नन्हे-मुन्ने, प्यारे-प्यारे!
इस दुनिया में सबसे न्यारे!
हम सब की आँखों के तारे!
ख़ुशबू के छोड़ें फव्वारे!
जिन्हें देख मन कहता गा रे!
जिनके मन में शक्करपारे!
जो हैं सबके राजदुलारे!
आँखों के सामने यदि बच्चों की गतिविधियाँ न हों,
तो मन तक सूना-सूना लगता है!
और यदि
हँसते-मुस्कराते-
खेलते-कूदते-गुनगुनाते-खिलखिलाते-
चहकते-महकते-शरमाते-सकुचाते-ठुमक-ठुमककर नाचते
और गा-गाकर ख़ुशियाँ मनाते बच्चे हमारी आँखों के सामने हों,
तो हमारी आँखों में तो ख़ुशियों की चमक बनी ही रहती है,
मन भी इनकी मधुर गुंजार से प्रफुल्लित रहता है!
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लाल टी शर्ट अच्छी है ना
मुझे सिलाई भी आती है
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नन्हे-मुन्हेपैसे
अनिल सवेरा जी की बाल कविता
बंदर बाबु पेंट पहन कर
पहुंच गये ससुराल. |
अब ले चलते हैं रूद्र के स्कूल ..
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rudra ka school |
BAL SAJAG
पर सोनू कुमार की बाल कविता पढ़िए
कविता :कवि सम्मेलन |
नन्हे सुमन पर
डा० रूपचन्द्र शास्त्री जी
लाए हैं
“आम रसीले मन को भाये”
सरदी भागी, गरमी आई!
पेड़ों पर हरियाली छाई!! |
इस पर आकांक्षा यादव बता रही हैं
काला-पानी की कहानी |
आज बस इतना ही….
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bahut sundar chitrmay bal charcha.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत चर्चा ..
जवाब देंहटाएंमाफ़ कीजियेगा. जिस उमंग से रावेन्द्र जी ने यह चर्चा आरंभ की थी, अब यह खानापूर्ति ही ज्यादा लगती है. जहाँ लगभग दो दर्ज़न से ज्यादा बच्चों और नन्हीं दुनिया से जुड़े ब्लॉग है, वहां रावेन्द्र जी ४-५ की चर्चा करके मात्र इतिश्री कर रहे हैं. यह तो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. झूठी प्रसंशा करने से कोई फायदा नहीं.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चर्चा ..
जवाब देंहटाएंअरे वाह, यहाँ काला पानी की भी चर्चा है...बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंशहरोज़ भाई,
जवाब देंहटाएंआपकी बात का मैं जवाब दे रही हूँ...क्षमा कीजियेगा....
आज की चर्चा रावेंद्र जी कुछ विवशता के कारण नहीं लगा पाए थे....जहाँ वो इस समय हैं वहाँ आंधी की वजह से १२ घंटे से बिजली नहीं आ रही थी....
अत: ये चर्चा बहुत जल्दी में मैंने ही तैयार करके लगायी है....और अभी चर्चा करना सीख ही रही हूँ....आपकी शिकायत जायज़ है...और इस कमी का सारा श्रेय आप मुझे दें....
आभार
अच्छी चर्चा , मेरी तस्वीर लगाने के लिए धन्यावाद .mrityunjay
जवाब देंहटाएंaapki charcha anokhi hoti hai aur hamesha acchi lagti ...
जवाब देंहटाएंaabhaar..
sangeeta ji bahut acchhe se kaarybhaar sambhaal rahi hai aap.
जवाब देंहटाएंcharcha acchhi rahi. badhayi.
अभी-अभी यह चर्चा
जवाब देंहटाएंदेखने का सौभाग्य प्राप्त हो पाया!
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जैसे भी सही,
आज की यह चर्चा एक अच्छे अंदाज़ में
पाठको के सम्मुख आ सकी!
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यह न तो कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना है
और न ही इसके लिए
किसी को दोष दिया जा सकता है!
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सबसे बढ़िया और महत्त्वपूर्ण बात यह है
कि यह चर्चा आप सबके समक्ष
प्रस्तुत होने में सफल रही!
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छोटी ही सही,
पर इस चर्चा को इस अनोखी अदा में
आप सबके सामने लाने का
संपूर्ण श्रेय संगीता जी को ही जाता है!
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इसके लिए संगीता जी का हृदय से आभारी हूँ!
waah anokha andaj or dilkash charcha ...chhoti sahi par bahut sundar hai ..
जवाब देंहटाएंशहरोज भाई!
जवाब देंहटाएंआपकी शिकायत वाजिब है
मगर
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कुछ न करने से अच्छा तो
कुछ करना ही होता है!
चर्चा मंच तो नियमितरूप से
सजाया ही जा रहा है!
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बच्चों के ब्लॉग सीमित ही हैं
और हर बार किसी न किसी का नम्बर
आ ही जाता है!
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3 दिनों के अवकाश के बाद
मैं वापिस आ गया हूँ!
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सभी टिप्पणीदाताओं का आभार व्यक्त करता हूँ।।
Jitnee bhee hai bahut badhiyaa charchaa hai.
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह... क्या चर्चा है ...साधुवाद..
जवाब देंहटाएंchoti-choti chizo kaa ek apna hi maza hai...nanhe bachcho ki is nanhi charcha ka andaz atyant manmohak...
जवाब देंहटाएंaabhar sangita ji...