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Thursday, December 22, 2011

"रोमांस में भी रोमांच" (चर्चा मंच-736)

मित्रों!
      नेट की लीला निराली है। भाई दिलबाग विर्क चर्चा लगाने का प्रयास करते रहे लेकिन इंटरनेट चला ही नहीं। इसलिए मैं चर्चा मंच का चौकीदार आज भी कुछ लिंक आपके लिए लेकर आया हूँ! यदि विर्क जी का नेट कल चला तो सम्भवतः वो ही कल की चर्चा लगायेंगे।
      ये कौन मसीहा निकसा है…. क्या करें! क्या समझे? नहीं समझे? बुद्धू कहीं के ... :) हम ही निकले अनाड़ी! आराम का सफर भी नहीं कर सकते। कभी मिलोगे मुझसे? मगर कहाँ? पासपोर्ट और वीजा व्यक्तिगत रूप से ही बनवाए जा सकते हैं, किसी एजेंट के माध्यम से नहीं तो हमारे पढ़े-लिखे होने का क्या फायदा? जितेन्द्र जौहर के ‘सफ़र’ ने सौंपा एक ‘अभूतपूर्व साहित्यिक दस्तावेज वाकई एक महत्वपूर्ण प्रस्तुती। इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में! तभी तो अन्ना जी जनमानस के दिलों में बसे हुए हैं। माँ अठारह जनवरी ग्यारह को, चली गई थी माँ। बचपन मेरा ले गई, मुझे बड़ा कर गई माँ।। दीनू दीनूड़ा दीनदयाल, कह पुकारती थी माँ। अरे अन्ना, बेचारे संघ का समर्थन ले लो भाईलो जी सरकार लोकपाल ले आई है इसके साथ ही सौ सवाल ले आई है मै कहता हूँ ये लोकपाल नहीं है खरगोश का बिल है इसी कमजोर बिल के आने से खुश भ्रष्टाचारी का दिल है! सामूहिक रिश्वत की राजनीति ! आइए इसका "अभिनन्दन-वन्दन करें" सब मिट्टी में मिल गये! मेरे अरमान.. मेरे सपने.. और रह गईं, मैं और मेरी तन्हाईयाँ -----! सिन्दूरी सुबह है ...उजली हर रात है अपने वतन की तो जुदा हर एक बात है जितने नज़ारे हैं जन्नत से प्यारे है भारत तो धरती को रब की सौगात है! क्योंकि हम बनते हैं! बड़े सयाने, फिर भी मासूमकल्पना की पराकाष्ठा* *अन्तरिक्ष को छू कर आई कविता !* *कवियों की नन्ही जान,* *शब्दों में मुस्काई कविता ! आयी मौज फ़कीर की, दिया झोंपड़ा फ़ूँक
      जब देखा कान्हा ने मैया बहुत थक गयी है जाकर उसी चबूतरे पर बैठ गये जिसके दूसरी तरफ़ मैया बैठी थी बुरी तरह रोते जाते हैं आंखे मलते जाते है अंसुवन धार बहाते है, यही तो है कृष्ण लीला ....! हो गये हैं कठिन रास्ते  अव तो कद्दू...... ही बनना ही पड़ेगा और "सबके प्यारे बन जाओगे?" मगर सर्दी में तो हवा बहुत दुखदाई हो रही है मगर यहां तो शीतल पवन चली सुखदायी। मगर क्या हमें मिलेगी? कुछ दिन ब्लॉग्गिंग की छुट्टी ...! अब तो क्या पढ़ना है तय करेगी अदालत? अब तो हर बात बहुत दूर गई, चाँदनी रात बहुत दूर गई! क्योंकि जब हम जवां थे .....तब रोमांस में भी रोमांच था..... !!! वो गालों पे उँगलियों के निशान.. वो मार खा कर सूजे-सूजे होंठ, कंप-कपाता मन, डर के मारे... अश्रुओं से भीगा वो चेहरा मुझे भूलता ही नहीं है. आह ! वो बचपन!... चलते चलते इन राहों पर ... कुछ रुकने की भी बात करो.. तूफानों का मौसम है .. कुछ थमने की भी बात करो ...! चुप चुप से क्यों बैठे हो ...कुछ मुस्काने की बात करो .....!! लीजिये मैं फिर आ गई हुं एक प्यारभरी कविता के साथ मैं भी करती हूँ किसी से प्यार! तभी तो कहते हैं कि जहां न पंहुचे रवि, वहां पहुंचे कवि यह तुलना करके किसने किसका मान बढाया? रवि का, या कवि का? या यह दोनों के सामर्थ्य की परीक्षा है? कुंड़लिया ----- दिलबाग विर्क दफ्तर लगते दस बजे, औ ' आठ बजे स्कूल । अजब नीति सरकार की , टेढ़े बहुत असूल । टेढ़े बहुत असूल, बेलौस नशा माँगती हूँ... सारे नशे की चीज़ मुझसे ही क्यों माँगती हो कह कर हँस पड़े तुम, मैं भी हँस पड़ी तुमसे न माँगू तो किससे भला, तुम ही हो नशा...! जब भी मैंने मिलना चाहा सदा ही तुम्हें व्यस्त पाया समाचार भी पहुंचाया फिर भी उत्तर ना आया |  क्या यही है  सुकून! चलिए देखिए- शिखा वार्ष्णेय की नज़र से - स्मृतियों में रूस ...! लिपटी हों जैसे धुप की सहर्ष किरने * *और बंधा हो जैसे चोटी में प्यारा सा फुंदना * *ऐसा सुन्दर फूल है गेंदे का
अन्त में- 

26 comments:

  1. acche links ke sath charcha manch ki pastuti shandar hai...
    mere post ko bhi isme shamil karane ke liye apka aabhar or dhanywad...

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  2. कई लिंक्स और सुन्दर सटीक चर्चा |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

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  3. कथा के रूप में चर्चा रोचकता बढ़ा देती है।

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  4. शास्‍त्री जी, चर्चा के मामले में आपका सचमुच जवाब नहीं।
    बहुत बढिया संजोयी है ये चर्चा।

    ------
    आपका स्‍वागत है..
    .....जूते की पुकार।

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  5. बेहतरीन लिंक्स के लिए धन्यवाद !

    ग्राम चौपाल में " भारत पाक युद्ध के चालीस साल "
    http://www.ashokbajajcg.com/2011/12/blog-post_20.html

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  6. रोचक चर्चा...पठनीय सूत्र...आभार|

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  7. बेहतरीन लिंक्स के लिए धन्यवाद !

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  8. खूबसूरत इबारत,
    शब्दों की इमारत
    अनेकता में एकता
    जय हिंद, जय भारत.

    साभार....

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  9. बेहतरीन तरीके से लिंक संयोजन।
    आपसे काफी कुछ सीखने मिलता है.....

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  10. धन्यवाद,...सभी रचनाएँ सुन्दर हैं..
    ऋतू बंसल

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  11. दिलबाग विर्क चर्चा लगाने का प्रयास करते रहे लेकिन इंटरनेट चला ही नहीं। इसलिए मैं चर्चा मंच का चौकीदार आज भी कुछ लिंक आपके लिए लेकर आया हूँ!

    तो जौहर जी की चर्चा दिलबाग विर्क जी की बदौलत चर्चा तक पहुंची ......:))

    शुक्रिया ......

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  12. सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित रोचक चर्चा।

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  13. मेरी रचना 'बेलौस नशा माँगती हूँ' को यहाँ प्रेषित करने के लिए ह्रदय से आभार रूपचन्द्र जी. बहुत अच्छे अच्छे लिंक्स, धीरे धीरे पढूंगी. धन्यवाद.

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  14. काफी सरे लिंक्स मिल गए आभार.

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  15. बहुत बढिया सटीक चर्चा करने के लिए आभार |

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  16. सुन्दर चर्चा.... बढ़िया लिंक्स
    सादर आभार...

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  17. शास्त्री जी बहुत बढ़िया लिंक्स दिए हैं आज ...!!
    आभारी हूँ ...मुझे भी स्थान दिया .

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  18. dhanywad meri rachna ko charcha men lene ke liae ..bahut achche link hei ...

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  19. sunder upyogi links me samaita ye charcha manch bahut acchha lagta hai. aur kitni mehnat karni padti hai iske har sadasy ko acchhi tarah janti hun.

    aabhar meri post ko yahan sthan dene k liye.

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  20. सुंदर प्रस्तुति।

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