फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

रविवार, दिसंबर 18, 2011

"जोखुआ" की "जलन" : चर्चा मंच - ७३२

       उतम रचना ,  की चर्चा करना ही , बड़ा खतरनाक शब्द है , जिसकी करो वो खुश , न करो तो ...... सब मिला के हाल  विजय और पराजय  वाला ,.. मैंने शास्त्री जी को मना  किया था , मुझे न बनाओ, उच्चारण जब थम जाये  तो  अनशन -अंड सड  काम का दायित्व न ठहराओ , मै ठहरा व्यंगबाज , अंगुलबाज़, रेड हाट मारुति  का चालक,  लेकिन ये कहाँ मानने वाले थे बोला तुम साहित्य के धनी हो , कुछ कर सकते हो शांता का सर्ग  ८  सुन कर , मैंने कहा "सर"  प्रेमचन्द कितने धनी थे साहित्य के , और मर गए बिना धन के "(कमल )    इन्होंने  कहा तुम्हारे पास कोई समस्या नहीं, उम्र छोटी है , काम बड़ा करने का गुण है , तो कर न , दिक्कत क्या है ,???  मैंने कहा मेरे मुहब्बत की कब्र  का फायदा न उठाओ , मै कहाँ कर पाऊँगा रोज रोज कौवे ने कही कवि की कहानी ,?? मै कहाँ से ला पाऊँगा वो .हिंदू -मुस्लिम में ... प्यार  ?? इन्होंने कहा भूल जा जो है  याद छोटी सी  याद और जा  ढूँढ ले अपने लिए कोई पाकिस्तानी डार्लिंग    जो तेरे बिना जिया ..   बेच न पाए मैच फिक्सिंग के बाद भी ,  मैंने कहा मै क्या करूँगा इस  बिना काम के  हसीन बि  का?? उसको तो मेरा लुंगी धारी वकील   ही  मुँह पर तमाचा  मार देगा, आखिर मेरा  मेरा सैनिक जाग रहा   जो किसी भी दुश्मन को मिट्टी वाली सेज   पर  प्रेतात्मा   बना सकता है, और वो प्रेतात्मा जोखुआ (कमल ) को बता रहा था सोनिया को   कि चर्चा जब सफल हो जाए तो लोगो में  जलन  (कमल ) की भावना आ जाती है .... ..
तो दोस्तों आप बताओ , १८ पैग के बाद मेरी लगायी चर्चा कैसी रही :) ... 

मित्रों! 

इसके पहले मैंने दो चर्चाएँ लगायी हैं डर- डर के, चूँकि मैं नया था , लेकिन ये  मेरे अपने ठरकी अंदाज में पहली चर्चा है,  :) पसंद आए तो, दो चार किलो कमेन्ट ठोक दीजियेगा , नहीं तो मेल पर आपकी गालियों का स्वागत है , बाकी लोग मेरी रचना लगाते नहीं तो मैंने अपने पावर  का वही इस्तेमाल किया है जैसे जोखुआ ऐ रजा जलन  के मारे ... सब चौपट कर डालता है .. )

15 टिप्‍पणियां:

  1. अरे वाह!
    चर्चा में भी व्यंग्य का पुट!
    इस बढ़िया चर्चा के लिए आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छी लगी नए अंदाज में की गई चर्चा...

    जवाब देंहटाएं
  3. वर्तनी की बहुत ही गलतियाँ हैं। यदि सुधार कर लें तो ठीक रहे।

    जवाब देंहटाएं
  4. जबरदस्त लिंक लगाए हैं आपने, मजा आ गया,,,

    जवाब देंहटाएं
  5. आखिर उत्तम रचना की उत्तम चर्चा कर ही डाली :)

    जवाब देंहटाएं
  6. नए अंदाज में जबरदस्‍त चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  7. चर्चा पे आने के लिए आप सबका, बहुत बहुत आभार

    सादर

    कमल

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।