चर्चाकारा……………………वन्दना गुप्ता |
मातृ ऋण से कुछ तो खुद को उॠण कर लेना मत करोमेरा वंदन अभिनन्दनमत करोयाद तुमसिर्फ एक दिन मत दो सम्मान अभीफर्क नहीं पड़ता अभी तो मैंअपना बोझ उठा लूँगीतुम पर जान न्यौछावरकर दूंगी अपनी दुआओं में सिर्फ तुम्हाराही नाम लूँगी अभी तो शक्तिहै मुझमें अभी……… zakhm |
हैं माँ ......................हैं माँमेने देखामैंने समझाये दुनिया कितनी छोटी हेऔर तेरा आँचल कितना बड़ा हेतेरे आँचल में मिले मुझे लाख फूलदुनिया में मिले कदम कदम पर लाख शूलतुने हर कदम पर संभालादुनिया ने हर कदम पर गिरायासबसे बड़ा तेरा दिलबाकी सब पत्थर दिलबस माँ तेरा तेरा आँचल मिलेरख कर……काव्य 'वाणी |
मां के स्वरूप को जानने के लिए मृत्यु तक प्रतीक्षा करनी होगी..आप मां के लिए किस लब्ज का प्रयोग करेंगे। किस शब्द का सहारा लेंगे। मां की कोख से उपजा एक फूल कल उसके खिलाफ ही आवाज बुलंद करे, तो उस पर क्या बीतती है, ये एक मां के दिल से ही पूछना चाहिए। मेरी मां मेरे लिये सबकुछ है। हर किसी के लिए मां का स्वरूप व्यक्तिगत……।GAP-SHAP KA KONA |
बढते वृद्धाश्रमों और उसमे बढती माताओं की संख्या!क्या हमे मदर्स डे मनाने का हक़ है!बढते वृद्धाश्रमों और उसमे बढती माताओं की संख्या!क्या हमे मदर्स डे मनाने का हक़ है!ये सवाल मुझे कल से बेचैन कर रहा है।मदर्स डे पर स्पेशल स्टोरी के लिये कुछ ने पुछा तो मुझे कुछ सुझा भी नही।मुझे यंहा के बाल आश्रम मे रहने वाले बच्चे भी याद आये जिन्होने मुझे………अमीर धरती गरीब लोग |
मातृ दिवस ना मनाये मातृ दिवस परमाँ को करते हैं सलामऔर मातृ दिवस पर हीकहीं किसी बेटी को करते हैं हलालजब भी कहीं कोई बेटी मरती हैंएक माँ को भी तो आप ख़तम करते हैंएक बच्चे का ममत्व आप छिनते हैंआज से कुछ और साल बादशायद ना कोई माँ होगीऔर ना ही होगी कोई संतानमातृ दिवस ना……… नारी का कविता ब्लॉग |
तुमने जो सिखाया माँजब भी लगती है कोई चोटचड़ता है तापलगती है कसके भूखसूख जाता है प्यास से कंठलगता है डर भव्तिव्य्ताओं सेलोग लगातार करते है परेशानतो बरबस याद आता है कौनतुम तुम तुम -- और कौनहाँ माँ तुममें जानता हूँ तुम नही दे सकतीं मुझेयेंसी कोई सलाह जिससे काट फेंकू॥एलिया जी का ब्लॉग |
'मदर्स-डे' पर जादू की चिट्ठी अपनी मम्मा के नाममम्मा! आज 'मदर्स-डे' है। मुझे ये तो नहीं पता कि ये दिन क्यों मनाया जाता है, एक ही दिन क्यों मनाती है दुनिया 'मदर्स-डे'। क्योंकि मेरा तो हर दिन 'मदर्स-डे' है। मेरी तो सुबह भी आपके नाम से होती है और शाम भी। मुझे पता है मम्मा..मैं आपको बहुत तंग……जादू |
जब दिवस मना कर एक दिन में माँ को प्रसन्न किया जा सकता है तो क्या जरूरत है जन्म भर मातृ-भक्ति की?किसी प्रकार का दिवस मनाने का अर्थ होता है किसी घटना, वस्तु, व्यक्ति आदि को याद कर लेना। किसी का जन्मदिवस मना कर हम याद करते हैं कि फलाँ दिन उसका जन्म हुआ था, स्वतन्त्रता दिवस मना कर हम याद कर लेते हैं है कि पन्द्रह अगस्त के दिन हमें परतन्त्रता से मुक्ति……धान के देश में! |
माँ तेरे चरणों में हम शीश झुकाते हैंहे माँ मैं बहुत ही खुशनसीब हूँ की अपने मुझे जन्म दिया है और आपकी छत्र छाया में मै पला बड़ा हूँ . आज आप इस दुनिया में नहीं हैं पर मैं आपको भूल नहीं पाया हूँ और जब तक मेरा जीवन रहेगा मैं आपको कभी विस्मृत नहीं कर पाऊंगा . कभी कभी ऐसा आभास होता है की आप मेरे………समयचक्र |
" मां " " तेरे क़दमों तले जन्नत " " गजब कमाल है मा ! "तीन रचनाएं मातृ शक्ति को प्रणाम वंदन नमन के साथ !हमारी संस्कृति के अनुसार दिवस विशेष नहीं , हर क्षण माता-पिता के प्रति सम्मान और श्रद्धा भाव के लिए है । परंतु पश्चिम के अनुकरण में आज के लिए कोई आपत्ति नहीं । मातृ दिवस के उपलक्ष…॥शस्वरं |
माँ!सूरज के जागने से पहले जागतीचिड़ियों के चहकने से पहले,आँगन बुहारतीमुझे नींद से जगाने के लिएदुलरातीअपने पद चिह्नों परचलने को प्रेरित करतीमर्यादा और संस्कार कि धरोहर समेटेआदर और स्नेह कि सीख देतीमैंने,उसे कर्तव्यों का निर्वहन करते भी देखा है--अपने अधिकारों……।Jyotsna Pandey |
मांदोस्तों , करीब २ साल पहले मैंने ये कविता लिखी थी , आज mother's day पर फिर से ये कविता ब्लॉग पर दे रहा हूं . मेरी माँ नहीं है और मुझे हमेशा ही माँ की जरुरत रही है .. ... मैंने ईश्वर को नहीं देखा ,लेकिन माँ को देखा है .. और मुझे लगता है की माँ……कविताओं के मन से |
माँ के आँसूआज मदर्स डे है. माँ हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और माँ की वजह से हम आज इस दुनिया में हैं. दुनिया में माँ का एक ऐसा अनूठा रिश्ता है, जो सदैव दिल के करीब होता है. हर छोटी-बड़ी बात हम माँ से शेयर करते हैं. दुनिया के किसी भी कोने में रहें,…॥शब्द-सृजन की ओर... |
मम्मी मेरी सबसे प्यारी (आज मदर्स डे)आपको पता है आज मदर्स डे है. हर साल मई माह के दूसरे रविवार को यह सेलिब्रेट किया जाता है. मैं तो अपमी मम्मी से बहुत प्यार करती हूँ. मम्मी के बिना कोई काम तक नहीं करती. जब मुझे पहली बार स्कूल भेजा गया तो मैं मम्मी के लिए खूब रोई, पूरे एक साल. मुझे लगता थापाखी की दुनिया |
मैं और क्या कर सकती हूँ मां .... माँ ...मैं झूठ नहीं बोलतीसच ही कहती हूँजब देखती हूँ तुम्हारी आँखों मेंतुम्हारे चेहरे कोतुम कही नजर नहीं आती मुझेनजर आता हैसिर्फपिता का चेहरा ...तुम्हारी सूनी मांगसूना ललाटबुझी वीरान आँखेंउदास मुस्कराहटइन सबमेनजर आता है मुझेसिर्फ पिता का चेहरा ....देखती…॥ गीत मेरे ........ |
माँ का खत"माँ का ख़त" बलबीर सिंह `करुण' राजीव अग्रवाल (यूएसए) के सौजन्य सेनवम हिंदी महोत्सव में, बलवीर सिंह 'करुण' जी ने अपनी कविता 'माँ का ख़त' का पाठ किया था। समय की सीमा का सम्मान करते हुए, उन्होंने बेटे के जवाब को श्रोताओं से वंचित रखा। मैंने उस…॥"हिन्दी भारत |
माँ अमलतास है ~~ माँ एक शब्द नहीं एहसास है एक अटूट रिश्ता; एक विश्वास है कभी देखना गौर से बच्चे के लिये स्वेटर बुनते हुए उसे ऊन को जब वह तीलियो से उलझाती है अपने मन की अनगिनत गांठ खोलती है; सुलझाती है लोरियां गाती है सारी रात नहीं सोती है पर बच्चे की पलकों पर सपन बोती है TRUTH (Collection of my poems) |
कैसे कहूँ कि माँ तेरी याद नहीं आतीम्ममानौ मई को माँ दिवस है, इस शुभ अवसर पर अलग अलग रचनाकारों द्वारा लिखी गई माँ से सम्बंधित काव्य रचनाओं को आपके समक्ष पेश करने का युवा सोच युवा खयालात की ओर से यह एक छोटा सा प्रयास है। इस प्रयास को आपकी ओर से मिल रहा प्यार मेरे हौसलेयुवा सोच युवा ख्यालात |
माँ------------------------>>>दीपक 'मशाल'माँ दिवस पर 'अनुभूतियाँ' से एक कविता माँ के लिए...माँआज भी तेरी बेबसीमेरी आँखों में घूमती हैतेरे अपने अरमानों की ख़ुदकुशीमेरी आँखों में घूमती है..तूने भेदे सारे चक्रव्यूहकौन्तेयपुत्र से अधिकजबकि नहीं जानती थी निकलना बाहरया शायद जानती थी परमसि-कागद |
अनपढ़ और जाहिल है मेरी माँअनपढ़ और जाहिल है मेरी माँ ज़माने भर की नज़रों को पढ़ा उसने सबसे बचा के मुझको, हीरे सा गढ़ा उसने जब मुझको गाड़ी, बँगला और ओहदा मिला जिन्दगी में एक हसीं सा तोहफा मिला पूछा उस हसीं ने कितना पढ़ी है माँ? तो मुंह से निकल गया बिलकुल अनपढ़ है मेरी माँ भरी जवानीमास्टरनी-नामा |
“हम उस माँ को करते प्यार!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण - *जिसने दिया हमें आकार! हम उस माँ को करते प्यार! पीड़ा को सहकर जिसने दुनिया में हमें उतारा, माता को अपना शिशु सबसे ज्यादा होता प्यारा, कोटि-कोटि माँ का आभार! हम उस माँ को करते प्यार!! * *ममता के जल से ध... |
दोस्तों आज की चर्चा को यहीं विश्राम देती हूँ। उम्मीद है आपको पसंद आयेगी। |
बहुत बढ़िया कोशिश!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स का चयन किया गया!
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मुझको सबसे अच्छा लगता : अपनी माँ का मुखड़ा!
सुन्दर चर्चा के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तृत चर्चा. दो दिन से बाहर था. ये सभी लिंक काम आयेंगे. आभार.
जवाब देंहटाएंमाँ के प्रति हर सोच और हर मनोभाव को उजागर करतीं बहुत सार्थक रचनाओं का चयन किया है आपने ! बहुत बहुत बधाई एवं आभार !
जवाब देंहटाएंविस्तृत चर्चा ...अच्छे लिंक्स...
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल किये जाने का बहुत आभार ...!!
अच्छी चर्चा!
जवाब देंहटाएंमाँ की महिमा समेटे एक से बढ़ कर पोस्ट से सजी सुंदर चिट्ठा चर्चा....सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंसभी मातृ- भक्तों को इस अवसर पर बधाई !
जवाब देंहटाएंमाँ को समर्पित ये चर्चा बहुत बढ़िया लगी....बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुंदर बल गीत...हर माँ को मेरा शत-शत नमन
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कोशिश!
जवाब देंहटाएंआज हिंदी ब्लागिंग का काला दिन है। ज्ञानदत्त पांडे ने आज एक एक पोस्ट लगाई है जिसमे उन्होने राजा भोज और गंगू तेली की तुलना की है यानि लोगों को लडवाओ और नाम कमाओ.
जवाब देंहटाएंलगता है ज्ञानदत्त पांडे स्वयम चुक गये हैं इस तरह की ओछी और आपसी वैमनस्य बढाने वाली पोस्ट लगाते हैं. इस चार की पोस्ट की क्या तुक है? क्या खुद का जनाधार खोता जानकर यह प्रसिद्ध होने की कोशीश नही है?
सभी जानते हैं कि ज्ञानदत्त पांडे के खुद के पास लिखने को कभी कुछ नही रहा. कभी गंगा जी की फ़ोटो तो कभी कुत्ते के पिल्लों की फ़ोटूये लगा कर ब्लागरी करते रहे. अब जब वो भी खत्म होगये तो इन हरकतों पर उतर आये.
आप स्वयं फ़ैसला करें. आपसे निवेदन है कि ब्लाग जगत मे ऐसी कुत्सित कोशीशो का पुरजोर विरोध करें.
जानदत्त पांडे की यह ओछी हरकत है. मैं इसका विरोध करता हूं आप भी करें.