"चर्चा मंच" अंक - 114 |
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक” |
"चर्चा मंच" की शुरुआत तो आज हम “मयंक” की पोस्ट से से ही करेंगे क्योंकि हमें कदम-कदम पर धोखे मिले हैं! यह अलग बात है कि धोखे उन्होंने ही दिये हैं जिन्हें अपना बनाया था! गैरों से तो बहुत प्यार मिला है! लगभग सवा साल की अपनी नेट की जिन्दगी में इतना तो हम जान ही चुके हैं कि नेट की दुश्मनी और दोस्ती का कोई भरोसा नही होता है! इसके साथ ही यह भी पता लग गया है कि टिप्पणी ही बिना वजह के विवादों को जन्म देतीं हैं! लेकिन यदि टिप्पणियाँ न आयें तो नेट पर लिखने का आकर्षण भी तो समाप्त हो जाता है! |
मयंक "दुष्ट पर विश्वास मत करो!" - *एक बार जंगल में एक शेर ने हिरन का शिकार किया! शेर के पूरे परिवार ने हिरन का मांस खाया!* *जब कुछ हड्डियाँ शेष रह गईं तो शेर का परिवार उन्हें छोड़कर अपनी म... |
प्रियवर पी.सी गोदियाल जी प्रतिदिन नियम से लिखने वाले ब्लॉगर हैं उन्हेंचर्चा में विस्मृत करना हमारे बस की बात नही है- अंधड़ ! ख़्वाबों के सुनहरे तिलिस्म टूटे है ! - सड़क वीरां क्यों लगती है, उखड़े -उखड़े से खूंटे है, आसमां को तककर नजर पूछे, ये बादल क्यों रूठे है! डरी सी शक्ल बताती है, महीन कांच के टुकडो की क्रोध में सुरीले... |
सुश्री वन्दना गुप्ता जी आज जख्म पर ऐसे पंछी की बात कर रही हैं जो मन के पिंजड़े में कैद है! जरा देखिए तो इसकी छटपटाहट को- ज़ख्म मन का पंछी - ना जाने वो कौन सी बंदिश है जिसे तोड़ नहीं पाता ये मन पंछी- सा क़ैद में फ़डफ़डाता उड़ना चाहकर भी उड़ नहीं पाता सिसकता तड़पता मचलता पल- पल मगर फिर भी उड़ने क... चित्तौडगढ के दो धुरंदर चिठ्ठाकारों सेआपको मिलाते हैं |
आज सदा जी भी तो टूटे हुए ख्वाबों की शायरी लेकर आई हैं- SADA क्यों ...? - उड़ जाती नींद आंखों से क्यों, जब ख्वाब कोई टूट जाता है । गुस्ताखियां याद आती हैं क्यों, कोई जब माफी मांग के जाता है । बदलता वक्त है हम दोष देते क्... |
इस पर भाण्डा फोड़ दिया गया है! ताऊ डॉट इन एक्स्ट्रा मेरीटल अफ़ेयर का भंडाफ़ोड : ताऊ टीवी - कल अदा जी द्वारा लिखी ब्लागर्स मीट की रिपोर्टिंग समीर लाल...सचमुच .... ठंडी हवा का झोंका....हाँ नहीं तो...!!!पढी, तो हम कहां कह रहे हैं कि नही हैं. बल्कि व... अरे महाशय जी! इनका चेहरा क्यों छिपा रखा है! जरा हमें भी तो इस चन्द्र-बदनी, मृगलोचनी के दीदार करा दो! |
बैशाखनन्दन प्रतियोगिता में आज आनन्द लीजिए श्री पद्म सि्ह जी के हास्य का- ताऊजी डॉट कॉम वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे : श्री पदम सिंह - प्रिय ब्लागर मित्रगणों, हमें वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता के लिये निरंतर बहुत से मित्रों की प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं. जिनकी भी रचनाएं शामिल की गई है.. लेखक परिचय :- नाम- पद्म सिंह शिक्षा- स्नातक उम्र- ३७ वर्ष व्यवसाय- सर्विस विद्युत विभाग आरंभ-- पता नहीं कैसे कवि हो गया शौक- थियेटर और नाटकों से जुडाव, संगीत मेर रूचि, बाइक और कार से लॉन्ग ड्राइव का शौक स्थान- मूलतः इलाहाबाद से हूँ, वर्तमान में गाज़ियाबाद में पिछले दस सालों से ब्लाग : पद्मावालि |
स्वप्नमञ्जूषा शैल “अदा” जी ने तम मिटाने के लिए दीपक जलाया है अपनी इस रचना में- काव्य मंजूषा ये दीया बुझ जायेगा... - जानते हो !! मुझे पता था ये दीया बुझ जायेगा फिर भी, जाने क्यूँ मैंने... इसे जलाया अँधेरे में तुम्हारे चेहरे के भाव रुख की सलवटों में छुप गए थे जो... |
बधाई देना न भूलें- हिंदी ब्लॉगरों के जनमदिन आज मीनाक्षी, विनीत उत्पल तथा चंद्रमौलेश्वर प्रसाद का जनमदिन है - आज, 7 अप्रैल को - "प्रेम ही सत्य है" वालीं मीनाक्षी, - कलम व रामायण संदर्शन वाले चंद्रमौलेश्वर प्रसाद (cmpershad) , - विनीत उत्पल का जनमदिन है। ... |
Gyanvani बात की शुरुआत ....... दिल या दिमाग की कमजोरी है ..?? - अभी कुछ दिनों पहले इस आभासी दुनिया की एक सखी से चैटिंग हो रही थी ...अक्सर हम लोग बतियाते रहते है ब्लॉगजगत में होने वाली हलचलों पर और लिखी गयी पोस्ट और कमें.. तो पिज्जा खाइए ना! खिला रहे हैं देशनामा वाले खुशदीप सहगल जी- देशनामा खाने के लिए जीना, जीने के लिए खाना...खुशदीप - रोजाना जो खाना खाते हो वो पसंद नहीं आता ? उकता गये ? ............थोड़ा पिज्जा कैसा रहेगा ? नहीं ??? ओके....पास्ता ? नहीं ?? ...इसके बारे में क्या स... |
नेट की दुनिया पर आभासी रिश्तों की परिभाषा के बारे में बता रहीं हैं सुश्री संगीता स्वरूप जी- गीत............... आभासी दुनिया के वास्तविक रिश्ते - जी हाँ , आभासी दुनिया ..यानी कि काल्पनिक ...लेकिन काल्पनिक जो पूरी तरह से काल्पनिक नहीं होती ..आज मैं बात कर रही हूँ इस अंतरजाल पर बने रिश्तों की ..आज... |
नन्हें सुमन “बिन वेतन का चौकीदार” - “आज मैं अपने कुत्ते “टॉम” को कंघी कर रहा था तो सरस पायस के सम्पादक श्री रावेंद्रकुमार रवि ने इसके ये प्यारे-प्यारे चित्र मेरे कैमरे में कैद कर ही दिये!” *और.. |
अरे वाह…! यहाँ तो बहुत ही खूबसूरत नज़ारे हैं- घुघूतीबासूती अलीबाग का समुद्रतट ..............................घुघूती बासूती - होली के समय चार दिन को बड़ी बिटिया व उसका पति यहाँ आए। बच्चे जब घर आते हैं तो जीवन भी घर आता है। हम लोग होली से अगले दिन अलीबाग घूमने गए। सारा रास्ता प... |
कुछ और बढ़िया पोस्ट नीचे भी देख लीजिए- |
सोचा ना था.... हमारी पहचान कहाँ है...? - आज वोटर आई.डी. के विषय में पूछताछ के लिए कुछ लोग आये....उनका पहला सवाल था, "ये आपका अपना घर है या किराये का?..... "किराये का...." "ठीक है...कोई बात नहीं..." .. | पराया देश आज मन बहुत उदास ओर दुखी है........ - अभी लेपटाप कोई लेने नही आया, शायद कल परसॊ आ जाये, या घर पर ही ठीक कर जाये, पता नही, तब तक मै यहां आप सब के साथ ही हुं... एक दुखद सुचना..... आज हमारी १० साल.. |
bhartimayank “उत्तर:आओ ज्ञान बढ़ाएँ:पहेली-27” (अमर भारती) - “आओ ज्ञान बढ़ाएँ:पहेली-27”*का सही उत्तर है **यह तो पीलीभीत (उ.प्र.) की**जामा मस्ज़िद है,**जो हूबहू दिल्ली की**जामा मस्ज़िद की नकल है, **पर आकार में उससे छ... | जज़्बात छोटकी बेमार बा बाकी सब ठीक हौ (भोजपुरी) - मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा छोटकी बेमार बा बाकी सब ठीक हौ घर में दरार बा बाकी सब ठीक हौ अबकी छुट्टी मिली त आइब जरूर .. |
नुक्कड़ आम आदमी का स्वास्थ्य : एक अधूरा ख्वाब - *विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष* यह रोशनी हकीकत में एक छल लोगों जैसे जल में झलकता हुआ महल लोगों *प्रशांत कुमार दुबे * ** ** प्रदेश ने विगत् पांच वर्षो.. | मिसफिट:सीधीबात fire is still alive - |
अमीर धरती गरीब लोग अरूंधति आओ,देखो 76 जवानों को मौत के घाट उतार दिया गया है? अच्छा लग रहा है ना सुनकर?पड़ गई ना कलेजे में ठंडक? हो गया ना तुम्हारा बस्तर आना सफ़ल? - अरूंधति आओ,देखो 76 जवानों को मौत के घाट उतार दिया गया है?अच्छा लग रहा है ना सुनकर?पड़ गई ना कलेजे में ठंडक?हो गया ना तुम्हारा बस्तर आना सफ़ल?तुम तो सात दिन र... |
इन सवालों के jawaमाइक्रो पोस्ट --- ज्वलंत विषय पर --- उनके लिए जो वकालत करते फिर रहे हैं सहजीवन, लिव इन रिलेशनशिप की, विवाह पूर्व यौन सम्बन्ध की सार्थकता कीकुछ सवाल हैं, कृपया सवालों के जवाब देने के लिए ही टिप्पणी करियेगा, अन्यथा हमें टिप्पणी क्षमा सहित निकालनी होगी।क्या…..कुमारेन्द्र डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर | लो क सं घ र्ष !: न माओवाद के समर्थन में, न माओवाद के विरोध मेंछत्तीसगढ़ के दंतेवाडा जिले में सी.आर.पी.ऍफ़ के काफिले के 76 जवानो की मौत ने मुझे कल से दुखी कर दिया। वहीँ प्रिंट मीडिया में एक छुपी हुई छोटी खबर से यह ज्ञात हुआ की दंतेवाडा जिले के थाना तोंगपाल के सुदुरवाडा गाँव में गाँव वासियों को घेरकर 200 जवानो ने…..लखनऊ ब्लॉगर एसोसिएशन Suman |
बताओ मुझे तुम तड़पता क्यों छोड़ गयेबताओ मुझे तुम तड़पता क्यों छोड़ गये।दिल- दिमाग से तरसता क्यों छोड़ गये।क्या यही थी तेरे प्यार की गहराई दिलवरदिल से लगा कर मचलता क्यों छोड़ गये।बैठके सकून से बातें भी नहीं कर पाये थेतन-मन ये मेरा सुलगता क्यों छोड़ गये।कुछ कह जाते तो कुछ सुन जाते आखिर मुझको…………..Meri Rachnaye Prem Farrukhabadi | पैरोडी- सिंहासन खाली करो उमाजी आती हैंसिंहासन खाली करो उमाजी आती हैं [रामधारी सिंह दिनकर की स्मृति से क्षमायाचना सहित] वीरेन्द्र जैन ------------------------------------------------------ भोपाली ठंडी बुझी राख सुगबुगा उठी गेरुआ वस्त्र की आग दहकती जाती है दो राह काल के रथ को ये मामा……virendra jain ke nashtar वीरेन्द्र जैन |
मम्मा का आईडिया तो सही था :) पिछले कुछ दिनों से तबियत ख़राब होने की वजह से कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. थोड़ी चिडचिडी भी हो गयी थी मैं. उस दिन हॉस्पिटल से आने के बाद भी मैं थोड़ी परेशान हो रही थी, तो मम्मा ने कहा की चलो इनको कहीं बाहर घुमा लाते हैं. जिससे थोडा फ्रेश फील करे. और हम….. Laviza लविज़ा | Laviza |
पितृत्व मामले में नारायण दत्त तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और आंध्र प्रदेश के पूर्व राज्यपाल नारायण दत्त तिवारी ने 6 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की। इसमें उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा पितृत्व मुकदमे में उनकी अर्जी ठुकराए जाने को चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने तिवारी की….. अदालत लोकेश Lokesh |
पहली बार मैं किसी पोस्ट को पढने का आग्रह कर रहा हूँ, यदि आप मान लेंगे तो हिन्दी ब्लोगिंग का लाभ अवश्य होगा प्यारे दोस्तों !समय आ गया है कि अब हिन्दी ब्लोगर अपना महत्व पहचाने, अपनीभूमिका - अपने दायित्व और अपने सम्पादकीय धर्म के साथ-साथ अपने अधिकार को भी समझे तथा उसे प्राप्त करने का भरसक प्रयास करेताकि ब्लोगिंग केवल टाइम पास करने का शगल अथवा वैयक्तिक भड़ास……….………… Albelakhatri.com AlbelaKhatri.com |
और आज के चर्चा मंच के अन्तिम पुष्प के रूप में यह कार्टून भी देख लें- काल करे सो आज कर.......current cartoons chandrashekhar HADA |
बेहतरीन चर्चा , और आपका हार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंआपकी इस चर्चा से बहुत मूल्यवान लिंक मिले... बढ़िया और विस्तृत चर्चा.....बधाई ...आभार
जवाब देंहटाएंतस्वीरें पसंद आईं।
जवाब देंहटाएंसंबंधों में उतार चढाव और लोगों से सबका मिलना बिछुडना तो नियम है .. जीवन की अधिकांश घटनाएं अच्छे के लिए ही होती है .. आपने आज के अच्छे अच्छे पोस्टों का बहुत ही सुंदर प्रस्तुतीकरण किया है!!
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा बाँचने में तो आनंद आ गया!
जवाब देंहटाएं--
चित्रों की शोभा तो देखते ही बनती है!
Shastri Ji aapke is manch par aanaa huwaa. aabhaar.aapne mujhe bhi jagah dene waali post aaj ki charcha me shaamil kee.thanks. fir aaungaa.abhi chalataa hu.jaaree rakhe.
जवाब देंहटाएंmanik
बहुत सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
nice
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा...सभी लिंक्स पर हो आये!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा.हार्दिक धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा!
जवाब देंहटाएंgood & better
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा पढ़कर ! इस तरह का चर्चामंच ब्लागरों को उत्साह और प्रेरणा प्रदान करता है ! सारे चित्र मजेदार हैं !
जवाब देंहटाएंFor Kumarendra jee...
जवाब देंहटाएंपहले सोचा कि जाने दें लेकिन दोबारा सोचा कि अपनी राय देते जाएँ,
जिनको असल में जानकारी चाहिए होती है, वो इस तरह ब्लॉग पर सवाल लगाकर टिपण्णी नहीं मांगते हैं, सर्वे कराने के अपने तरीके होते हैं और उसमे भाग लेने वालों की निजता सबसे प्रमुख होती है,
निजता से मेरा मतलब सिर्फ ये ही नहीं कि भाग लेने वालों को एक दुसरे के परिचय के बारे में पता न चले बल्कि ये भी कि जो उनके जवाब पढ़े उसे भी पता न चले कि जवाब किसका है. इस महत्वपूर्ण बात के चलते कभी कभी सर्वे में आशा अनुरूप परिणाम नहीं आते क्योंकि कभी कभी लोग गलत जवाब भी दे देते हैं....लेकिन खुले आम पूछने पर भी लोग लगत जवाब देते हैं तो उससे कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता...
अगर आपका उद्देश्य सनसनी फैलाना था तो बधाई, क्योकि शायद आप सफल हुए हैं...लेकिन इससे इतर आपका कोई सीरियस उद्देश्य था तो अपना सर्वे www.surveymonkey.com पर बना कर लोगों से पूछ सकते हैं...
आभार,
नीरज रोहिल्ला.