। बापू की पोती ने नक्स्ली हिंसा मे बेघर ... |
नन्हा मन पर समीर लाल जी की बहुत सुन्दर बालकविता प्रकाशित हुई है- नन्हा मन समीर लाल समीर ( उडन-तश्तरी) जी की बाल-कविता - चिड़िया!!!!! - नमस्कार बच्चो , उस दिन हमें अमर अंकल नें बताया कि उन्होंने नन्हामन पर उडन-तश्तरी उतारी है और हम सब उसमें बैठकर आसमान की सैर भी कर आए । अमर अंकल नें इतना तो... |
बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ.कुमारेन्द्र सिंह सेंगर से मिलिए आज ताऊ जी डॉट कॉम पर- ताऊजी डॉट कॉम वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : डा. कुमारेन्द्र सिंह सेंगर - प्रिय ब्लागर मित्रगणों, हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई है... |
सुन्दर अश्आरों से सजी-सँवरी गजल को आज “अदा जी ने यहाँ प्रस्तुत किया है- काव्य मंजूषा कच्चा घड़ा मेरे दम का, तूफ़ान में टूटा न था..... - था वो मंजर कुछ गुलाबी, रंग भी छूटा न था दिल में इक तस्वीर थी और आईना टूटा न था हादसे होते रहे कई बार मेरे दिल के साथ आज से पहले किसी ने यूँ शहर लूटा न थ... |
रानीविशाल ने आज सुन्दर आलेख के साथ दो रचनाएँ अपने ब्लॉग पर लगाई हैं- काव्यतरंग कभी देखी है ऐसी मनुहार ??..........दो कविताएँ {रानीविशाल} - कहते है कि सावन के अंधे को सब हरा ही हरा दिखाई देता है .....बस कविता प्रेमीयों के साथ भी कुछ ऐसा ही है । जिन्हें कविताएँ कहने और पड़ने का रोग लग जाए, फिर क... |
अब आप इस अनुरोध को ध्यानपूर्वक पढ़ें- मैं चाहता हर एक को सीने से लगाना।। सभी भारत प्रेमियों से अनुरोध है, इसे अवश्य पढें।। Apr 20, 2010 | Author: आनन्द पाण्डेय | Source: महाकवि वचन देश के अमर सपूतों की श्रद्धांजलि में अर्पित ये काव्य सुमन मेंरे हृदय का उद्गार है। मां भारती के प्रति इतनी अगाध श्रद्धा और इतना प्यार है कि शब्दों मे व्यक्त करने का सामर्थ्य नहीं बन पा रहा फिर भी मन की कुछ पवित्र भावनाओं ने लेखनी की शरण ले ली और यह छोटा सा काव्य फूट पडा । सभी भारत प्रेमियों से अनुरोध…….. |
चिली के महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता पाब्लो नेरुदा ( १९०४ - १९७३ ) की कविता तुम्हारे पाँव का बहुत ही सुन्दर अनुवाद डॉ.सिद्धेश्वर सिंह ने कर्मनाशा पर प्रकाशित किया है! तुम्हारे पाँव - जब मैं देख नहीं पाता हूँ तुम्हारे चेहरे को तो निहारता हूँ तुम्हारे पाँव वक्र अस्थियों से निर्मित तुम्हारे नन्हें- नन्हें पाँव।…… |
गुलदस्ता-ए-शायरी में बबली (उर्मी चक्रवर्ती) ने मन में आशाएँ जगाने वाला एक पद प्रस्तुत किया है- GULDASTE - E - SHAYARI - हर पल ये सोचती थी वो पल कब आए, एक पल के लिए तुम्हारा दीदार हो जाए, वो पल भर का साथ यादगार बन जाए, तुम्हारी याद में हर पल बीत जाए ! |
महानगर के परिन्दों के दर्द का वर्णन श्री पी.सी. गोदियाल जी ने अंधड़ पर बहुत ही मार्मिकता के साथ बखान किया है- महानगरीय चिड़ियाओं का दर्द ! - *प्रात: भ्रमण के उपरान्त बरामदे में बैठ बस यूँ ही शून्य को निहार रहा था कि सहसा नजर चिड़ियाओं का कोलाहल सुनकर सामने पार्क के एक छोर पर लड़ रही कुछ चिड़ियाओ... अंधड़ ! ऐ वक्त ! तू इतना कमवख्त क्यों है ! - मन-पांखी हो रहा इस कदर बेचैन और अशक्त क्यों है, मुझको बता दे ऐ वक्त ! तू इतना कमवख्त क्यों है ! खुद ही कहता है कि हरपल - हरकदम मेरे साथ चल, मंजिलों की डगर म... |
स्वप्न मेरे................में पढ़िएबुढ़ापे पर रची हई दिगम्बर नासवा जी की यह रचना-बुढ़ापाजिस्म पर रेंगतीचीटियाँ की सुगबुगाहट वक़्त के हाथों लाहुलुहान शरीर खोखले जिस्म को घसीटते दीमक के काफिले ……. |
Dr. Smt. ajit gupta ने इस पोस्ट में अपनी चिन्ता कुछ इस प्रकार व्यक्त की हैं- हमारा शौक और बेचारे जानवर की मृत्यु - जब-जब भी आइने में खुद को देख लेती हूँ तो रातों की नींद उड़ जाती है। दूसरे दिन से ही मोर्निंग वाक शुरू हो जाता है। लेकिन फिर एकाध प्रवास और घूमना निरस्त। कम... |
पाखी की दुनिया में माउन्ट हैरियट की सैर के सुन्दर दृश्य यहाँ पर लगे हैं- शिप पर चली गाड़ी, फिर माउन्ट हैरियट का नजारा | Author: पाखी | इस बार मैं माउन्ट हैरियट (Mount Harriet) पर घूमने गई. ब्रिटिश काल में माउन्ट हैरियट चीफ कमिश्नर का ग्रीष्मकालीन आवास था। इसका नामकरण कर्नल आर. सी. टाईटलर की पत्नी हेरियट के नाम पर हुआ, जिसने 1862 के दौरान इस क्षेत्र को चीफ कमिशनर के ग्रीष्मकालीन आवास के रूप में चुना। पोर्टब्लेयर से सड़क द्वारा 55 व नाव द्वारा 15 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित माउन्ट हेरियट (Mount Harriet) दक्षिण अंडमान का सबसे उंचा पहाड़ (Highest peak of South Andman) भी है। पिकनिक, ट्रेकिंग व चिड़ियों को देखने के लिए यह उत्तम स्थ ...
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चर्चा के अन्त में देखिए यह बढ़िया कार्टून- |
कार्टून : आईपीएल की झलकियाँबामुलाहिजा >> cartoon by Kirtish Bhatt |
बहुत उम्दा चर्चा..कितना पढ़ना बाकी है.
जवाब देंहटाएंहर दिन शास्त्री जी कितनी मेहनत कर जाते हैं
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर लिंक दे अच्छी पोस्ट्स तक पहुंचाते हैं....
आप के जैसा जुझारू इंसान मैंने दूसरा नहीं देखा....शायद लोग इसका मोल न भी समझते हों ..वो तब समझेंगे जब आपकी उम्र में पहुंचेंगे....की लगन किसे कहते हैं...!!
सदैव आभारी....
बढिया चर्चा .. आपका आभार !!
जवाब देंहटाएंkoi shaq nahin ki bahut mehnat karte hain aap.. aabhar
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबढ़िया , उम्दा .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रही आपकी आज की चर्चा, धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम
बहुत उम्दा चर्चा....बधाई
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा |
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया चर्चा …………आजकल काफ़ी लिंक्स यहीं मिल जाते हैं।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी,चर्चा मे बहुत मेहनत करते हैं आप्।आभार आपका जो आपने मेरी पोस्ट को चर्चा के लायक समझा।बापू की पोती के विचार ज्यादा से ज्यादा लोगों तक़ जाना चाहिये थे और उनकी नक्सल हिंसा से पीडित बच्चों को सहारा देने की पहल भी।मैने इसी उद्देश्य से वो पोस्ट लिखी थी जिसे आपने जगह देकर एक महान विचारक और छत्तीसगढ की ज्वलंत समस्या को सामने रखा आभारी हू आपका।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी, इस बात में कोई शक नहीं कि आपकी चर्चा में अपनी जगह पाना अपने आप में एक सम्मान की बात है |
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार !
aap ka phir se dhanyawaad..ja aap ne ise jagah di aur yatra ko jari rakha.
जवाब देंहटाएंशास्त्री ji tension nahi lene ka dene ka dene wale ne dedi na aap ko tension
जवाब देंहटाएंshekhar kumawat
चर्चा हमेशा की तरह बढ़िया है!
जवाब देंहटाएंइस बार मैं चर्चा देखने कुछ देर में आ पाया!
जवाब देंहटाएं--
विवाद में उलझी टिप्पणियों को
पढ़कर अच्छा नहीं लगा!
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मयंक जी से मेरा अनुरोध है कि
ये सारी विवादयुक्त टिप्पणियाँ हटा दीजिए!
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अन्य सभी साथियों से भी विनम्र अनुरोध है
कि इस विवाद को यहीं समाप्त करके
पुन: विवाद पैदा करनेवाली टिप्पणियाँ न करें!
आदरणीय शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंआपके समक्ष खड़े होने के लिए भी एक हैसयत की ज़रुरत है...
आप उम्र, बुद्धि, तजुर्बा हर बात में बहुत बड़े हैं...आपसे आशीर्वाद हम सबको मिलता रहा है ...अब आप कुछ लोगों को माफ़ कर दीजिये...क्योंकि वो नहीं जानते की वो क्या कह रहे हैं....
और आप जैसे हैं वैसे ही बने रहिये....कुछ भी बदलने की ज़रुरत नहीं है....
सच में....पिता हमेशा पिता ही रहता है...बेटा कितना भी बड़ा हो जाए...
आभार...
अपने शुभचिन्तकों और मित्रों के अनुरोध पर
जवाब देंहटाएंविवादास्पद टिप्पणियाँ हटा दी गईं हैं!
आईये... दो कदम हमारे साथ भी चलिए. आपको भी अच्छा लगेगा. तो चलिए न....
जवाब देंहटाएंhukriyaa shastri jee
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