आज एक बहुत ही छोटी सी चर्चा प्रस्तुत है... आशा है पसंद आएगी.... 'अदा' |
मेरे मन की ...अर्चना जी.........नाम में कुछ नहीं ...........................आज सुनिए एक और पुरानी कहानी ....................शीर्षक है........................ " नाम में कुछ नहीं " |
तोला, माशा, रत्ती......गगन शर्मा पुरानी चीजों की तरह पुराने नाप-तौल भी चलन के बाहर होते चले गए। कभी-कभी मुहावरों में या किसी ख़ास खरीद फरोक्त वगैरह में उन्हें भले ही याद कर लिया जाता हो नहीं तो आज की पीढी को तो वे अजूबा ही लगते होंगे। चलिए एक बार उन्हें याद ही कर लेते हैं :- पुराने भारतीय नाप-तौल :- 8 खसखस = 1 चावल, 8 चावल = 1 रत्ती, 8 रत्ती = 1 माशा, 4 माशा =1 टंक, 12 माशा = 1 तोला, 5 तोला = 1 छटांक, 4 छटांक = 20 तोला या 1 पाव, 8 छटांक या 40 तोला = 1 अधसेरा, 16 छटांक या 80 तोला = 1 सेर, 5 सेर = 1 पसेरी, 8 पसेरी = 40 सेर या 1 मन, 1 केजी = 86 तोला या 1 सेर 6/5 छटांक, 100 केजी = 1 क्विंटल या 2 मन 27 5/2 सेर। |
कलफ़ लगी औरतें....रजनी कान्त कलफ लगी साड़ियाँ सरसराती हैं नफासत से उठते-बैठते-चलते ; तुडती-मुडती-सिकुड़ती हैं मोड़-दर-मोड़ भीतर-बाहर हर ओर . अक्सर निकाली जाती हैं इस्तिरी -बेइस्तिरी पार्टियों-मेलों-सम्मेलनों में रेडीमेड का लेबल लगाकर . |
बेहयाई हूँ मैं।......गिरिजेश राव शाद कोई नहीं तमाशाई हूँ मैं तेरी पीर से चीखूँ, भाई हूँ मैं। क़ाफिर इस तरफ गद्दार उस तरफ दीवार से उठती दुहाई हूँ मैं। ढूढ़ें आलिम-ए-बहर अन्दाजे बयाँ एक सीधी सी सच्ची रुबाई हूँ मैं। |
चिठेरिया....अनिल कान्त उधर गली के आखिरी मोड़ पर नयन सुख चचा की दुकान पर सब लोग नयनों का सुख लेने की खातिर जमघट लगाए रहे । बस कोनों सुख हुआं से गुजरा नहीं कि लगे टकटकी बाँध के घूरने । जैसे कि घर तक पनार कर ही दम लेंगे । उधर नयन सुख चचा पान का पत्ता काटते हुए बोले "अरे ई ससुर राम दास का छोरा दिखाई नहीं पड़ता आजकल । का कोनों सेटिंग वेटिंग कर लिया है का ।" |
जीवन के जोखिम.....सत्य वचन हंसने में मूर्ख समझ लिए जाने का खतरा है.रोयें तो भावुक मान लिए जाने का खतरा है.उंगली थमा दें तो हाथ जकड़े जाने का खतरा है.अपनी बात रखें तो चुप कराये जाने का खतरा है.किसी का कुछ ज़ाहिर कर दें तो अपने राज़ उभर आने का खतरा है.अपनी सोच दुनिया तो बताएं तो सपनों के चोरी हो जाने का खतरा है.प्यार तह-ए-दिल से करें तो बेवफाई का खतरा है.जीने में मरने का खतरा है. |
क्षमा करो....प्रतुल... मुझ पर हैं दो नयन आपने तो पहले से चार किये. सोचा मैं भी चार करूँ लेकर तुझसे दो नयन पिये. चार नयन पाकर भी तुमने मेरे भी दो नयन लिये. नयनहीन होकर मैं अब कैसे पाउँगा देख पिये! दया करो मुझपर, मेरे दो नयन मुझे वापस कर दो. प्यासे तो पहले से हैं वे मर जायेंगे मुक्त करो. भूल हुई मुझसे जो मैंने माँगे तेरे लोचन दो. देख नयन तेरे, ललचाया था मन मेरा, क्षमा करो. |
सोच और वहम का फर्क....अन्तर सोहिल अध्यापिका - सोच और वहम में क्या फर्क है फत्तू चौधरी - आप बहोत सैक्सी सो, या म्हारी सोच सै और हम अभी बच्चे हैं ये आपका वहम है ------------------------------------------------------------------------------------ फत्तू चौधरी मोबाईल रिचार्ज करवाने गया। फत्तू चौधरी - दस का रिचार्ज कर दे दुकानदार - सात रुपये का टाक टाईम मिलेगा फत्तू चौधरी - कोय बात ना, तीन रुपये की नमकीन दे दे ------------------------------------------------------------------------------------ फत्तू चौधरी अपनी पत्नी से - मेरे तै ब्याह तै पहलां तेरा किसे गेलां कोये चक्कर था? तेरा कोये यार दोस्त था? जब पत्नी ने कोई जवाब नहीं दिया तो, फत्तू चौधरी - मैं इस खामोशी का के मतबल समझूं, "हां के ना" फत्तू की पत्नी - अबे गिनने तो दे |
अच्छी चर्चा ... !!! बधाई
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंचर्चा छोटी है तो क्या हुआ?
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली तो है!
शानदार चर्चा....तमाम लिंक्स मिल गए..साधुवाद.
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा ... !
जवाब देंहटाएंरोचक व दिलचस्प चर्चा...हार्दिक बधाई.
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'शब्द-शिखर' पर- ब्लागिंग का 'जलजला'...जरा सोचिये !!
अच्छी चर्चा ... !
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा....
जवाब देंहटाएंबेशक छोटी ही सही लेकिन चर्चा शानदार रही...
जवाब देंहटाएंआभार्!
sundar charcha.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा ।
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हम भी उड़ते
हँसी का टुकड़ा पाने को,
क्योंकि इंद्रधनुष के सात रंग मुस्काए!
अच्छी चर्चा ... !!! बधाई
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