मैं 'अदा' आई हूँ फिर एक बार चाचा मंच पर कुछ मेरे पसंदीदा लिंक्स....आशा है आप भी इन्हें पसंद करेंगे... .................................................चिट्ठाकारा 'अदा' |
कूटनीतिक तौर पर देखा जाए तो सबसे सफल राष्ट्र कहा जा सकता है पाकिस्तान को ! पाकिस्तान एक नाकाम राष्ट्र है, पाकिस्तान एक अस्थिर और असफल राष्ट्र है...पाकिस्तान एक आतंकवादी राष्ट्र है, पाकिस्तान की नीव ही घृणा की बुनियाद पर पडी है, पाकिस्तान का कोई ईमान नहीं है, इत्यादि, इत्यादि, ऐसी बाते तो हम लोग अक्सर बोल, सुन लिया करते है, मगर यह बात सुनने में बड़ी अटपटी लगेगी, अगर मैं कहूँ कि पाकिस्तान कूटनीतिक तौर पर दुनिया का एक सबसे सफल राष्ट्र है। ![]() |
….भेजे क्यों मीठे सपने फ़ुरसतिया जी रात सो गये थोड़ा जल्दी, हालांकि थके नहीं थे ज्यादा, तीन हीरोइनें ले गयीं, हमसे सपन-मिलन का वादा। हमने उनको बहुत बताया, हैं बहुत बिजी हम भईया, बात न मानी वे सुंदरियां, बोली मत करो निराश फ़ुरसतिया॥ बात बताई श्रीमती को, फ़िर तो उनकी खिलखिल गूंजी, चले खरीदने चांदमहल हो, है घर में भांग न भूंजी। मिलना जब उन सुंदरियों से, तो जरा कायदे से रहना बाढ़ काढ़कर, मूंछ डाईकर, बनकर स्मार्ट सा मिलना॥ |
हमारे घर की औरतें ....वर्मा जी ![]() हमारे घर की औरतें ऐसी नहीं हैं हमारे घर की औरतें वैसी भी नहीं हैं हमारे घर की औरतों में सलीका है उन्हें अपनी पहचान है वे पढ़ी लिखी है वे सुन्दर वस्त्र पहनती है वे सुन्दर खाती है गाहे-बगाहे वे दबे स्वर में स्वांत: सुखाय गाती हैं वे जानती हैं कि घर से बाहर उन्हें नहीं जाना है वे जानती हैं कि ऊँची आवाज में बोलना असभ्यता है वे जानती हैं कि उनकी हद कहाँ तक है |
आज सूर्यग्रहण जैसा लग रहा है ताऊ ![]() मन अशांत है. ना लिख पाने के लिये क्षमा याचना. |
“… .. ….. .. … .. ? ” डा० अमर कुमार इस पोस्ट के कई शीर्षक दिमाग में घूम रहे थे, टिप्पणी मॉडरेशन से अपना कद कैसे बढ़ाये । कुशल टिप्पणी प्रबँधन से ब्लागरीय सौहाद्र कैसे कायम करें विषयपरक टिप्पणियाँ बहुमूल्य है, इसे बरबाद होने से रोकें स्पैम की आड़ में टिप्पणियाँ और बड़का ब्लागर, मुझे तो कोई जमा नहीं.. आप अपनी सुविधानुसार इनमें कोई एक चुन लें । यदि सभी चुन लेंगे तो भी मेरा क्या ले जायेंगे ? नॉऊ प्रोसीड टू पोस्ट ! लगता है, आज भी इस नाज़ुक मौके पर पोस्ट न लिख पाऊँगा । चिरकालीन विघ्नसँतोषी जीव पँडिताइन का प्रवेश.. वह विश्वामित्र की मेनका न सही, पर अभी तलक कुछ ख़ास हैं । सो, अपने असँयमित होने को सिकोड़ उन्हें तवज़्ज़ों देनी ही पड़ी.. |
पंडिताईन बुढिया पगला गई है....अनिकेत प्रियदर्शी ![]() सुभाषचंद्र बोस ने एक बार कहा था कि जीवन में कोई चीज़ इतनी हानिकारक और ख़तरनाक नहीं जितना डांवांडोल स्थिति में रहना । आज विभिन्न चैनलों पर जो धारावाहिक प्रसारित किये जा रहे , मूल रूप से इतने डांवांडोल स्थिति में है की आज समाज को उनसे एक बडा खतरा उत्पन्न होता दिखाई दे रहा है । अलग-अलग चैनल जो आज दर्शकों को मनोरंजन के नाम पर परोस रहे, उनमे मनोरंजन से ज्यादा सांस्कृतिक विकार नजर आने लगा है । आज हर बडा चैनल एक दूसरे की नकल उतारने पर आमदा है । एक ही तरह की कहानियों को ही हम अलग अलग रूपों मे देखते है । |
क्या है ट्रायल और फुल वर्जन और क्रैक....नवीन प्रकाश ![]() कुछ समय पहले पूछा गया था इनके बारे में यहाँ पर मैं अपनी तरह से बताने का प्रयास कर रहा हूँ । सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी या व्यक्ति अपने सॉफ्टवेयर को या तो कीमत लेकर उपयोग करने देते है या फिर मुफ्त रखते है । जो सॉफ्टवेयर मुफ्त मिलते है उन्हें Freeware कहते है ये पूरी तरह पूरे उपयोग के लिए मुफ्त होते हैं ये कह सकते है की ये मुफ्त में मिलने वालें Full Version हैं । |
नजरिया.....SDMSINGH दिल में कोई खलिश छुपाये हैं, यार आईना ले के आये हैं !! अब तो पत्थर ही उनकी किस्मत हैं, जिन दरख्तों ने फल उगाये हैं !! दर्द रिसते थे सारे लफ़्ज़ों से, ऐसे नग्में भी गुनगुनाये हैं !! अम्न वालों की इस कवायद पर, सुनते हैं " बुद्ध मुस्कुराये हैं" !! |
कविताएँ और कवि भी....गिरिजेश राव प्रात समय किरणें झूमें गली गली हरसिंगार झर झर झर झर बन्द आँखें तुलसी के बिरवा खुले केश छू लूँ? धुत्त ! सुनो कुकर की सीटी ..गैस धीमी कर दो। |
बना रहे बनारस...रंगनाथ सिंह देश है कि हिलने को तैयार नहीं है !!नीरा राडिया के मामले से देश को हिल जाना चाहिए था। छोट-छोटे मामलों मे हिल जाने वाला हमारा देश अब तक के सबसे बड़े दलाली रैकेट के पकड़े जाने के बाद भी स्थिर बना हुआ है। हमारा देश है कि हिलने को तैयार ही नहीं है !!हम परंपरावादी लोग हैं। हमारे देश की परंपरा रही है कि घोटाले होते हैं। कुछ दिन देश हिलता है। फिर हम उसे पचा जाते हैं। कुछ ऐसे कि लगता ही नहीं कि कभी ऐसा कुछ हुआ भी था। बोफोर्स काण्ड,चारा घोटाला,तेलगी काण्ड,ताबूत काण्ड से यह स्पेक्ट्रम घोटाला बहुत बड़ा था। पुराने घोटाले चींटी साइज के मान लिए जाएं तो इसे हाथी के साइज का समझ लीजिए। इस घोटाले पर कुछ खास उठापटक नहीं हुई। देश जरा सा हिला था। फिर हम इसे पचा गए। ( जो थोड़ी बहुत वायुविकार इस मामले में बची थी उसे करुणानिधि ने ए राजा फंसने के पीछे दलित होने की याद दिलाकर पंचर कर दिया !!) |
निरुपमा के लिए.....संदीप पाण्डेय ![]() जयती-जयती के नारो से धर्म पताकाएं लहराई ... भूख-लूट क्या लाती उनको मुद्दो की सड़को पर भला, जो धर्म पे लगी आंच ले आई .... वाह ! महान संस्था वाह ! महान बंधनो की रक्त मे लिपटी कथा .... हे महान शोध की प्रयोगशाला के जनो , हे निचुड़ जाने को तत्पर देवीरूपी स्तनो ..... तेरे देवालय के भीतर , हुआ है जो भी आज तलक वो , घटा है बाहर तो पाबंदी ? खुले आम अब सींग दिखाकर , नाच रहे है नंगे नंदी ... प्रेम था तेरे सदा सनातन , अनंतगामी , धर्म का खंभा , प्रेम मे ठहराव आता है ! अब ठहर गया वो उसके भीतर तो काहे का तुम्हे अचंभा .... |
जिन्दगी.....अनामिका कि सदायें ![]() कैसे कैसे लम्हों से जिन्दगी गुज़रती है कभी खुशियों के पंख लगा के उडती है. तो कभी अथाह वेदनाओं में ढलती है . हर तरफ से रिश्तों के हाथ छूटने से लगते हैं. प्यार के बंधन भी गांठे खोलते से लगते हैं. |
दुखद प्रतीक्षा....कुमार अम्बुज ![]() पाब्लो नेरूदा की कविता 'द अनहैप्पी वन' का अनुवाद। अनुवाद अंतत: एक पुनर्रचना ही है। दुखद प्रतीक्षा पाब्लो नेरूदा मैं उसे बीच दरवाजे पर प्रतीक्षा करते हुए छोड़कर चला गया, दूर, बहुत दूर वह नहीं जानती थी कि मैं वापस नहीं आऊंगा एक कुत्ता गुजरा, एक साध्वी गुजरी एक सप्ताह और एक साल गुजर गया बारिश ने मेरे पाँवों के निशान धो दिए और गली में घास उग आई और एक के बाद एक पत्थरों की तरह, बेडौल पत्थरों की तरह बरस उसके सिर पर गिरते रहे |
...एक साम्प्रदायिक कविता....दर्पण साह 'दर्शन' ![]() मैं हिन्दू हूँ मैं मुस्लिम से नफरत करता हूँ. मैं सिखों से भी नफरत करता हूँ, मुस्लिम और सिख एक दूसरे से नफरत करते हैं, दुश्मन का दुश्मन, 'दोस्त' होता है, दोस्त का दुश्मन, 'दुश्मन' , इस तरह, मैं हिन्दुओं से भी नफरत करता हूँ. दुनियाँ की महान नफरतों, ...अफ़सोस !! तुम्हारी वजह से, मेरी कविता में 'प्रेम' कहीं नहीं है. |
सानू एक पल चैन ना आवे.....आशीष ![]() कल शाम एक अरसे बाद मैंने एक गाना सुना: रिंग, रिंग, रिंगा.......! और वोही हुआ जिसके डर से एक अरसे से नहीं सुना था ये गाना! यादों का फ्लैशबैक! फिर डायरी उठायी और भीगे पन्नो में तलाशने लगा सुकून! हर एक मुक्तक, शेर, कविता, चुटकुला, किस्सा मुझे अतीत के भंवर में समाते चले गए! और जब होश आया तो विरह सेलिब्रेट करने का मूड बन चुका था! रौशनी को कमरे से बेदखल किया, बाहर की दुनिया को मुगलई अंदाज़ में कहा: तक्लिया, और कूलर चला के लैपटॉप ऑन किया! वी एल सी पर नुसरत फ़तेह अली खान और अताउल्लाह खान को सेट कर हैड फोन पहन लिया, ताकि कूलर ठंडा तो करे मगर डंडा ना करे! बस फिर क्या था, ऑंखें मूँद लीं और कर दिया हवाले अपने आप को नुसरत साब के! और वो एक के बाद एक जुदाई की तान छेड़ते चले गए! 'सानू एक पल चैन ना आवे सजना तेरे विना', 'अँखियाँ उडीक दियां, दिल वाज्जा मारदा', 'अन्ख बेक़द्रा नाल लाई, लुक-लुक रोना पै गया', 'किसी दा यार ना विछरे', और 'यादां विछरे सजन दियां आयियाँ, अँखियाँ च मी वसदा'.....अताउल्लाह खान ने पहला अलाप भरा ही था: 'इधर ज़िन्दगी का जनाज़ा उठेगा, उधर ज़िन्दगी उनकी दुल्हन बनेगी....', कि दिल को ख्याल आया, इट्स टू नेगेटिव ए थोट टू एंटरटेन!!! और फिर पेट में छिपी अंतर आत्मा ने आवाज़ लगाई, अबे कुछ खाले! टाईम देखा, साढ़े ग्यारह बज चुके थे! चार घंटे चला विरह का सेलिब्रेशन! फिर मैगी बनाई, छोले मसाला डाल के! (ट्राई करें) और अपना पर्सनल एंथम सुना: मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुंए में उडाता चला गया..... (धुंए को धुम्रपान से ना जोडें! आपको पता है कि मैं सिगरट, शराब, तम्बाकू, नॉन-वेज, आदि सभी से दूर हूँ, इसलिए फिर से नहीं बता रहा! लेकिन लड़की वाले फिर भी नोट करें!) खा-पी कर बर्तन मंजे और भरपूर नींद सोया! उन भीगे पन्नो में से तीन मुक्तक प्रस्तुत हैं! नदिया ने इन्हें बेहद पसंद किया था, आप बताइए कैसे लगे? |
आपकी चर्चा में बहुत से अच्छे लिंक्स मिल जाते हैं, आभार स्वीकार करें।
ReplyDeletenice
ReplyDeleteशालीनता से शानदार चर्चा करने के लिए
ReplyDeleteअदा जी का आभार!
शास्त्री जी बहुत बढ़िया चर्चा,,पोस्ट तो बहुत ही बेहतरीन होते है आपकी चिट्ठा चर्चा के..बधाई
ReplyDeleteउत्तम चर्चा!
ReplyDeleteअदा जी , सुन्दर व बेहतरीन चर्चा के लिए शुक्रिया !
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा
ReplyDeleteअदा जी , जनोक्ति से अनिकेत भाई के पोस्ट को चर्चा में शामिल करने लिए धन्यवाद ! चर्चा का शीर्षक देख कर ख़ुशी हुई क्योंकि अनिकेत भाई के आलेख को यह शीर्षक मैंने ही दिया था ! यूँ ही अच्छी पोस्ट को सबको पढवाते रहिये !
ReplyDeletebahut sundar charcha ki hai......aabhar.
ReplyDeleteटिप्पणी-२
ReplyDelete४. ज्ञानदत्त ने जो पोस्ट लिखी वो उसकी और फ़ुरसतिया की सोची समझी रणनीती थी. ये दोनों लोग सारे ब्लागरों को बेवकूफ़ समझते हैं. इनको आजकल सबसे बडी पीडा यही है कि इन दोनों का जनाधार खिसक चुका है. समीरलाल को लोकप्रिय होता देखकर ये जलने लेगे हैं.
ज्ञानदत्त ने जानबूझकर अपनी पोस्ट मे समीरलाल के लेखन को इस लिये निकृष्ट बताया कि उसको मालूम था इस पर बवाल मचेगा ही. और बवाल का फ़ायदा सिर्फ़ और सिर्फ़ मिलेगा ज्ञानदत्त अऊर अनूप को. और वही हुआ जिस रणनीती के तहत यह पोस्ट लिखी गई थी. समीरलाल के साथ साथ ज्ञानदत्त अऊर अनूप भी त्रिदेवों में शामिल होगये. अबे दुष्टों क्या हमारे त्रिदेव इतने हलकट हैं कि तुम जैसे चववन्नी छाप लोग ब्रह्मा विष्णु महेश बनेंगे? अपनी औकात मत छोडो.
५. ज्ञानदत अऊर अनूप ऐसे कारनामे शुरु से करते आये हैं. इसके लिये हमारी पोस्ट 'संभाल अपनी औरत को नहीं तो कह चौके में रह' का अवलोकन कर सकते हैं. और इनकी हलकटाई की एक पोस्ट आँख की किरकिरी की पढ सकते हैं. ज्ञानदत्तवा के चरित्तर के बारें मा आप असली जानकारी बिगुल ब्लाग की "ज्ञानदत्त के अनाम चमचे ने जारी की प्रेस विज्ञप्ति" इस पोस्ट पर पढ सकते हैं जो कि अपने आप मे सौ टका खरी बात कहती है.
६. अब आया जाये तनिक अनूप शुक्ल पर = इस का सारा चरित्तर ही घिनौना और हलकट है. इसकी बानगी नीचे देखिये और अब तो आप को हम हमेशा ढूंढ ढूंढ कर बताता ही रहूंगा.
शेष भाग अगली टिप्पणी में....
टिप्पणी-३
ReplyDeleteअ. आप सबको टिप्पू चच्चा तो याद ही होंगे. अब बताईये टिप्पू चच्चा की क्या गलती थी? टिप्पू चच्चा कभी कभार अपना बिलाग पर कुछ उनकी अपनी पसंद की टिप्पणीयां छापकर टिप्पणी चर्चा किया करते थे. अऊर चच्चा ने गलती से अनूपवा की चिठ्ठाचर्चा वाला टेंपलेटवा लगा लिया. बस अनूपवा अऊर उसके छर्रे को मिर्ची लग गईल.
एक रोज अनूपवा के छर्रे* (इस छर्रे का नाम हम इस लिये नही ले रहा हूं कि जबरन इसको क्यों प्रचार दिया जाये) ने चच्चा के लिये टिप्पणि करदी कि टिप्पू चच्चा तो गुजरे जमाने की बात हो गईल. यहीं से सारा झगडा शुरु हुआ. चच्चा ने अनूपवा से टिप्पणी हटाने का आग्रह किया जो कि नही हटाई गई.
ब. इसी से नाराज होकर चच्चा टिप्पूसिंह ने अनूपवा अऊर उसके तथाकथित छर्रे के खिलाफ़ मुहिम चलाई पर अफ़्सोस च्च्चा थक गये पर अनूप ने वो टिप्पणी नही हटाई. बेशर्मी की हद होगई.
स.उल्टे अनूपवा ने अजयकुमार झा साहब को परेशान कर दिया कि तुम ही टिप्पू चच्चा हो. झा साहब को तब टेंपलेट बदलना त दूर लिंक लगाना नाही आता था. लेकिन साहब अनूप तो त्रिदेव हैं फ़तवा दे दिया त देदिया.
द. इसी अनूपवा अऊर इसके छर्रे ने बबली जैसी महिला को इनकी चिठ्ठाचर्चा पर सरे आम बेइज्जत किया. अपनी कल की पोस्ट मे ये दावा (अपने से छोटो और महिलाओं को मौज (बेइज्जत) नही लेते) करने वाले अनूप बतावो कि बबली तुमको तुम्हारे से छोटी और महिला नही लग रही थी क्या?
इ. अनूपवा आगे फ़रमाते हैं कि वो कभी किसी से बेनामी कमेंट नही करवाते. तो बबली के लिये आज तक यहां वहां बिखरे कमेंट और दूसरे ढेरों ब्लागो पर बिखरे कमेंट, तुम्हारे समर्थन मे लगाई गई हिंदिब्लागजगत की पोस्ट तुमने लगाई या तुम्हारे छर्रों ने लगाई? जिस पर तुम्हारा कमेंट भी था. अब तुम कहोगे कि हमारे समर्थन मे त एक ही लगी है समीरलाल के समर्थन मा बाढ आगई, तो अनूप शुकुल तुम्हारी इतनी ही औकात है.
क्रमश:
टिप्पणी-४
ReplyDeleteअब हमार ई लेक्चर बहुते लंबा हुई रहा है. हम इहां टिप्पू चच्चा से अपील करूंगा कि चच्चा आप जहां कहीं भी हो अब लौट आवो. अब तो अनूपवा भी पिंटू को बुला रहा है वैसन ही हम तौका बुलाय रहे हैं. हम तुम मिलकर इस अनूपवा, ज्ञानदत्तवा और इन छर्रे लोगों की अक्ल ठीक कर देंगे, लौट आवो चच्चाजी..आजावो..हम आपको मेल किया हूं बहुत सारा...आपका जवाब नाही मिला इस लिये आपको बुलाने का लिये ई टिप्पणी से अपील कर रहा हूं. अनूपवा भी अपना दूत भेज के ऐसन ही टिप्पणी से पिंटू को बुलाय रहा है. त हमहूं सोच रहे हैं कि आप जरुर लौट आवोगे.
चच्चाजी सारा ब्लाग्जगत तुम्हरे साथ है. आकर इन दुष्टों से इस ब्लाग जगत को मुक्त करावो. सोनी जी के शब्दों मे तटस्थता भी अपराध है. हे चच्चा टिप्पू सिंह जी आपके अलावा अऊर किसी के वश की बात नाही है. अब तक केवल अनूपवा अऊर उसका छर्रा ही था अब त एक बहुत बडा हाथ मुंह पर धरे बडका आफ़सर भी न्याया धीश बन बैठा है. आवो च्च्चा टिप्पूसिंह जी...औ हम आपको मेल किया हूं. मुझे आपकी टिप्पणी चर्चा मे चर्चा कार बनावो. क्योंकि मेरी पोस्ट पर तो इन लोगों के दर से कोई आता ही नही है.
अब हम अपने बारे मा बता देत हूं... हम सबसे पुराना ब्लागर हूं. जब अनूपवा भी नही थे ज्ञानदत्तवा भी नाही थे और समीरलालवा भी नाही थे. ई सब हमरे सामने पैदा भये हैं. अब हम आगया हूं अऊर चच्चा टिप्पू सिंह का इंतजार कर रहा हूं. अब आरपार की बात करके रहेंगे.
इस हिसाब से हम आप सबके दद्दाजी लगते हैं औ हमे दद्दा ढपोरसिंह के नाम से पुकारा जाये.
छर्रे का मतलब ज्ञानदत्तवा स्टाइल मा समझा देत हैं.
छर्रे = pupil = प्युपिल = चेलवा = शिष्य = पढा जाये :- अव्यस्क व्यक्ति
श्रंखला जारी रहेगी............
पावन कुमार सिंह, 'nazariya' ब्लॉग वाले, के ब्लॉग को अपनी चर्चा में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !!
ReplyDeleteवाह ...क्या शीर्षक चयन है ...!!
ReplyDeleteबढ़िया लगा ।
ReplyDeleteआपकी चर्चा में बहुत से अच्छे लिंक्स मिल जाते हैं, आभार स्वीकार करें।
ReplyDeletehttp://madhavrai.blogspot.com/
http://qsba.blogspot.com/
सुंदर चर्चा के लिए आभार.
ReplyDeleteबहुत ही बढिया चर्चा अदा जी...
ReplyDeleteअति सुन्दर्!!
shukriya ada ji aapne yaad to rakha hame shukriya varna log hame bhoolne lage hain.
ReplyDeletebahut acchhi acchhi posts utha kar laayi hai.