आज की चर्चा साप्ताहिक नए और सुरुचिपूर्ण काव्य को ले कर की जा रही है…यह पहली चर्चा है इसलिए इसमें सप्ताह की बंदिश नहीं रखी है…आशा है आपको पसंद आएगी…यह मेरा प्रथम प्रयास है आशा है आप गलतियों को नज़रअंदाज़ कर और अपने बहुमूल्य सुझाव दे कर प्रोत्साहित करेंगे.. संगीता स्वरुप |
दिल की कलम से. … | स्वप्न मेरे….पर दिगंबर नासवा जी लाये हैं ….प्रगतिप्रगति के बावजूद क्या विडंबना है ये जानना है तो ये रचना ज़रूर पढ़ेंप्रगतिकुछ नही बदलाटूटा फर्श छिली दीवारें चरमराते दरवाजे सिसकते बिस्तर जिस्म की गंध में घुली फ़र्नैल की खुश्बू चालिस वाट की रोशनी में दमकते पीले जर्जर शरीर……….. |
अविनाश उनियाल ehsaas में बता रहे हैं एक आम आदमी का दर्द …किस तरह संघर्ष करता है आम आदमी दिन प्रति दिन.. मैं एक आम आदमी रोज सवेरे सपनों भरी नींद का मोह त्यागकर उठता हूँ , आईने में, कल तक चेहरे पर उभर आई |
पल्लवी त्रिवेदी अपने कुछ एहसास के साथ लायीं हैं एक नज़्म..... ज़िन्दगी के सफ़र के अगले पड़ाव की ओर...जाते हुए उनको कैसा लग रहा है जानिये उनकी नज़्म पढ़ कर … वो मुझे मिला था एक आवारा बादल की तरह जो घर की छत पर कुछ पलों को सुस्ताने रुक गया हो ऐसे ही ठहर गया था वो मेरे दरिया के मुहाने पर मैंने अपनी रूह के पानी से भिगोया था उसे बिना जाने ...ये पानी न जाने कहाँ बरसेगा | अभिव्यक्ति » है उम्मेद गोठवाल की और आज उनको सब बेगाने लग रहे हैं…..इनकी कविताएँ सोचने पर मजबूर करती हैं…आज के परिवेश और रिश्तों पर इनकी लेखनी खूब चली है…आप भी पढ़ें …….. पुल टूट रहे है.... |
नारदमुनि जी चंद पंक्तियों में ही समेट लाये हैं रोशनी | अँधेरा है,रोशनी नहीं है |
रेखा श्रीवास्तव अपने ब्लॉग HINDIGEN पर लिख रही हैं कि पत्थर बना दिया ..जिंदगी के उतार चढ़ाव को बखूबी बयां किया है… |
गिरिजेश राव जी के कविताएँ और कवि भी.पर बहुत सुन्दर कविता अवतरित हुई है…आप ज़रूर पढ़ना चाहेंगे ….इस कविता का आनंद पढ़ कर ही लिया जा सकता है… कविता नहीं - प्रलय प्रतीतिबरसी थी चाँदनीजिस दिन तुमने लिया था मेरा - प्रथम चुम्बन। बहुत बरसे मेह टूट गए सारे मेड़ बह गईं फसलें कोहराम मचा घर घर गली गली प्रलय की प्रतीति हुई।…………. | उच्चारण पर रूप चन्द्र शास्त्री जी बता रहे हैं “जीवन जीने की आशा है”जीवन इक खेल तमाशा है, जीवन जीने की आशा है। जिसने जग में जीवन पाया, आया अदभुत् सा गान लिए। मुस्कान लिए अरमान लिए, जग में जीने की शान लिए। जीवन की परिभाषा जननी हो तो ये कविता ज़रूर पढ़ें |
अंतर्मंथन पर डा० दराल लाये हैं नीरज जी की एक रचना ..यहाँ हैल्थ की मजबूरी है , वहां वैल्थ की मजबूरी है -सूखी रोटी 'ये' भी खातेसूखी रोटी 'वे ' भी खाते ।डाइटिंग से 'ये' वज़न घटातेभूखा रह वे दुबला जाते ।इनको साइज़ जीरो का शौकउनको बस सर्वाइवल का खौफ……………“ ये “ और “ वो “ कौन हैं इसको जानने के लिए पढ़िए ……… |
और अब कुछ विशेष कड़ियाँ ( लिंक्स )
आवारा बादल पर पढ़िए नीलेश माथुर के क्या मर चुके हैं शब्द | स्पंदन पर शिखा वार्ष्णेय बता रही हैं'एक शून्य तृप्ति..!का एहसास . | राजेय सहा की कविता आवाज दूं समन्दर कोपढ़िए अजनबी पर |
सतीश पंचम सफ़ेद घर पर कह रहे हैं .. देख रहे हो लॉर्ड कर्जन......तुम्हारी बातदेख रहे हो लॉर्ड कर्जनकभी तुमने कहा था ठीक धरती की तरह मंथर गति से हौले-हौले भारत में फाईलें घूमती हैं इस टेबल से उस टेबल उस टेबल से इस टेबल …… आप भी जानना चाहेंगे कि आखिर कौन सी बात लार्ड कर्जन की बता रहे हैं… | एक गीत लायी हूँ आपके लिए श्रृंगार रस में भीगा हुआ…पढ़िए रावेंद्र रवि को…….इस गीत में …हँसी का टुकड़ानथनी की परछाईं पर, सोरहा हँसी का टुकड़ा! उसे सुनाकर ख़ुश है लोरी, गोरी तेरा मुखड़ा………. |
जज़्बात, ज़िन्दगी और मैपर इन्द्रनील सैल बता रहे हैं जिंदगी का फलसफा..आइये देखिये आईने में ज़रा झाँक करताकि तस्वीर, साफ़ दिखती रहे | घर होती हैं औरते सराय होती हैंलमहा लमहा पर प्रज्ञा पांडे जी को पढ़िए ….औरतों के विभिन्न रूप | अनामिका की सदाये.अज्ज नू जी लो यारो, कल दा की पता..यहाँ पंजाबी में हिंदी के तड़के का आनंद लीजिए .कल किसने देखा यही बताने का प्रयास है इस रचना में ….. |
रचना दीक्षित को रचना रवीन्द्र पर शांति पथमें पढ़िए कि लाख झंझावात आयें फिर भी मन कि नमी उर्जा देती है | कवि योगेन्द्र मौदगिल » जी की ग़ज़ल देख कचहरी में चलती हैं.भ्रष्टाचार का खूब पर्दाफाश कर रही है .. |
मेरी भावनायें... » रश्मि प्रभा जी के ख़्वाबों से रु-ब-रु होइए इस नज़्म में .. इस बार नज़र नहीं लगने दूंगीकितनी छोटी सी लड़ाई थीपर हमारे चेहरे गुब्बारे हो गए थे - महीनों के लिए ! जिद उस उम्र की इगो का प्रश्न था |
कुछ कहानियाँ,कुछ नज्मेंअपनी क्षणिकाओं में आज के जाति वाद से होने वाले अवसाद को बताया है.. इस दर्द को आप भी महसूस करें…क्षणिकाए (दर्द) | नीरज कुमार झा मेरा पक्ष पर लिखते हैं ..खामोशी भी चैन नहीं लेने देती .. उनींदा दिन में आवाजों की ख़मोशी करती हैं बेचैन रात में ख़मोशी की आवाजें सोने नहीं देती | Unmanaaपर साधना वैद्य की माताजी की रचनाएँ पढने को मिलीं…सुन्दर भाषा शैली के साथ खूबसूरत भावनाएं मिलती हैं….आप भी एक बार ज़रूर पढ़ें..साथी मेरे गीत खो गएसाथी मेरे गीत खो गए !उस दिन चन्दा अलसाया था,मेरे अंगना में आया था,……किरण |
मेरी कलम से..पर अविनाश लाये हैं कुछ क्षणिकाएं…. क्षणिकाएँ... (भूख…कितनी तरह की भूख है ज़रा आप भी पढ़िए. | कोना एक रुबाई काका में स्वप्निल (आतिश ) ने नायब नए बिम्ब लिए हैं …..तेरे वादों के चूहों ने, मेरी हर शाम कुतरी है |
काव्य मंजूषा » में पढ़िए नयी ग़ज़ल..पर बैठा रहा सिरहाने पर ....तू प्यार मुझे तन्हाई कर बस शाने पर अब रख दे सर तू साथ है तो सब है गौहर वर्ना है सब कंकर पत्थर | ज़िन्दगी » में वंदना गुप्ता मन के मंदिर कि बात खूबसूरत अंदाज़ में बयां कर रही हैं तेरे मन का मंदिर |
और अब चर्चा के अंत में मैं आपको वो कविता दे रही हूँ जो शब्दों के दरिया से निकल कर आई है……बहुत से लोग इसे पढ़ चुके होंगे….पर यह ऐसी कविता है जिसे बार बार पढने का मन होगा… आप भी आनंद उठायें उड़न तश्तरी ….. पर बहता दरिया है शब्दों का!आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ…….अगली चर्चा के लिए फिर हाज़िर होऊँगी……आपके विचारों का स्वागत है और इंतज़ार भी …..शुक्रिया |
Bahut Bahut Bahut Badhiya Didi..
जवाब देंहटाएंaccha laga..
अच्छी चर्चा ...बेहतर लिंक मिले ...आभार ...!!
जवाब देंहटाएंसंगीता स्वरूप जी!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच में आपका स्वागत करता हूँ!
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पहली ही चर्चा में
आपने यह साबित कर दिया कि
आपमें एक कुशल चर्चाकारा के
सभी गुण विद्यमान है!
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बहुत-बहुत बधाई!
बहुत से मित्रों ने मुझे व्यक्तिगत रूप से कहा था कि http://uchcharan.blogspot.com/उच्चारण ब्लॉग खुलने में बहुत टाइम लेता है!
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच के माध्यम से अपने सभी ब्लॉगर मित्रों को सूचना दे रहा हूँ कि मैंने http://uchcharan.blogspot.com/उच्चारण का टेम्प्लेट बदल दिया है!
संगीता जी, धन्यवाद, मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए भी और एक सुन्दर चर्चा के लिए भी ...
जवाब देंहटाएंआज शाम को बैठ सारे लिंक देखूंगा ...
बहुत सजब की चर्चा..आनन्द आ गया!
जवाब देंहटाएंbahut see sunder rachanaon ko aapne ek khoobsoorat manch diya hai .. bahut achchha laga .. hamari kavita ko charcha manch par laane ke liye aapko hridaya se dhanyvaad .
जवाब देंहटाएंइतनी सारी अर्थवान और सशक्त रचनाओं की सभी लिंक्स एक बारगी ही एक स्थान पर मिल गयीं इसके लिए आपकी आभारी हूं ! मेरी माँ की कविता 'साथी मेरे गीत खो गए' को इसमें सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंएक से एक लिनक्स मिले ...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शमिल करने के लिए आभार
waah !
जवाब देंहटाएंक्रमवार जो लिंक मिले , उसका चयन आपने जितनी सजगता से किया, वह प्रशंसनीय है
जवाब देंहटाएंShukriya Sangeeta ji bahut abhaar mujhe is charcha me shaamil karne ke liye...aapka yunhi protsahan raha to kalam se zarur koi na koi badlaav laane ka aur unhe karm me parinat karne ka prayaas karta rahunga...
जवाब देंहटाएंसाधुवाद, अपनी कविता चर्चामंच पर देखकर बहुत अच्छा लगा. व्यक्तिगत रूप से लिखना एक बात है और उसको पहचान देना कहीं बड़ी बात है. आपके सद्प्रयास की जितनी सराहना की जाए, कम है.
जवाब देंहटाएंye to khub zabardast charcha hui...bahut se naye post padhne ko mile ..kuch ko pahle padh chuka tha... itni sundar charcha ke liye badhai mumma..
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा सभी लिंक देखे और पढ़े मैंने , अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंhttp://madhavrai.blogspot.com/
http://qsba.blogspot.com/
संगीता जी, प्रणाम,
जवाब देंहटाएंपहली चर्चा में ही आपने एक कुशल चर्चाकार का परिचय दे दिया है, जिस तरह से आपने मुझ जैसे और भी कई कम प्रतिष्ठित लेखको की रचनाओं को स्थान दिया वो काबिले तारीफ़ है, आपकी चर्चा से लगा की आप ने व्यक्ति को नहीं रचनाओं को महत्व दिया है, बहुत बहुत धन्यवाद्!
संगीता स्वरूप जी ... चर्चा मंच में आपको चर्चा के साथ मिलना बहुत सुखद लगा ... बहुत ही अच्छी पोस्ट सॅंजो कर चर्चा सजाई है ... मुझे भी शामिल करने का धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया रही यह चर्चा...साधुवाद !!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया, संगीता जी!
जवाब देंहटाएं--
आपकी पहली चर्चा ने ही मन मोह लिया!
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चर्चा मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है!
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आशा ही नहीं विश्वास है कि
हर सप्ताह आप हमें एक से बढ़कर एक
बढ़िया रचनाएँ पढ़वाएँगी!
संगीता जी
जवाब देंहटाएंमेरी कविता चर्चामंच पर शामिल करने के लिए बहुत आभार.
आपके सराहनीय प्रयोग के लिए बधाई
उत्साहवर्धन के लिए फिर से धन्यबाद.
रचना
बेहतरीन चर्चा ....सिलसिलेवार ..बेहद अच्छे ढंग से की आपने...बहुत बहुत बहुत बहुत अच्छी चर्चा दी
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा चर्चा ........ बधाइयाँ !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा !
जवाब देंहटाएंवाह इन्द्रधनुषी रंगों से सजा चर्चा मंच आज तो अनुपम सौन्दर्य लिए हुए है. आज आपकी चर्चा की कुछ बाते खास लगी जैसे नए नए ब्लोग्गर्स को इस चर्चा में शामिल करना दूसरा मेन ब्लोग्गर्स को चर्चा स्टापर्स की तरह अंत में लाना और आपके अपने कमेंट्स . और सब से बड़ी बात तो ये की नए लोगो को यहाँ लाना और कविताओ की विशेष चर्चा .बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी चर्चा...बड़ी सजगता और कुशलता से लिंक का चयन किया है...शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और शानदार चर्चा किया है आपने! बढ़िया प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंसभी का आभार व्यक्त करती हूँ...
जवाब देंहटाएं@@ अनामिका जी,
आपने सही फरमाया है ,
(दूसरा मेन ब्लोग्गर्स को चर्चा स्टापर्स की तरह अंत में लाना)
आपने देखा होगा अक्सर कवि सम्मलेन या गोष्ठी में मुख्य कवि अपनी कविताएँ सुनाने मंच पर अंत में ही आते हैं....तो चर्चा का समापन भी मैंने उसी रूप में करना चाहा था...
इतने ध्यान से चर्चा को पढ़ा और सराहा इसके लिए आभार
बहुत ही सुरूचीपुर्ण चर्चा, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत ही बढिया रही चर्चा....एक से एक उम्दा रचनाएं पढने को मिली....
जवाब देंहटाएंआभार्!
Waah, ye achchhi raahi.....itna kuchh ek jagah dekha, achchha laga.
जवाब देंहटाएंwaaaaaaaah ji waaaaah.....
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया संगीता जी ! ये चर्चा देख और पढ़ कर मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि आपने सिर्फ रचनाओ का आंकलन कर उन्हें अपनी चर्चा में शामिल किया है.. ना कि रचनाकार कौन है इस बात को ध्यान में रख कर.. जो कि सबसे महत्वपूर्ण और निष्पक्ष दृष्टिकोण है आपका..जिसके लिए आप साधुवाद की पात्र हैं. बहुत सी बातें अन्य मित्रों ने कह दी, और सत्य कही. फिर भी एक बात और, जो मुझे महत्वपूर्ण लगी वो ये कि चर्चा के साथ-साथ आपने जिस गुरुता औरसजगता से नए और अच्छे लिखने वालों को महत्त्व दिया है..वो काबिल-ए-तारीफ है. आपके इस प्रयास को एक बार फिर नमन !
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