साल का आखिरी दिन और साल की आखिरी चर्चा....... हर ओर खुमारी है........ पूरे साल घरों में दीवार पर टंगा कैलेंडर अब पुराना हो जाएगा और उसकी जगह ले लेगा नया कैलेंडर। 2011 का यह आखिरी दिन और फिर सुबह होगी 2012 की। अपने अपने तरीके हैं सबके पुराने साल की विदाई और नया साल का स्वागत करने का। वर्ष 2011 की विदाई के तौर-तरीकों पर बात कर रही हैं अजित गुप्ता जी
इसी विषय पर और ही विस्तार से बात कर रही हैं पल्लवी जी
नया साल सबके लिए मंगलमय हो..... सबके लिए शुभ हो.... सब नए साल में फले फूलें.... सबका कल्याण हो....... सबके घर खुशियां आयें, सबके लिए दुआएं मांग रही हैं शशि पुरवार जी
देशभक्ति के जज्बे के साथ नए साल की खुशियां मनाने की बात कह रहे हैं धीरेन्द्र सिंह जी
चहुंओर खुशहाली हो.... चहुंओर समृध्दि हो.... आने को है नया साल
समय किसी के लिए नहीं रूकता.... वह निरंतर चलता रहता है.... जिंदगी में हमें समय की कद्र करनी चाहिए और साथ ही उनकी जो हमारी फिक्र करते हैं, इस कडी में सबसे पहला नाम आता है 'मां' । कहते हैं भगवान ने दुनिया बनाई और इसके बाद उसने 'मां' को बनाया, क्योंकि वो खुद हर जगह, हर वक्त, हर इंसान के साथ नहीं रह सकता था इसलिए उसने 'मां' बनाया। 'मां' को लेकर एक मर्मस्पर्शी कहानी काणी मां
वर्ष 2012 के आने से पहले 2011 पर बात की जाए और इस वर्ष में अपने अपने क्षेत्र में छाप छोडने वालों पर बात की जाए तो वर्ष की सबसे सशक्त महिला हैं बंगाल शेरनी
और इसी बंगाल शेरनी पर बात हो रही है ममता, माओवाद और आतंक
अब कुछ लिंक सीधे सीधे आप तक .............
कहां कहां जाती हैं नदिया की बूंदे
बिलावजह कुछ नहीं होता कोई बात यूं बाहर नहीं जाती
सच कहा है सिर्फ कोहीनूर ही मुकुट में जडे जाते हैं
समझ में नहीं आता कैसी ये जुदाई है
सात दिनों में सबसे प्यारा टूटी चूडी में फंसा हुआ इतवार
अरे आप तो चुप रहिए वो कुछ बोलने जा रहे हैं.....
हकीकत कुछ भी हो इन्हें चाहिए सबूत
लोकपाल आंदोलन को करीब से जानिए अन्ना की आग में मीडिया का घी
अखबारों में प्रचार प्रसार का काम देखते पूरी उम्र गुजार चुके एक बुजुर्ग का दर्द है पत्रकारिता का रंग पीला क्यों......?
नए साल की बधाईयों के बीच बधाई दीजिए इनको भी। इनके स्मृति रथ के लिए
नए साल की खुमारी में ही न डूबे रहें सचेत भी रहें क्योंकि आ गया है इंसानी दिमाग को हैक करने वाला कम्प्यूटर वायरस
नए साल पर म्यूजिकल ग्रीटिंग भेजना सीखिए यहां
आखिर में आज का सदविचार