"चर्चा मंच" अंक - 121 |
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक” |
आज हमारा ब्रॉड-बैण्ड कनेक्शन बीमार है! किसी तरह से एयर-टेल के मोबाइल कनेक्शन से यह चर्चा बामुश्किल लगा रहे हैं! इसलिए आज किसी पोस्ट पर टिप्पणी भी नही कर पा रहा हूँ! आइए "चर्चा मंच" का प्रारम्भ करते हैं प्रेम-प्रीत में रंगी हुई इस पोस्ट से- जरा देखिए तो सही ये कौन है? भई मुझे तो ये प्रोफेसर मटुक नाथ और इनकी शिष्या जूली दिखाई दे रही हैं! मगर इन्होंने रिक्शा चलाने का काम कब से शुरू कर दिया है- |
फिर मिलेंगे: चलते-चलते - टीवी पर सानिया की शादी की ही खबरें हैं। मैं 'व्यक्तिगत स्वतंत्रता' और 'मीडिया की दीवानगी' पर कुछ नहीं कहने जा रहा। ब्लॉग जगत में इसपर पहले ही काफी चर्चा ह... |
प्यार -एक एहसास - कैसे लिखूं मैं तेरे लिए, जबकि मैं जानती हूँ कि तुझ तक पहुँचने के बाद विचार शून्य हो जाते हैं और कल्पनाएँ ........ वो तो न जाने किस ताखे पर बैठ जाती है और दे... आज रंजना (रंजू) भाटिया का जनमदिन है - आज, 14 अप्रैल को कुछ मेरी कलम से... वालीं रंजना (रंजू) भाटिया का जनमदिन है। बधाई व शुभकामनाएँ *आने वाले **जनमदिन आदि की जानकारी, अपने ईमेल में प्राप्त ... |
अमीर धरती गरीब लोग सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा! - सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा!मुहावरा आजकल सुनाई नही पड़ता,कभी स्कूल मे पढाया जाता था।ये याद ललित-अनिल प्रकरण के संदर्भ में।इस मामले में सिर्फ़ दो लोग ख... |
नव-सृजन![]() बाबा अम्बेडकर की जयंती पर नमन !! - !!!!! बाबा साहब अम्बेडकर की छवि बड़ी व्यापक है। आपके योगदान को कभी भी विस्मृत नहीं किया जा सकता। संविधान-निर्माता बाबा अम्बेडकर जी की जयंती 14 अप्रैल पर श... |
Gyanvani मैं इसके आगे क्या कहूँ ... - हिंदी ब्लोगिंग में जो मैंने पाया .... कैसे कहूँ कि सब ही गंवाया ... वास्तविक जीवन के समानांतर चल रही हिंदी ब्लोगिंग की आभासी दुनिया ....इधर जो माहौल बना हु... |
नन्हा मन![]() वैसाखी का मेला - *नमस्कार बच्चो ,* *आपको पता है आज कौन सा दिन है ?....आज है बैसाखी पर्व पंजाब का एक सुप्रसिद्ध त्योहार । आज हम आपको बताएंगे कि यह त्योहार मनाने के पीछे क्या... |
MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर![]() सोचते हैं क्या मांगे आपसे? चलो तलाक तलाक तलाक मागते है! - *रब से आपकी ख़ुशी मांगते हैं* *दुआओं में आपकी हंसी मांगते हैं* *सोचते हैं क्या मांगे आपसे?* *चलो तलाक तलाक तलाक मागते है!* आज मेरे यार की शादी है..........ल... |
उडान फिर जन्मने की ख्वाहिश - नीद से लड़ते हुए जब थकी-हारी फिर नीद आ जाती है सपना देखना मेरा तुम्हें जाहिर हो इसलिये बड़बड़ाती हूँ . रक्तपिपासु घूमते है निर्द्वन्द देखकर डर जाती हूँ... |
नुक्कड़![]() कहानीकार सावधान : ग्यारह हजार रुपये पाने के इच्छुक ही पढ़ें - प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान का आयोजन बांदा की शबरी संस्था द्वारा चतुर्थ प्रेमचंद कथा स्मृति कथा सम्मान हेतु कहानी संग्रह ......... पूरा पढ़ने के लिए इ... |
ताऊजी डॉट कॉम![]() वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : सुश्री शैफ़ाली पांडे - प्रिय ब्लागर मित्रगणों, हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई है... |
काव्य मंजूषा![]() कितने तो उन मयखानों में रात गुजारा करते हैं.... - पशे चिलमन में वो बैठे हैं हम यहाँ से नज़ारा करते हैं गुस्ताख हमारी आँखें हैं आँखों से पुकारा करते हैं कोताही हो तो कैसे हो, इक ठोकर मुश्किल काम नहीं मेरी... |
साहित्य योग सिन्दूर की अभी भी है कमी............ - उँगलियों से टटोलती मांग को अपने सर पर रखकर हाथ सोंचती सिन्दूर की अभी भी है कमी.... निहारती दर्पण को एक टक फिर रो पड़ती सहसा..... धूमिल हो जाते सपने आँखों ... |
देशनामा ईश्वर आपके लिए क्या करे ?...खुशदीप - *ईश्वर आपके लिए क्या करे* ?...यही था वो टॉपिक जिस पर बुज़ुर्गो के कल्याण के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने शहर में रहने वाले बुज़ुर्गों स... |
शरद कोकास![]() इस भीषण गर्मी में भी नौकरी करनी पड़ती है ? - कई साल पहले की बात है । ऐसे ही जब ग्रीष्म का आगमन हुआ एक दिन दफ्तर में एक मित्र से बात चल रही थी । वे कहने लगे “ यार गर्मी के दिनों में दफ्तर जाना बहुत... |
कबीरा खडा़ बाज़ार में लो क सं घ र्ष !: या रब, न वह समझें हैं, न समझेंगे मेरी बात - खाना, कपड़ा, मकान, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य की समस्यायें ही क्या कम है, अब पानी, बिजली और एल0 पी0 जी0 का हाहाकार भी आम जनता के मन को मथे डाल रहा है, जल निग... |
गत्यात्मक ज्योतिष कुछ बच्चे 300 से ऊपर नंबर लाएंगे .. कुछ बच्चों के नंबर निगेटिव भी होंगे .. आखिर क्यूं ?? - इधर काफी व्यस्तता चल रही है , एक खास काम में मेरा ध्यान संकेन्द्रण बना हुआ है , ऐसे में लिख पाना तो संभव नहीं , इसके बावजूद ब्लॉग जगत से दूरी नहीं बन... |
शब्द-शिखर![]() हिन्दू धर्म से विमुख डा0 अम्बेडकर (जयंती पर विशेष) - डा0 अम्बेडकर दूरदृष्टा और विचारों से क्रांतिकारी थे तथा सभी धर्मों के तुलनात्मक अध्ययन पश्चात वे बौद्ध धर्म की ओर उन्मुख हुए। एक ऐसा धर्म जो मानव को मानव क... |
GULDASTE - E - SHAYARI![]() - उम्मीद की किरणें यही हैं कह रही, रास्तों से हो गयी पहचान है ! हम डगर पर चल पड़े है बेझिझक, मंजिलें ये देखकर हैरान है ! कल तलक तो पाँव भी बेजान थे, किन्तु अब ... |
और अन्त में सरस पायस पर यह जोकर का बालगीत भी देख लें- रंग-रँगीला : कृष्णकुमार यादव की एक बालकविता - रंग-रँगीला गाल गुलाबी, नाक नुकीली, लंबी टोपी पहन चिढ़ाए। उछले-कूदे, चले मटककर, पहिए पर चढ़ उसे चलाए। रंग-रँगीला बनकर आए, सबके मन को ख़ुश कर जाए। हम सब... |
bahut achchaa shaastri ji | aap kis lagan se kaaraya karte hai , yah dikhataa hai
ReplyDeleteसर, आप की लगन के तो हम सब ही दीवाने है !
ReplyDeleteबेहद उम्दा चर्चा चलाई है !
आभार !
बहुत बढिया शास्त्री जी !!
ReplyDeleteआपकी हिम्मत और लगन की दाद देता हूँ!
ReplyDeleteआज की चर्चा भी हमेशा की तरह
बहुत आकर्षक और महत्त्वपूर्ण है!
--
रंग-रँगीला जोकर
माँग नहीं सकता न, प्यारे-प्यारे, मस्त नज़ारे!
--
संपादक : सरस पायस
बहुत अच्छी चर्चा....आभार.
ReplyDeleteहमेशा की तरह बहुत ही सुन्दर और शानदार चर्चा किया है आपने! मेरी शायरी चर्चा पर लाने के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteaaj kai din baad aayi hun kafi links yahin mil gaye ........bahut hi badhiya aur sundar charcha..........aabhar.
ReplyDeleteहमेशा की तरह एक उत्कृष्ट चर्चा.आनन्द आया.
ReplyDeletebahut hi lajawab aur behatreen charcha sir
ReplyDeletenice
ReplyDeleteaapki oorja dekh kar nat-mastak ho jaati hun...kitna kuch aapse ham seekh sakte hain..
ReplyDeleteaapka aabhar..
इसको कहते हैं सच्चा समर्पण। आपकी लगन को प्रणाम है।
ReplyDeleteआपका कार्य नि:संदेह प्रशसनीय है
ReplyDeleteमटुक और जूली की फ़ोटो मेरे लिए नई बात रही. आभार.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर चर्चा.
ReplyDeleteरामराम.
husn ki waadiyon mein....
ReplyDeletepyaar hota rahega...
achha chitran matuk aur julie ji ka...
rgds,
surender
http://shayarichawla.blogspot.com/
बहुत बढिया मनमोहिनी चर्चा शास्त्री जी!!!
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