Followers



Search This Blog

Tuesday, May 18, 2010

“शीर्षहीन चर्चा” (चर्चा मंच-157)

"चर्चा मंच" अंक - 157
चर्चाकारः डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक
“संघर्षों के तूफानों ने जितना नैय्या को भटकाया!
उतनी अधिक सावधानी से मैंने भी पतवार चलाया!!”
यह सिर कटी चर्चा बहुत ही भयभीत होकर लगा रहा हूँ! 
क्योंकि नहीं जानता कि 
कब कोई मेरा परमप्रिय शीर्षक पर उँगली उठा दे! 
खैर…सभी नाम-अनाम मित्रों से पहले से ही 
क्षमा माँगकर चर्चा का प्रारम्भ करता हूँ!
सबसे पहले नीलेश माथुर जी बता रहे हैं-
शब्दों के सिर कटने का राज़!

फिर शब्दों के सिर कटते हैं 
कभी कभी सोचता हूँ की लिखना कितना आसान होता है, गरीबी पर, अनपढ़ गरीब बच्चो पर, भूखे बच्चों पर, प्रताड़ित औरत पर, प्रेम पर, संवेदना पर, जुदाई पर, रिश्तों पर,  ईमानदारी पर, आत्मसम्मान पर, ,माँ पर, आज़ादी पर या और भी बहुत कुछ है जिस पर हम बहुत…..
दिल से
  nilesh mathur

भराड़ा-2 
आदरणीय समीर जी ने पिछली पोस्ट पर टिप्प्णी में आदेश दिया की  इसमें जानकारी ज्यादा होनी चाहिये अतः जो जानकारी जुटा पाया हूं वो प्रस्तुत कर रहा हूं!शिमला ज़िला के कुमारसेन में पारंपरिक भराड़ा जागरा क्षेत्र के ईष्ट श्री कोटेश्वर महादेव के आगमन और पूजन
…आधारशिला 
रौशन जसवाल विक्षिप्त
तीन चूहे
   तीन चूहे थे |वे अपने आप को बहुत चतुर समझते थे |प़र वे बिल्ली से बहुत डरते थे |हर समय अपने आप को उससे बचाने की कोशिश में लगे रहते थे |एक दिन उनने सोचा की क्यों न वे अपने मकान बना लें रोज रोज का झंझट हीसमाप्त हो जाएगा | पहले चूहे ताऊं ने अपना मकान कागज का ……..
Akanksha  
Asha

हर साख पे उल्लू बैठा है अंजामे गुलिश्तां क्या होगा..
यात्रिओं को यूँ ही मरने के लिए छोड़ दिया जाता है?मेडिकल शिक्षा का स्तरसुधरने की ज़िम्मेदारी रखने वाले केतन देसाई खुद ही इस स्तर को बिगाड़ने के लिए रिश्वत लेते पकडे जाते हैं ,तकनीकी शिक्षा परिषद् में भी ऐसा ही हो चुका है, दिल्ली के मंत्री को सुरक्षा जांच………..
जुगाली
  sanjeev
बालिका वधू : टूटते सरकारी वायदे
| Author: गुड्डा गुडिया | Source: नुक्कड़
इस साल की अक्षय तृतीया भी बाल विवाहों से अछूती ना रह सकी। शिवपुरी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में हुआ बालविवाह, इस बात की पुष्टि करता है कि प्रदेश में बालविवाह बदस्तूर जारी है। मध्यप्रदेश बालविवाह के संदर्भ में 57.3 प्रतिशत के साथ चौथे स्थान पर है। लेकिन बालविवाह के दुष्परिणाम इससे भी ज्यादा घातक हैं मसलन प्रदेश में 56 प्रतिशत महिलायें खून की कमी का शिकार है। विशेषज्ञ मानते हैं कि माताओं की मृत्यु के पीछे एक बड़ा कारण बालविवाह भी है। प्रदेश का मातृत्व मृत्यु अनुपात 335 प्रति लाख है । प्रद ...
नन्ही ब्लागर पाखी
| Author: raghav | Source: ताक-झाँक
एक नन्ही सी ब्लागर पाखी सबका मन मोह रही है । वाह क्या बात ही की सबसे कम समय मे सबसे अधिक टिप्पणिया इस ब्लाग पर ही आती है । नन्ही पाखी को ढेर सारा प्यार । पाखी के लिए चार लाइन…
जो वो आ जाए एक बार ***** {कविता} ***** सन्तोष कुमार "प्यासा"
| Author: संतोष कुमार "प्यासा" | Source: हिन्दी साहित्य मंच
जो वो आ जाए एक बार ***** {कविता} ***** सन्तोष कुमार "प्यासा"

हँसी का टुकड़ा : रावेंद्रकुमार रवि



हँसी का टुकड़ा

नथनी की परछाईं पर, सो
रहा हँसी का टुकड़ा!
उसे सुनाकर ख़ुश है लोरी,
गोरी तेरा मुखड़ा!

पाखी की
| Author: पाखी | Source: पाखी की दुनिया
*** ये रही मेरी ड्राइंग. आप जरुर बताना कि कैसी लगी***..और हाँ, ये भी आप बताना कि इसमें मैंने क्या-क्या बनाया है !!
प्रश्न:- 14 स्थाई निवास का पता
  May 17, 2010 | Author: amritwani.com | Source: जनगणना 2010
रहें वहीं सौ-सौ साल..

1-SPANDAN
 महिला ब्लॉगर्स का सन्देश जलजला जी के नाम  
गीत...............2-
महिला ब्लॉगर्स का सन्देश जलजला जी के नाम
  3- महिला ब्लॉगर्स का सन्देश जलजला जी के नाम
| Author: वन्दना | Source: ज़ख्म…जो फूलों ने दिये 
कोई मिस्टर जलजला एकाध दिन से स्वयम्भू चुनावाधिकारी बनकर.श्रेष्ठ महिला ब्लोगर के लिए, कुछ महिलाओं के नाम प्रस्तावित कर रहें हैं. (उनके द्वारा दिया गया शब्द, उच्चारित करना भी हमें स्वीकार्य नहीं है) पर ये मिस्टर जलजला एक बरसाती बुलबुला से ज्यादा कुछ नहीं हैं, पर हैं तो  कोई छद्मनाम धारी ब्लोगर ही ,जिन्हें हम बताना चाहते हैं कि हम  इस तरह के किसी चुनाव की सम्भावना से ही इनकार करते हैं….
नुक्कड़
हिन्‍दी ब्‍लॉगरों मुझे माफ कर दो : 
जलजला ने गलती स्‍वीकार करते हुए माफी मांग ली है

आप सबसे निवेदन है कि अपने अपने टिप्‍पणी बक्‍सों में जहां भी जलजला की टिप्‍पणियां हों आप उन्‍हें तुरंत डिलीट कर दीजिए। इस संबंध में जलजला ने एक बातचीत में कहा है कि मेरा ही माथा खराब हो गया था जो मैं प्रचार पाने के लिए ऐसी घिनौनी हरकत कर बैठा। मुझे अपनी हरकत पर बहुत खेद है फिर भी हो सकता है कि मैं अब भी यही हरकत करता रहूं क्‍योंकि आदत पड़ गई है। पर आप मेरी बिल्‍कुल परवाह न करें और मेरी टिप्‍पणियों की ओर कतई ध्‍यान न दें और तुरंत डिलीट कर दें।...
ताऊजी डॉट कॉम
 
वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में : श्री कृष्ण कुमार यादव - प्रिय ब्लागर मित्रगणों, आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री कृष्ण कुमार यादव की रचना पढिये. लेखक परिचय : नाम : कृष्ण कुमार यादव भारतीय डाक सेवा निदेशक ...

उच्चारण
  “गरल ही गरल” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) -
अब हवाओं में फैला गरल ही गरल।
क्या लिखूँ ऐसे परिवेश में मैं गजल।।
गन्ध से अब, सुमन की-सुमन है डरा
भाई-चारे में, कितना जहर है भरा,
वैद्य ऐसे कहाँ, जो पिलायें सुधा-
अब तो हर मर्ज की है, दवा ही अजल।
क्या लिखूँ ऐसे परिवेश में मैं गजल।।  
 
कहिये क्या विचार है 
डॉ रूपचंद्र शास्री मयंक जी ? 
कितने देने वाले हैं आप इस पोस्ट के अंक जी ?
श्रद्धेय डॉ रूपचंद्र शास्त्री जी !
नमस्कार
मुझे एक आईडिया आ रहा है और बहुत ज़ोर से आ रहा है
इसलिए रोक नहीं पा रहा हूँ , तुरन्त अभिव्यक्त कर रहा हूँ कि
क्यों न हम एक खेल खेलें..............
आप भी रोज़ रोज़ नया काव्य सृजन करते हैं और मुझे भी भ्रम है
कि मैं किसी भी विधा में तुरन्त कविता अथवा प्रतिकविता कर
सकता हूँ इसलिए यदि ऐसा हो कि आप जो कविता पोस्ट करते
हैं मैं उसी मीटर में उसकी पैरोडी बनाऊं या उसी को अपने अन्दाज़
में आगे बढ़ाऊं तो मुझे लगता है पाठकों को खूब मज़ा आएगा ।
चूँकि आप गम्भीरता और ज़िम्मेदारी से लिखते हैं और मैं उसी
रचना को हास्य व्यंग्य के तेवर में प्रस्तुत करूँगा इसलिए हम
दोनों जब स्पर्धा और मजेदार स्पर्धा करेंगे तो अन्य भी जागेंगे,
जुड़ेंगे अपने जौहर दिखायेंगे पसन्द करेंगे, टिपियायेंगे और
अपन दोनों खूब trp पायेंगे .
जब सारा माहौल ख़ुशनुमा होजायेगा तो इन दिनों हिन्दी ब्लोगिंग
में नाच रहा वैमनस्य का भूत अपने आप भाग जाएगा ।
कहिये क्या विचार है डॉ रूपचंद्र शास्री मयंक जी ?
कितने देने वाले हैं आप इस पोस्ट के अंक जी ?
पाठकों एवं मित्रों की प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है.........

Hasyakavi Albela Khatri
 
हँस रहे हैं कसाब, रो रहे उज्ज्वल, आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल - न तो जीना सरल है न मरना सरल आ लिखें ऐसे परिवेश में हम ग़ज़ल कल नयी दिल्ली स्टेशन पे दो जन मरे रेलवे ने बताया कि ज़बरन मरे अब मरे दो या चाहे दो दर्...
ज़िन्दगी
           ख्वाब को पकड़ना चाहता हूँ........... - तेरा मेरा यूँ मिलना जैसे आकाश का धरती को तकना पूजन , अर्चन,वंदन बन आई हो मेरे जीवन में जब से दीदार किया तेरी रिमझिम सी इठलाती , मुस्काती चितवन का होशोहव...
मुसाफिर हूँ यारों

कभी ग्लेशियर देखा है? आज देखिये - अभी तक आपने पढा कि मैं पिछले महीने अकेला ही यमुनोत्री पहुंच गया। अभी यात्रा सीजन शुरू भी नहीं हुआ था। यमुनोत्री में उस शाम को केवल मैं ही अकेला पर्यटक था, ...
नीरज

किताबों की दुनिया - 29 - *हम से पूछो कि ग़ज़ल क्या है ग़ज़ल का फ़न क्या* *चन्द लफ़्ज़ों में कोई आग छुपा दी जाए* इस बार किताबों की दुनिया में किताब का जिक्र करने इसे ...
उड़न तश्तरी ....

मैं कृष्ण होना चाहता हूँ!! - कोशिश करता हूँ कि जब बारिश होने लगे तब घर के बाहर न निकलूँ. छाते पर बहुत भरोसा बचपन से नहीं रहा, खास तौर पर जब बारिश के साथ तेज हवाएँ भी चलती हों. *शायद ...
जज़्बात

पंचतारे लिख रहे गरीबी पर निबन्ध ~ - श्मशानी सफर और लोहबानी गन्ध जिन्दगी के लिये मौत से अनुबन्ध . रिसते हुए रिश्तों की खुलती है गाँठ पंचतारे लिख रहे गरीबी पर निबन्ध . सपने परोस दिया औ...
सरस पायस 

सबके मन को भाए : दीनदयाल शर्मा की एक बालकविता -

इसके बिन है सरकस सूना,
दर्शक एक न आए।
उल्टे-सीधे कपड़े पहने,
करतब ख़ूब दिखाए।…..
Rhythm of words...

मन.. - चुभता है सुई की तरह कहीं तो जरा टंकने दे हो जाने दे छेद जरा मन से कुछ तो टपकने दे। छूने दे क्या गीला है बेरंग है या नीला है कोई तो आकार मिले कितना है ये नपन...


मसि-कागद

तलब (लघुकथा)------------------------------->>> दीपक 'मशाल' - आँख खुलते ही सुबह-सुबह मुकेश को अपने घर के सामने से थोड़ा बाजू में लोगों का मजमा जुड़ा दिखा. भीड़ में अपनी जानपहिचान के किसी आदमी को देख उसने अपने कमरे क...

आप ही बताओ हम अपना ये दुखड़ा आपके पास नहीं तो किसके पास रोयें....इस बुरे वक्त में आप हमारा साथ न दोगे तो कौन देगा..साथ नहीं देना है तो न दो ....पर
जी हां ये हमारा लेख नहीं वो दर्द है जो हम किसी को नहीं बता सकते . लोग समझते हैं हम लेख लिख रहे हैं पर सच्चाई ये हैं कि वो सच्चाई है जो हमें दिन-रात उस दर्द का एहसास करवा रही है जिसका क्या पता आपको कभी एहसास होगा भी या नहीं।धर्म-जाति-भाषा जैसे मुद्दों से…….
JAGO HINDU JAGO 
सुनील दत्त
काव्य मंजूषा

मसरूफ़ियत के आलम में, इसे पढ़ेगा कौन.....? - वो ! चाँद ढला सागर में, सितारे टूटते रहे लेकर अंगडाई, वो ख़ुशी की रात जो जगी है साथ, ख़्वाबों की बजी शहनाई, हर चेहरे पर लगे हैं वफ़ा के उपटन, है कौन अपना...
चर्चा के अन्त में यह कार्टून भी देख लीजिए-
कार्टून:- दु:ख भरे दिन बीते रे भइय्या..आई गइय्या
| Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून

12 comments:

  1. बहुत विस्तृत एवं उम्दा चर्चा. बधाई.

    ReplyDelete
  2. आप मानें या न मानें
    पर यह सच है कि
    जलजला जलाने नहीं
    जगाने आया है
    आग लगाने नहीं
    लगी हुई आग को
    बुझाने आया है
    http://jhhakajhhaktimes.blogspot.com/2010/05/blog-post_18.html

    ReplyDelete
  3. bahut badhiya aur vistrit charcha ki hai.

    ReplyDelete
  4. धन्यवाद चर्चामंच, बहुत विस्तृत एवं उम्दा चर्चा!

    ReplyDelete
  5. बेहद उम्दा चर्चा शास्त्री जी!!
    आभार्!

    ReplyDelete
  6. बेहद उम्दा चर्चा आभार्!

    ReplyDelete
  7. बहुत बढ़िया चर्चा!
    मेरे ब्लॉग्स "सरस पायस" और "रवि मन"
    पर प्रकाशित रचनाओं को चर्चा में
    सम्मिलित करने के लिए आभारी हूँ!
    --
    बौराए हैं बाज फिरंगी!
    हँसी का टुकड़ा छीनने को,
    लेकिन फिर भी इंद्रधनुष के सात रंग मुस्काए!

    ReplyDelete

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।