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शनिवार, दिसंबर 10, 2011

मन को जानना सबसे बड़ी साधना है.....(चर्चा मंच- 724)

हम दावा तो करते हैं कि दुनिया को जान गए... दुनियादारी समझ गए पर क्‍या हम खुद को जान पाए हैं....? परमात्‍मा की खोज में लगे रहते हैं पर क्‍या आत्‍मा को समझ पाए....?? ज्ञान की खोज में सारी उमर खप जाती है पर खुद को समझ पाए....??? अजीत गुप्‍ता जी उठा रही हैं बडे सवाल...... मन को जानना सबसे बडी साधना है...
चलिए खुद को समझ लिया... अपने मन को पढ लिया तो इस सवाल का भी जवाब दे ही दीजिए आप लोगों को गुस्‍सा नहीं आता क्‍या?
लगे हाथ इनकी भी समस्‍या का समाधान कर लिया जाए, शादी के पहले कुंडली मिलान या फिर चिकित्‍सकीय परीक्षण और दोनों के नफे-नुकसान पर बात कर रही हैं अर्चना गौतम जी
अब एक बडा सवाल। सवाल देश का। जाति और धर्म में बंटी हमारी व्‍यवस्‍था पर चोट कर के साथ चेतावनी लेकर आई है यह पोस्‍ट धर्म आधारित आरक्षण भारत के लिए विष का प्याला
आरक्षण की तरह ही एक बडी समस्या है आतंकवाद और नक्‍सलवाद। किसी समय देश के एक राज्‍य पश्चिम बंगाल के छोटे से गांव नक्‍सलवाडी से भूमि सुधार के नाम पर शुरू हुआ नक्‍सल आंदोलन अब देश के आधे से ज्‍यादा राज्‍यों के लिए नासूर बन गया है। नक्‍सल आतंक पर बोल रहे हैं अनिल पुसदकर जी
.... हम कहां जा रहे हैं। खुद तो बिगडे हैं, छोटी पर गंभीर बात छुपी है इस नए नए बने ब्‍लागर की इस छोटी सी पोस्‍ट में बचपन से खिलवाड
ये क्‍या। रोज कुछ न कुछ नया लेकर आने वाले ये सज्‍जन बता रहे हैं गर्भवती हो गई थीं साध्‍वीं!
अंतरजाल पर सेंसरशिप की बात चल रही है मौजूदा समय में। क्‍या कहते हैं आप गुलाम मानसिकता के मध्य स्वतंत्र अभिव्यक्ति की कल्पना !
अभिव्‍यक्ति का एक और माध्‍यम है ब्‍लागरी। ब्‍लागरों के डाक्‍टर डा.पाबला की चर्चा कर रहे हैं डा टी एस दराल जी
आप ब्‍लाग की दुनिया में हैं तो अपने ब्‍लाग को नित नए तरीके से सजाना भी चाहेंगे, तो चलिए अपने ब्‍लाग में लगा लीजिए थ्री डी रिबन
गद्य की चर्चा को विराम देने से पहले सर्दियों में फिटनेस और सौंदर्य पर भी नजर डाल लिया जाए।
अब कुछ चर्चा पद्य रचनाओं की!
सर्दियों पर बात हो रही थी और हो रही थी फिटनेस और सौंदर्य पर तो इस मौसम में फिजा की खूबसूरती को कैसे भूला जाए...... याद आ रही है कोहरे की चादर
पर फिर भी मजबूरी है
इस मौसम में जलेबी सी लगती है धूप
कोहरे में छुप आता है आकाश पर इस समय भी ये याद कर रही हैं अल्हड़ बादल
न जानें क्‍यों हैं इनका सूना इनबाक्‍स
तो ये खुद को खोती जा रही हैं तुझे पाने की चाहत में
क्‍या सच में कठिन है छंद लेखन
भगवान से भी सौदा... आखिर इंसान सौदेबाजी से बाज नहीं आता
आखिर.... जिंदगी से कितना दूर भागोगे तुम....!
कुछ आराम किया जाए, सुनते हैं डा. अजय जनमेजय की लोरी
या फिर देखें चमत्‍कार या फिर हंसे हंसमुख जी के निशाने पर
पर जवाब दीजिए जरू इस बडे सवाल का फिर यह क्‍यों ना बदला
फिर सीखते हैं चलिए दो और शब्‍द लिखना और बोलना बोलते शब्‍द में
और सुनते हैं लता मंगेशकर का यह गाना।
चलते चलते इन दस हजारी को बधाई तो देते जाईए, क्‍योंकि इनकी आदत ... है मुस्‍कुराने की
आज के लिए बस इतना ही। मिलते हैं फिर अगली चर्चा में.... पर इस चर्चा में शामिल होना न भूलिए क्‍योंकि ये मंच सजा आपके लिए ही है.....।

39 टिप्‍पणियां:

  1. रात के 12.30 बज रहे हैं। अभी कुछ काम कर रहा था। सब कुछ निपटाने के बाद लगा कि चलते चलते जरा ब्लाग परिवार को भी देखता चलूं। भाई अतुल जी.. आप तो तारीख बदलते ही नई चर्चा लगा देते हैं। क्या बात है। इससे इतना तो साफ है कि आप कितना गंभीर है इस मंच के प्रति..
    सच कहूं तो इस समय आंखे बंद हो रही हैं, सुबह लिंक्स पर जाकर पढूंगा, फिर यहां दोबारा आऊंगा।

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया व सुन्दर चर्चा | मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए दिल से धन्यवाद |

    टिप्स हिंदी में

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छी चर्चा के लिए बधाई और मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  5. अरे ब्लॉगर जी!
    टिप्पणियाँ क्यों लील रहे हो!
    --
    एक टिप्पणी यह भी तो आई थी यहाँ!
    --
    महेन्द्र श्रीवास्तव द्वारा blogger.bounces.google.com
    १२:४२ पूर्वाह्न (6 घंटे पहले)

    मुझे
    महेन्द्र श्रीवास्तव has left a new comment on your post "मन को जानना सबसे बड़ी साधना है.....(चर्चा मंच- 724...":

    रात के 12.30 बज रहे हैं। अभी कुछ काम कर रहा था। सब कुछ निपटाने के बाद लगा कि चलते चलते जरा ब्लाग परिवार को भी देखता चलूं। भाई अतुल जी.. आप तो तारीख बदलते ही नई चर्चा लगा देते हैं। क्या बात है। इससे इतना तो साफ है कि आप कितना गंभीर है इस मंच के प्रति..
    सच कहूं तो इस समय आंखे बंद हो रही हैं, सुबह लिंक्स पर जाकर पढूंगा, फिर यहां दोबारा आऊंगा।

    Posted by महेन्द्र श्रीवास्तव to चर्चा मंच at December 10, 2011 12:42 AM

    जवाब देंहटाएं
  6. आज की सुन्दर और सधी हुई चर्चा करने के लिए-
    अतुल श्रीवास्तव जी का आभार!

    जवाब देंहटाएं
  7. चुने हुए अच्छे लिंक्स ...
    आभार !

    जवाब देंहटाएं
  8. अच्छी चर्चा के लिए बधाई और मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार...

    जवाब देंहटाएं
  9. अतुल जी ढूंढ ढूंढ कर लाए हो आप इतने अच्‍छे और इतने सारे लिंक्‍स...उनको खूबसूरती के साथ हमारे सामने पेश करने के लि‍ये धन्‍यवाद...

    जवाब देंहटाएं
  10. अतुल जी ...आपका प्रयास काबिले तारीफ है ...और अच्छे पाठन-पठन का सु-अवसर प्रदान करता हुआ |

    जवाब देंहटाएं
  11. सुन्दर चर्चा | मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए दिल से धन्यवाद....अतुल जी!

    जवाब देंहटाएं
  12. वैसे मैं रात में भी इस चर्चा को देख चुका हूं। लेकिन अभी मैने इत्मीनान से देखा। क्या बात अतुल जी, बहुत अच्छे लिंक्स से सजा है ये मंच..

    जवाब देंहटाएं
  13. "जिन्दगी से कितना दूर भागोगे तुम."रचना को चर्चा मंच में शामिल करने का आभार।
    जिस तरह सभी लिंक्स आपस में क्रमबद्व कर प्रस्तुत किये गये है उसके लिए अतुल जी बधाई के पात्र है।

    जवाब देंहटाएं
  14. अनिल पुसदकर जी, अतुल श्रीवास्तव जी, सार्थक चर्चा व मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए शुक्रिया . ह्रदय से आभार .

    जवाब देंहटाएं
  15. इस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सुन्दर चर्चा । अच्छे लिंक्स दिए हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  17. पोस्ट किसी की भी हो,अच्छा लगता है ऐसी चर्चा से रूबरू होना। प्रयास जारी रहे।

    जवाब देंहटाएं
  18. चर्चा में शामि‍ल होना अच्‍छा लगता है। बढ़ि‍या लिंक लगाया है आपने। मेरी कवि‍ता शामि‍ल करने के लि‍ए धन्‍यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  19. चर्चा में शामि‍ल होना अच्‍छा लगता है। बढ़ि‍या लिंक लगाया है आपने। मेरी कवि‍ता शामि‍ल करने के लि‍ए धन्‍यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  20. सार्थक चर्चा!! शानदार है अतुलभाई!!

    जवाब देंहटाएं
  21. अतुल सर ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद हमारे मुद्दे को बहस में शामिल करने के लिए हम सच में इस पर एक खुली बहस करना छाते हैं....पर एक स्वस्थ बहस जिसका सार्थक निष्कर्ष निकले....

    साथ में सभी का धन्यवाद जिन्होंने हमारी पोस्ट को पसंद किया....

    जवाब देंहटाएं

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