फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, अप्रैल 22, 2010

एक ब्लौग्गर, एक पोस्ट और एक चर्चा (चर्चाकारा:अदा)

लीजिये आ गए हम फिर से चर्चामंच के अंक-129 पर कुछ सक्षम, सार्थक और सटीक प्रविष्टियों को लेकर ....कल की पोस्ट पर कुछ टिप्पणियों को देख कर मन अवसाद से भर उठा था...लेकिन जीवन तो चलता ही रहता है...आज फिर हम झोला उठा कर चल पड़े....धड़क धड़क ...देखिये भाई हम पहिले ही बता देते हैं कि...हम कोई चिट्ठों की चर्चा नहीं करते हैं.....चिट्ठों का अर्थ हम जो समझते हैं वो है ब्लॉग.....हम पोस्ट की भी चर्चा नहीं करते हैं.....पोस्ट अर्थात प्रविष्ठी....किसी के लेखन पर अपनी टिप्पणी देना एक बात है लेकिन उसपर अपनी एक राय बना कर चर्चा करना एकदम अलग बात है...बहुत काबिलियत की बात है और हम उतने काबिल नहीं हैं ....इसलिए हम सिर्फ कुछ प्रविष्टियों के लिंक देते हैं...जिनमें से शायद आप कुछ पढ़ चुके होते हैं और शायद कुछ नहीं भी पढ़े होंगे......मेरा एकमात्र उद्देश्य इस तरह की पोस्ट लिखने के पीछे है कुछ ऐसे पोस्ट्स को सामने लाना जो शायद इस आगाध सागर में कहीं खो जाते हैं...या फिर उनको उतनी नज़रें नहीं देख पातीं जिनती देखनी चाहिये....खैर अब ज्यादा क्या कहें आपलोग खुद ही देख लीजिये और उनका हौसला बढाइये....शुक्रिया...
“बाल कविता:समीर लाल (उड़नतश्तरी)”
sameer “गर्मी की छुट्टी”
-समीर लाल ’समीर’
चिट्ठाचर्चा
image
आज की चर्चा
में हमने सोचा है कि सिर्फ एक ब्लॉग, एक ब्लॉगर, और एक पोस्ट की चर्चा की जाए. आज की चर्चा में हम पोस्ट और ब्लॉग ओनर की चर्चा करेंगे. इसे हम विश्लेषणात्मक चर्चा भी कह सकते हैं. तो आज हमने चुना है सुश्री. पूजा उपाध्याय के ब्लॉग लहरें को. पूजा की ख़ास बात यह है कि इनको हम Beauty with brain मान सकते हैं. और हैं भी... इनका यह कहना यह ब्लॉग लिखना इनका कोई शगल नहीं है, बल्कि ब्लॉग लिखना इनके अंतर्मन की कथा है. पूजा ज़िन्दगी को भरपूर तरीके से जीतीं हैं, और बहुत ही सकारात्मक तरीके से जीती हैं. आपको पूजा के ब्लॉग में सब कुछ मिलेगा. कविता, संस्मरण, यादें से लेकर किस्से - कहानी भी आप पढ़ सकते हैं. पूजा का हिंदी के अलावा अंग्रेजी पर भी अच्छा कमांड है. फिलहाल पूजा बैंगलोर में रह रही हैं और पेशे से कॉपी राइटर हैं. पूजा का एक ख्वाब भी है , पूजा भविष्य में फिल्म भी बनाना चाहतीं हैं. हम सब को दुआ करनी चाहिए की पूजा का यह ख्वाब ज़रूर पूरा हो.
संगीता स्वरुप जी की कविता ..कैसे मन मुस्काए

रोटी समझ चाँद को
बच्चा मन ही मन ललचाए
आशा भरकर वो यह देखे
माँ कब रोटी लाए
दशा देखकर उस बच्चे की
कैसे मन मुस्काए
image
लपूझन्ना
की हालत देख कर मेरा मन स्कूल में कतई नहीं लगा. उल्टे दुर्गादत्त मास्साब की क्लास में अरेन्जमेन्ट में कसाई मास्टर की ड्यूटी लग गई. प्याली मात्तर ने इन दिनों अरेन्जमेन्ट में आना बन्द कर दिया था और हमारी हर हर गंगे हुए ख़ासा अर्सा बीत चुका था. कसाई मास्टर एक्सक्लूसिवली सीनियर बच्चों को पढ़ाया करता था, लेकिन उसके कसाईपने के तमाम क़िस्से समूचे स्कूल में जाहिर थे. कसाई मास्टर रामनगर के नज़दीक एक गांव सेमलखलिया में रहता था. अक्सर दुर्गादत्त मास्साब से दसेक सेकेन्ड पहले स्कूल के गेट से असेम्बली में बेख़ौफ़ घुसते उसे देखते ही न जाने क्यों लगता था कि बाहर बरसात हो रही है. उसकी सरसों के रंग की पतलून के पांयचे अक्सर मुड़े हुए होते थे और कमीज़ बाहर निकली होती. जूता पहने हमने उसे कभी भी नहीं देखा. वह अक्सर हवाई चप्पल पहना करता था. हां जाड़ों में इन चप्पलों का स्थान प्लास्टिक के बेडौल से दिखने वाले सैन्डिल ले लिया करते.
सुलभ जयसवाल क्या कहते हैं ज़रा देखिये" href="http://sulabhpatra.blogspot.com/2010/04/blog-post_13.html" target=_blank>एक ब्लोगर जिनके अंदाज निराले हैं.....सुलभ जयसवाल क्या कहते हैं ज़रा देखिये:

पने ब्लॉगजगत में यूँ तो भाँती भाँती के आकर्षक अनोखे ब्लॉग हैं और विशिष्ट अंदाज वाले ब्लॉग स्वामी अपने अपने ब्लॉग पर शब्द क्रीडा करते देखे जाते हैं. साहित्य के विभिन्न रस में हाल के दिनों में व्यंग्य-ग़ज़ल रस खूब लोकप्रिय हुआ है. आइये आज मैं आपको मिलवाता हूँ, रतलाम के एक वरिष्ठ ब्लोगर श्री मंसूर अली हाशमी से. हाशमी जैसे शख्सियत का परिचय १-२ पन्ने में देना मुश्किल है. एक लाइन में कहा जाए तो यही कहेंगे - मंसूर अली जी, हिंदी, उर्द्दु, अंग्रेजी शब्दों के माहिर खिलाड़ी हैं. ये राह चलते, बातें करते शब्दों से ऐसे खेलते हैं जैसे ट्वेंटी-20 में रन बरसते हैं.
वो शबनमी लू से जल गया.....शेखर कुमावत की प्रस्तुति...
वो हवा का झोंका , जो उसके करीब से निकल गया |
बाद उस लम्हें के लाजवाब, मिज़ाज ही बदल गया ||
अब गुफ्तगुं करता रहता , वो अक्सर अपने आप से ||
दवाएं इसलिए बेअसर , वो शबनमी लू से जल गया ||
दिलीप की प्रस्तुति...फितरत इंसान की एक कडवी कविता...
image
खुदा से बस दुआ ये है मेरी किस्मत बदल जाए..
किसी का घर जले तो क्या, हमारा घर संवर जाए...
है ये चादर बहुत लंबी न मुझसे बाँट ले कोई...
इसी डर से, दुआ मैं माँगता हूँ पैर बढ़ जायें...
दिया कटवा वो बरगद कल ही काफ़ी सोचकर मैने..
किसी को छाँव दे दे, वो कहीं इतना ना बढ़ जाए...
लुटी बाज़ार मे कल रोटियाँ, न छीन पाया मैं...
तभी से बद्दुआ मैं दे रहा, सारी ही सड़ जायें...
वाणी गीत की प्रस्तुति...मेरे तुम्हारे बीच का मौन....
image
ठहरी आँखों में
ठहरा रहेगा विश्वास
सृष्टि के अनंत व्योम में
सात्विक अनुराग से स्पंदित
नाद बन कर
गूंजता रहेगा
मेरे तुम्हारे बीच का मौन ....
रश्मि रविजा का लघु उपन्यास..........आयम स्टिल वेटिंग फॉर यू, शची (लघु उपन्यास) – 10
image
(अभिषेक ,एक कस्बे में शची जैसी आवाज़ सुन पुरानी यादों में खो जाता है.शची नयी नयी कॉलेज में आई थी. शुरू में तो शची उसे अपनी विरोधी जान पड़ी थी पर धीरे धीरे वह उसकी तरफ आकर्षित हुआ. पर शची की उपेक्षा ही मिली पर फिर वे करीब आ गए. पर उनका प्यार अभी परवान चढ़ा भी नहीं था कि एक दिन बताया कि उसे रुमैटिक हार्ट डिज़ीज़ है,इसलिए वह उस से दूर चली जाना चाहती है,और शची ने उसे सब बताया कि उसने कितनी कोशिश कि उससे खुद को दूर रखने की,पर मजबूर हो गयी )
गतांक से आगे
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों...खुशदीप
image
सबसे पहले तो मैं आभारी हूं आप सब का...
जी के अवधिया, एम वर्मा, विवेक रस्तोगी, ललित शर्मा, संगीता स्वरूप, सुरेश चिपलूनकर, काजल कुमार, सतीश सक्सेना, अविनाश वाचस्पति, अजित गुप्ता, मो सम कौन, संजीत त्रिपाठी, वंदना, सुमन, डॉ टी एस दराल, राज भाटिया, सामाजिकता के दंश, बी एस पाबला, पंडित डी के शर्मा वत्स, ताऊ रामपुरिया, अनूप शुक्ल, डॉ रूपचंद्र शास्त्री मयंक, राजभाषा हिंदी, अदा जी, सतीश पंचम, समीर लाल समीर, अजय कुमार झा, प्रतिभा, विनोद कुमार पांडेय, धीरू सिंह, हरकीरत हीर, दीपक मशाल, शोभना चौधरी, रोहित (बोले तो बिंदास), वीनस केसरी, राजीव तनेजा, वाणी गीत, महफूज़ अली, डॉ अमर कुमार, सागर, मुक्ति, सर्वत एम...
परदे मे रहने दो क्युकी सभ्य हिंदी ब्लॉगर समाज मे पुरुष बुरका पहनते हैं......'नारी' ब्लॉग पर कुछ सच उजागर कर रही हैं रचना जी...

परदे मे रहने दो
पर्दा ना उठाओ
पर्दा जो उठ गया तो
भूचाल आ जायेगा
जी हाँ इरान मे आये भूकम के लिये नारियां जो पर्दा नहीं करती वो ज़िम्मेदार हैं और ये फतवा हैं किसी मुल्ला या क़ाज़ी का । पूरी खबर यहाँ पढ़े
वैसे सोचने कि बात हैं दिल्ली और आस पास गज़ियाद , फरीदाबाद इत्यादि मे बिजली और पानी कि इतनी परेशानी रहती हैं क्या उसकी वजह भी ऐसी ही कुछ हैं ??!!! कोई हमारे भारत मे इस पर रिसर्च क्यों नहीं करता ??
प्राची के पार ...में दर्पण की प्रस्तुति...
image
बयासी रुपये का आर्चीज़ का ग्रीटिंग कार्ड. जो मेरी खुद की दुकान होने की वजह से मुझे लागत मूल्य में पड़ा था. १२ रुपये का नगद फायदा.
३ महीने बीत गए, अभी कल की ही तो बात लगती है जब मैं तुमसे मिला था.
मुझे लगता है, तुम्हें सोचते सोचते पूरी ज़िन्दगी बिता सकता हूँ. या कम से कम इतना समय जब तक कि तुमसे खूबसूरत कोई और नहीं मिल जाये. फ़िर अभी तो दस ही बजे हैं यानि बस ३ घंटे हुए है दुकान खोले.
शायद समय बड़ी तेज़ रफ़्तार चल रहा था.
वह किरंच आज भी मुझे चुभ रहा है -------
image
उस दिन बैठी थी तुम यही ... थोड़ा सा फासला था हमारे और तुम्हारे बीच. मैं न जाने कब से उस फासले को कम करने की कोशिश कर रहा था. पहाड़ सा यह फासला ... टूटता हुआ प्रतिपल हौसला मेरा. घास की हरीतिमा के बीच रह रह कर चहकती हुई तुम .... पेड़ के गिरते पत्ते सा मैं तुम्हारी मासूमियत को स्पर्श कर लेने को उतावला या फिर बावला. अनगिन सम्वादों के बीच सम्वादहीन हमारे अस्तित्व. सब कुछ तो कहा था तुमने, पर वो नहीं जो सुनने के लिये मेरे कर्ण आतुर थे. शायद तुमने देखा ही नहीं था उस परिन्दे को जिसकी उड़ान नीले आसमान की छत्रछाया में बदस्तूर जारी थी. मैं आबद्ध था तुम्हारे तिलिस्म में. याद है मुझे आज भी, किस कदर तुम समेट लेती थी उस पेड़ के गिरते पत्तों को जिसके नीचे हम बैठे थे. मैं इंतजार करता रहा शायद तुम्हें मेरी भावनाओ की आहट मिले और शायद तुम इन्हें भी समेटने की कोशिश करो. पर नही ....
राजधानी के रंग.......गिरीश पंकज
image
डीजीपी का नक्सलवाद....
छत्तीसगढ़ के डीजीपी कवि भी हैं। कभी-कभार बोलते हैं और फँस जाते हैं। पिछले दिनों राँची गए और पत्रकारों से बात कहते हुए कह दिया कि नक्सलवाद कोई समस्या नहीं, यह एक विचारधारा है। अब जो कुछ छपा है, उसे लेकर काँग्रेसी हंगामा मचा रहे हैं। मांग कर रहे हैं कि डीजीपी को हटाया जाए क्योंकि ये नक्सल समस्या को लेकर गंभीर नहीं है। बात एक हद तक सही भी है। नक्सलवाद कभी रहा होगा एक विचारधारा। लेकिन अब तो यह केवल हत्याधारा है। इसे विचारधारा का नाम देना ही गलत है। यह एक समस्या है। और इसे मिटाने की ही बात होनी चाहिए। विचारधारा-फारा की बातें कह कर बौद्धिकता दिखाने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। मीडिया से जब बात हो तो दो टूक कहना चाहिए, कि हम इस समस्या से पार पा लेंगे। आपरेशन ग्रीन हंट चल रहा है। अब इसे विचारधारा है,जैसे जुमलों के सहारे किनारे करने की कोशिश करने का दुष्परिणाम तो भुगतना ही पड़ेगा। उम्मीद है, वे भविष्य में फूँक-फूँक कर ही कदम रखेंगे। एक तो मीडिया कहाँ धँसा दो, उस पर विपक्ष तो बैठा ही रहता है, खिंचाई करने, इसलिए विश्वरंजन जी, सावधानी जरूरी है। क्योंकि जीवन और कविता में अंतर होता है।
सरकारी नौकरी में सफलता के सात नियम.....विचार शून्य की प्रस्तुति...
image
एक बार मैंने शायद नवभारत टाइम्स में सरकारी नौकरी में सफलता के सात नियम पढ़े थे। मैं एक सरकारी नौकर हूँ और और अपने सरकारी भाइयों की मानसिकता से अच्छी तरह से परिचित हूँ। हममे से अधिकांश लोग ये समझते हैं की सरकारी नौकरी में वो सफल है जो कुछ काम किये बिना ही तनख्वाह पाता है। इस वजह से ये नियम मुझे हमेश याद रहे और मैं हमेशा ही ये कोशिश करता रहा की कम से कम एक आद नियम को ही अपनी जिंदगी में उतर लू तो शायद मेरा भी कार्यभार कुछ कम हो जाये। चलिए मेरा जो होना है वो होगा पर मैं दूसरों का तो अपने इस अमूल्य ज्ञान से कुछ भला कर दूँ।
मैं आपको ये सातों सुनहरे नियम उदहारण के साथ बताता हूँ। आशा हैं की कुछ अनभिज्ञ सरकारी कर्मचारी इससे लाभ उठाएंगे।
मैं माओवादी नहीं हूँ.....हथकढ़ की प्रस्तुति...
image
गरमियां फिर से लौट आई है दो दशक पहले ये दिन मौसम की तपन के नहीं हुआ करते थे. सबसे बड़े दिन के इंतजार में रातें सड़कों को नापने और हलवाईयों के बड़े कडाह में उबल रहे दूध को पीने की हुआ करती थी. वे कड़ाह इतने चपटे होते थे कि मुझे हमेशा लोमड़ी की दावत याद आ जाती थी, जिसमे सारस एक चपटी थाली में रखी दावत को उड़ा नहीं सका था. रात की मदहोश कर देने वाली ठंडक में सारा शहर खाना खाने के बाद दूध या पान की तलब से खिंचा हुआ चोराहों पर चला आया करता था.
आई पी एल और मेरे देश के मंत्री....देव कुमार झा की प्रस्तुति....
image
भाई लोगों,
सुनी आज की न्यूज़... आई पी एल की बैंड बजने वाली है, पूरा सरकारी अमला, विपक्षी पार्टियाँ सब के सब पीछे लगी हुई हैं की कैसे इसको बैन किया जाए.... पहले गौर फरमाइए देश के भाग्य विधाताओं के आई पी एल पर आये कमेन्ट पर...
लालू यादव : आईपीएल और बीसीसीआई का राष्ट्रीयकरण हो और इन्हें भारत सरकार के खेल मंत्रालय के अधीन लाया जाए।
खेद सहित!.....संजय अनेजा जी की प्रस्तुति....
camera 056
क्लोरमिंट वाली पोस्ट में मैंने ज़िक्र किया था कि बाज़ार में दस मिनट के काम में दो घंटे लग गये थे। सोचा था कि आज इस मिस्ट्री(बारामूडा ट्राईएंगल से भी ज्यादा बड़ी) पर से पर्दा उठा दूं, पर अभी रहने देते हैं। और भी कई जरूरी बातें हो गई हैं, पहले उन्हें झेल लो।
काश मैं एक बार फिर तुमसे मिल सकूं!.......भारतीय नागरिक - Indian Citizen की प्रस्तुति...
यही कोई दो महीने पहले मेरे घर अंगूर की लताओं में एक बुलबुल ने अपना रैन बसेरा बनाया. पहले एक तिनका लाई जो मालूम भी नहीं चला, और छ:सात दिन की मेहनत ने रंग दिखाया - बुलबुल का घोंसला तैयार हो गया. जाने कहां-कहां से धागे लाई और कहां-कहां से तिनके! खैर प्रारम्भ में ध्यान नहीं दिया, लेकिन थोड़े दिन बाद ही उसके चहचहाने की आवाजें अपनी ओर ध्यान आकृष्ट करने लगीं. लू चल रही हो या कड़ी धूप हो, आंधी हो या बरसात, वह अपने डैने फैलाकर घोंसले में बैठी रहती. जब हल्की हवा चलती तो झूले की तरह घोंसला भी आगे पीछे होता और ऐसा लगता जैसे कि कोई छोटा बच्चा झूले में बैठकर आनन्द उठा रहा हो.

एक दिन पाया कि वह बुलबुल अपनी चोंच में खाने की चीजें लेकर आने लगी है और घोंसले में ले जाती है अर्थात उसके घर में बच्चों का शुभागमन हो गया है. अब वह चीजें लाती और घोंसले में बैठे अपने नवजात शिशुओं के लिये खिलाती. इस समय तक केवल अंदाजा मात्र था क्योंकि घोंसला ऊंचाई पर था और बच्चे छोटे थे, इसलिये यह पता ही नहीं चलता था कि कितने बच्चे हैं. पन्द्रह दिन पहले एक चूजे का सिर दिखाई दिया. बहुत खुशी हुई उस नये सदस्य को देखकर. फिर तीन-चार दिन बाद एक-एक कर गिनती की तो पता चला कि तीन बच्चे हैं उस बुलबुल के.
शुक्रिया डॉ.दराल सर.. लन्दन चित्र श्रृंखला भाग-२------>>>दीपक 'मशाल'
वैसे तो आप सभी मेरे प्रिय और सम्मानीय ब्लॉग मित्रों ने कल दर्शाई गई तस्वीरों को देख उत्साहवर्धन किया लेकिन डॉ. दराल सर जो खुद भी ब्लॉगवुड में एक कुशल फोटोग्राफर के रूप में जाने जाते हैं उनका आशीर्वाद मिला अपना सौभाग्य समझता हूँ. लन्दन के निकाले तो मैंने करीब १००० चित्र हैं लेकिन सभी ना तो मैं दिखा पाऊंगा और ना ही आपको बोर करना चाहूँगा इसलिए बस कुछ चित्र जो आपको पसंद आ सकते हैं आज दिखा देता हूँ और कुछ कल दिखा कर यह श्रृंखला ख़त्म कर देता हूँ बाकी यदि आप में से किसी को विज्ञान संग्रहालय देखने में रूचि हो तो बता दे मैं उन्हें अलग से चित्र भेज सकता हूँ. उम्मीद कम विश्वास ज्यादा है कि आप धैर्य के साथ चित्र देखेंगे :)

ATgAAAAK1WVQ_SPAHGN5QRToYr1XSX27oc6bJ1mPT6SGIY6Dy4g5lOOvwY_XatCJQyCD4cSFVkCUQ7YLxo_rNcw1-IVqAJtU9VAJr68CLbIPPYVofXy1uwFZLMX_og
आप कितने आधुनिक हैं...विशाल कश्यप बता रहे हैं....image
image
आधुनिक का मतलब ? आधुनिक या आधुनिकता क्या है ?आधुनिक का मतलब ? आधुनिक या आधुनिकता क्या है ? कुछ लोगों का मानना है की भारत की आज़ादी को ६० वर्ष हो गए हैं , इतने लम्बे समय में आरती,
अब दीजिए आज्ञा! अगले बृहस्पतिवार को फिर भेंट होगी! एक चर्चा के साथ!

21 टिप्‍पणियां:

  1. अदा जी,
    अगर आप रोज़ चर्चा शुरू कर दे तो हम जैसे आलसियों पर बड़ी कृपा हो जाए...कहीं और जाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी...आप की चर्चा पढ़ी और सारे अच्छे लिंक्स तक पहुंच गए...आप इतनी मल्टीटेलेंटेड क्यों हैं...जलन होती है कभी कभी आपसे...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  2. आज की चर्चा के लिए आभार. सही बात है, एक ही जगह जब इतनी उम्दा पोस्टों की जानकारी मिल जाए तो कौन जाए चर्चा की गलियां छोड़ कर...

    जवाब देंहटाएं
  3. खूबसूरत चर्चा ! सारे कामयाब लिंक्स मिल गए इकट्ठे !
    आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बढ़िया चर्चा....बधाई ....मेरी प्रिविष्टि को शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. @खुशदीप जी - अदा जी के अंदाज में हम कहते हैं - वोई तो... हाँ नई तो...

    जवाब देंहटाएं
  6. सराहनीय ,सार्थक और ब्लोगरों के मनोबल को बढ़ाने वाले इस क्या हर प्रयास को मेरी ओर से हार्दिक सुभकामनाएँ और धन्यवाद /आप हमारे संसद में दो महीने आम जनता के प्रश्न काल के लिए आरक्षित होना चाहिय के पोस्ट पर जाकर अपना बहुमूल्य विचार जरूर व्यक्त करें, तथा अपने जानकार ब्लोगरों को भी ऐसा करने को कहें क्योकि देश हित में आप सब का विचार महत्वपूर्ण है / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने का भी प्रावधान किया है /

    जवाब देंहटाएं
  7. बढ़िया चर्चा....काफ़ी लिंक्स यही मिल गये…………॥आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  8. सार्थक लिंक्स के साथ अच्छी चर्चा, अभिनंदन।

    जवाब देंहटाएं
  9. ada
    thank you for including naari blog
    u are requested to remove my photo

    photos even though on net should be used only after prior permisison

    जवाब देंहटाएं
  10. अदा जी आपकी यह अदा भी भा गई
    चर्चा भी इतनी सुन्दर हो सकती है क्या?

    जवाब देंहटाएं
  11. अदामय चिटठा चर्चा अच्छी लगी ...
    चर्चा में शामिल किये जाने का आभार ...
    आप मानेंगी नहीं ...:)

    जवाब देंहटाएं
  12. ये नाईंसाफ़ी है। हमारी पोस्ट चर्चा मंच में शामिल कर ली गई और हमें मालूम ही नहीं। आप लोग तो अपना काम कर जाते हैं साधु भाव से और हम जैसे कृतज्ञता भी नहीं जता पाये। आज एक लिंक से इन पोस्ट्स का पता चला है, धन्यवाद और आभार स्वीकार करें।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।